ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि उसे एलाट हुऐ फ्लैट की शेष राशि 7,61,372/- रूपया प्राप्त करके विपक्षीगण उसके पक्ष में फ्लैट हस्तान्तरित करें अथवा परिवादी द्वारा जमा की गई 1,00,000/- रूपये की धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को वापिस दे। क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/- रूपया और परिवाद व्यय परिवादी ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षीगण द्वारा किऐ गऐ पत्राचार से प्रभावित होकर परिवादी ने सितम्बर, 2009 में विपक्षीगण से एक फ्लैट बुक कराया जिसके लिए परिवादी ने 1,00,000/- रूपया बुकिंग राशि विपक्षीगण के पास जमा की विपक्षीगण ने उसकी रसीद परिवादी को दी। परिवादी को फ्लैट सं0-103 आवंटित हुआ। फ्लैट की कीमत 8,61,372/- रूपया तय हुई। विपक्षीगण ने आश्वासन दिया कि दिसम्बर, 2010 तक फ्लैट का कब्जा परिवादी को दे दिया जाऐगा और यदि किसी कारण दिसम्बर, 2010 में कब्जा नहीं दिया जा सका तो फ्लैट का कब्जा मार्च, 2011 तक दे दिया जाऐगा। विपक्षीगण ने अपने स्तर से लोन स्वीकृत कराने का भी परिवादी को आश्वासन दिया। परिवादी के अनुसार वह विपक्षीगण के चक्कर लगाता रहा, किन्तु विपक्षीगण ने उसे कोई रेस्पोन्स नहीं दिया, परिवादी का लोन भी स्वीकृत नहीं कराया। दिनांक 25/3/2011 को परिवादी विपक्षी सं0-1 के कार्यालय पहुँचा और अनुरोध किया कि परिवादी के पक्ष में फ्लैट की रजिस्ट्री करा दी जाऐ अथवा उसके द्वारा जमा किऐ गऐ एडवांस 1,00,000/- रूपया उसे वापिस कर दिऐ जाऐं तो विपक्षी सं0-1 के कार्यालय से परिवादी को 100/- रूपये का स्टाम्प लाने को कहा गया। दिनांक 27/4/2011 को 100/- रूपया का स्टाम्प लेकर परिवादी विपक्षी सं0-1 के कार्यालय पहुँचा वहॉं परिवादी को एक एफिडडेविट/ अन्डर टेकिंग स्टाम्प पर टाइप कराकर और हस्ताक्षर करके उसे नोटराइज्ड कराकर लाने को कहा गया। परिवादी ने जब उसे पढ़ा तो पाया कि उसमें कैन्सिलेशन चार्जेज काटे जाने का भी उल्लेख था। परिवादी को काफी आश्चर्य हुआ। उसने आपत्ति की और कहा कि लगभग एक वर्ष से विपक्षीगण परिवादी के 1,00,000/- रूपये एडवांस का इस्तेमाल कर रहे हैं न तो उसके पक्ष में फ्लैट की रजिस्ट्री की जा रही है और न ही उसका पैसा वापिस किया जा रहा है, किन्तु विपक्षीगण सुनवा नहीं हुऐ। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भिजवाया, किन्तु विपक्षीगण ने न तो फ्लैट की रजिस्ट्री परिवादी के पक्ष में की और न ही उसका पैसा वापिस किया। परिवादी को पता चला है कि विपक्षीगण ने अधिक मुनाफा लेकर परिवादी को आवंटित फ्लैट किसी अन्य को बेच दिया है। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण के कृत्य सेवा में कमी है उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ परिवादी ने 1,00,000/- रूपया एडवांस जमा करने की रसीद, असल एफिडेविट दिनांकित 27/4/2011, विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस की नकल और इसे भेजे जाने की असल रसीद को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/6 लगायत 3/9 है।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/2 दाखिल हुआ जिसमें परिवादी के अनुरोध पर उसे फ्लैट आवंटित किया जाना तो स्वीकार किया गया, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। विपक्षीगण के अनुसार परिवादी को ऐसा कोई आश्वासन नहीं किया गया कि परिवादी को बैंक लोन विपक्षीगण स्वीकृत कराऐगें। विपक्षीगण के अनुसार वास्तविकता यह है कि समय पर भुगतान न कर पाने के कारण परिवादी ने स्वयं विपक्षी सं0-1 के कार्यालय आकर फ्लैट के आवंटन को निरस्त किऐ जाने का अनुरोध किया था जिस पर प्रतिवादी सं0-1 ने परिवादी से शपथ पत्र लाने को कहा। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि आवंटन पत्र दिनांकित 17/11/2009 की शर्त सं0-3 के अनुसार आवंटन निरस्तीकरण की स्थिति में फ्लैट की कीमत की 15 प्रतिशत धनराशि काटकर विपक्षीगण शेष धनराशि परिवादी को वापिस करने के उत्तरदाई हैं। परिवादी ने स्वयं फ्लैट का आवंटन निरस्त कराया था अत: उसके पक्ष में फ्लैट की रजिस्ट्री का प्रश्न नहीं है। उपरोक्त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/5 दाखिल किया जिसके साथ उसने विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 21/6/2011 और उसे भेजे जाने की डाकखाने की रसीद की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्न दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से उनके अधिकृत प्रतिनिधि श्री अनुग्रह राघव ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/3 दाखिल किया। विपक्षीगण नेक एलाटमेंट लेटर दिनांकित 17/11/2009, आवंटन की शर्तें और परिवादी द्वारा अभिकथित रूप से फ्लैट निरस्तीकरण हेतु दिऐ गऐ शपथ पत्र की फोटो प्रतियों को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-14/1 लगायत 14/14 हैं।
- पक्षकारों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
- हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- दोनों पक्षों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी को उसके अनुरोध पर विपक्षीगण ने फ्लैट सं0 सी-103 वर्ष 2009 में दिनांक 17/11/2009 को आवंटित किया था और परिवादी ने फ्लैट की बुकिंग हेतु 1,00,000/- रूपया विपक्षीगण के पास जमा कराऐ थे।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि यधपि विपक्षी सं0-1 की ओर से परिवादी को यह आश्वासन दिया गया था कि फ्लैट हेतु बैंक से परिवादी को लोन स्वीकृत कराया जाऐगा, किन्तु विपक्षीगण ने लोन स्वीकृत नहीं कराया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी कथन है कि परिवादी ने कभी भी फ्लैट कैंन्सिल कराने का विपक्षीगण से अनुरोध नहीं किया ऐसी दशा में एलाटमेंट लेटर दिनांक 17/11/2009 की शर्त सं0-3 का अबलम्व लेकर परिवादी द्वारा जमा की गई 1,00,000/- रूपये की धनराशि का 15 प्रतिशत काटने का विपक्षीगण को कोई अधिकार नहीं है।
- प्रत्युत्तर में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परिवादी का यह कथन मिथ्या है कि विपक्षीगण ने परिवादी को यह आश्वासन दिया था कि फ्लैट हेतु बैंक से ऋण विपक्षीगण स्वीकृत कराऐगें। विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया कि फ्लैट कैन्सिल करने के लिए परिवादी ने कहा था। एलाटमेंट लेटर की शर्त सं0-3 पक्षकारों पर बाध्यकारी है और इस शर्त के अनुसार बुकिंग राशि का 15 प्रतिशत काटने का विपक्षीगण को अधिकार है।
- परिवादी की ओर से ऐसा कोई साक्ष्य अथवा प्रमाण पत्र दाखिल नहीं किया गया जिससे यह प्रमाणित हो कि लोन स्वीकृत कराने की जिम्मेदारी विपक्षीगण की थी ऐसी दशा में परिवादी के इस कथन को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि लोन विपक्षीगण को स्वीकृत कराना था। जहां तक इस बात का प्रश्न है कि परिवादी द्वारा जमा की गई 1,00,000/- रूपये की धनराशि में से 15 प्रतिशत धनराशि विपक्षीगण काटने के अधिकारी है, इस बात को अभिनिर्धारित करने हेतु हमें एलाटमेंट लेटर की शर्त सं0-3 के साथ-साथ पत्रावली पर उपलब्ध अन्य प्रपत्रों को भी देखना होगा। एलाटमेंट लेटर की शर्त सं0-3 के अनुसार बुकिंग एमाउन्ट का 15 प्रतिशत विपक्षीगण उस दशा में काट सकते हैं जबकि फ्लैट के निरस्तीकरण हेतु परिवादी ने आग्रह/अनुरोध किया हो। शपथ पत्र कागज सं0-3/7 लगायत 3/8 की इबारत पढ़ने से यह स्पष्ट है कि यह इबारत कदाचिात परिवादी ने स्वयं नहीं लिखाई होगी। इसकी इबारत परिवादी के इस कथन को बल प्रदान करती है कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को शपथ पत्र का एक प्रारूप उपलब्ध कराया और उसे टाइप कराकर और नोटराइज्ड कराकर लाने के लिए कहा था। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों से यह प्रमाणित नहीं है कि फ्लैट का आवंटन निरस्त कराने हेतु उक्त शपथ पत्र कागज सं0-3/7 लगायत 3/8 परिवादी ने स्व: विवेक से टाइप कराया था। चॅूंकि फ्लैट का आवंटन निरस्त कराने का अनुरोध परिवादी के स्तर से किया जाना प्रमाणित नहीं हुआ है अत: एलाटमेंट लेटर की शर्त सं0-3 का अवलम्ब लेकर 15 प्रतिशत राशि काटने का विपक्षीगण को अधिकार नहीं है। परिवादी जमा किऐ गऐ 1,00,000/- रूपया ब्याज सहित विपक्षीगण से वापिस पाने का अधिकारी है। परिवादी को परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) और क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्त 10,000/- (दस हजार रूपया) अतिरिक्त दिलाया जाना भी हम न्यायोचित समझते हैं। परिवाद तदानुसार स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 1,00,000/- (एक लाख रूपये) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में, विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवादी परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) और क्षतिपूर्ति की मद में 10,000/- (दस हजार रूपया) विपक्षीगण से अतिरिक्त पाने का अधिकारी होगा। समस्त धनराशि की अदायगी इस आदेश की तिथि से एक माह के भीतर की जाये। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
22.02.2016 22.02.2016 22.02.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 22.02.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
22.02.2016 22.02.2016 22.02.2016 | |