मौखिक
अपील संख्या- 23/2019
जी०वी०के० इमरजेंसी मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट व अन्य बनाम सुनील कुमार
दिनांक- 27.02.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
वाद पुकारा गया। प्रस्तुत अपील विगत 04 वर्षों से लम्बित है। अनेकों तिथियों पर पूर्व में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित होते रहे, आज पुन: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस०पी० पाण्डेय उपस्थित हुए।
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी जी०वी०के० इमरजेंसी मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा परिवाद संख्या-36/2018 सुनील कुमार बनाम प्रबन्धक, जी०वी०के० इमरजेंसी मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट व अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, बलरामपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 01-11-2018 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
" परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मु0 25,000/-रू० दिनांक 17-02-2016 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा करें साथ ही विपक्षीगण को यह भी निर्देशित किया जाता है कि वे परिवादी को आर्थिक, मानसिक संताप हेतु क्षतिपूर्ति मु० 10,000/- रू० व वाद व्यय हेतु मु० 3000/- कुल 13,000/-रू० अदा करें। आदेश का अनुपालन आदेश प्राप्ति की तिथि से एक माह के अन्दर सुनिश्चित करें, अन्यथा आदेशित धनराशि आदेश की तिथि से 10 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज सहित
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देय होगी। परिवादी को निर्देशित किया जाता है कि वह अपने निजी खर्चे से विपक्षीगण को आदेश की प्रमाणित प्रति रजिस्टर्ड डाक से अविलम्ब उपलब्ध कराएं।"
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
मेरे द्वारा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक रूप से परीक्षण एवं परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि विद्वान जिला आयोग द्वारा उभय-पक्ष को सुनने के उपरान्त तथा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की समुचित रूप से विवेचना करने के उपरान्त निर्णय पारित किया गया है जो पूर्णत: विधि है। मेरे विचार से विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यक नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अनुपालन शत-प्रतिशत रूप से दो माह की अवधि में सुनिश्चित किया जावे।
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 1