Uttar Pradesh

StateCommission

MA/94/2022

Bhawana Singh - Complainant(s)

Versus

Supertech Ltd - Opp.Party(s)

Akhand Pratap Singh

25 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Miscellaneous Application No. MA/94/2022
( Date of Filing : 21 Apr 2022 )
In
Complaint Case No. C/2014/63
 
1. Bhawana Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Supertech Ltd
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Jul 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

विविध वाद संख्‍या-94/2022

श्रीमती भावना सिंह।

आवेदिका/परिवादिनी

बनाम

मै0 सुपरटेक लि0 व अन्‍य।

 

                                     प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

आवेदिका की ओर से उपस्थित     : श्री अखण्‍ड प्रताप सिंह, विद्वान

                                                     अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

दिनांक: 25.07.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         यह प्रकीर्ण आवेदन, परिवाद संख्‍या-63/2014 को खारिज करने के आदेश दिनांक 04.01.2022 को रिकाल कर पुन: मूल नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करने हेतु प्रस्‍तुत किया गया है।

2.         आवेदिका के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

3.         यह सही है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अनुपस्थिति में खारिज की गई अपील/परिवाद को पुनर्स्‍थापित करने की स्‍पष्‍ट व्‍यवस्‍था नहीं है, परन्‍तु अदम पैरवी में खारिज परिवाद या अपील एक प्रक्रियात्‍मक आदेश है, इसलिए प्रक्रियात्‍मक आदेश को न्‍यायहित में रिकाल किया जा सकता है।

 

-2-

4.                 किसी भी विधिक प्रावधानों का उद्देश्‍य वादकारी को सर्वोत्‍तम हित लाभ  प्रदान  करना  है।  जिला उपभोक्‍ता आयोग या राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग के  द्वारा यदि अदम पैरवी में कोई परिवाद या अपील खारिज की जाती है तब इस आदेश को अपास्‍त कराने के लिए कोई व्‍यक्ति जनपद से राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग तथा राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग से राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष याचना करने के लिए उपस्थित हों निश्चित रूप से विधि की यह मंशा नहीं हो सकती। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम एक कल्‍याणकारी व्‍यवस्‍था है और कल्‍याणकारी व्‍यवस्‍था का उद्देश्‍य सुगम एवं सहज कार्यवाही अमल में लाना है न कि कठोर एवं वादकारियों के प्रति दण्‍डात्‍मक। इस आयोग से राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष उपस्थित होना वहां पर अधिवक्‍ता नियुक्‍त कर आर्थिक वहन सहन करना तथा अपनी निजी दिनचर्या के कार्यो को छोड़कर दिल्‍ली तक आना व जाना निश्चित रूप से प्रताड़नात्‍मकक/दण्‍डात्‍मक कार्यवाही होगी, इसलिए न्‍याय के उद्देश्‍यों की प्राप्ति के लिए आवश्‍यक है कि अनुपस्थिति में खारिज की गई अपील/परिवाद को इस आयोग द्वारा ही मूल नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित किया जाए। अत: विविध वाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

5.             प्रस्‍तुत विविध वाद स्‍वीकार किया जाता है। मूल परिवाद संख्‍या-63/2014 में पारित प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 04.01.2022 निरस्‍त किया जाता है। मूल परिवाद संख्‍या-63/2014 को अपने मूल नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करते हुए पत्रावली गुणदोष के आधार पर सुनवाई हेतु दिनांक 26.09.2022 को सूचीबद्ध की जाए। इस आदेश की एक प्रमाणित प्रति मूल परिवाद संख्‍या-63/2014 में भी रखी जाए।

 

 

-3-

           आवेदिका/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता को यह भी निर्देशित किया जाता है कि वह विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजे जाने हेतु पैरवी 15 दिन के अन्‍दर कार्यालय में दाखिल करें तदोपरांत कार्यालय विपक्षीगण को नियत तिथि की सूचना निर्गत करे।   

               आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

 

    (राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

     सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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