राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-345/2020
मोहम्मद इदरीश खॉ पुत्र मोहम्मद इशाक खॉ, निवासी ग्राम-नकरकुन्डा, चक नकरकुन्डा, जिला बरेली।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1- सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर ग्रामीण इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड, बरेली।
2- एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, ग्रामीण इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड बरेली।
3- अधिशासी अभियंता, इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 31/11 के0वी0 उपकेन्द्र बहेड़ी, ग्राम व तहसील बहेड़ी, जिला बरेली द्वारा अधिकृत प्राधिकारी।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : सुश्री भावना गुप्ता
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 27-3-2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, दि्वतीय बरेली द्वारा परिवाद सं0-359/2019 मोहम्मद इदरीश खॉ बनाम सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर इंजीनियर, ग्रामीण विद्युत विभाग उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड बरेली व दो अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.9.2020 के विरूद्ध योजित की गई है।
प्रस्तुत अपील में केवल अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता सुश्री भावना गुप्ता को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया।
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अपीलार्थी की अधिवक्ता का तर्क है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने अवैध रूप से निर्णय पारित किया है। विद्युत विभाग द्वारा अवैध रूप से डिमाण्ड नोटिस प्रेषित की गई और 24 वर्ष पश्चात बिल प्रेषित किया गया है जिसको जिला उपभोक्ता आयोग ने विचार में नहीं लिया है। विद्युत कनेक्शन स्थाई रूप से विच्छेदित हो चुका था।
जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में यह निष्कर्ष दिया है कि परिवादी इस तथ्य को साबित नहीं कर पाया कि माह दिसम्बर, 1996 के पश्चात उसने नलकूप का प्रयोग नहीं किया और विद्युत कनेक्शन विच्देछित करा दिया तथा दिसम्बर, 1996 के पश्चात विद्युत का उपभोग नहीं किया, इसलिए परिवादी वॉछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकृत नहीं है। चूंकि परिवाद पत्र में इस तथ्य का उल्लेख है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा वर्ष-1996 तक ही विद्युत बिल जमा किये गये, परन्तु अपीलार्थी/परिवादी ने बाद में यह कथन किया कि नलकूप खराब हो जाने के कारण विद्युत की आवश्यकता नहीं हुई, इसलिए दिनांक 25.01.2002 को विद्युत कनेक्शन विच्छेदित कर दिया गया था और विद्युत विभाग के कर्मचारी तार एवं पोल उखाड़ कर ले गये थे। उस समय अपीलार्थी/परिवादी पर धनराशि बकाया नहीं थी। 17 वर्ष पश्चात 4,14,600.00 रू0 का बिल जारी किया गया जो समय अवधि से बाधित हो चुका था, परन्तु चूंकि स्थाई रूप से विच्छेदित करने के लिए आवेदन दिनांकित 28.4.2007 जो अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया उस पर किसी कर्मचारी के नाम व हस्ताक्षर नहीं है एवं विभाग की मोहर भी अंकित नहीं है। स्थाई विद्युत कनेक्शन विच्छेदित करने के लिए वॉछित शुल्क जमा करने का भी सबूत नहीं है। अत: इस निष्कर्ष के विपरीत अन्य कोई निष्कर्ष जारी नहीं किया जा सकता है। अत: अपील खारिज होने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1