राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या:-1362/2010
स्टेट बैंक आफ इण्डिया बनाम श्री सुरेन्द्र कुमार मेहरोत्रा
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
03-9-2024
पुकार की गई। प्रस्तुत अपील विगत लगभग 14 वर्षों से लम्बित है जिसमें इस न्यायालय द्वारा अपीलार्थी बैक के पक्ष में अंतरिम आदेश पारित किया गया है व जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय/आदेश दिनांक 09.7.2010 का क्रियान्वयन स्थगित किया गया है। लगातार लगभग 20 तिथियों पर अपील विभिन्न कारणों से स्थगित की जाती रही। अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्ता श्री बी0पी0 दुबे द्वारा अनेकों तिथियों पर स्थगन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये गये तथा वे अनुपस्थित पाये गये। दिनांक 03.6.2024 को पीठ सं0-2 के मा0 सदस्यगण के मध्य मतभिन्नता के पश्चात प्रस्तुत अपील इस पीठ के सम्मुख सुनवाई हेतु दिनांक 06.6.2024 के आदेश के अनुपालन में आज सूचीबद्ध है, पूर्व में भी दिनांक 30.8.2024 को अपीलार्थी के अधिवक्ता अनुपस्थित थे।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का अपीलार्थी/विपक्षी बैंक में काफी समय से खाता संख्या 10998708025 चल रहा है, जिसमें पर्याप्त बैलेन्स है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 02.9.2009 को ए.टी.एम. कार्ड सं0-3085 से 10,000/- रूपया निकालने हेतु ए.डी.एम. कार्ड संचालित किया, लेकिन 10,000/- रूपया प्राप्त नहीं हो सका। दिनांक 30.8.2009 तक प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते में 4,57,149.20/- रूपया था, जो दिनांक 02.9.2009 को 4,47,149.20/- रूपया रह गया।
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यह भी कथन किया गया कि उपरोक्त जानकारी पास के एच.डी.एफ.सी. बैंक के ए.टी.एम. से रूपया 1500/- निकालने पर हुई, तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने लिखित व व्यक्तिगत रूप से विभिन्न तिथियों पर अपीलार्थी/विपक्षी के क्षेत्रीय व प्रधान कार्यालय व वित्त मंत्री व रिजर्व बैंक आदि को की, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियो द्वारा परिवादी के साथ अभद्र व्यवहार किया गया अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
मेरे द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश का सम्यक परिशीलन व परीक्षण किया गया तथा यह पाया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समुचित विवरण सविस्तार तथ्यों का उल्लिखित किया व अंततोगत्वा अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध आदेश पारित करते हुए जो तथ्य उल्लिखित किये, वे पूर्ण रूप से समुचित है तद्नुसार अपील निरस्त की जाती है।
अपीलार्थी बैंक के अधिवक्ता के कदाचार्य को दृष्टिगत रखते हुए व लगातार अनुपस्थिति व सहयोग न प्रदान किये जाने व अपील को लगभग 15 वर्षों से मात्र स्थगित कराये जाने को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध रू0 20,000.00(बीस हजार रू0) हर्जाना भी योजित किया जाता है, जो तत्काल अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला उपभोक्ता आयोग के द्वारा पारित निर्णय/आदेश का अनुपालन करते हुए हर्जाना धनराशि भी प्राप्त करायी जावेगी।
अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्त किया जाता है।
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प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1