SANJAY PANDEY filed a consumer case on 21 Nov 2013 against SUNSINE MOTERS, VINAY CHOWKSEY in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/75/2013 and the judgment uploaded on 30 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -75-2013 प्रस्तुति दिनांक-02.09.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
संजय पाण्डे आत्मज जी.आर. पाण्डे, उम्र
लगभग 46 वर्श, निवासी-चिकित्सालय के
सामने केवलारी, तहसील केवलारी, जिला
सिवनी (म0प्र0)।....................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
(1) सनसार्इन मोटर्स द्वारा-विनय चौकसे
ब्रांच मैनेजर, सनसार्इन मोटर्स ज्यारतनाका
सिवनी, तहसील व जिला सिवनी (म0प्र0)।
(2) सनसार्इन मोटर्स द्वारा-प्रोपरार्इटर निखिल
जुनेजा, सनसार्इन मोटर्स कालेज रोड,
लालबाग, छिन्दवाड़ा, तहसील व जिला
छिन्दवाड़ा (म0प्र0)।................................अनावेदकगणविपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 21/11/2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदकगण षेवरलेट कम्पनी के वाहन के विक्रेता द्वारा, एक्सचेंज आफर के तहत बुक की गर्इ वाहन-टबेरा बी-एस-3 बी-1 अनावेदकों द्वारा, परिवादी को वर्तमान में अनुपलब्ध होना बताते हुये, विक्रय कर प्रदान न करने और विकल्प में एक्सचेंज आफर के तहत, परिवादी से 2,20,000-रूपये में प्राप्त की गर्इ वाहन-मारूती र्इको एम.पी.22सी.ए 1043 का उक्त मूल्य अगि्रम के रूप में मान्य करते हुये, उक्त राषि ब्याज सहित वापस दिलाने व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह स्वीकृत तथ्य है कि-अनावेदक क्रमांक-2 सेलवेट कम्पनी के वाहनों का अधिकृत विक्रेता व डीलर है, जिसकी एक षाखा सिवनी में भी होकर, अनावेदक क्रमांक-1 उसका ब्रांच मैनेजर है। यह भी विवादित नहीं कि-परिवादी ने दिनांक-19.06.2013 को अनावेदक क्रमांक-1 के कार्यालय में टबेरा बी-एस-3 बी-1 माडल के वाहन का बुकिंग, एक्चेंज आफर के तहत किया था, जिसमें परिवादी के पुराने वाहन मारूति र्इको का एक्सचेंज हेतु मूल्य 2,20,000-रूपये और अनावेदक-पक्ष द्वारा आंकलित किया जाकर, बुकिंग फार्म में भुगतान के रूप में दर्षाया गया था, जो कि- नये खरीदे जाने वाले टबेरा वाहन के लिए षेश मूल्य की राषि फायनेंस के द्वारा प्रदान की जानी थी और बुकिंग फार्म में नये टबेरा वाहन के डिलेवरी की संभावित तिथि 18.07.2013 दर्षार्इ गर्इ थी। यह भी विवादित नहीं कि- उक्त अवधि गुजर जाने पर भी अनावेदकगण द्वारा, उक्त माडल का टबेरा वाहन, कम्पनी से फिलहाल उपलब्ध न होना कहा जा रहा और परिवादी से यह कहा जाने लगा कि-परिवादी के एक्सचेंज आफर के तहत दिये गये वाहन, मारूती र्इको का एक्सचेंज मूल्य 1,50,000-रूपये आंकलित किया गया है, इसलिए एक्सचेंज में उक्त से ज्यादा मूल्य मुजरा न होगा। यह भी विवादित नहीं कि-एक्सचेंज में दिये गये पुराना वाहन-मारूती र्इको अनावेदकगण के आधिपत्य में है। और बुकिंग दिनांक के पष्चात उसका उपयोग किया गया है, जो कि-वर्तमान में उसमें खराबी हो जाने से वह चालू हालत में नहीं है।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि-मर्इ- 2013 में अनावेदकगण द्वारा, समाचार-पत्र में जारी एक्सचेंज आफर के तहत षेवरलेट कम्पनी के नये वाहन के विक्रय के विज्ञापन से प्रभावित होकर, परिवादी, अनावेदक क्रमांक-1 की षाखा में अपना पुराना वाहन मारूती र्इको लेकर गया था, जो कि-दिनांक-19.06.2013 को अनावेदक क्रमांक-1 ने अपने एक्सपर्ड से जांच कराने और चलाकर देखने के पष्चात उक्त र्इको वाहन का एक्सचेंज मूल्य 2,20,000-रूपये बताया था कि- उक्त मूल्य मुजरा कर, नये टबेरा वाहन का षेश मूल्य परिवादी को अदा करना होगा। परिवादी उक्त हेतु सहमत हो गया, तो दोनों पक्ष के बीच सहमति के आधार पर, र्इको वाहन 2,20,000-रूपये में लेकर, षेश मूल्य अदायगी पर, नया टबेरा वाहन लेने की संविदा की गर्इ थी और अनावेदक क्रमांक-1 ने, परिवादी से उसका मारूती र्इको वाहन प्रापित के समस्त दस्तावेजों में परिवादी के हस्ताक्षर प्राप्त कर, उक्त वाहन, अनावेदक क्रमांक-1 ने अपने आधिपत्य में ले-लिया था और नये वाहन की बुकिंग करते हुये, पुराने र्इको वाहन का मूल्य 2,20,000-रूपये काटने का इकरार लिख दिया था, जो कि-उक्त बुकिंग फार्म में दिनांक-18.07.2013 को नया वाहन देने की षर्त थी, षेश राषि फायनेंस पर देना था, जिसके लिये फायनेंस कम्पनी से संपूर्ण कार्यवाही पूर्ण करा ली गर्इ थी। और परिवादी दिनांक-18.07.2013 को जब अनावेदक क्रमांक-1 के पास पहुंचा, तो परिवादी से यह कहा गया कि-टबेरा बी-एस-3 बी-1 माडल वर्तमान में कम्पनी निर्माण नहीं कर रही है, इसलिए उपलब्ध नहीं और तीन-चार महिने का समय लग सकता है, परिवादी चाहे, तो उक्त कम्पनी के किसी दूसरे माडल का वाहन चेंज कर ले, लेकिन परिवादी को वही माडल चाहिये था, इसलिए अनावेदक क्रमांक-1 ने एक महिने में उपलब्ध कराने का फिर से आष्वासन दिया और दिनांक-26.08.2013 को जब फिर से परिवादी, अनावेदक क्रमांक-1 के पास गया, तब भी नया टबेरा वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया और अनावेदक क्रमांक-1 कहने लगा कि-अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, एक्सचेंज गाड़ी की कीमत 1,50,000-रूपये आंकी गर्इ है, इससे ज्यादा कीमत नहीं दी जा सकती, परिवादी चाहे तो अपना वाहन ले जावे। और परिवादी ने अपना वाहन देखा, तो वह उपयोग किया गया था, जिसके कारण वह चालू हालत में नहीं था, जो कि-संविदा के अनुरूप कार्य न कर, अनावेदक क्रमांक-1 ने, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी की है, जो कि-अब अनावेदकगण ने परिवादी को समय अवधि में नया टबेरा वाहन न देकर व परिवादी के वाहन को स्वयं रखकर उसका उपयोग किया जाता रहा और वाहन खराब हो जाने के बाद बंद हालत में वापस ले-लेने का दवाब दिया जा रहा है, जो सेवा षर्तों के विपरीत है, जो कि-समय अवधि में नया वाहन परिवादी को, अनावेदकों द्वारा उपलब्ध न कराने से परिवादी को 10,000-रूपये अतिरिक्त व्यय करने पड़े और अनावेदकगण अब संविदा से मुकर रहे हैं।
(4) अनावेदकगण के जवाब का सार यह है कि-दिनांक-18.07.2013 को नया वाहन फायनेंस होने पर, परिवादी को प्रदान किये जाने की संभावित तिथि थी, वह कोर्इ निषिचत तिथि नहीं थी और नया टबेरा वाहन क्रय करने के लिए परिवादी द्वारा फायनेंस की कार्यवाही अब-तक पूर्ण नहीं की गर्इ है और प्राप्त जानकारी के अनुसार, फायनेंस की राषि फायनेंस कम्पनी द्वारा, परिवादी को प्रदान नहीं की गर्इ, इसलिए परिवादी नया वाहन क्रय नहीं कर पाया, जो कि-मारूती र्इको वाहन को रखकर उसका उपयोग अनावेदकों द्वारा नहीं किया गया है, परिवादी के मारूती वाहन के इंजिन में खराबी आ गर्इ थी और इंजिन में आवष्यक सुधार हेतु अधिक राषि खर्च होनी थी, इसलिए उक्त र्इको वाहन को एक्सचेंज आफर में कटवाकर, प्रायवेट फायनेंस कम्पनी से राषि फायनेंस कर, अनावेदक क्रमांक-1 से तब बी-एस-3 बी-1 वाहन खरीदने की इच्छा परिवादी ने जाहिर की थी और यह कहा था कि-जब-तक फायनेंस नहीं हो जाता और नर्इ गाड़ी नहीं आ जाती, तब-तक परिवादी, अनावेदक क्रमांक-1 को र्इको वाहन नहीं सौपेगा, खुद उसका उपयोग करेगा, जो कि-प्रचलित कार्य व्यवहार के अनुसार, अनावेदक क्रमांक-1, परिवादी को जब-तक नया वाहन विक्रय नहीं कर देता, तब-तक परिवादी से उसका वाहन एक्सचेंज में नहीं ले सकता था, इसलिए अनावेदकों ने, परिवादी से बुकिंग के समय र्इको वाहन प्राप्त नहीं किया था और इसके बाद परिवादी द्वारा, उक्त र्इको वाहन चलाने के दौरान उसके इंजिन में और अधिक खराबी आ गर्इ थी, इंजिन जाम हो गया, तो परिवादी जुलार्इ-2013 के प्रथम सप्ताह में, उक्त वाहन को एक्सचेंज आफर में कटवाने के लिए टोचन करवाकर पुन: लिया था और अनावेदक क्रमांक- 1 से बात किया, तो र्इको वाहन में कोर्इ उक्त कथित खराबी के कारण उसका संभवित एक्सचेंज मूल्य 1,50,000-रूपये आंकलित किया गया और उसी समय परिवादी ने फिर यह सूचना दी कि-अभी फायनेंस कम्पनी से फायनेंस नहीं हुआ है, इसलिए बुकिंग की गर्इ टबेरा गाड़ी के क्रय करने के लिए राषि की व्यवस्था नहीं है और उसी समय अनावेदक क्रमांक-1 ने, परिवादी को यह अवगत करा दिया था कि-जनरल मोटर्स ने षेवरलेट टबेरा बी-एस-3 वाहन की बिक्री में सुरक्षा संबंधी एप्रूवल प्राप्त होने में समय लगना बताया है, तो परिवादी स्वयं अपनी मर्जी से बंद हालत में र्इको मारूती वाहन को अनावेदक क्रमांक-1 के पास छोड़ दिया था, जिसे परिवादी कभी भी ले जा सकता है। अनावेदकों द्वारा, परिवादी के प्रति- कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है, परिवादी और अनावेदक क्रमांक-1 के मध्य कभी कोर्इ समव्यवहार स:षुल्क नहीं हुआ, इसलिए उनके मध्य कभी उपभोक्ता संबंध स्थापित नहीं हुये और परिवादी ने बिना किसी विधिक हैसियत के मिथ्या आधारों पर, वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुये, दुर्भावनापूर्वक अनुचित लाभ लेने की दृशिट से परिवाद पेष किया है, जो कि-परिवाद में वर्णित तथ्यों का निराकरण विस्तृत साक्ष्य लेकर, गुणदोशों पर ही संभव है, इसलिए परिवाद की विशय-वस्तु व्यवहार न्यायालय के सुनवार्इ क्षेत्राधिकार की है, जिसका निराकरण संक्षिप्त विचारण के माध्यम से फोरम न्यायालय में संभव नहीं और जब भी जनरल मोटर्स कम्पनी द्वारा, उक्त माडल का टबेरा वाहन सुरक्षा संबंधी एप्रूवल प्रापित के बाद, अनावेदकों को बिक्री के लिए प्राप्त होगा, तो अनावेदक कम्पनी द्वारा, प्रभावीप्रचलित एक्स-षोरूम मूल्य पर, कथित टबेरा वाहन परिवादी को संपूर्ण कीमत प्राप्त कर, बिक्री करने के लिए तत्पर हैं। और अनावेदक क्रमांक-1 के षोरूम में जो र्इको मारूती वाहन परिवादी खड़ा कर गया है, वह उसे कभी भी वापस ले जा सकता है, जो कि-रिटेल सेल्स आर्डर बुकिंग फार्म के अनुसार, अनावेदकों ने, परिवादी से कभी कोर्इ अगि्रम राषि प्राप्त नहीं की है।
(5) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हंंै कि:-
(अ) क्या परिवादी, अनावेदकों का उपभोक्ता है?
(ब) क्या अनावेदकों ने कम्पनी से विक्रय के लिए
उपलब्ध न रही माडल के विक्रय का परिवादी
से सौदा कर और एक्सचेंज आफर में परिवादी
से प्राप्त र्इको मारूती वाहन का उपयोग कर,
फिर तयषुदा एक्सचेंज मूल्य को कम करने की
अभियुकित कर, अनुचित व्यापार-प्रथा को
अपनाया है और परिवादी के प्रति-सेवा में कमी
की है?
(स) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) परिवादी, पुरानी मारूती र्इको वाहन का टबेरा वाहन बुकिंग करते समय दिनांक-19.06.2013 को स्वामी था, यह प्रदर्ष सी-2 के उक्त वाहन के रजिस्ट्रेषन और प्रदर्ष सी-1 के बीमा पालिसी से भी पुश्ट है। और यह स्वीकृत तथ्य भी है। परिवादी को नया टबेरा वाहन माडल बी- एस-3 बी-1 विक्रय का सौदा अनावेदकों ने सक्सचेंज आफर के तहत किया था, यह प्रदर्ष सी-3 के रिटेल सेल्स आर्डर बुकिंग फार्म से ही पुश्ट है, जिसमें टबेरा वाहन का एक्स-षोरूम 7,66,650-रूपये और इंष्योरेंस, रजिस्ट्रेषन आदि सहित, कुल मूल्य 8,73,112-रूपये दर्षाया गया है, जिसमें 2,20,000-रूपये एक्सचेंज के तहत कम किया जाना दर्षाया गया है और बुकिंग दिनांक को हुये भुगतान विवरण में दिनांक-19.06.2013 को ही 2,20,000-रूपये र्इको वाहन का एक्सचेंज मूल्य उक्त दिनांक को हुये भुगतान मूल्य के रूप में दर्षाया गया है, तो अनावेदकों का यह बचाव कि- कोर्इ स:षुल्क समव्यवहार नहीं था, व्यर्थ का बचाव है। और यह भी स्वीकृत सिथति है कि-परिवादी का उक्त पुराने मारूती र्इको वाहन का आधिपत्य भी अनावेदकों के ही पास है, तो परिवाद के जवाब में कोर्इ काल्पनिक कहानी र्इको वाहन के आधिपत्य व टबेरा वाहन के बुकिंग समव्यवहार के बाबद निर्मित कर लेने से परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी से बाहर नहीं हो सकता, जो कि-जैसे ही प्रदर्ष सी-3 के टबेरा वाहन के बुकिंग में र्इको वाहन का एक्सचेंज मूल्य 2,20,000-रूपये टबेरा वाहन की बुकिंग हेतु भुगतान मूल्य के रूप में प्राप्त होना दर्षा दिया गया, तो उक्त मूल्य, बुकिंग राषि हो गर्इ और अनावेदकों द्वारा, परिवादी के मारूती र्इको वाहन का क्रय किया जाना उसी समय पूर्ण हो चुका था, इसलिए उक्त बुकिंग स:षुल्क बुकिंग हुर्इ, जिसमें 2,20,000-रूपये टबेरा वाहन के मूल्य बाबद आंषिक अगि्रम भुगतान के रूप में अनावेदकगण ने, परिवादी से प्राप्त कर लिया, तो अनावेदकों द्वारा अपने जवाब में आधारहीन काल्पनिक कहानी गढ़कर प्रदर्ष सी-3 में वर्णित तथ्यों से हटकर जो बचाव दर्षाया गया है, उसके संबंध में कोर्इ प्रमाण अनावेदकों की ओर से पेष नहीं, जो कि-प्रदर्ष सी-3 का बुकिंग फार्म स्वीकृत दस्तावेज है और टबेरा वाहन का बुकिंग किया जाना भी स्वीकृत है, तो परिवादी, अनावेदकों का उपभोक्ता होना स्थापित पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(7) परिवादी की ओर से पेष परिवाद के समर्थन में परिवादी के षपथ-पत्र व साक्ष्य में परिवादी-साक्षी घनष्याम झाारिया और घनष्याम जंघेला के षपथ-पत्रों से इस संबंध में परिवादी साक्ष्य अखणिडत है कि- दिनांक-19.06.2013 को जब टबेरा वाहन की बुकिंग अनावेदक क्रमांक-1 के कार्यालय में करार्इ गर्इ थी, तब परिवादी के पुराने मारूती र्इको वाहन का एक्सचेंज आफर के तहत अनावेदक क्रमांक-1 ने जांच करवाकर मूल्य 2,20,000-रूपये निर्धारित किया था, परिवादी सहमत हो गया, तब उसी समय परिवादी से उसके स्वामित्व के मारूती र्इको वाहन के सभी दस्तावेज, वाहन के ट्रांसफर कराने बाबद सभी फार्म दस्तावेजों में परिवादी के हस्ताक्षर लेकर, अनावेदक क्रमांक-1 ने सब दस्तावेजों और परिवादी के र्इको वाहन का कब्जा प्राप्त कर लिया था, जो इस तथ्य से भी पुश्ट है कि-प्रदर्ष सी-3 के बुकिंग फार्म में नये टबेरा वाहन की बुकिंग बाबद मारूती र्इको वाहन के एक्सचेंज मूल्य 2,20,000-रूपये को परिवादी-पक्ष की ओर से किये गये बुकिंग भुगतान की रकम के रूप में दर्षाया गया है, जो कि-दिनांक-19.06.2013 को परिवादी से उसके मारूती र्इको वाहन के अंतरण संबंधी सभी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर परिवादी से करा लिये जाने के तथ्य को अनावेदकों के जवाब में भी विषिश्टत: इंकार नहीं किया गया और परिवादी साक्ष्य के खण्डन में अनावेेदक-पक्ष की ओर से कोर्इ भी षपथ- कथन या दस्तावेज पेष नहीं।
(8) अनावेदकों की ओर से पेष जवाब में जो जुलार्इ-2013 के प्रथम सप्ताह में परिवादी द्वारा, वाहन लाकर अनावेदक क्रमांक-1 के कार्यालय में खड़ा करवा दिया जाना और उस समय 1,50,000-रूपये को मूल्याकंन किये जाने के बचाव लिये गये हैं, तो इस संबंध में कोर्इ भी प्रपत्र, दस्तावेज या साक्ष्य अनावेदक-पक्ष का नहीं, अन्यथा भी यह संभव नहीं कि-एक्सचेंज आफर के तहत परिवादी से उसके पुराने वाहन के आधिपत्य व अंतरण संबंधी लिखापढ़ी के बिना, पुराने वाहन के एक्सचेंज मूल्य को प्रदर्ष सी-3 के बुकिंग फार्म में परिवादी की ओर से नये वाहन के बुकिंग बाबद किये गये अगि्रम भुगतान की राषि के रूप में दर्षाया जाता।
(9) किसी भी कम्पनी के कोर्इ भी वाहन का विक्रेताडीलर ग्राहकों को मात्र उसी माडल के वाहन के विक्रय की बुकिंग कर सकता है, जो विक्रय हेतु कम्पनी की ओर से उपलब्ध करा दिया गया हो, जबकि- अनावेदक की ओर से पेष जवाब में ही यह स्पश्ट किया गया है कि-वास्तव में टबेरा बी-एस-3 बी-1 के वाहन बाबद, जनरल मोटर्स कम्पनी को वाहन बिक्री के लिए सुरक्षा संबंधी आवष्यक एप्रूवल ही प्राप्त नहीं हुआ है, अर्थात उक्त वाहन विक्रय के लिए एप्रूव ही नहीं, तो ऐसे माडल का ग्राहकों को विक्रय के लिए सौदा किया जाना, जिसकी कथित सौदा दिनांक को कोर्इ बिक्री ही संभव नहीं थी, अनुचित व्यापार-प्रथा है और परिवादी-पक्ष की ओर से पेष षपथ-पत्रों से स्पश्ट है कि-इसलिए वाहन बिक्री के लिए एप्रूव न होने के तथ्य को छिपाते हुये, अनावेदक-पक्ष परिवादी को यह झूठे कारण बताते रहे कि-अभी कम्पनी ने तीन-चार महिने से उक्त माडल का निर्माण बंद कर दिया है और षीघ्र ही उक्त टबेरा वाहन के माडल के विक्रय हेतु उपलब्ध हो जाने का झूठा आष्वासन परिवादी-पक्ष को दिया जाता रहा। तो स्पश्ट है कि-वाहन का ऐसा माडल, जिसे निर्माता कम्पनी को विक्रय का एप्रूवल प्राप्त नहीं रहा है, उसके विक्रय का अनावेदकों ने, परिवादी से सौदा, सही तथ्यों को छिपाकर किया और इस तरह परिवादी के प्रति-अनुचित व्यापार प्रथा को अपनाया है।
(10) यह और भी अनुचित है कि-परिवादी को जो पुराना मारूती र्इको वाहन अनावेदकों ने 2,20,000-रूपये में एक्सचेंज आफर के तहत खरीदकर उसके मूल्य को बुकिंग की राषि के रूप में समायोजित कर दिया था और परिवादी के उक्त पुराने वाहन का दो माह उपयोग कर लेने के बाद वाहन खराब हो जाने पर, यह कहना प्रारम्भ कर दिया कि-एक्सचेंज मूल्य मात्र 1,50,000-रूपये ही काटेंगे, अन्यथा अपना वाहन वापस ले जार्इये। तो यह परिवादी के प्रति अपनार्इ गर्इ अनुचित व्यापार प्रथा है, जो कि-पुराने वाहन के एक्सचेंज मूल्य को बुकिंग राषि में समायोजित कर दिये जाने के बाद और पुराने वाहन का अनावेदकों द्वारा लम्बी अवधि तक उपयोग कर लेने के बाद उसका जो भी मूल्य हाृस हुआ, उसके लिए अनावेदकगण ही जिम्मेदार हैं, जो कि-परिवादी के पुराने वाहन का सौदा पूर्ण हो चुका है, तो उक्त सौदे से लाभ प्राप्त कर, फिर सौदे से मुकरने के लिए जो अनावेदकों के जवाब में बिना किसी आधार व साक्ष्य के कपोल- कल्पित कहानी निर्मित की गर्इ, जिसके लिये कोर्इ आधार नहीं, जो कि- टबेरा बी-एस-3 बी-1 माडल की उपलब्धता संभव न देख, बुकिंग राषि 2,20,000-रूपये का परिवादी को भुगतान से बचने के लिए अनावेदकों द्वारा जो तरीका अपनाया जा रहा, वह भी परिवादी के प्रति-अपनार्इ गर्इ अनुचित व्यापार प्रथा है और उसके प्रति की गर्इ सेवा में कमी है। उक्त अनुसार ही विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(11) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ और 'ब के निश्कर्शों के आधार पर, मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदकगण और विषिश्टत: अनावेदक क्रमांक-2,
परिवादी को आदेष दिनांक से दो माह की अवधि
के अन्दर प्रदर्ष सी-3 के बुकिंग व उसमें दर्षार्इ
2,20,000-रूपये (दो लाख बीस हजार रूपये)
एक्सचेंज के आधार पर जमा के अनुसार व प्रदर्ष
सी-3 के बुकिंग में दिये गये नियम व षर्तों के
अनुसार, अनावेदक-पक्ष, परिवादी को उक्त बुक
किये गये माडल के वाहन के विक्रय हेतु प्राप्त हो
जाने की सूचना षीघ्रतम देगा और दो माह की अवधि
के अन्दर उक्त वाहन विक्रय हेतु एप्रूव होकर कम्पनी
से अनावेदकगण को विक्रय हेतु उपलब्ध नहीं हो पाया,
तो अनावेदक क्रमांक-2, परिवादी को जमा दर्षार्इ गर्इ
अगि्रम राषि मूल्य 2,20,000-रूपये (दो लाख बीस
हजार रूपये) का भुगतान उक्त दो माह की अवधि
अवसान उपरांत एक माह की अवधि के अंदर करेगा।
(ब) यदि अनावेदकों द्वारा, नवीन वाहन उपलब्ध करा देने पर
परिवादी बुकिंग वाहन क्रय करने से इंकार करता है या
वाहन खरीदकर ले जाने की सूचना के बाद भी 15 दिन के अन्दर, षेश बुकिंग मूल्य भुगतान नहीं कर पाता, तो प्रदर्ष सी-3 की षर्त के अनुसार, बुकिंग एडवांस की राषि 2,20,000-रूपये (दो लाख बीस हजार रूपये) में-से 10,000-रूपये (दस हजार रूपये) की कटौती कर, षेश राषि अनावेदक क्रमांक-2, परिवादी को अगले एक माह की अवधि के अन्दर भुगतान करेगा।
(स) अनावेदक क्रमांक-1 और 2 ने जो विक्रय हेतु एप्रूव न
होते हुये भी परिवादी को जो माडल बेचने का सौदा
कर, अनुचित व्यापार-प्रथा को अपनाया है और एक्सचेंज मूल्य निर्धारण और भुगतान मान्य हो जाने के बाद, वाहन का उपयोग कर लेने के प्ष्चात, जो पुनर्निर्धारण कर, पुराने वाहन का एक्सचेंज मूल्य कम करने की अनुचित व्यापार-प्रथा अपनार्इ है, उक्त सबसे परिवादी को हुर्इ असुविधा, मानसिक कश्ट व विलम्ब के लिए अनावेदक क्रमांक-2, परिवादी को 30,000-रूपये (तीस हजार रूपये) हर्जाना अदा करे।
(द) अनावेदक-पक्ष स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे और
परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये
(दो हजार रूपये) अनावेदक क्रमांक-2 अदा करेगा।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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