Uttar Pradesh

StateCommission

CC/352/2017

Nawneet Vibhaw - Complainant(s)

Versus

Supertech Ltd - Opp.Party(s)

Gantavya Chandra & Ritwick Rai & Kumar Abhishek & Alok Kumar Singh

07 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/352/2017
( Date of Filing : 01 Sep 2017 )
 
1. Nawneet Vibhaw
S/O Sri Vibhuti Narayan Singh Flat No. 12A02 13th Flooor Tower K Ajnara Daffodil Sector 137 Noida 201305 U.P. (india)
...........Complainant(s)
Versus
1. Supertech Ltd
Through its Chairman/Directors 1114 Hemkunt Chamber 11th Floor 89 Nehru Place New Delhi 110019 (India)
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Sep 2022
Final Order / Judgement

                                                          (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-352/2017

नवनीत विभव पुत्र श्री विभूति नारायण सिंह, फ्लैट नं0-12ए02, 13th फ्लोर, टावर-के, अजनारा दफोदिल, सेक्‍टर 137, नोयडा 201301 (इंडिया)।

                   परिवादी

बनाम

सुपरटेक लिमिटेड, द्वारा चेयरमैन/डायरेक्‍टर्स 1114, हेमकुंट चैम्‍बर्स 89, नेहरू प्‍लेस, नई दिल्‍ली 110019 (इंडिया)।

        विपक्षी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित            : श्री गन्‍तव्‍य एवं श्री

                                                          कुमार अभिश्षेक।

विपक्षी की ओर से उपस्थित          : श्री पीयूष मणि त्रिपाठी।

दिनांक:  11.10.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          यह परिवाद, विपक्षी भवन निर्माता कंपनी के विरूद्ध परिवादी द्वारा जमा राशि अंकन 35,45,829/- रूपये की वापसी 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए, परिवादी द्वारा लिए गए ऋण पर अदा किए गए ब्‍याज अंकन 11,05,456/- रूपये भी 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए, मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 05 लाख रूपये तथा परिवाद व्‍यय की मद में अंकन 01 लाख रूपये प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 02.09.2012 को अंकन 3,50,000/- रूपये का भुगतान कर ईको विलेज 3 स्थित प्‍लाट (अपार्टमेंट) में एक यूनिट बुक कराया। दिनांक 21.01.2013 को विपक्षी द्वारा प्रोविजनल आवंटन पत्र जारी किया गया और यूनिट संख्‍या-R025A1001907 फ्लैट 1907, ब्‍लाक A 10, 19वें फ्लोर पर आवंटित किया गया, जिसका कुल क्षेत्रफल 1230 स्‍क्‍वायर फिट था तथा कुल मूल्‍य 36,21,499/- रूपये था, जिसका भुगतान 8 किश्‍तों में निर्माण के साथ तय योजना के तहत किया जाना था। परिवादी द्वारा ऋण लेने का प्रयास किया गया, परन्‍तु ज्ञात हुआ कि IHFL से ही ऋण प्राप्‍त किया जा सकता है, जो राष्‍ट्रीयकृत नहीं है। परिवादी द्वारा यूनिट बंधक रखते हुए ऋण प्राप्‍त किया गया और किश्‍तों का भुगतान प्रारम्‍भ किया गया, परन्‍तु फ्लैट का कब्‍जा नहीं दिया गया, इसलिए परिवादी पर वित्‍तीय भार बढ़ता गया और बार-बार कब्‍जा देने का समय बढ़ाया जा रहा है तथा निर्माण की गतिशीलता के संबंध में भी असत्‍य सूचना दी गई, जबकि परिवादी द्वारा कुल भुगतान किया जा चुका है, केवल कब्‍जा के समय देय भुगतान बकाया है। परिवादी द्वारा अंकन 11,05,456/- रूपये का ब्‍याज फाइनेन्‍स कंपनी में अदा किया गया है। अत: उपरोक्‍त विवरण के अनुसार अनुतोषों की मांग करते हुए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

3.         परिवाद पत्र के समर्थन में शथप पत्र तथा आवंटन से संबंधित सुसंगत दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए हैं।

4.         विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद संधारणीय नहीं है। उपभोक्‍ता मंच द्वारा कोई अनुतोष प्रदान नहीं किया जा सकता है। परिवादी ने विपक्षी, सुपर टेक लिमिटेड में पैसा जमा किया है, जो दिल्‍ली में पंजीकृत है, जबकि परिवाद इस आयोग में किया गया है। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार में मध्‍यस्‍थता की शर्त मौजूद है, परन्‍तु मध्‍यस्‍थ के समक्ष विवाद को प्रस्‍तुत करने के बजाय इस आयोग में प्रस्‍तुत कर दिया गया। यह भी कथन किया गया कि परिवाद में कुल मूल्‍यांकन अंकन 62,26,955/- रूपये आंका गया है, जबकि हस्‍तलेख में अंकन 84,07,755/- रूपये अंकित किया गया है। परिवादी द्वारा व्‍यापारिक उद्देश्‍य के लिए यूनिट बुक कराई गई थी। परिवादी का यह कहना असत्‍य है कि यूनिट तैयार नहीं है, केवल फिनिशिंग कार्य पूर्ण होना है। परिवादी ने स्‍वेच्‍छा से फाइनेन्‍स कंपनी से ऋण प्राप्‍त किया है, इसका कोई उत्‍तरदायित्‍व विपक्षी पर नहीं है। परिवादी को आवंटित यूनिट का निर्माण किया जा चुका है और अंतिम फिनि‍शिंग स्थिति में है, इसलिए परिवादी कोई अनुतोष प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है।

5.         लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र श्री संगीत कमल, सहायक प्रबंधक विधि का प्रस्‍तुत किया गया है।

6.         दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।

7.         सर्वप्रथम इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय है ? विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि चूंकि पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार के अनुसार विवाद उत्‍पन्‍न होने की स्थिति में प्रकरण मध्‍यस्‍थ को सुपुर्द किया जाना चाहिए, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 3 अन्‍य सभी विधानों पर अधिभावी है, इसलिए मध्‍यस्‍थता का प्रावधान होने के बावजूद उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय है। यह आयोग भी परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क से सहमत है कि सेवा में कमी के आधार पर प्रस्‍तुत किया गया परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत संधारणीय है।

8.         अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि विपक्षी कंपनी के विरूद्ध क्‍या यह परिवाद इस आयोग में संधारणीय है ? विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि विपक्षी कंपनी का पता नई दिल्‍ली में है, जो रसीदें जारी की गई हैं, वह भी इसी पते वाली कंपनी द्वारा जारी की गई हैं। यह सही है कि विपक्षी कंपनी का पता दिल्‍ली में है, परन्‍तु व्‍यापारिक स्‍थल नोयडा में है और यूनिट का आवंटन नोयडा में किया गया है। स्‍थानीय स्‍थल पर भी विक्रय कार्यालय मौजूद है, ऐसी उपधारणा इस आयोग द्वारा की जा सकती है, इसलिए सम्‍पूर्ण वाद कारण जनपद गौतमबुद्ध नगर में उत्‍पन्‍न हुआ है, इसलिए इस आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है।

9.         अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या परिवादी अपने द्वारा जमा राशि को ब्‍याज सहित अन्‍य अनुतोषों के साथ प्राप्‍त करने के अधिकृत है ? परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि उसके द्वारा कुल 35,45,829/- रूपये जमा किए गए हैं, इस जमा का कोई विशिष्‍ट खण्‍डन नहीं किया गया है। जमा से संबंधित रसीदें पत्रावली पर मौजूद हैं तथा आवंटन पत्र की प्रति भी पत्रावली पर मौजूद है। इस दस्‍तावेज के अवलोकन से जाहिर होता है कि आवंटित युनिट का कुल मूल्‍य 36,21,499/- रूपये है और कब्‍जा प्राप्ति की तिथि दिनांक 26.09.2016 है। इस तिथि को कुल मूल्‍य का 05 प्रतिशत यानी रू0 1,81,074.62 पैसे जमा करने हैं, इस राशि को छोड़कर परिवादी द्वारा शेष समस्‍त राशि का भुगतान किया जा चुका है, परन्‍तु नियत समयावधि यानी दिनांक 26.09.2016 तक कब्‍जा प्राप्‍त नहीं कराया गया। अत: स्‍वंय भवन निर्माता कंपनी द्वारा निष्‍पादित करार का उल्‍लंघन किया गया है। तदनुसार उपभोक्‍ता के प्रति सेवा में कमी कारित की गई है। यहां यह उल्‍लेख करना समीचीन होगा कि अचल सम्‍पत्ति के संबंध में समय पर संविदा का निष्‍पादन संविदा का सार होता है और यदि वचनदाता द्वारा अपने वचन का पालन नहीं किया जाता है तब वचन ग्राह्यता को अधिकार है कि वह विपक्षी के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का वाद प्रस्‍तुत कर सकता है। अत: परिवादी उसके द्वारा जमा राशि अंकन 35,45,829/- रूपये 10 प्रतिशत की दर से प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

10.        चूंकि परिवादी द्वारा यूनिट प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से ऋण प्राप्‍त किया गया, इस ऋण पर अंकन 11,05,456/- रूपये का ब्‍याज अदा किया गया है, जिसकी पुष्टि शपथ पत्र द्वारा की गई है। यदि समय पर भवन उपलब्‍ध होता तब परिवादी इसका प्रयोग अपने आवास के लिए कर सकता था। तदनुसार अन्‍य आवास पर होने वाली खर्च राशि को बचा सकता था, इसलिए ऋण पर अदा किए गए ब्‍याज को अदा करने का उत्‍तरदायित्‍व भी विपक्षी भवन निर्माता कंपनी पर है।

11.        परिवादी द्वारा दिनांक 12.09.2014 तक 95 प्रतिशत राशि जमा कर दी गई, इस राशि को जमा करने के बावजूद परिवादी द्वारा इसका उपभोग नहीं किया जा सका तथा वह मुकदमा बाजी का दंश झेलने के लिए भी बाध्‍य हुआ, इसलिए मानसिक प्रताड़ना की मद में परिवादी अंकन 05 लाख रूपये प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है तथा परिवाद व्‍यय की मद में अंकन 25 हजार रूपये भी प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

12.        प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है।

क.         विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जमा की गई राशि अंकन 35,45,829/- रूपये जमा करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज सहित इस निर्णय एवं आदेश की तिथि से 03 माह की अवधि में लौटाई जाए।

ख.         विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा यूनिट प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से लिए गए ऋण पर अंकन 11,05,456/- रूपये का ब्‍याज अदा किया गया है। अत: अदा की गई ब्‍याज की राशि अंकन 11,05,456/- रूपये परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज सहित इस निर्णय एवं आदेश की तिथि से 03 माह की अवधि में वापस लौटाया जाए।

ग.         विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि मानसिक प्रताड़ना की मद में परिवादी को अंकन 05 लाख रूपये अदा किए जाए। इस राशि का भुगतान यदि 03 माह की अवधि में कर दिया जाता है तब कोई ब्‍याज देय नहीं होगा और यदि 03 माह के अन्‍तर्गत भुगतान नहीं किया जाता है तब इस राशि पर 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्‍याज देय होगा।

घ.         परिवाद व्‍यय की मद में अंकन 25,000/- रूपये अदा किए जाए। इस राशि का भुगतान यदि 03 माह की अवधि में कर दिया जाता है तब कोई ब्‍याज देय नहीं होगा और यदि 03 माह के अन्‍तर्गत भुगतान नहीं किया जाता है तब इस राशि पर 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्‍याज देय होगा।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

                           

(विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

     कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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