मौखिक
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-880/2005
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स
बनाम
सुरेन्द्र कुमार गुप्ता
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री यू0पी0एस0 कुशवाहा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नही
दिनांक :21.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. प्रस्तुत अपील, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स की ओर से विद्वान जिला आयोग, हरदोई द्वारा परिवाद संख्या- 171/2004, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.04.2005 के विरूद्ध योजित की गयी है।
2. अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री यू0 पी0 एस0 कुशवाहा उपस्थित है। प्रत्यर्थी अनुपस्थित है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने गये एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 24.08.2002 को एक टैम्पो लोडर डाला नं0 यू0 पी0 30 ए 4264 खरीदाथा जिसका बीमा पहले से ही दिनांक 06.10.2001 से 05.10.2002 तक वैध था। उक्त वाहन दिनांक 03.10.2002 को ट्रक चालक की लापरवाही के कारण आमने सामने टक्कर मारने से क्षतिग्रस्त हो गया। परिवादी ने बीमा कम्पनी को क्लेम भुगतान के संबंध में सूचना दिया लेकिन उसने क्लेम देने से साफ इंकार कर दिया।
4. विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र में परिवादी ने दिनांक 30.10.2002 को प्रश्नगत दुर्घटना की होना दर्शित करते हुये रामकुमार सिंह निवासी पूरा बहादुर द्धारा अपने को टैम्पों का स्वामी होने के आधार पर सूचना दिया है। सर्वेयर की आख्या के अनुसार वाहन के पंजीकृत स्वामी रामकुमार सिंह है परिवादी नहीं। प्रश्नगत वाहन का अंतरण परिवादी के पक्ष में नहीं हुआ था।
5. जिला आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरान्त विपक्षीगण को आदेशित किया गया है कि आज से एक माह के अंदर परिवादी को क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत का मूल्य अंकन 56,520.00 रूपये 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के अदा करने का आदेश दिया है।
6. पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन किया गया। वाहन के प्रपत्र अंतरण हेतु परिवादी द्धारा प्रश्नगत वाहन क्रय करने के 14 दिन के अंदर बीमा कम्पनी को सूचना दिया जाना एवं वांछित शुल्क जमा करना आवश्यक होता है। यदि परिवादी द्धारा यह सूचना नहीं दी गई है तब बीमा कम्पनी, बीमा क्लेम अदा करने की उत्तरदायी नहीं है क्योंकि परिवादी का बीमा कम्पनी से कोई अनुबन्ध नहीं है। चूंकि परिवादी द्धारा निर्धारित अवधि में प्रपत्र अंतरण हेतु बीमा कम्पनी को सूचना नहीं दी गई है। ऐसे में जिला आयोग द्धारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्मत नहीं है। तदनुसार, अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि राज्य आयोग के समक्ष जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापस की जावेगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0,
कोर्ट-03