Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/106/2011

Shri Kushal Pal Singh - Complainant(s)

Versus

Superintendent of Post Offices - Opp.Party(s)

15 Oct 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/106/2011
 
1. Shri Kushal Pal Singh
R/o Prathama Bank Head Office, Ram Ganga Vihar Phase-II Thana Civil Lines, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Superintendent of Post Offices
Add:- Main Post Office Thana Civil Line Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

निर्णय

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि उसके द्वारा स्‍पीड पोस्‍ट द्वारा भेजा गया लिफ़ाफ़ा पावक को न मिलने के कारण लिफाफे पर लगाऐ गऐ टिकटों के 25/- रूपया, परिवाद व्‍यय की मद में 5,000/- रूपया और क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/- रूपया इस प्रकार कुल 55,025/- रूपये उसे विपक्षी से दिलाऐ जाऐं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने रविन्‍द्र कुमार, विक्रय विभाग, भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा 12 एल0बी0 125, सिक्‍का नीड हाऊस, हरदेव पुरी दिल्‍ली 110093 को कुछ कागजात स्‍पीड पोस्‍ट द्वारा दिनांक 25/09/2010 को भेजे थे। वह लिफ़ाफ़ा श्री रविन्‍द्र कुमार को नहीं मिला। ज्ञात करने पर विपक्षी ने लिखित पत्र द्वारा अवगत कराया कि श्री रविन्‍द्र कुमार को भेजा गया लिफ़ाफ़ा प्राप्‍तकर्ता (रविन्‍द्र कुमार) को दिनांक 27/09/2010 को वितरित हो गया है इस पर परिवादी ने श्री रविन्‍द्र कुमार से फिर पूछा तो उन्‍होंने परिवादी को पुन: कहा कि अब तक उन्‍हें लिफ़ाफ़ा नहीं  मिला। परिवादी ने लिफ़ाफ़ा प्राप्‍तकर्ता को न मिलने की लिखित शिकायत भी  की जिसके जबाब में परिवादी को पुन: अवगत कराया गया कि लिफ़ाफ़ा  प्राप्‍तकर्ता को दिनांक 27/09/2010 को वितरित किया जा चुका है। परिवादी  का आरोप है कि लिफ़ाफ़ा प्राप्‍तकर्ता को नहीं मिला। विपक्षी ने सेवा में कमी  की है। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के साथ परिवादी ने स्‍पीड पोस्‍ट से लिफ़ाफ़ा भेजे जाने की  डाकखाने की रसीद की फोटो प्रति तथा विपक्षी से प्राप्‍त उत्‍तर दिनांकित 27/10/2010 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/4 व 3/5 हैं।
  4.   विपक्षी की ओर से  प्रतिवाद पत्र कागज सं0-6/1 लगायत 6/3  दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में विपक्षी की ओर से कहा गया कि परिवादी द्वारा भेजा गया लिफ़ाफ़ा दिनांक 27/9/2010 को प्राप्‍तकर्ता को प्राप्‍त कराया जा चुका है। विशेष कथनों में कहा गया कि विपक्षी उत्‍तरदाता ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की क्‍योंकि प्राप्‍तकर्ता को परिवादी द्वारा भेजी गई डाक वितरित की जा चुकी है। विपक्षी ने यह भी कहा कि परिवाद में यूनियन आफ इण्डिया आवश्‍यक पक्षकार है, उसे पक्षकार न बनाऐ जाने के कारण परिवाद दूषित है। यह कहते हुऐ कि परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ, परिवाद सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
  5.   प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-3 में यधपि विपक्षी की ओर से यह कथन  किया गया है कि 27/9/2010 को डाक के प्राप्‍तकर्ता को वितरित कर दिऐ जाने सम्‍बन्‍धी पोस्‍टमैन की डिलिवरी स्लिप की छायाप्रति संलग्‍न प्रतिवाद पत्र है, किन्‍तु प्रतिवाद पत्र के साथ उक्‍त छाया प्रति दाखिल नहीं हुई। बाद में विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रार्थना पत्र दिनांकित 18/6/2012 के माध्‍यम से  उक्‍त डिलिवरी स्लिप की फोटो प्रति पत्रावली में दाखिल की जो पत्रावली का  कागज सं0-9/1 लगायत 9/2 है।
  6.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/4  दाखिल किया। परिवादी के समर्थन में परिवाद के पैरा सं0-2 में उल्लिखित श्री रविन्‍द्र कुमार का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-16 दाखिल हुआ।
  7.   विपक्षी की ओर से मुख्‍य डाकघर, मुरादाबाद के प्रवर अधीक्षक श्री  राहुल ने साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-21/1  लगायत 21/5 दाखिल किया जिसके साथ विभिन्‍न फोरमों/ आयोग  द्वारा  पारित निर्णयों की नकलों को  बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-21/6 लगायत 21/30 हैं।
  8.   दोनों पक्षों की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
  9.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली  का अवलोकन किया।
  10.   विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने हमारा ध्‍यान पोस्‍टमैन की डिलिवरी स्लिप की फोटो प्रति कागज सं0-9/1 लगायत 9/2 की ओर आकर्षित किया। डिलिवरी स्लिप के पृष्‍ठ कागज सं0-9/2 के क्रमांक-9 के अनुसार परिवादी  द्वारा रसीद कागज सं0-3/4 के माध्‍यम से भेजा गया पोस्‍टल आर्टिकल प्राप्‍तकर्ता (रविन्‍द्र कुमार) को दिनांक 27/9/2010 को वितरित हुआ था। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने पत्र कागज सं0-3/5 की ओर  भी  हमारा ध्‍यान  आकर्षित किया जिसके अनुसार दिल्‍ली  के सम्‍बन्धित पोस्‍टमैन ने प्राप्‍तकर्ता श्री रविन्‍द्र कुमार को परिवादी द्वारा भेजा गया लिफ़ाफ़ा प्राप्‍तकर्ता रविन्‍द्र कुमार को दिनांक 27/9/2010 को प्राप्‍त कराया था। प्रत्‍युत्‍तर  में परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने रविन्‍द्र कुमार के शपथ पत्र कागज सं0-16 का उल्‍लेख किया जिसमें उसने पोस्‍टल आर्टिकल प्राप्‍त होने से स्‍पष्‍ट इन्‍कार किया है और उन्‍होंने साथ में यह भी कहा कि डिलिवरी स्लिप कागज सं0-9/2 के क्रमांक-9 पर प्राप्‍तकर्ता के रूप में उनके हस्‍ताक्षर नहीं है बल्कि प्राप्‍तकर्ता के रूप में किसी अन्‍य के हस्‍ताक्षर हैं।
  11.   पोस्‍टमैन की डिलिवरी स्लिप कागज सं0-9/1 लगायत 9/2 सरकारी अभिलेख है। डाक दिल्‍ली के पोस्‍टमैन द्वारा वितरित की गई थी। डाक वितरित किऐ जाने वाले पोस्‍टमैन से परिवादी अथवा प्राप्‍तकर्ता रविन्‍द्र कुमार की कोई रंजिश थी ऐसा परिवादी अथवा रविन्‍द्र कुमार के साक्ष्‍य शपथ पत्र में उल्‍लेख नहीं है। कागज सं0-9/1  लगायत 9/2  विभागीय कम्‍प्‍यूटराइज्‍ड अभिलेख है जिस पर अविश्‍वास किऐ  जाने का कोई कारण दिखाई नहीं देता। परिवादी ने डिलिवरी स्लिप कागज सं0-9/2 पर अंकित प्राप्‍तकर्ता के हस्‍ताक्षर का मिलान शपथ पत्र कागज सं0-16 के शपथी रविन्‍द्र कुमार के स्‍वीकृत हस्‍ताक्षरों से  किसी विशेषज्ञ से नहीं कराया। इन परिस्थितियों में हम इस मत के हैं कि परिवादी द्वारा दिनांक 25/9/2010 को रविन्‍द्र कुमार को रसीद कागज सं0-3/4 द्वारा भेजा गया आर्टिकल प्राप्‍तकर्ता को डाक विभाग द्वारा वितरित कर दिया गया था।
  12.   मा0 राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, लखनऊ द्वारा अपील सं0- 870/1997, Superindent of post v/s Sri pushpendra Kumar के मामले में यह अवधारित किया गया है कि इस तरह के मामलों में पोस्‍ट  आफिस के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पोस्‍ट आफिस अधिनियम की धारा-6 का संरक्षण प्रापत है। उन्‍हें ऐसे किसी पोस्‍टल आर्टिकल जिसका बीमा न कराया हो के खो जाने अथवा उसके गलत वितरित हो जाने अथवा उसके वितरण में  देरी के लिए उत्‍तरदायी नहीं माना जा सकता है। मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता  विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा II (1993) CPJ 141 (NC), The presidency post Master General Post Office, Madras & others v/s Dr. U. Shanker Rao के मामले में इडियन पोस्‍ट आफिस एक्‍ट की धारा-6 की व्‍याख्‍या करते हुऐ यह अवधारित किया गया है कि ऐसे आर्टिकल जिनका बीमा न कराया गया हो के खो जाने पर डाक विभाग अथवा उसके किसी अधिकारी /कर्मचारी को तब तक उत्‍तरदायी नहीं माना जा सकता है जब तक  कि यह सिद्ध न हो जाये कि डाक विभाग के किसी कर्मचारी/अधिकारी ने  जानबूझकर डाक का वितरण नहीं किया था या वितरण में देरी की थी।
  13.   यदि तर्क के तौर पर यह मान लिया जाये कि परिवादी द्वारा रविन्‍द्र  कुमार को भेजा गया पोस्‍टल आर्टिकल डाक विभाग द्वारा गलत वितरित कर  दिया गया है तो उस दशा में भी चॅूंकि डाक विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पोस्‍ट आफिस अधिनियम की धारा-6 का संरक्षण प्राप्‍त है और रसीद कागज सं0-3/4 द्वारा भेजा गया पोस्‍टल आर्टिकिल बीमित नहीं था।  अत: परिवादी इस मामले में कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
  14.   उपरोक्‍त के अतिरिक्‍त वर्तमान मामले में यूनियन आफ इण्डिया को  पक्षकार न बनाये जाने का भी दोष है।
  15.   उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचना के आधार पर हम  इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं  कि परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

परिवाद खारिज किया जाता है।

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     15.10.2015              15.10.2015     15.10.2015

 

 

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 15.10.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     15.10.2015              15.10.2015     15.10.2015

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.