Uttar Pradesh

StateCommission

CC/99/2017

Vipendra Swroop Bhatanagar - Complainant(s)

Versus

Super Speciality Hospital - Opp.Party(s)

Rajeev Jaiswal & Abhishek Singh & S- P- Panday & Kritibha Panday

03 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/99/2017
( Date of Filing : 07 Mar 2017 )
 
1. Vipendra Swroop Bhatanagar
Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Super Speciality Hospital
Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Oct 2024
Final Order / Judgement

                                               (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-99/2017

1.    विपेन्‍द्र स्‍वरूप भटनागर (मृतक) ।

1/1.  श्रीमती ऊषा भटनागर पत्‍नी स्‍व0 विपेन्‍द्र स्‍वरूप भटनागर।

1/2.  सचिन भटनागर पुत्र स्‍व0 विपेन्‍द्र स्‍वरूप भटनागर।

1/3.  नितिन भटनागर पुत्र स्‍व0 विपेन्‍द्र स्‍वरूप भटनागर।

     समस्‍त निवासीगण ES/1/130, सेक्‍टर-A, जानकीपुरम, जिला लखनऊ।

                   परिवादीगण

बनाम

1.    सूपर स्‍पेशलिटी हॉस्पिटल बर्न्‍स एण्‍ड ट्रामा सेन्‍टर (सिप्‍स) शाहमीना रोड (रोड फ्राम बुद्धा पार्क टू मेडिकल कालेज) लखनऊ द्वारा हेड डिपार्टमेंट।

2.    मैक्‍स सूपर स्‍पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत (वेस्‍ट ब्‍लॉक) 1 प्रेस इन्‍क्‍लेव रोड, साकेत नई दिल्‍ली 110017 द्वारा हेड आफ डिपार्टमेंट।

3.    डा0 वी.के. जैन।

4.    डा0 आशीष जैन।

     नं0-3 एवं 4, पोस्‍टेड एट मैक्‍स हॉस्पिटल सूपर स्‍पेशलिटी हॉ‍स्पिटल साकेत (वेस्‍ट ब्‍लॉक) 1 प्रेस इन्‍क्‍लेव रोड, साकेत नई दिल्‍ली 110017 ।

        विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

परिवादिनी की ओर से उपस्थित       : श्री एस.पी. पाण्‍डेय।

विपक्षी सं0-1 की ओर से उपस्थित     : श्री प्रमोद कुमार शर्मा।

विपक्षी सं0-2 त 4 की ओर से उपस्थित     : श्री पुनीत कुमार सक्‍सेना।

 

दिनांक:  03.10.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.     यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन 35,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति 12 प्रतिशत ब्‍याज के साथ प्राप्‍त करने के लिए तथा शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 10,00,000/-रू0 तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 35,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया।

2.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि दिनांक 30.8.2015 को परिवादी (मृतक) द्वारा उत्‍तराधिकारी सं0-1 के पुत्र सौरभ भटनागर एक दुर्घटना में घायल हो गया, जिन्‍हें सूपर स्‍पेशलिटी हॉस्पिटल, विपक्षी सं0-1 में भर्ती कराया गया, जो दिनांक 30.8.2015 से दिनांक 5.9.2015 तक भर्ती रहा और अंकन 10,00,000/-रू0 खर्च हुए। दिनांक 6.9.2015 को परिवादी के पुत्र की शारीरिक दशा गंभीर होने पर विपक्षी सं0-2 मैक्‍स हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया, जहां पर डा0 वी.के. जैन तथा डा0 आशीष जैन द्वारा चिकित्‍सा प्रारम्‍भ की गई, जो विपक्षी सं0-3 एवं 4 हैं। दिनांक 11.9.2015 को विपक्षी सं0-3 एवं 4 द्वारा बताया गया कि परिवादी के पुत्र की दशा में सुधार हो रहा है, परन्‍तु दिनांक 14.9.2015 की सुबह 7.30 बजे बताया गया कि परिवादी के पुत्र की मृत्‍यु दिनांक 13/14.9.2015 की रात्रि में हो गई। विपक्षी सं0-1 लगायत 4 की लापरवाही के कारण परिवादी के पुत्र की मृत्‍यु कारित हुई है। 100 नम्‍बर पर शिकायत दर्ज कराई गई, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं हुई। परिवादी द्वारा चिकित्‍सा परीक्षण तथा पैथोलॉजी की रिपोर्ट की मांग की गई, परन्‍तु विपक्षी सं0-2 द्वारा यह दस्‍तावेज उपलब्‍ध नहीं कराए गए। परिवादी द्वारा अनेक उच्‍च पदस्‍थ अधिकारियों एवं संस्‍थाओं को शिकायत की गई। दिल्‍ली मेडिकल काउंसिल द्वारा अवैध रूप से विपक्षी सं0-2 लगायत 4 के पक्ष में रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई।

3.         परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र एवं अनेक्‍जर 1 लगायत 15 दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए।

4.         विपक्षी सं0-2 लगायत 4 की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन में कथन किया गया कि विपक्षी सं0-3 एवं 4 द्वारा इलाज के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई तथा समस्‍त सावधानियों के साथ इलाज किया गया है। परिवादी द्वारा दिल्‍ली मेडिकल काउंसिल के समक्ष परिवाद में वर्णित तथ्‍यों को छिपाया गया, जिसका निस्‍तारण गुणदोष पर हो चुका है और उत्‍तरदायी विपक्षी की कोई लापरवाही नहीं मानी गई। दिनांक 6.9.2015 को SIPS लखनऊ से उत्‍तरदायी विपक्षी के हॉस्पिटल में घायल को रेफर किया गया था। दुर्घटना के कारण मरीज POLY TRAUMA  से ग्रसित था तथा अचेतन अवस्‍था में था। स्‍वांस में बाधा थी, इसलिए लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर रखा गया था। मस्तिष्‍क में Extradural hematoma मौजूद था। एक्‍स-रे रिपोर्ट की ओर से Medial Malleolus (Fracture and Broken Ankle) की चोट थी। प्रारम्‍भ में मरीज की अवस्‍था में सुधार हुआ था, परन्‍तु बाद में मरीज को उच्‍च दर्जे की वेंटीलेटर सपोर्ट की आवश्‍यकता होने लगी। मरीज को लगातार उच्‍च बुखार था, इसलिए उच्‍च ग्रेड की Antibiotics दी गईं। मरीज की दशा लगातार गिर रही थी, इसलिए विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। विपक्षी सं0-2 के समक्ष मरीज को वेंटीलेटर पर लाया गया था। मरीज को शांत करने के लिए दवाए दी गई थीं, परन्‍तु GCS (अचेतन स्‍िथति) का निर्धारण नहीं हो पा रहा था। मरीज के शरीर में अनेक प्रकार के घाव, सूजन मौजूद थी। मरीज के CT Brain, CT Cervical Spine, MRI Cervical Spine, Chest X-Ray, MRI Wholespine Screening, CT Head कराने की सलाह दी गई। दूसरे विभागों के कुशल डाक्‍टरों से सलाह ली गई। मरीज का इलाज न्‍यूरोलॉजी इंटेसिव केयर यूनिट में किया गया था तथा उच्‍च दर्जे की Antibiotics दी गईं थी। जीवन रक्षक उपकरण उपलब्‍ध कराए गए थे। इलाज के दौरान समुचित एवं प्रत्‍येक स्‍तर की सावधानियां बरती गई थीं, परन्‍तु मरीज की मृत्‍यु हो गई। परिवादी द्वारा मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया से शिकायत की गई और जांच में यह पाया गया कि अस्‍पताल, डाक्‍टर्स तथा स्‍टाफ द्वारा समुचित सावधानी इलाज के दौरान बरती गई हैं और उनके स्‍तर से इलाज के दौरान कोई लापरवाही कारित नहीं की गई।

5.         प्रतिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गई।

6.         उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।

7.         परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा सं0-4 में उल्‍लेख किया है कि दिनांक 6.9.2015 को मरीज को विपक्षी सं0-2 के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। पैरा सं0-5 में अंकन 75,000/-रू0 जमा करने का कथन किया गया। पैरा सं0-6 में यह कथन किया गया कि मरीज के पास जाने की अनुमति नहीं दी गई। पैरा सं0-7 में मरीज के

स्‍वास्‍थ्‍य में लाभ की सूचना देने का कथन किया गया। पैरा सं0-8 में अंकन 6,00,000/-रू0 मांगने एवं अंकन 4,00,000/-रू0 जमा करने का कथन किया गया। पैरा सं0-9 में मैक्‍स हॉस्पिटल नई दिल्‍ली के बाहर परिवार के रूकने और पैरा सं0-10 में मृत्‍यु की सूचना प्राप्‍त कराने का कथन किया गया। परिवाद पत्र में यहां तक इलाज के दौरान बरती गई लापरवाही के संबंध में कोई कथन नहीं किया गया। पैरा सं0-12 में प्रथम बार असावधानी शब्‍द का उल्‍लेख किया गया है, परन्‍तु असावधानी के बिन्‍दुओं का विवरण नहीं दिया गया। पैरा सं0-13 एवं 14 में भी लापरवाही के किसी बिन्‍दु का उल्‍लेख नहीं किया, इसके पश्‍चात पुलिस में शिकायत करने तथा मेडिकल काउंसिल आफ इण्डिया को शिकायत करने एवं उच्‍च पदस्‍थ अधिकारियों को शिकायत करने का उल्‍लेख किया गया है, परन्‍तु लापरवाही का बिन्‍दु सम्‍पूर्ण परिवाद पत्र में वर्णित नहीं है। चूंकि सम्‍पूर्ण परिवाद पत्र में लापरवाही के किसी बिन्‍दु का उल्‍लेख नहीं है, इसलिए लापरवाही का तथ्‍य साबित होने का प्रश्‍न ही नहीं उठता।

8.         इलाज के दौरान डा0 के स्‍तर से बरती गई लापरवाही के तथ्‍य का उल्‍लेख करना, उसके समर्थन में साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करना, क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अपरिहार्य शर्त है। विपक्षीगण की लापरवाही साबित करने का भार परिवादी पर है। यह निम्‍न दो तरीके से साबित किया जा सकता है :-

1.         जब लापरवाही की घटना स्‍वंय में ही प्रमाण हो।

2.         विशेषज्ञ साक्षी की रिपोर्ट प्रस्‍तुत करके।

9.         प्रस्‍तुत केस में ऐसी किसी तथ्‍य का उल्‍लेख नहीं है, जिससे साबित हो कि डाक्‍टर के स्‍तर से कारित कोई कार्य स्‍वंय में लापरवाही का प्रमाण हो। दुर्भाग्‍य से दुर्घटना में घायल होने के पश्‍चात मृतक विपक्षी सं0-1 के हॉस्पिटल में दिनांक 30.8.2015 से दिनांक 5.9.2015 तक भर्ती रहा। विपक्षी सं0-1 द्वारा ही मरीज को उच्‍च कोटी का इलाज प्राप्‍त करने के लिए विपक्षी सं0-2 के हॉस्पिटल में रेफर किया गया, यानि यह स्थिति सत्‍य है कि मरीज की स्थिति अत्‍यधिक गंभीर थी, इसलिए मरीज को उच्‍च श्रेणी के हॉस्पिटल के लिए रेफर किया गया। उच्‍च श्रेणी के अस्‍पताल में रेफर करने का तात्‍पर्य यह नहीं है कि वहां पर मरीज के इलाज की शत प्रतिशत गारण्‍टी दी जाती है। उच्‍च श्रेणी के अस्‍पताल में रेफर करने का तात्‍पर्य है कि उत्‍तम सुविधा उपलब्‍ध कराना न कि मरीज के जीवन की गारण्‍टी देना। वह भी उस स्थिति में जब मरीज वेंटीलेटर पर विपक्षी के अस्‍पताल में भर्ती हुआ हो, उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दवाए दी गई हों तथा उसकी चेतन अवस्‍था को नियंत्रित करने का कोई अवसर न हो, इसलिए घटना स्‍वंय प्रमाण का सिद्धान्‍त प्रस्‍तुत केस में लागू नहीं होता।

10.        विशेषज्ञ साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करते हुए भी लापरवाही के तथ्‍य को साबित किया जा सकता है। प्रस्‍तुत केस में परिवादी की ओर से विशेषज्ञ साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई। परिवादी द्वारा स्‍वंय मेडिकल काउंसिल आफ इण्डिया को विपक्षी सं0-2 लगायत 4 की शिकायत की गई, जिस पर मेडिकल काउंसिल आफ इण्डिया द्वारा जांच की गई। जांच में यह पाया गया कि इलाज के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई, यह रिपोर्ट पत्रावली पर मौजूद है, इस रिपोर्ट पर अविश्‍वास करने का कोई कारण नहीं है। अत: उपरोक्‍त विवेचना का निष्‍कर्ष यह है कि लापरवाही का तथ्‍य साबित नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

11.        प्रस्‍तुत परिवाद खारिज किया जाता है।

           उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वंय वहन अपना-अपना वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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