राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-613/2021
सत्येन्द्र कुमार वर्मा, (ऑर्थोपेडिक सर्जन) पुत्र श्री एल0पी0 वर्मा, निवासी डी 54/129 KH-2 जादू मंडी, वाराणसी उ0प्र0।
..............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
1- सुनीता देवी पत्नी वीरेन्द्र गुप्ता
2- शिवम पुत्र वीरेन्द्र गुप्ता एवं सुनीता
दोनों निवासीगण ग्राम अमडरिया, पोस्ट परसौनी, थाना रामकोला, जनपद कुशीनगर उ0प्र0।
.............प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : श्री पियूष मणि त्रिपाठी
दिनांक :- 25.10.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी श्री सत्येन्द्र कुमार वर्मा की ओर से इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कुशीनगर द्वारा परिवाद सं0-51/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.9.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
प्रश्नगत अपील विगत 03 वर्षों से अधिक समय से लम्बित है। अनेकों तिथियों पर सूचीबद्ध हुई। अपीलार्थी के अधिवक्ता की प्रार्थना अथवा अनुपस्थिति के कारण स्थगित की जाती रही। अंततोगत्वा दिनांक 14.3.2022 को इस न्यायालय द्वारा अपीलार्थी के अधिवक्ता की उपस्थिति को उल्लिखित करते हुए प्रत्यर्थीगण को नोटिस जारी किये जाने हेतु आदेश पारित किया गया। उपरोक्त आदेश के अनुपालन में प्रत्यर्थीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस दिनांक 24.3.2022 को
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प्रेषित की गई। कार्यालय द्वारा प्रत्यर्थीगण को जारी नोटिस वापस प्राप्त न होने की आख्या उल्लिखित की गई, तदोपरांत कार्यालय द्वारा प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 की ओर से वकालतनामा प्राप्त होने की आख्या दिनांक 22.6.2022 को उल्लिखित की गई। उपरोक्त आख्या उल्लेख के उपरांत प्रत्यर्थी/परिवादिनी सं0-1 की ओर से उपस्थित अधिवक्ता श्री बी0के0 उपाध्याय द्वारा दिनांक 27.9.2022, दिनांक 13.12.2022 तदोपरांत अगली तिथि दिनांक 17.4.2023, दिनांक 23.8.2023 तदोपरांत विगत दिनांक 08.5.2023 को विभिन्न तथ्यों को उल्लिखित करते हुए अपील स्थगित की जाती रही। अंतिम आदेश दिनांक 08.5.2024 निम्नवत् है:-
"The case is called out. Sri B.K. Upadhyay, Counsel for the respondent has died. Issue notice to the respondent to engage another counsel within a period of four weeks.
List again on 25-10-2024."
उक्त आदेश के अनुपालन में प्रत्यर्थी सं0-1 को नोटिस/सूचना जारी किये जाने का तथ्य कार्यालय की आख्या दिनांक 13.5.2024 द्वारा उल्लिखित किया गया।
उपरोक्त तथ्यों के पश्चात नियत तिथि पर प्रश्नगत अपील सूचीबद्ध है। प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 स्वयं उपस्थित हैं, उनके द्वारा नवीन अधिवक्ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी नियुक्त किया गया है, जो न्यायालय के सम्मुख उपस्थित है। अपीलार्थी के अधिवक्तागण सर्व श्री ए0आर0 मिश्रा एवं श्री अनुज प्रताप सिंह अनुपस्थित हैं।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी व उनके अधिवक्ता द्वारा उल्लिखित किया गया कि प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 शिवम गुप्ता का इलाज अपीलार्थी सत्येन्द्र कुमार वर्मा द्वारा जिला अस्पताल, कुशीनगर में न करते हुए मात्र एक्सरे कराने के उपरांत कच्चा प्लास्टर चढा दिया व अपने स्वयं
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के हाथ से पर्ची न बनाकर अपने कम्पाउण्डर के द्वारा हस्तलिपि में पर्ची बनवाई उपरोक्त कम्पाउण्डर द्वारा ही अपीलार्थी डॉक्टर द्वारा दिये गये परामर्श को उल्लिखित किया गया एवं पर्ची के पीछे अपीलार्थी डॉक्टर सत्येन्द्र कुमार वर्मा द्वारा अपनी हस्तलिपि में दवाइयों का नाम/उल्लेख किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी सं0-1 का परिवादी सं0-2 नाबालिग पुत्र है और दिनांक 16.5.2017 को खेलते समय गिरने से उसका दायाँ हाथ टूट गया जिसके इलाज हेतु प्रत्यर्थी/परिवादिनी अपने देवर विदुर गुप्ता के साथ अपीलार्थी/विपक्षी डा0 सत्येन्द्र वर्मा के निजी अस्पताल में पहुँची, जहॉ डा0 सत्येन्द्र वर्मा जिला अस्पताल कुशीनगर में पूर्व में हड्डी रोग के विशेषज्ञ रहे हैं, द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पुत्र का एक्सरे करके प्लास्टर चढ़ा दिया, परन्तु डाक्टर ने अपने हस्तलेख में पर्ची न बनाकर कंपाउंडर के हस्तलेख में बनवाया और पुनः दिनॉक 30.5.2017 उसी कंपाउंडर के हस्तलेख में लिखित पूर्व की परामर्श पर्ची के पीछे डा0 सत्येन्द्र वर्मा द्वारा अपने हस्तलेख में दवाई आदि लिखी गयी, लेकिन ईलाज के बावजूद भी प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पुत्र का दायां हाथ खराब हो गया और वह मुड़ नही रहा है जिस पर प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थी/विपक्षी से इसकी शिकायत किया तो अपीलार्थी/विपक्षी ने उससे गाली-गलौज किया। उसके बाद प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने गोरखपुर में डा0 बी0बी0 त्रिपाठी को दिखाया तो उन्होंने उसके पुत्र को रेफर कर दिया तदोपरांतप्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपने पुत्र को के0जी0एम0सी0 लखनऊ में दिखाया गया, जहाँ डाक्टरों ने कहा कि पूर्व में हुए गलत इलाज कराने के कारण उसके पुत्र का हाथ खराब हो गया है और ठीक होना मुश्किल है तथा कुछ दवा लिख कर घर जाने
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को कहा। जब दिनॉक 15.7.2017 प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा पुनः अपीलार्थी/ विपक्षी के यहाँ गई तो अपीलार्थी/विपक्षी ने उसके साथ अभद्र व्यवहार किया। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी की लापरवाही तथा सेवा में कमी एवं चिकित्सीय असावधानी के कारण प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पुत्र का दायाँ हाथ खराब हो गया है अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी की ओर से अधिवक्तागण अनुपस्थित हैं। पूर्व में भी वे अनेकों तिथियों पर अनुपस्थित थे। परिवादिनी व परिवादिनी के पुत्र स्वयं अपने अधिवक्ता के साथ उपस्थित है। परिवादिनी द्वारा उल्लिखित किया गया कि परिवादिनी एक अत्यन्त गरीब महिला है एवं परिवादिनी के पति को पिता से मात्र 05 बिस्सा अर्थात एक बीघे का ¼ हिस्सा जमीन का प्राप्त हुआ है, जिससे परिवादिनी व उसके परिवार का जीविकोपार्जन अत्यंत प्रभावित है। परिवादिनी के पति परिवार के जीविकोपार्जन हेतु विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को सडक पर खुंचा लगाकर व ठेलागाडी लगाकर बेचते हैं। परिवादिनी के पुत्र शिवम के इलाज में अपीलार्थी जोकि वास्तव में एक राज्य चिकित्सालय में चिकित्सा कर्मी है, द्वारा लालच में प्राइवेट अस्पताल में गलत तरीके से बच्चे के हाथ के फ्रेक्चर के उपरांत इलाज किया जिससे बच्चे के हाथ में पूर्ण रूप से विकार आ गया और उपरोक्त दाहिने हाथ का प्रयोग बच्चा नित्य कृत्य के कार्य में नहीं कर पा रहा है। बच्चे के हाथ की हड्डी को गलत रूप से जोडने के कारण हुई चिकित्सा में कमी हेतु अपीलार्थी ही मात्र दोषी है, जैसा कि जिला उपभोक्ता आयोग ने सविस्तार ऊपर उल्लिखित विवरण करते हुए परिवाद को स्वीकृत किया।
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मेरे द्वारा प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का न तो क्रियान्वयन ही स्थगित किया गया है, न ही अंतरिम आदेश ही पारित किया गया है, तब तीन वर्ष की अवधि व्यतीत होने के उपरांत भी जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.9.2021 का अनुपालन अपीलार्थी द्वारा न किया जाना न्यायालय के आदेश की अवहेलना एवं न्यायालय की प्रक्रिया में रूकावट का द्योतक है। तद्नुसार समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रश्नगत अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश का शत-प्रतिशत रूप से समर्थन किया जाता है।
तद्नुसार जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय/आदेश का अनुपालन हर दशा में निर्णय की तिथि से 30 दिन की अवधि में अपीलार्थी/सत्येन्द्र कुमार वर्मा, (ऑर्थोपेडिक सर्जन) पुत्र श्री एल0पी0 वर्मा, निवासी डी 54/129 KH-2 जादू मंडी, वाराणसी उ0प्र0 द्वारा सुनिश्चित किया जावे। यदि एक माह की अवधि में निर्णय/आदेश द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग दिनांकित 24.9.2021 का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जाता है, तब उस दशा में अपीलार्थी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय के अनुपालन में रू0 1,00,000.00 (एक लाख रूपये) क्षतिपूर्ति के साथ-साथ 06 (छ:) प्रतिशत ब्याज की देयता के स्थान पर 10 (दस) प्रतिशत ब्याज की देयता परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तिथि से भुगतान किये जाने की तिथि तक परिवादीगण को देय होगी।
तद्नुसार निबन्धक, राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा इस निर्णय की प्रति जिला उपभोक्ता आयोग, कुशीनगर को 10 दिन की अवधि में
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प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करे। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा इस निर्णय/आदेश का अनुपालन ऊपर उल्लिखित अवधि में सुनिश्चित कराया जावे। अपीलार्थी द्वारा निर्णय/आदेश का अनुपालन न किये जाने की दशा में अपीलार्थी के विरूद्ध राजस्व बकाया के रूप में भुगतान हेतु कार्यवाही जिलाधिकारी, कुशीनगर के माध्यम से सुनिश्चित करायी जावे।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1