(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2126/2010
(जिला आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-979/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.11.2010 के विरूद्ध)
पंजाब नेशनल बैंक, ब्रांच अलीगंज, लखनऊ द्वारा चीफ मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2
बनाम
1. सुरेन्द्र कुमार तिवारी पुत्र स्व0 विपिन बिहारी तिवारी, निवासी ग्राम व पोस्ट शिवगढ़, चकबंदी आफिस के सामने, जिला रायबरेली। वर्तमान निवास 82, ट्रांस गोमती निकट डालीगंज रेलवे क्रासिंग, लखनऊ।
2. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, उप क्षेत्रीय कार्यालय, 5, मीरा बाई मार्ग, लखनऊ।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-1
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.एम. बाजपेयी।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्रीमती संध्या दूबे।
दिनांक: 03.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-979/2002, सुरेन्द्र कुमार तिवारी बनाम कर्मचारी भविष्य निधि संगठन तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.11.2010 के विरूद्ध यह अपील विपक्षी संख्या-2, बैंक की ओर से प्रस्तुत की गई है। प्रस्तुत अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित होने के बावजूद कोई बहस नहीं की गई।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी के पिता श्री विपिन बिहारी तिवारी (मृतक) द्वारा ई.पी.एफ. एवं एफ.पी.एफ. में नियमानुसार धनराशि नियोक्ता के माध्यम से जमा कराई थी। सेवानिवृत्त होने के पश्चात ई.पी.एफ. की धनराशि का सम्पूर्ण भुगतान न मिलने पर कार्यालय में संपर्क किया गया तथा अवशेष राशि अंकन 43,440/-रू0 की अदायगी हेतु अनुरोध किया। परिवादी के पिता उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम में चालक के पद पर कार्यरत थे और अपना सेवाकाल पूर्ण करके दिनांक 31.01.1999 को सेवानिवृत्त हुए, जिनके द्वारा नियमित रूप से भविष्य निधि खाता संख्या-यू.पी. 767/1895 में धनराशि जमा कराई गई, परन्तु सेवानिवृत्ति पर इस जमा राशि को ब्याज सहित वापस नहीं लौटाया गया।
3. विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि परिवादी के पिता ने धनराशि प्राप्ति के लिए क्लेम फार्म भर कर दिया था और क्लेम फार्म में अपना खाता संख्या 16386 पंजाब नेशनल बैंक, शाखा डालीगंज, लखनऊ लिखा था, इसलिए परिवादी के पिता की धनराशि अंकन 32,440/-रू0 का चेक डालीगंज स्थित पंजाब नेशनल बैंक को भेज दिया गया, जो वहां से कैश हो गया, इसलिए विपक्षी संख्या-1 का कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता।
4. विपक्षी संख्या-2 का कथन है कि परिवादी सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने दिनांक 14.12.2007 को अंकन 32,440/-रू0 प्राप्त कर लिए हैं, इसलिए उनका कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता।
5. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि चूंकि परिवादी ने विपक्षी संख्या-2, पंजाब नेशनल बैंक के खाते में जमा अंकन 32,440/-रू0 दिनांक 14.1.2000 से दिनांक 12.12.2007 तक इस राशि का प्रयोग विपक्षी बैंक द्वारा किया गया है, इसलिए इस राशि पर 9 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा किए जाने का आदेश पारित किया जाना विधिसम्मत है। तदनुसार उपरोक्त अवधि का ब्याज 09 प्रतिशत की दर से अदा करने का आदेश पारित किया गया।
6. अपीलार्थी, बैंक के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अंकन 32,440/-रू0 दिनांक 14.12.2007 को बगैर किसी आपत्ति के प्राप्त कर लिए गए हैं। परिवादी की समस्त जमा राशि Sundry Account में पड़ी रही, इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं था, इसलिए अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध पारित किया गया निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है। परिवादी की ओर से इस तर्क का कोई खण्डन नहीं किया गया कि यह धनराशि Sundry Account में मौजूद नहीं थी। यह स्पष्ट किया जाता है कि Sundry Account में पड़ी राशि का प्रयोग बैंक द्वारा नहीं किया जाता, इसलिए इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं है और विद्वान जिला आयोग द्वारा इस राशि पर ब्याज अदा करने का आदेश अवैधानिक है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.11.2010 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2