Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/1384

M/S Honda Siel Power Products Ltd. - Complainant(s)

Versus

Suprio Sen - Opp.Party(s)

M H Khan

16 Mar 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/1384
( Date of Filing : 08 Jun 2000 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. M/S Honda Siel Power Products Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Suprio Sen
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Mar 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1384/2000

M/s Honda Siel Power Products Ltd, (Shriram Honda Power Equipment Ltd) 5th Floor, Kirti Mahal, 19 Rajendra Place, New Delhi through its Manager and two others.

 अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                                               बनाम        

Suprio Sen S/o B.K. Sen, R/o ER 697/648, ADA Colony, Naini Distt. Allahabad.

                                                   प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से     : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से           : कोई नहीं।

दिनांक:  16.03.2021 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-984/1996, सुप्रियो सेन बनाम प्रबन्‍धक श्री राम होण्‍डा पावर इक्‍यूपमेंट लि0 तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, इलाहाबाद  द्वारा  पारित  निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.05.2000 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि दो माह के अन्‍दर जेनसेट की कीमत अंकन 20,550/- रूपये एवं वाद व्‍यय अंकन 800/- रूपये परिवादी को अदा किए जाए।

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने एक जेनसेट विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 से  दिनांक  06.05.1996 को अंकन 20,550/- रूपये में क्रय

-2-

किया था, जिसमें शुरू से ही खराबी थी। शिकायत पर भी विपक्षीगण ने ध्‍यान नहीं दिया और जेनसेट वापस प्राप्‍त नहीं किया और न ही उसका पैसा वापस किया गया।

3.         विपक्षीगण का कथन है कि स्‍वंय परिवादी नियत अवधि के अन्‍दर सर्विस कराने के लिए नहीं आए और उनके द्वारा सर्विस के बिना ही जेनसेट चलाया गया। यह भी उल्‍लेख किया गया है कि सर्विस के दौरान जेनसेट के अन्‍दर पिस्‍टन रिन सेट पिस्‍टन में खराबी पायी गई, जिसे मुफ्त में बदल दिया गया और परिवादी द्वारा तीसरी फ्रि सर्विस भी नहीं कराई गई और जेनसेट परिवादी के पास मौजूद है।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया कि चूंकि परिवादी बराबर जेनसेट का पैसा वापस दिलाने की मांग कर रहा है और विपक्षीगण ने दिनांक 11.11.1999 को जेनसेट परिवादी से ले लिया है, इसलिए यह माना जाएगा कि विपक्षीगण ने जेनसेट वापस कर पैसा देने के लिए ही लिया है। दिनांक 11.11.1999 को जेनसेट वापस लेने का कोई उल्‍लेख वाद पत्र में नहीं किया गया है, जबकि परिवाद वर्ष 1996 में प्रस्‍तुत किया गया है, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत करने के पश्‍चात जेनसेट वापस लिया या नहीं लिया, इसका कोई उल्‍लेख अभिवचनों में मौजूद नहीं है। अत: यह निर्णय मात्र कल्‍पना पर आधारित है, इसिलए निर्णय में यह उल्‍लेख किया गया है कि '' यह माना जाएगा कि पैसा वापस करने के लिए जेनसेट लिया गया है। ''

5.         परिवाद पत्र के पैरा संख्‍या-6 में यह उल्‍लेख किया गया है कि परिवादी विपक्षी संख्‍या-3 की दुकान पर रिक्‍शा में जेनसेट लेकर वापस करने हेतु गया तो विपक्षी संख्‍या-3 ने न जेनसेट वापस किया और न ही       पैसा  वापस किया। इस विचित्र वाक्‍य की व्‍याख्‍या करने से यह नहीं कहा जा

-3-

सकता है कि परिवादी का कहने का तात्‍पर्य यह है कि जेनसेट विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा परिवादी से ले लिया गया और परिवादी को वापस नहीं किया गया। परिवाद पत्र की धारा 6 को बार-बार पढ़ने के बाद भी केवल यह समझा जा सकता है कि परिवादी यह कहना चाहता है कि विपक्षी संख्‍या-3 ने परिवादी से जेनसेट वापस प्राप्‍त नहीं किया और पैसा भी नहीं लौटाया। यही कारण है कि लिखित कथन में विपक्षीगण को यह स्‍पष्‍ट करने की आवश्‍यकता नहीं हुई कि जेनसेट क्‍यों लिया गया और क्‍यों वापस नहीं लौटाया गया। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग के निर्णय से भी जाहिर होता है कि परिवाद पत्र तैयार करते समय जेनसेट विपक्षीगण के पास नहीं था, क्‍योंकि निर्णय में यह उल्‍लेख किया गया है कि दिनांक 11.11.1999 को जेनसेट परिवादी से लिया गया है, जबकि अभिवचनों में दिनांक 11.11.1999 को जेनसेट परिवादी से लेने का कोई कथन नहीं किया गया है और यदि बाद में लिया गया है तब इस तथ्‍य का कोई संशोधन परिवाद पत्र में नहीं कराया गया। अत: निर्णय विधि की दृष्टि से कोई निर्णय नहीं है। तथ्‍यों का असत्‍य, भ्रामक एवं असंगत उल्‍लेख किया गया है, जो अपास्‍त होने और अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

6.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 01.05.2000 अपास्‍त किया जाता है।

7.         उभय पक्ष अपना अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

 

 

                     

     (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

             सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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