Rajasthan

Ajmer

CC/435/2012

SHAKTI SINGH - Complainant(s)

Versus

SURBHI STORE - Opp.Party(s)

ADV AJAY VERMA

29 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/435/2012
 
1. SHAKTI SINGH
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. SURBHI STORE
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 29 Jul 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री षक्ति सिंह पुत्र श्री चेतसिंह बाघ, जाति- नाई, निवासी- 3-ख-1, बधिर विद्यालय के पीछे, वैषाली नगर, अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

1. सुरभि स्टोर/ संकल्प होम स्टोर, श्रीनगर रोड, अजमेर । 
2. प्रबन्धक, हायर्स, बी-1/ए-14, मोहन काॅ-आपरेटिव इण्डस्ट्रियल स्टेट, मथुरा रोड़, नई दिल्ली- 110044
3. श्रीनाथ सर्विसेज, चन्द्रा स्टोर के पीछे, श्रीनगर रोड, अजमेर । 
                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 435/2012  

                            समक्ष
                 1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
          3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री अजय वर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री जयप्रकाष षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
                  3. श्री जे.पी.ओझा, अधिवक्ता, अप्रार्थी संख्या 2 व 3 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-29.07.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने एक हायर-एलसीडी दिनंाक 10.9.2009 को रू. 25,000/- में अप्रार्थी संख्या 1 से क्रय किया ।  जिसकी 4 वर्ष की वारण्टी दी गई थी ।  दिनंाक 3.6.2012 को उक्त एलसीडी के अचानक बन्द हो जाने पर उसने अप्रार्थी संख्या 2 के टौलफ्री नम्बर पर षिकायत दर्ज करवाई  और उसकी षिकायत अप्रार्थी संख्या 3 को रिसोल्वड हुई ।  दिनंाक 4.6.2012 को अप्रार्थी संख्या 3 ने अपना इंजीनियर भेजने का आष्वासन दिया । दिनांक 25.6.2012 को   प्रष्नगत एलसीडी खराब हालत में ही फिट कर दिया गया । तत्पष्चात् उसने  25.6.2012 को  अप्रार्थी संख्या 1 से पुनः ष्किायत की तो  उसने अप्रार्थी संख्या 2  को ई-मेल प्रष्नगत एलसीडी की खराबी बाबत् भेजा  किन्तु प्रष्नगत उत्पाद ठीक नहीं किए जाने पर उसने दिनंाक 18.7.2012 को अधिवक्ता  के माध्यम से नोटिस भिजवाया । तत्पष्चात् पूछताछ करने पर अप्रार्थी संख्या 2 के सर्विस इंजीनियर का पत्र दिनंाक 7.8.20912 इस आषय का प्राप्त हुआ कि  अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा  उसे सूचना दी जावेगी कि उसकी एलसीडी मरम्मत पर कितना खर्च हुआ है जिसे अदा कर वह एलसीडी प्राप्त कर सकता है ।  इसके बाद अप्रार्थी संख्या 3  द्वारा उसे पत्र दिनंाक 8.8.2012 के सूचित किया गया कि  वह रू. 42020/- अदा कर अपना सैट ले जावे । प्रार्थी ने अण्डरप्रोटेस्ट उक्त राषि अदा कर अपना सैट प्राप्त कर लिया । प्रार्थी ने अपने उत्पाद की कीमत रू. 25,000/- बताते हुए अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा प्राप्त की गई राषि रू. 42020/- को अनुचित  व गलत बताते हुए अप्रार्थीगण की सेवा में कमी के आधार पर परिवाद पेष कर  उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।   
2.        अप्रार्थी संख्या 1 ने  प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत एलसीडी किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि उत्तरदाता अप्रार्थी संख्या 2 के द्वारा निर्मित उत्पाद को विक्रय करने का कार्य करता है  एवं विक्रय उपरान्त वारण्टी के क्रमं में उत्पाद को ठीक करने एवं उसे दुरूस्त करने का कार्य अप्रार्थी संख्या 2 व 3 का है ।  प्रार्थी द्वारा अपने उत्पाद के संबंध में की गई षिकायत  अप्रार्थी संख्या 2 व 3 को प्रेषित कर  अपने दायित्वों का निवर्हन किया है ।  उसे स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं रही । परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।  
3.    अप्रार्थी संख्या 2 व 3 ने प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत एलसीडी  जिसकी एक वर्ष की वारण्टी दी गई , अप्रार्थी संख्या 1 से क्रय किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि  प्रार्थी ने दिनंाक 21....6.2012 को सर्वप्रथम अप्रार्थी संख्या 2 के टोलफ्री नम्ॅबर पर षिकायत दर्ज करवाई थी । प्रार्थी को प्रष्नगत उत्पाद पर  4 वर्ष की वारण्टी नहीं दी गई ।  अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा प्रार्थी के प्रष्नगत उत्पाद को चैक किया तो पाया कि  हाई वोल्टेज के कारण  पावर सप्लाई सिस्टम खराब हो गया था जो  मौके पर ठीक होने योग्य नहीं था इसलिए सर्विस सेन्टर पर ले जाकर  पावर सप्लाई को ठीक कर उसे प्रार्थी के घर पर फिट करने का प्रयास किया गया। किन्तु ठीक नहीं होने पर उसे जयपुर वर्कषाप पर भेजने की प्रार्थी को सलाह दी गई  किन्तु प्रार्थी सहमत नहीं हुआ। काफी समझाईष के बाद प्रार्थी के प्रष्नगत उत्पाद को जयपुर भेजा गया  और वहां से  पावर सप्लाई के पार्ट को दुरूस्त कर  दिया गया ।  जिसकी मरम्मत की राषि रू. 4702/- होती है किन्तु गणीतीय त्रुटिवष  47020/- अंकित हो गई  जिसे प्रार्थी ने अण्डरप्रोटेस्ट जमा करा कर अपना प्रष्नगत उत्पाद प्राप्त कर लिया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । जो भूल हुई है वह सद्भाविक है । अन्त में परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में  श्री संजय जैन, ब्रान्च सर्विस मैनेजर ने अपना षपथपत्र पेष किया है । 
4.    प्रार्थी पक्ष का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि उसके द्वारा एलसीडी दिनंाक 10.9.2009 को खरीदा गया  व 4 वर्ष की वारण्टी अवधि बताई गई ।  इसके बावजूद दिनंाक 3.6.2012 से उक्त एलसीडी अचानक बंद हो गया तथा समय समय पर इसकी षिकासत व ईमेल प़त्र व्यवहार किया गया । अतः में दिनंाक 8.8.2012  को भेजे  गए पत्र के संदर्भ में रू. 42020/-  का मरम्मत बिल भेजना अप्रार्थी की बदनियती, लापरवही व सेवा में कमी का परिचायक है । प्रार्थी द्वारा अपने विधिक अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए  अण्डर प्रोटेस्ट रू. 42020/- का भुगतान कर दिया गया है । अप्रार्थीगण का कृत्य  सेवा में कमी का परिचायक है । वांछित अनुतोष सहित परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । 
5.    अप्रार्थी संख्या 1 ने  उपरोक्त तथ्यों के खण्डन में  तर्क प्रस्तुत किया है कि वह मात्र प्रष्नगत उत्पाद को विक्रय करने का काम करता है व उत्पाद को ठीक करने का कार्य अप्रार्थी संख्या 2  का है । उसका  कार्य महज प्राप्त षिकायत को अग्रेषित करना है । उसके द्वारा किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी का परिचय नहीं दिया गया है । 
6.     .अप्रार्थी  संख्या 2 व 3 की ओर से बहस में स्वीकार किया गया कि प्रार्थी द्वारा उक्त एलसीडी खरीदा गया था किन्तु मात्र एक वर्ष की वारण्टी दी गई थी न कि 4 वर्ष की । प्रार्थी द्वारा जो एलसीडी में खराबियां बताई गई उसका निवारण कर दिया गया  तथा बिल में त्रुटिवष रू. 42,000/-  की  राषि अंकित कर दी गई है  जिसे न्याय हित में दुरूस्त किया जाना आवष्यक है । उनकी सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं बरती गई है । परिवाद सव्यय खारिज किया जाना चाहिए ।
7.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
8.      यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी द्वारा दिनंाक 10.9.2009 को अप्रार्थी संख्या 1 से एक एलसीडी रू. 25,000/- में खरीदा गया था । इस एलसीडी में सर्वप्रथम  खराबी की षिकायत दिनंाक 3.6.2012 को आई है जैसा कि प्रार्थी का कथन है । स्वीकृत  रूप से यह अवधि खरीद की तिथि  दिनांक 19.9.2009से 3.6.2012  लगभग पौने 3 वर्ष बाद आई है । प्रार्थी पक्ष ने अपने पक्ष कथन व प्रलेख साक्ष्य  से यह कहीं सिद्व नहीं किया है कि उक्त उत्पाद की वारण्टी अवधि 4 वर्ष की थी ।   सामान्य तौर पर इलेक्ट्रोनिक उत्पाद की वारण्टी व  गारण्टी अवधि उत्पाद खरीद की तिथि से एक वर्ष तक रहती है । अतः प्रष्नगत उत्पाद का   खरीद की तिथि से एक वर्ष बाद खराब होना वारण्टी/गारण्टी अवधि के अन्दर होना नहीं माना जा सकता व इस संबंध में प्रार्थी पक्ष  की उठाई गई आपत्ति सारहीन होने के कारण निरस्त की जाती है ।
9.    हालांकि प्रार्थी द्वारा इसके बाद समय समय पर अप्रार्थीगण से एलसीडी में खराबी बाबत् ई-मेल  पत्र व्यवहार  का उल्लेख  किया है तथा इस संबंध में उसने हुई परेषानी का जिक्र भी किया है, किन्तु मुख्य विवाद पक्षकारों के मध्य अंतिम रूप से उक्त एलसीडी को सर्विस सेन्टर के पास दिनंाक  8.8.2012 के संदर्भ में  दिनंाक 9.8.2012 को  प्राप्त करते समय रह जाता है ।  प्रार्थी का कथन है कि उसके द्वारा दिनंाक 9.8.2012 को उक्त एलसीडी प्राप्त कर रू. 42020/-  का भुगतान अण्डरप्रोटेस्ट कर दिया गया ।  जबकि एलसीडी की वास्तविक कीमत  रू. 25,000/- थी । अतः इतनी अधिक राषि प्राप्त कर अप्रार्थी ने सेवा में कमी का परिचय दिया हे । 
10.    अप्रार्थीगण की ओर से  उक्त बिल के संबंध में बिल बनाने वाले कर्मी की त्रुटि का हवाला दिया है । पत्रावली में उपलब्ध  बिल दिनंाक 9.8.2012  में उक्त सर्विस सेन्टर में एलसीडी में खराबी आने के बाबत् रू. 47020/- का खर्चा होना बताया व इस संबंध में रू. 500/-  की छूट देते हुए रू. 42020/- की राषि अंकित की है । प्रार्थी ने इस  पर अण्डरप्रोटेस्ट अंकित करते हुए  उत्पाद प्राप्त किया है  व रू. 42020/-  का तथाकथित भुगतान करना अभिकथित किया है । सामान्य प्रक्रिया में यदि रू. 47020/- में रू. 500/-  की राषि को घटा दिया जाए तो ष्षेष राषि रू. 46,520/-  बनती हेै। इस बिल में यह राषि रू. 42020/-  बताई गई है । एक सामान्य नागरिक से  ऐसा बिल देखने पर इसमें अंकित राषि का बिना सोचे समझे भुगतान करना अस्वाभाविक  कहा जा सकता है । यह भी स्वीकृत स्थिति है कि एलसीडी रू. 25,000/- में खरीदा गया था । अतः यदि एलसीडी में आई खराबी को दुरूस्त किए जाने के बाद खरीद की तिथि से 3 वर्ष बाद रू. 42,000/- का भुगतान सामान्य परिस्थितियों में किया जाना असम्भव प्रतीत होता है । चूंकि प्रार्थी पक्ष ने अपने अधिक्वता के माध्यम से दिनंाक 8..8.2012 को एक नोटिस अप्रार्थीगण को भिजवाया है । जिसमें उन्होने स्वयं स्वीकार किया है कि उनका पक्षकार  अण्डर प्रोटेस्ट अदा की गई राषि रू. 42020/- विधिक प्रकिया अपना कर  अपना अधिकार सुरक्षित रखता है । अतः यह स्वीकृत रूप से प्रकट हो रहा है कि  तत्समय भूलवष  अप्रार्थी द्वारा  दिनंाक 8.8.2012 को प्रार्थी से रू. 42020/- दिए जाने की डिमाण्ड की गई व  इसके क्रम में दिनांक 9.8.2012 को प्रार्थी द्वारा  रू. 42020/-  का भुगतान किया गया । इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से प्रकट हुआ है कि  उक्त संव्यवहार भूलवष अंकित राषि के कारण हुआ तथा परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए प्रार्थी ने अण्डरप्रोटेस्ट रू. 42020/- का भुगतान करते हुए बाद में इस बिल में अंकित  राषि को अपने परिवाद के माध्यम से मांग कर अप्रार्थीगण को सेवा में  कमी का दोषी बताया है । 
10.       कुल मिलाकर  उपलब्ध अभिलेख के आधार पर एलसीडी  में आई खराबी को दुरूस्त किए जाने  के लिए उक्त एलसीडी को   जयपुर भिजवाए जाने व संबंधित  पार्ट्स बदला गया व जिसका बिल संलग्न किया गया  है, को देखते हुए  ली गई राषि रू. 42020/- कतई नहीं मानी जा सकती । जो परिस्थितियां सामने आई है, को देखते हुए यही सिद्व है कि न तो प्रष्नगत उत्पाद वारण्टी/गारण्टी अवधि में था और ना ही अप्रार्थीगण की ओर से किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी रही है । अतः  प्रार्थी पक्ष द्वारा बिल में भूलवष अंकित राषि को अनुचित आधार मानते हुए मंच में  पेष किया गया परिवाद उदाहरणार्थ हर्जाने के साथ खारिज होने योग्य है  एवं आदेष है कि 
                         -ःः आदेष:ः-
 11.           प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर रू. 2500/- हर्जाने पर खारिज किया जाता है । प्रार्थी उक्त हर्जाने की राषि  राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करावे और इस राषि का डिमाण्ड ड्राफट राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष, जयपुर  को देय इस निर्णय की दिनांक से दो माह के अन्दर इस मंच में  जमा करावें ।
        आदेष दिनांक 29.07.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।
    

 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
 
     
    

 

    

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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