राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-147/2014
(मौखिक)
1. श्रीमती कीर्ति गुप्ता वयस्क पुत्री श्री राजीव कुमार गुप्ता निवासी बी-50 प्रीत विहार दिल्ली, वर्तमान पता फ्लैट नं0 701, सेक्टर-37, नोएडा
2. राजीव कुमार गुप्ता पुत्र कालिका प्रसाद निवासी एम-1/67 सेक्टर बी अलीगंज लखनऊ
........................परिवादीगण
बनाम
मै0 सुपर टेक लि0 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, कार्यालय सुपर टेक हाउस, बी-29, सेक्टर-58, नोएडा, उत्तर प्रदेश ...................विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री राजीव कुमार गुप्ता, स्वयं।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री पियूष मणि त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 27.09.2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादीगण द्वारा विपक्षी कम्पनी को फ्लैट हेतु फरवरी 2011 में कुल धनराशि 2,65,000/-रू0 (दो लाख पैंसठ हजार रूपया मात्र) प्राप्त करायी गई, जो कि विपक्षी को कुल देय धनराशि का 10 प्रतिशत भाग था अर्थात् परिवादीगण द्वारा विपक्षी को कुल देय धनराशि लगभग 26,00,000/-रू0 (छब्बीस लाख रूपया मात्र) थी। 10 प्रतिशत प्राप्त करायी गयी धनराशि विपक्षी के पास निर्विवादित रूप से विगत लगभग 10 वर्ष 08 माह से जमा रही है।
विपक्षी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी द्वारा पिछली तिथि पर यह अवगत कराया गया था कि जिस भूखण्ड पर परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण विपक्षी कम्पनी द्वारा किया जाना था वह भूखण्ड विपक्षी कम्पनी को प्राप्त नहीं हो सका, अर्थात् विपक्षी कम्पनी द्वारा उक्त भूखण्ड का कब्जा सम्बन्धित
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प्राधिकरण से नहीं लिया जा सका। अतएव विपक्षी कम्पनी द्वारा 02 वर्ष की अवधि के उपरान्त दिनांक 11.03.2013 को परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि 2,65,000/-रू0 (दो लाख पैंसठ हजार रूपया मात्र) को चेक संख्या-375279 दिनांकित 11.03.2013 द्वारा बिना परिवादी की सहमति वापस किया गया, जिसको प्राप्त होने के उपरान्त परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी के सम्बन्धित अधिकारीगण से सम्पर्क किया गया, जिनके द्वारा यह कहा गया कि चूँकि आवंटित फ्लैट भूखण्ड की अनुपलब्धता के कारण परिवादीगण को नहीं प्रदान किया जा सकता है, अतएव विपक्षी कम्पनी परिवादीगण को किसी अन्य परियोजना में फ्लैट प्राप्त कराने का प्रयास करेगी।
उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा विपक्षी कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारियों के आश्वासन के उपरान्त परिवादी द्वारा उपरोक्त चेक जिसके माध्यम से विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि की गणना की देयता मय ब्याज के न करते हुए मूलधन ही प्राप्त/वापस कराया गया था, को परिवादी द्वारा अपने बैंक में जमा नहीं किया गया तथा उक्त धनराशि निर्विवादित रूप से विपक्षी कम्पनी के पास विगत 10 वर्ष 08 माह से जमा है।
विपक्षी कम्पनी के सम्बन्धित अधिकारीगण द्वारा यद्यपि पूर्व के आश्वासन का पालन सुनिश्चित नहीं कि︔या गया तथा परिवादीगण को यह अवगत कराया गया कि विपक्षी कम्पनी परिवादीगण को किसी अन्य नवीन परियोजना में फ्लैट उपलब्ध नहीं करा सकेगी तब उस दशा में परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद वर्ष 2014 में इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत किया गया, जो विगत 07 वर्षों से लम्बित है।
उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा परिवादी संख्या-2 श्री राजीव कुमार गुप्ता, जो स्वयं उपस्थित हैं तथा विपक्षी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी को सुनने के उपरान्त प्रस्तुत परिवाद को अन्तिम रूप से निम्न आदेश के अनुसार निस्तारित किया जाता है:-
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- यह कि विपक्षी कम्पनी द्वारा निर्विवादित रूप से परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि 2,65,000/-रू0 (दो लाख पैंसठ हजार रूपया मात्र) का उपयोग/प्रयोग विगत 10 वर्ष 08 माह की अवधि से कर रहा है अर्थात् उक्त जमा धनराशि पर ब्याज अर्जित कर रहा है, अतएव न्यायहित में यह उचित होगा कि विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादीगण को उक्त जमा धनराशि 2,65,000/-रू0 (दो लाख पैंसठ हजार रूपया मात्र) के प्रतिफल स्वरूप कुल 6,00,000/-रू0 (छ: लाख रूपया मात्र) की धनराशि एक माह (30 दिन) की अवधि में प्राप्त करायी जायेगी।
- यदि उपरोक्त धनराशि 6,00,000/-रू0 (छ: लाख रूपया मात्र) विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादीगण को उपरोक्त अवधि में प्राप्त नहीं करायी जायेगी तब उक्त जमा धनराशि 2,65,000/-रू0 (दो लाख पैंसठ हजार रूपया मात्र) पर जमा की तिथि से भविष्य में अदायगी की तिथि तक मूल धनराशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादीगण को 30 दिन की अवधि में प्राप्त कराया जायेगा।
उक्त आदेश के अनुसार प्रस्तुत परिवाद अन्तिम रूप से निर्णीत किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1