राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :1021/2014
(जिला मंच, कानपुर नगर द्धारा परिवाद सं0 269/2011 में पारित निर्णय/ आदेश दिनांक 22.02.2014 के विरूद्ध)
Kanpur Electricity Supply Company Ltd. KESCO, Kanpur Nagar.
........... Appellant/Opp.Paity
Versus
Surendra Kaur W/o Sri Manik Singh Gandhi, R/o 34, Lal Kurti Bazar, Chavni, Kanpur Nagar.
- Respondent/Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री इसार हुसैन
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :19-8-2015
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-269/2011 सुरेन्द्र कौर बनाम कानपुर विद्युत आपूर्ति कम्पनी लिमिटेड, (केसको) कानपुर नगर में जिला मंच, कानुपर नगर द्वारा दिनांक 22.02.2014 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"उपरोक्त कारणों से परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत वाद विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी द्वारा जारी नोटिस सं0-HO/16954 जो रू0 13,955.00 से सम्बन्धित है, को निरस्त किया जाता है। इस सम्बन्ध में विपक्षी अपने सभी अभिलेखों को नियमानुसार सही करे। साथ ही साथ क्षतिपूर्ति के रूप में निर्णय के 30 दिन के अन्दर परिवादिनी को रू0 15,000.00 विपक्षी अदा कर देवे।"
उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यह प्रकरण वर्ष-2014 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना
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गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी ने विपक्षी से दो किलोवाट का विद्युत कनेक्शन प्राप्त कर रखा था एवं परिवादिनी द्वारा विद्युत भार बढाये जाने हेतु दिनांक 03.01.2011 तथा 21.02.2011 को विपक्षी को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया एवं उपरोक्त पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात विपक्षी ने परिवादिनी का संयोजन विच्छेदित करने की धमकी देते हुए रू0 1211.00 के अलावा रू0 3120.00 अतिरिक्त प्राप्त किया एवं दिनांक 05.3.2011, 09.3.2011 व 28.3.2011 परिवादिनी के प्रार्थनापत्र से क्षुब्ध होकर दिनांक 07.3.2011 को परिवादिनी के परिसर में लगे संयोजन की जॉच की गई, परन्तु किसी प्रकार की विद्युत चोरी न पाये जाने से क्षुब्ध होकर विपक्षी के अवर अभियंता आर0के0 परमार ने दिनांक 07.3.2011 को काल्पनिक विद्युत चोरी का प्रकरण प्रदर्शित किया और रू0 13955.00 बकाया दिखाते हुए परिवादिनी को बिल भेजा गया एंव किसी अन्य व्यक्ति द्वारा परिवादिनी के प्रकरण में रू0 4,000.00 जमा करना बताया गया। जिसके परिणामस्परूप परिवादिनी के द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों को देखने के पश्चात अधिशाषी अभियंता द्वारा दिनांक 28.3.2011 को जॉच के आदेश दिये गये। तत्पश्चात भी परिवादिनी को कई गलत बिल भेजे जाते रहे। अत: परिवादिनी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध रू0 3120.00 एवं रू0 6977.00 कुल रू0 10,977.00 को वापस दिलाये जाने या मासिक बिलों में समायोजित किये जाने व क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु जिला मंच के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत किया।
विपक्षी की ओर से जिला मंच के समक्ष अपनी लिखित आपत्ति प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया और यह अभिवचित किया गया है कि परिवादिनी के परिसर में जॉच करने पर यह पाया गया कि परिवादिनी केबिल काटकर विद्युत का उपभोग कर रही थी एवं परिवादिनी द्वारा समन शुल्क के रूप में रू0 4000.00 भी जमा किया गया, जिसके कारण परिवादिनी के विरूद्ध रू0 13955.00 का समन शुल्क दिखाया गया, जिसके निराकरण हेतु परिवादिनी ने विपक्षी से कभी भी सम्पर्क नहीं किया तथा जिला मंच को विद्युत चोरी के मामले में सुनवाई का क्षेत्राधिकार
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प्राप्त नहीं है एवं परिवादिनी द्वारा समन शुल्क अदा करने के कारण परिवादिनी के विरूद्ध राजस्व शुल्क रू0 13955.00 हेतु बिल भेजा गया है, जिसको अदा करने के लिए परिवादिनी उत्तरदायी है।
उभय पक्ष के अभिवचन एवं तर्कों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा प्रश्नगत उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील योजित है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि परिवादिनी के अभिवचन से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि परिवादिनी, विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से निर्धारण की कार्यवाही से क्षुब्ध थी एवं निर्धारण के संदर्भ में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. Power Corporation Ltd. & Ors Vs. Anis Ahmad III (2013) CPJ 1 (SC) में स्पष्ट सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है और परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है एवं इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार भी उपभोक्ता फोरम को नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस में यह अभिवचित किया गया है कि अविवादित रूप से परिवादिनी के संदर्भ में दो किलोवाट का विद्युत कनेक्शन पहले से चला आ रहा था एवं परिवादिनी/प्रत्यर्थी ने स्वेच्छा से दिनांक 03.01.2011 एवं 21.02.2011 को प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन लोड को चार किलोवाट करने हेतु आवेदन किया था, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उसे आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई एवं दिनांक 28.02.2011 को विद्युत विच्छेदित करने की धमकी देकर लोड बढाने हेतु निर्धारित शुल्क रू0 1211.00 नाजायज रूप से जुर्माना राशि 3120.00रू0 नाजायज रूप से वसूल कर ली गई और न ही रसीद दी गई एवं स्पष्ट रूप से यह भी अभिवचित किया गया कि दिनांक 13.01.2011 को विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा जो चैकिंग की बात कही जाती है वह काल्पनिक और गलत है एवं विद्युत चोरी किये जाने के संदर्भ में विपक्षी/अपीलार्थी का अभिवचन भ्रामक एवं असत्य है एवं दिनांक 07.3.2011 को विपक्षी/अपीलार्थी के अवर अभियंता श्री आर0के0 परमार द्वारा वास्तविक निरीक्षण किया गया और रू0 4000.00 समन शुल्क परिवादी द्वारा जमा किया गया और तत्पश्चात रू0 13955.00 भुगतान प्राप्त करने हेतु दबाव डाला जा रहा था एवं रू0 13955.00 का जो बिल
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है, वह गलत है। लिखित बहस में यह भी अभिवचित किया गया है कि ओ0टी0एस0 के रूप में रू0 6977.00 परिवादिनी ने जमा किया था, उसे वापस दिलाया जाय एवं क्षतिपूर्ति का जो आदेश है, वह भी दिलाया जाय और लोड बढाने हेतु निर्धारित राशि के अतिरिक्त रू0 3120.00 वापस दिलायी जाय।
जिला मंच द्वारा प्रश्नगत निर्णय में इस आशय का उल्लेख किया गया है कि वर्तमान प्रकरण चोरी से सम्बन्धित नहीं है, परन्तु विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा अपने अभिवचन में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि वर्तमान प्रकरण में जब चैकिंग की गई थी तब यह पाया गया था कि परिवादिनी केबिल काटकर विद्युत का उपयोग कर रही थी और ऐसी स्थिति में रू0 4,000.00 समन शुल्क भी परिवादिनी/प्रत्यर्थी ने जमा किया। परिकल्पना हेतु यदि यह मान भी लिया जाय कि प्रकरण चोरी से सम्बन्धित नहीं है, निर्धारण(असिसमेण्ट) से सम्बन्धित है, तो ऐसी स्थिति में उपभोक्ता फोरम को वर्तमान प्रकरण में क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है, जैसा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. Power Corporation Ltd. & Ors Vs. Anis Ahmad III (2013) CPJ 1 (SC) के उपरोक्त वर्णित निर्णय में स्पष्ट किया गया है। अत: पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि वर्तमान प्रकरण उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार से परे है, इसलिए प्रश्नगत निर्णय/आदेश अपास्त करते हुए प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए जिला मंच, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-269/2011 सुरेन्द्र कौर बनाम कानपुर विद्युत आपूर्ति कम्पनी लिमिटेड, (केसको) कानपुर नगर में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.02.2014 अपास्त किया जाता है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-3