जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 42/2015
श्रीमती सज्जनकंवर पत्नी स्व. नरपतसिंह, जाति-चारण, निवासी- करणी काॅलोनी, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. अधीक्षक, डाकघर नागौर।
2. उप-मंडल प्रबंधक (डाक जीवन बीमा), कार्यालय मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल, राजस्थान सर्किल, जयपुर-302007
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री देवेन्द्र राज कल्ला, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. विभाग की ओर से श्री सुनील कुमार कुमावत, सीआई।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 17.11.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिया के पति ने अप्रार्थी संख्या 1 से डाक जीवन बीमा पाॅलिसी संख्या आरजे-171642-सीएस बीमित राषि एक लाख रूपये प्राप्त की। तत्पष्चात दिनांक 30.10.2013 को परिवादिया के पति की मृत्यु हो गई। उक्त पाॅलिसी के तहत प्राप्त होने वाले परिलाभों के लिए अप्रार्थी संख्या 1 के यहां बीमा क्लेम पेष किया। परिवादिया का क्लेम अप्रार्थीगण ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसके पति की मृत्यु का कारण आत्महत्या है। जबकि परिवादिया के पति ने आत्महत्या नहीं की। अप्रार्थीगण के पास आत्महत्या का कोई सबूत नहीं है। पुलिस रिपोर्ट (मर्ग) में दुर्घटनापूर्वक गोली लगने से मृत्यु होने का उल्लेख है, जिसे अप्रार्थीगण ने आत्महत्या मान लिया है। इस प्रकार प्रार्थिया को जायज क्लेम से वंचित किया जाना अप्रार्थीगण का पूर्णतः सेवा दोश है।
अतः परिवादिया के परिवाद-पत्र को स्वीकार करते हुए विवादित बीमा राषि एक लाख रूपये मय समस्त परिलाभ के दिलाये जावें। उसे मानसिक क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय के रूप में 60,000/- रूपये भी दिलाये जावें।
2. अप्रार्थीगण का जवाब में मुख्य रूप से यह कहना है कि परिवादिया के पति ने एक लाख रूपये की बीमित राषि का बीमा करवाया था। चीफ पोस्ट मास्टर जनरल, जयपुर ने अधीक्षक, डाकघर नागौर, के जरिये परिवादिया के पति की मृत्यु की जांच करवाई। जिसमें मेडिकल बोर्ड की राय के मुताबिक यह पाया कि स्व. श्री नरपतसिंह की मृत्यु सेरेब्रल इंजरी के कारण हुई जो कि बीमा धारी की सर्विस रिवाॅल्वर से लगी गोली के कारण हुई थी। धारा 174 सीआरपीसी के एवं मेडिकल बोर्ड की आॅपिनियन के आधार पर बीमा धारी की मृत्यु का कारण आत्महत्या बताया गया इसलिए बीमा धारी का क्लेम निरस्त किया गया। दावे की विभिन्न स्तरों पर विभागीय अधिकारी द्वारा सत्यापन व जांच करवाई गई। जांच के पष्चात् ही दावा निरस्तीकरण का आदेष दिया गया।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। इसमें कोई विवाद नहीं है कि परिवादिया के पति स्व. नरपतसिंह ने अप्रार्थी संख्या 1 से डाक जीवन बीमा पाॅलिसी जिसका उपर उल्लेख किया जा चुका है, प्राप्त की। बीमा पाॅलिसी के पष्चात् परिवादिया के पति की मृत्यु हुई। विवाद नरपतसिंह की मृत्यु के कारण पर है। क्योंकि अप्रार्थीगण के मुताबिक आत्महत्या के केस में बीमाधारक की मृत्यु पर उसके उतराधिकारी को बीमित राषि जारी नहीं की जा सकती। अब प्रष्न उत्पन्न होता है कि स्व. नरपतसिंह की मृत्यु आत्महत्या थी या दुर्घटना ?
अप्रार्थीगण का कहना है कि मृतक नरपतसिंह अपने कमरे में बंद था, उसने अपनी रिवाॅल्वर से अपने सिर पर गोली मारी। जिससे उसकी मृत्यु हो गई। गोली पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक स्व. श्री नरपतसिंह की मृत्यु सिर में रिवाॅल्वर से गोली लगने से हुई। जहां तक आत्महत्या का प्रष्न है। सम्बन्धित पुलिस ने प्रदर्ष 2 मर्ग रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसमें इस बात का उल्लेख किया है कि मृतक को कोई मानसिंह परेषानी नहीं थी। किसी अन्य व्यक्ति ने भी उसकी हत्या नहीं की। आत्महत्या के बारे में कोई निष्चित राय कायम नहीं की जा सकती, क्योंकि उसे मानसिक परेषानी नहीं थी। जैसा कि जांच से प्रकट हुआ।
स्व. नरपतसिंह की मृत्यु सामान्य परिस्थितियों में नहीं होकर अप्राकृतिक व असामान्य परिस्थितियों में होना बताया है । इसके खण्डन में अप्रार्थीगण की ओर से अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं हुई है। उक्त परिस्थितियों में स्व. श्री नरपतसिंह की मृत्यु का कारण आत्महत्या नहीं है। इसलिए स्व. श्री नरपतसिंह की मृत्यु अप्राकृतिक परिस्थितियों में घटित होना प्रमाणित है। इस प्रकार से परिवादिया अपना परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध साबित करने में सफल रही है। परिवादिया का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-
आदेश
4. अप्रार्थीगण, परिवादिया को विवादित बीमा राषि 1,00000 रूपये (एक लाख रूपये) मय समस्त परिलाभ के एक माह में अदा करें। साथ ही अप्रार्थीगण परिवादिया को मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे 5,000 रूपये (पांच हजार रूपये) एवं 3000 रूपये (तीन हजार रूपये) परिवाद व्यय के भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 17.11.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या