Uttar Pradesh

StateCommission

A/40/2016

M. D. Regency Hospital Ltd. - Complainant(s)

Versus

Sunil Kumar - Opp.Party(s)

Manish mehrotra

04 Mar 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/40/2016
( Date of Filing : 08 Jan 2016 )
(Arisen out of Order Dated 01/12/2015 in Case No. C/72/2015 of District Auraiya)
 
1. M. D. Regency Hospital Ltd.
Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Sunil Kumar
Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Mar 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-40/2016

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-72/2015 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-12-2015 के विरूद्ध)

 

1. मैनेजिंग डायरेक्‍टर, रीजेन्‍सी हास्पिटल प्रा0लि0, ए-2, सर्वोदय नगर, कानपुर नगर।

2. डॉ0 देवज्‍योति राय केयर आफ रीजेन्‍सी हास्पिटल प्रा0लि0, ए-2, सर्वोदय नगर, कानपुर नगर। 

...........अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-1 व 3.    

बनाम

1. सुनील कुमार आयु लगभग 34 वर्ष पुत्र रामलाल, निवासी आवास विकास कालोनी, शहर व जिला औरैया (यू.पी.)

                            ............ प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

2. दी डॉक्‍टर्स एक्‍स-रे एण्‍ड पैथालाजी इन्‍स्‍टीट्यूट प्रा0लि0, 37/17, वेस्‍टकाट बिल्डिंग, दी माल, कानपुर – 208 001.

3. डॉ0 आर्य नर्सिंग होम, सुरान रोड, नारायनपुर, औरैया, परगना व जिला – औरैया (यू0पी0)।

............ प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षी सं0-2 व 4.

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री मनीष मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्‍ता के 

                         कनिष्‍ठ सहायक अधिवक्‍ता श्री विजय कुमार।  

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित: श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 व 3 की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।   

 

दिनांक : 07-03-2024.

 

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

      यह अपील, जिला उपभोक्‍ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-72/2015 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-12-2015 के विरूद्ध योजित की गई है।

      संक्षेप में अपीलार्थीगण का कथन है कि प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध, तथ्‍यों से परे है। विद्वान जिला आयोग ने गम्‍भीर त्रुटि कारित की है। अपीलार्थी की एक्‍स-रे रिपोर्ट में यह दिखाया गया कि रोगी को '' प्‍ल्‍यूरल इफ्यूजन '' है और इस सम्‍बन्‍ध में टी0बी0 के होने की सम्‍भावना व्‍यक्‍त नहीं की जा सकती। पत्रावली पर कोई विशेषज्ञ साक्ष्‍य भी नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने इन तथ्‍यों को नहीं देखा।

विद्वान जिला आयोग ने दिनांक 01-12-2015 को निम्‍नलिखित आदेश पारित किया :-

'' परिवाद विपक्षी संख्‍या एक व तीन के विरूद्ध 200000/- रू0 की बसूली हेतु स्‍वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देना होगा। विपक्षी संख्‍या एक व तीन को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्‍तानुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादीगण को अदा करें। ''

      अपीलार्थी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि रिपोर्ट दिनांकित 06-06-2014 पूर्ण रूप से सही है और इस पर कोई विशेषज्ञ साक्ष्‍य भी नहीं है। उसके द्वारा कोई सेवा में कमी या चिकित्‍सीय उपेक्षा नहीं की गई है। परिवादी को कोई वाद का कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ, फिर भी विद्वान जिला आयोग ने अपीलार्थीगण के विरूद्ध निर्णय पारित किया। अत: माननीय न्‍यायालय से अनुरोध है कि वर्तमान अपील स्‍वीकार करते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाये।  

हमारे द्वारा अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनीष मेहरोत्रा के कनिष्‍ठ सहायक अधिवक्‍ता श्री विजय कुमार यादव एवं प्रत्‍यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा की बहस विस्‍तार से सुनी गई तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिकथनों, साक्ष्‍यों एवं प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश का सम्‍यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

परिवादी का कथन है कि वह 33 वर्षीय नवयुवक है और जन सहयोगी इण्टर कॉलेज अमावता जिला औरैया में प्रधान लिपिक के पद पर कार्यरत है। सीने में दर्द और खांसी की शिकायत हुई तो विपक्षी संख्या चार को दिखाया उनके यहां लाभ कम हुआ इसलिए विपक्षी संख्या एक के यहां गया। निर्धारित फीस जमा की उनके स्टाफ ने जाँच और परीक्षण किये तथा टी0बी0 होना बताया यह सुनकर परिवादी और उनके परिजनों को भारी मानसिक कष्ट हुआ, क्योंकि शीघ्र मृत्यु की आशंका व्यक्त की गयी थी। फिर एक्सरे प्लेट को औरैया में डॉ० सर्वेश आर्य को दिखाया तो उन्होंने भी टी0बी0 होने का समर्थन किया किन्तु परिवादी से बातचीत में शारीरिक स्थिति क्षमता आने जाने चलने फिरने दौड़ने, तेज चलने, भारी सामान  उठाने व लाने ले जाने में कोई परेशानी नहीं थी। इसलिए अच्छे पैथालाजी से एक्सरे और जॉच कराने की राय दी, क्योंकि टी0बी0 के लक्षण नहीं मिल रहे थे। डॉ० सर्वेश आर्य ने पहली बार यह बताया कि परिवादी को टी0बी0 नहीं है। फिर विपक्षी संख्या चार की सलाह पर विपक्षी संख्या दो के यहां जाकर जाँच कराई तो परिवादी का फैंफड़ा और अन्य अंग सामान्य स्थिति में कार्य करते पाये गये तथा सामान्य किस्म की खांसी का संक्रमण पाया गया। विपक्षी संख्या एक व तीन की जाँच व एक्सरे का हवाला दिया तो विपक्षी संख्या दो ने विपक्षी संख्या एक के यहां से जारी एक्सरे प्लेट को देखकर फेंफड़े का गम्भीर संक्रमण एवं निष्क्रियता तथा टी0बी0 की स्थिति को स्वीकार किया। पुनः एक बार जाँच की राय दी विपक्षी संख्या दो ने पुनः जाँच करने के बाद टी0बी0 न होने की पुष्टि की। विपक्षी संख्या एक व तीन की चिकित्‍सीय जाँच की प्रकिया के दौरान् हुए एक्सरे प्लेट को विपक्षी संख्या दो को दिखाया तो उन्होंने बताया कि एक्सरे प्लेट परिवादी के शारीरिक स्वाथ्य के अनुसार नहीं है। किसी दूसरे मरीज से बदल गयी जो विपक्षी संख्या एक व तीन के स्टाफ और कर्मचारियों की घोर लापरवाही के कारण हुआ है। जब यह सुनिश्चित हो गया कि परिवादी को टी0बी0 नहीं है तो विपक्षी संख्या एक व तीन से शिकायत की। उन्होनें फिर जाँच की और टी0बी0 न होने की बात स्वीकार की, परन्तु मांगे जाने के बावजूद दुबारा जाँच के कागजात और एक्सरे प्लेट विपक्षी संख्या एक व तीन ने नहीं दी है। इससे यह सुनिश्चित हो गया कि विपक्षी संख्या एक व तीन ने गम्भीर लापरवाही व असावधानी की है।

इस मामले में हमने एक्‍स-रे रिपोर्ट का अवलोकन किया, जिसमें लिखा हुआ है कि एक बड़ा '' प्‍ल्‍यूरल इफ्यूजन '', फेंफड़े के पर्दे से सम्‍बन्धित रोग है। यह एक पतली झिल्‍लीदार थैली होती है, जो दोनों फैंफड़ों के चारों ओर होती है। फुफुस बहाव (प्‍ल्‍यूरल इफ्यूजन) एक आम झिल्‍ली की बीमारी होती है।

बहस के दौरान् जब अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता से पूछा गया कि इस सम्‍बन्‍ध में आपका दवा का पर्चा या ओ0पी0डी0 रजिस्‍टर कहॉं है तो वह इसका उत्‍तर नहीं दे सके। इस एक्‍स-रे रिपोर्ट के आधार पर उन्‍होंने मरीज को क्‍या सलाह दी, इसका भी कोई पर्चा पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं है। एक्‍स-रे रिपोर्ट और उसकी प्‍लेट मरीज को नहीं दी गयी, जबकि मरीज उनके यहॉं इलाज के लिए गया था, इसमें कोई सन्‍देह नहीं है। जब अपीलार्थीगण किसी प्रकार का कोई अभिलेख प्रस्‍तुत नहीं कर सके, तब विद्वान जिला आयोग ने प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया किन्‍तु इन समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि सम्‍मत है और इसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार वर्तमान अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।  

आदेश

वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-72/2015 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-12-2015 की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

      अपीलार्थीगण द्वारा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उस धनराशि को अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार एक माह में सम्‍बन्धित जिला आयोग को प्रेषित किया जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा उक्‍त धनराशि का निस्‍तारण  विधि अनुसार प्रश्‍नगत निर्णय के अनुपालन के सन्‍दर्भ में किया जा सके। 

उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

       (विकास सक्‍सेना)                   (राजेन्‍द्र सिंह)

             सदस्‍य                           सदस्‍य                    

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

       (विकास सक्‍सेना)                   (राजेन्‍द्र सिंह)

            सदस्‍य                            सदस्‍य                    

 

दिनांक : 07-03-2024.

 

 

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-1,

कोर्ट नं.-2.     

              

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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