राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-534/2017
(सुरक्षित)
GAURAV ANEJA
S/O LATE SURESH LAL ANEJA
R/O 213-F MIG FLATS, RAJOURI GARDEN
NEW DELHI-110027
NEENA ANEJA
W/O LATE SURESH LAL ANEJA
R/O 213-F MIG FLATS, RAJOURI GARDEN
NEW DELHI-110027
....................परिवादीगण
बनाम
SUPERTECH LIMITED
1114, 11th FLOOR
HEMKUNT CHAMBERS
89, NEHRU PLACE
NEW DELHI. ...................विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री सनी अरोड़ा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री आई0पी0एस0 चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 18-06-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादीगण गौरव अनेजा और नीना अनेजा ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षी सुपरटेक लिमिटेड के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है
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और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(a) Direct the Respondent Company, to refund a sum of Rs. 45,85,584/- paid by the Complainants to the Respondent towards the cost of the said Apartment;
(b) Direct the Respondent Company to pay interest @ 18% per annum on the above said amount from February, 2013 till the date of actual payment;
(c) Pay compensation to the tune of Rs. 5,00,000/- at the very least, for inordinate delay in possession.
(d) Direct the Respondents to pay punitive damages to the extent of Rs. 5,00,000/-
(e) Direct the Respondents to pay the actual costs of the pursuing the present Complaint;
Pass such other order(s) and/or direction(s) as this Hon’ble Commission may deem fit and proper in favour of the Complainant in the interest of justice.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी ने विज्ञापन प्रचारित व प्रसारित किया और वर्ष 2013 में उनके Invetor Clinic (authorized agents) ने परिवादीगण से सम्पर्क किया तथा बताया कि विपक्षी कम्पनी अपना “Up Country” परियोजना में ग्रेटर नोएडा में अपार्टमेन्ट आफर करती है, जो 5 स्टार एमिनिटीज से पूर्ण होगा। इसके साथ ही विपक्षी ने
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परिवादीगण से यह भी वादा किया कि अपार्टमेन्ट बुकिंग करार की तिथि से 24 महीने के अन्दर उपलब्ध करा दिया जायेगा। अत: विपक्षी के कथन पर विश्वास करते हुए परिवादीगण ने 23 फरवरी 2013 को विपक्षी की उक्त परियोजना में फ्लैट 46,71,735/-रू0 मूल्य में बुक किया। इसके साथ ही परिवादीगण ने कार स्पेस भी बुक किया और कुल बुकिंग धनराशि 3,50,000/-रू0 विपक्षी के यहॉं जमा किया। तब विपक्षी ने एलाटमेन्ट लेटर दिनांक 19.04.2013 को जारी किया, जिसमें अपार्टमेन्ट यूनिट नं0 R023E30804/Flat 0804, रू0 46,71,735/- मूल्य में, जिसमें कार पार्किंग भी सम्मिलित थी, उन्हें एलाट किया गया। एलाटमेन्ट लेटर में अंकित था कि अप्रैल 2015 तक कब्जा दे दिया जायेगा। यह समय अपरिहार्य कारणों से 06 महीने बढ़ाया जा सकता है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उन्होंने एलाटमेन्ट लेटर के अनुसार अप्रैल 2013 से सितम्बर 2015 तक विपक्षी की मांग पर विभिन्न तिथियों में कुल 45,85,584/-रू0 जमा किये हैं। जमा धनराशि का विवरण परिवाद पत्र की धारा-8 में दिया गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि 37,63,236/-रू0 की धनराशि जमा करने के बाद भी अप्रैल 2015 तक फ्लैट का निर्माण पूरा नहीं किया गया, जबकि मई 2015 और अगस्त 2015 में विपक्षी द्वारा मांग किये जाने पर परिवादीगण ने 2,41,169/-रू0 और 2,90,590/-रू0 और जमा किया। परिवाद पत्र
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के अनुसार अगस्त 2015 में उपरोक्त धनराशि अदा करने के बाद परिवादी संख्या-1 मौके पर कब्जा की स्थिति जानने गया तो उसे भ्रामक उत्तर दिया गया और यह स्पष्ट नहीं बताया गया कि कब्जा कब दिया जायेगा। बहुत लम्बी वार्ता के बाद विपक्षी ने बताया कि कब्जा अगले 5-6 महीने में दे दिया जायेगा। उसके बाद सितम्बर 2015 में पुन: विपक्षी ने 2,90,589/-रू0 की मांग की, जिसका भुगतान परिवादीगण ने दिनांक 18.09.2015 को किया। फिर भी विपक्षी ने फ्लैट का कब्जा परिवादीगण को नहीं दिया। इन्तजार के बाद जब सितम्बर 2016 में परिवादी संख्या-1 विपक्षी कम्पनी के पास कब्जे के लिए अनुरोध करने गया तो उसे बताया गया कि फ्लैट का कब्जा देने में 1-2 वर्ष का समय लगेगा। तब निर्माण की स्थिति जानने हेतु परिवादी संख्या-1 मौके पर गया तो निर्माण की स्थिति देखकर वह स्तब्ध रह गया। अत: विवश होकर परिवादीगण ने वर्तमान परिवाद विपक्षी को नोटिस देकर प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि एलाटमेन्ट लेटर के क्लाज 43 के अनुसार विवाद आपसी वार्ता से निपटाया जायेगा और तय न होने पर आर्बिट्रेशन को रेफर किया जायेगा। अत: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत यह परिवाद ग्राह्य नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवादीगण ने वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए परिवाद प्रस्तुत
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किया है। परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद माननीय राष्ट्रीय आयोग ने आदेश दिनांक 22.11.2017 के द्वारा निरस्त कर दिया है और सक्षम फोरम में परिवाद प्रस्तुत करने की छूट दी है, जिसके आधार पर परिवादीगण ने यह परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवादीगण ने अन्तिम किश्त दिनांक 18.09.2015 को जमा की है, जबकि परिवाद दिनांक 30.11.2017 को प्रस्तुत किया है। ऐसी स्थिति में धारा-24ए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत परिवाद में मीयाद बाधक है और परिवादीगण ने विलम्ब का कोई कारण दर्शित नहीं किया है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि विपक्षी को कोई नोटिस परिवादीगण की नहीं प्राप्त हुई है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि एलाटमेन्ट करार के क्लाज 36 के अनुसार फोर्स मेज्योर कारणों से निर्माण में विलम्ब हो सकता है। लिखित कथन में विपक्षी ने कहा है कि निर्माण में विलम्ब ग्रामीणों और नोयडा अथार्टी के बीच विवाद और ग्रीन ट्रीब्यूनल के आदेश के कारण हुआ है, जिस पर विपक्षी का कोई नियंत्रण नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि निर्माण जोरों से हो रहा है और एक साल के अन्दर कब्जा दिये जाने की सम्भावना है। स्ट्रक्चर तैयार हो चुका है। प्लास्टर और
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पेन्टिंग वर्क हो रहा है। कब्जा देने की सम्भावित तिथि अक्टूबर 2018 है और विपक्षी सम्भावित तिथि तक कब्जा देने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद प्री-मेच्योर है। करार पत्र के विरूद्ध उन्हें कोई अनुतोष प्रदान नहीं किया जा सकता है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवाद राज्य आयोग के भौमिक क्षेत्राधिकार से परे है और कालबाधित है।
परिवादीगण की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में दोनों परिवादीगण गौरव अनेजा और नीना अनेजा ने शपथ पत्र प्रस्तुत किये हैं। विपक्षी की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री संगीत कुमार, सीनियर एक्जीक्यूटिव लीगल ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सनी अरोड़ा और विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आई0पी0एस0 चड्ढा उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
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विपक्षी की तरफ से दो विरोधाभाषी कथन किया गया है। परिवाद को कालबाधित बताया गया है और पुन: परिवाद को Premature कहा गया है। विपक्षी का दोनों ही कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। न तो परिवाद Premature कहा जा सकता है और न ही कालबाधित कहा जा सकता है। विपक्षी ने आवंटन करार के अनुसार निर्माण पूरा कर कब्जा परिवादीगण को अभी नहीं दिया है। अत: परिवाद में मीयाद बाधक नहीं है।
परिवाद संख्या-701/2015 आफताब सिंह बनाम EMAAR M.G.F. लैंड लि0 व एक अन्य के निर्णय में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने माना है कि एलाटमेन्ट करार का Arbitration Clause उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिवाद में बाधक नहीं है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय की पुष्टि सिविल अपील नं0 23512-23513 वर्ष 2017 में पारित आदेश के द्वारा की है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि वर्तमान परिवाद में एलाटमेन्ट करार का Arbitration Clause बाधित है।
प्रश्नगत फ्लैट उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा के अन्दर है और परिवाद का मूल्यांकन बीस लाख रूपया से अधिक है। अत: परिवाद राज्य आयोग उत्तर प्रदेश की अधिकारिता में है।
परिवादीगण के एलाटमेन्ट व उनके द्वारा कथित भुगतान पर विवाद नहीं है। विपक्षी का मात्र कथन है कि निर्माण में विलम्ब ग्रामीणों और नोयडा अथार्टी के बीच मुकदमेंबाजी एवं ग्रीन ट्रीब्यूनल
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के आदेश के कारण हुआ है, जिस पर विपक्षी का नियंत्रण नहीं है। एलाटमेन्ट एग्रीमेन्ट अप्रैल 2013 में निष्पादित किया गया है और एलाटमेन्ट लेटर में कब्जा अप्रैल 2015 तक दिया जाना अंकित है। अप्रैल 2015 के पहले परिवादीगण ने रूपया 37,63,236/-रू0 जमा किया है और उसके बाद सितम्बर 2015 तक उन्होंने कुल 45,85,584/-रू0 जमा किया है, परन्तु अब तक परिवादीगण को कब्जा नहीं दिया गया है। लिखित कथन में विपक्षी ने कहा है कि अक्टूबर 2018 तक कब्जा दे दिया जायेगा, परन्तु परिवादीगण को अक्टूबर 2018 तक भी कब्जा नहीं दिया गया है। विपक्षी के सीनियर एक्जीक्यूटिव श्री संगीत कुमार ने शपथ पत्र दिनांक 18.01.2019 में कहा है कि निर्माण तैयार है, प्लास्टर व पेन्टिंग का कार्य हो रहा है, कब्जा जल्द दे दिया जायेगा, परन्तु परिवादीगण को अब तक कब्जा नहीं दिया गया है। विपक्षी की सेवा में कमी है। अत: परिवादीगण को अब इन्तजार के लिये नहीं कहा जा सकता है। अत: परिवादीगण की जमा धनराशि ब्याज सहित वापस करने हेतु विपक्षी को आदेशित किया जाना उचित है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा के0ए0 नागमणि बनाम हाउसिंग कमिश्नर, कर्नाटका हाउसिंग बोर्ड III (2016) CPJ 16 (SC) के वाद में दिये गये निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्याज दर 18 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना उचित है।
परिवादीगण की जमा धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस की जा रही है। अत: और कोई अनुतोष प्रदान
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किया जाना उचित नहीं है। परिवादीगण को 10,000/-रू0 वाद व्यय दिया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण की जमा धनराशि 45,85,584/-रू0 प्रत्येक जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ दो माह के अन्दर वापस करे और 10,000/-रू0 वाद व्यय भी परिवादीगण को दे।
दो माह के अन्दर भुगतान न होने पर परिवादीगण विधि के अनुसार वसूली की कार्यवाही कर सकते हैं।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1