SANJAY JAYRATH filed a consumer case on 25 Mar 2013 against SUPRIM AUTOMOBILES in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/15/2013 and the judgment uploaded on 20 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -15-2013 प्रस्तुति दिनांक-22.01.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
संजय जैेरथ, पिता स्व0 श्री देवराज जैरथ,
निवासी-वार्ड क्रमांक-02 लखनादौन, जिला
सिवनी (म0प्र0)।.....................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
(1) सुप्रीम आटो मोबार्इल्स,
प्रो. विनोद चौरसिया, पिता स्व0 रामनाथ
चौरसिया, निवासी वार्ड क्रमांक-05 चटटी
लखनादौन, जिला सिवनी (म0प्र0)।
(2) श्री संतोश षुक्ला (एरिया मैनेजर)
पी.ए.र्इ. लिमिटेड क्वार्टर नंबर-जी 1 अजर्ुन
काम्प्लेक्स, भंवरताल गार्डन के पास जबलपुर
(म0प्र0)।
(3) एक्सार्इड इण्डस्ट्रीज लिमिटेड, मंगल कम्पाउण्ड,
देथस नाका इन्दौर (म0प्र0)।.............अनावेदकगणविपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 25/03/2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक क्रमांक-3 की कम्पनी द्वारा निर्मित बैटरी, एक्सार्इड इनवा क्वीन 500 वाट जो वारंटी अवधि में खराब हो गर्इ थी, उसे बदलकर, नर्इ बैटरी न देने को सेवा में कमी होना बताते हुये, हर्जाना दिलाने व नर्इ बैटरी दिलवाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी ने दिनांक-26.06.2011 को अनावेदक क्रमांक-1 की दुकान से 11,200-रूपये मूल्य में बैटरी, एक्सार्इड इनवा क्वीन 500 वाट की खरीदी थी, जिसका वारंटी कार्ड सीरियल नंबर-100363, बैच नंबर-3 एक्स बी व वारंटी अवधि 24 माह रही है, जो कि-बैटरी के द्वारा पूर्ण रूप से बिजली संधारित न कर पाने और बैटरी द्वारा बैकप समय से न देने के कारण दिनांक-24.09.2012 को परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-1 को वारंटी अवधि में क्लेम सहित, बैटरी दिया था, जो कि-अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादी के वारंटी अवधि में पेष क्लेम को अस्वीकार कर दिया गया है।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- बैटरी द्वारा पूर्ण-रूप से बिजली संधारित कर पाने से और बैकप समय पर न देने के कारण, परिवादी ने दिनांक-24.09.2012 को अनावेदक क्रमांक-1 को बैटरी, वारंटी अवधि में क्लेम हेतु दिया था, जो दिनांक- 15.12.2012 को अनावेदक क्रमांक-1 ने, परिवादी को संबंधित कागजात, यह कहकर वापस कर दिया कि-बैटरी सही हालत में नहीं दी गर्इ, इसलिए उक्त बैटरी का क्लेम या वारंटी समाप्त हो गर्इ है, अत: अनावेदकों से नर्इ बैटरी या उसका मूल्य व हर्जाना दिलाने की मांग की गर्इ है।
(4) अनावेदक क्रमांक-2 और 3 मामले में उपसिथत नहीं हुये, उनकी ओर से कोर्इ जवाब पेष नहीं।
(5) अनावेदक क्रमांक-1 के जवाब का सार यह है कि-उसकी आटो पार्टस की दुकान है और वह एक्सार्इड इण्डस्ट्रीज लिमिटेड, इंदौर से बैटरियां खरीदकर अपने आटो पार्टस की दुकान में बेचता है, उसके द्वारा, उक्त बैटरी दिनांक-22.03.2011 को क्रय की गर्इ थी, जिसे उसके द्वारा एक्सार्इड कम्पनी के अनुरूप दिनांक-26.06.2011 को परिवादी को विक्रय किया गया था और एक्सार्इड कम्पनी द्वारा बैटरी की वारंटी कार्ड के संबंध में लिखापढ़ी कर, परिवादी को वारंटी कार्ड प्रदान किया गया और बैटरी खराब होने पर, दिनांक-24.09.2012 को वारंटी पीरियड में ही परिवादी से प्राप्त कर, दिनांक-26.09.2012 को अनावेदक क्रमांक-2 को प्रदान किया गया था और अनावेदक क्रमांक-2 द्वारा, दिनांक-09.12.2012 को बैटरी इस रिपोर्ट के साथ वापस कर दी गर्इ कि-बैटरी वारंटी पीरियड के षर्तों के अनुरूप नहीं है और उसका रखरखाव सही ढंग से नहीं किया गया है। इस तरह अनावेदक क्रमांक-2 ने बैटरी तीन माह अपने पास रखने के बाद उसे वापस किया, जिसके दस्तावेज दिनांक- 14.12.2012 को प्राप्त हुये, तो अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा पुन: दूसरी बार अनावेदक क्रमांक-2 को उक्त बैटरी दिनांक-17.12.2012 को भेजी गर्इ, जो अनावेदक क्रमांक-2 ने दिनांक-28.12.2012 को यह रिपोर्ट लगाकर वापस कर दी कि-बैटरी नहीं बदली जा सकती। अनावेदक क्रमांक-1, मात्र कम्पनी द्वारा दी जाने वाली बैटरियों का विक्रय कमीषन के आधार पर करता है, अनावेदक क्रमांक-2 उक्त बैटरी के सर्विस सेन्टर का संचालक है, जो वारंटी पीरियड की बैटरियों को बदलने और सुधारने का कार्य करता है, इसलिए अनावेदक क्रमांक-2 और 3 ही उत्तरदायी हैं, अनावेदक क्रमांक-1 बैटरी की खराबी के लिए उत्तरदायी नहीं है।
(6) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या अनावेदकों ने वारंटी षर्तों का पालन न
कर, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी किया है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(7) परिवादी की ओर से पेष प्रदर्ष सी-1 से सी-15 व अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से पेष प्रदर्ष आर-1 से आर-11 तक के दस्तावेजों से यह सिथति स्पश्ट है कि-अनावेदक क्रमांक-1 ने, अनावेदक क्रमांक-2 और 3 की कम्पनी से विक्रय हेतु, उक्त बैटरी दिनांक-22.03.2011 को प्रदर्ष आर-1 के माध्यम से क्रय किया था, जिसे परिवादी उपभोक्ता को दिनांक-26.06.2011 को प्रदर्ष सी-1 के द्वारा विक्रय किया और बैटरी में दोश उत्पन्न होने पर, दिनांक-24.09.2012 अर्थात एक साल और तीन माह की अवधि में ही बैटरी सुधार हेतु परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-1 के माध्यम से, अनावेदक क्रमांक-2 (अनावेदक क्रमांक-3 के सर्विस स्टेषन) को प्रेशित किया, जबकि-वारंटी अवधि दो वर्श की रही है, अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा पेष दस्तावेजों से यह भी स्थापित है कि-अनावेदक क्रमांक-1 ने बैटरी को दो बार अनावेदक क्रमांक-2 को वारंटी का लाभ देने व सुधार करने हेतु भेजा, लेकिन दोनों बार ही, अनावेदक क्रमांक-2 ने बैटरी को असुधार योग्य होना कहते हुये वापस कर दिया और वारंटी का लाभ देने से भी इंकार कर दिया, जबकि-यह स्पश्ट है कि-अनावेदक क्रमांक-2 ने ही उक्त बैटरी को सुधार के लिए प्राप्त करने के बाद तीन महिने तक अपने पास रखा था, तो लम्बी अवधि तक डिस्चार्ज हालत में बैटरी रखने का दोश स्वयं अनावेदक क्रमांक-2 का रहा है, ऐसे में बैटरी डेमेज होकर, हार्ड हो जाने और सुधार योग्य न रह जाने का दर्षाया गया कारण, किसी भी तरह वारंटी षर्तों के उल्लघंन की श्रेणी में नहीं।
(8) और ऐसी सिथति में अनावेदक क्रमांक-2 और 3 का यह दायित्व था कि-वे वारंटी षर्तों का पालन करते हुये, परिवादी को दूसरी नर्इ बैटरी या बैटरी का मूल्य प्रदान करते, जो कि-ऐसा न कर, अनावेदक क्रमांक-2 व 3 ने वारंटी का लाभ परिवादी को देने से इंकार कर, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी किया है एवं अनुचित व्यापार-प्रथा को अपनाया है, जबकि-अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, परिवादी को सहयोग किया गया है और उसके प्रति कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(9) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक क्रमांक-2 और 3 ने, परिवादी के प्रति जो
वारंटी का लाभ न देकर, सेवा में कमी की है और
अनुचित व्यापार-प्रथा को अपनाया है, उक्त हेतु अनावेदक क्रमांक-2 व 3 संयुक्तत: व पृथकत: परिवादी को 4,000-रूपये (चार हजार रूपये) हर्जाना इस आदेष की प्रति प्राप्त होने की दिनांक से दो माह की अवधि के अंदर अदा करे।
(ब) अनावेदक क्रमांक-2 व 3 इस आदेष की प्रति प्राप्त होने की दिनांक से दो माह की अवधि के अंदर परिवादी को उसी माडल व क्षमता का नया बैटरी, दोशरहित प्रदान करे अथवा उक्त बैटरी का कुल मूल्य 11,200-रूपये (ग्यारह हजार दो सौ रूपये) व उस-पर आदेष की प्रति प्राप्त दिनांक से भुगतान दिनांक तक की अवधि का 9 प्रतिषत ब्याज की दर से ब्याज अदा करे।
(स) अनावेदक क्रमांक-1 स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा, जबकि-अनावेदक क्रमांक-2 व 3 संयुक्तत: या पृथकत: परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये (दो हजार रूपये) अदा करे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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