राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-५५५/२०१०
(जिला उपभोक्ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-१८३/२००८ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-१७/०२/२०१० के विरूद्ध)
Union of India Through Chief Post Master, Distt.-Yawatmall, Maharastra and Three others.
………….Appellants.
Ver
Surendra Prashad Mishra, Advocate S/o Dr. Vashist Mishra, Civil Court Compound, Gorakhpur.
..............Respondent.
समक्ष:-
- माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठा0सदस्य
- माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य ।
अपीलकर्तागण की ओर से उपस्थित : डा0 उदय वीर सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक:२९/०७/२०१६
माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठा0सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-१८३/२००८ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-१७/०२/२०१० के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला मंच गोरखपुर के समक्ष परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया कि उसने अपने पुत्र गौरव मिश्रा को यावत माल स्थित वी0एन0 कालेज आफ इंजीनियरिंग कूसद को रू0 २५००/- का मनी आर्डर प्रेषित किया था किन्तु इस मनी आर्डर के अनुसार धन की अदायगी उसके पुत्र को नहीं की गयी। अत: अपीलकर्ता द्वारा सेवा में त्रुटि कारित किया जाना अभिकथित करते हुए क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अपीलकर्ता के कथनानुसार मनी आर्डर की डिलीवरी न होने की जानकारी होने पर डुप्लीकेट मनी आर्डर जारी किया गया तथा परिवादी को मनी आर्डर की धनराशि दिनांक २८/०५/२००८ को अदा कर दी गयी।
अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि इंडियन पोस्ट आफिस एक्ट की धारा ४८ के अनुसार क्षतिपूर्ति की अदायगी का दायित्व अपीलकर्ता का नहीं है। विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलकर्तागण/विपक्षीगण को निर्देशित किया कि निर्णय के एक माह के अंदर वह परिवादी को उसके द्वारा भेजे गए धनादेश के गायब होने एवं अभिप्रेत व्यक्ति के पास समय से भुगतान न होने के कारण की गई सेवा की कमी से उद्भूत शारीरिक एवं मानसिक कष्ट के लिए परिवादी को रू0 २०००/- एवं परिवाद व्यय रूपये १०००/- अदा करें। नियत तिथि तक अनुपालन न करने पर समस्त देय धनराशि पर निर्णय की तिथि से ०९ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज देय होगा।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता डा0 उदय वीर सिंह के तर्क सुने एवं पत्रावली का परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजे जाने के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि यह तथ्य निर्विवाद है कि मनी आर्डर की धनराशि रूपये २५००/- दिनांक २८/०५/२००८ को परिवादी को प्राप्त कराई जा चुकी है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि इंडियन पोस्ट आफिस एक्ट की धारा ४८ (सी) के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति की अदायगी का दायित्व अपीलकर्तागण का नहीं है । इस संदर्भ में उन्होंने टीका राम खन्नल बनाम इंडियन पोस्टल डिपार्टमेंट VI (2007) CPJ 123 (NC) के संबंध में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गए निर्णय पर विश्वास किया।
इंडियन पोस्ट आफिस एक्ट ४८ सी के अनुसार:-
‘’ ४८. Exemption from Liability in respect of money orders—No suit or other legal proceedings shall be instituted against the Government or any officer of the post Office in respect of—
(C) the payment of any money order being refused of delayed by, or on account of, any accidental neglect, omission or mistake, by, or on the part of, an officer of the post Office, or for any other cause whatsoever, other than the fraud or wilful act or default of such officer, or
जहां तक प्रस्तुत मामले का प्रश्न है । यह तथ्य निर्विवाद है कि अपीलकर्तागण की गलती के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भेजा गया मनी आर्डर प्राप्तकर्ता को प्राप्त नहीं हुआ किन्तु अपीलकर्तागण के किसी अधिकारी अथवा कर्मचारियों द्वारा धोखाधड़ी अथवा जालसाजी अभिकथित नहीं है। यद्यपि अपीलकर्तागण के कर्मचारियों की लापरवही के कारण मनी आर्डर प्राप्तकर्ता को प्राप्त नहीं हो सका किन्तु इंडियन पोस्ट आफिस एक्ट ४८ (सी) के उपरोक्त प्राविधान के आलोक में इस संदर्भ में परिवाद अपीलकर्तागण के विरूद्ध योजित नहीं किया जा सकता। विद्वान जिला मंच ने मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों पर उचित विचार न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है, जो निरस्त किए जाने योग्य है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-१८३/२००८ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-१७/०२/२०१० अपास्त किया जाता है। परिवाद निरस्त किया जाता है।
(उदय शंकर अवस्थी) ( महेश चन्द )
पीठा0सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, आशु0 कोर्ट नं0-4