राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-256/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 120/2012 में पारित आदेश दिनांक 27.01.2016 के विरूद्ध)
1. Rahul Singhal, S/o Sri Girdhar Gopal Singhal, R/o House No.1001, Sector-2, Shastri Nagar, Meerut.
2. Girdhar Gopal Singhal, S/o Late A.C. Gupta, R/o House No.1001, Sector-2, Shastri Nagar, Meerut.
....................अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम
M/s Supertech Ltd., Supertech House, B – 28, 29, Sector – 58, Noida.
Through R.K. Arora, Chairman & Managing Director.
................प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 01.03.2016
माननीय श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल को अंगीकरण के बिन्दु पर सुना गया। यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 120/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 27.01.2016 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
अभिलेख के अनुशीलन से स्पष्ट है कि जिला फोरम द्वारा परिवादीगण का परिवाद इस आधार पर निरस्त कर दिया गया है कि परिवाद में अन्तर्निहित प्रश्नगत सम्पत्ति का मूल्य 51,46,478/-रू0
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है, जबकि जिला फोरम को 20,000,00/-रू0 तक के मूल्यांकन को सुनने का ही क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क लिया है कि जिला फोरम से यह अपेक्षित था कि अधिक मूल्यांकन के आधार पर जब परिवाद को निरस्त कर रहे थे तो ऐसी स्थिति में परिवादी को इस बात की स्वतंत्रता देनी चाहिए थी कि वह सक्षम फोरा के समक्ष परिवाद को प्रस्तुत कर सके। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क विधिसम्मत है।
परिणामत:, यह अपील अंगीकरण के स्तर पर ही स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 120/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 27.01.2016 इस रूप में संशोधित किया जाता है कि परिवादी सक्षम फोरा के समक्ष एक माह के भीतर नियमानुसार अपना परिवाद प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र होगा।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। तदनुसार जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 120/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 27.01.2016 इस रूप में संशोधित किया जाता है कि परिवादी सक्षम फोरा के समक्ष एक माह के भीतर नियमानुसार अपना परिवाद प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं०-1