राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-512/2013
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या 209/2001 में पारित आदेश दिनांक 27.02.2013 के विरूद्ध)
M/s Pepsico India Holdings Limited,
DCM, Corporate Park, Gurgaon (Haryana),
Pin Code 122002 ....................अपीलार्थी/विपक्षी सं01
बनाम
1. Nayak Sunil Kumar Agrahari, son of Sri Ram Avtar
Agrahari Ke Liye Zila Upbhokta Kalyan Society
Lanka, Varanasi.
2. M/s Champak Sweet Mart, Teliyabagh, Varanasi-2.
................प्रत्यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं02
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री रघुवंश पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 30.03.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-209/2001 नायक सुनील कुमार अग्रहरि बनाम मेसर्स पेपसिको इण्डिया होल्डिंग्स लिमिटेड व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 27.02.2013 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी मेसर्स पेपसिको इण्डिया होल्डिंग्स लिमिटेड की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्त परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को संयुक्त एवं एकाकी रूप से आदेशित किया है कि वे परिवादी को एक माह के भीतर दवा, इलाज एवं परेशानियों की क्षतिपूर्ति हेतु 8000/-रू0 व मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट हेतु 2000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 1000/-रू0 कुल 11,000/-रू0 की धनराशि अदा करें। इसके साथ ही जिला फोरम ने यह आदेशित किया है कि यदि यह धनराशि 11,000/-रू0 निर्धारित समय के अन्दर अदा नहीं की जाती है तो परिवादी परिवाद दाखिल करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक इस धनराशि पर 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री विकास सिंह और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री रघुवंश पाण्डेय उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि वह काशी विद्यापीठ बी0ए0 भाग-2 वर्ष 2001 की प्राइवेट परीक्षा देने वाराणसी फिरोजपुर (पंजाब) से आया था और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के छात्रसंघ भवन में रुका था। दिनांक 02.05.2001 को उसने चार बोतल मिरिण्डा,
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300 एम0एल0 का विपक्षी संख्या-2 मेसर्स चम्पक स्वीट मार्ट तेलियाबाग, वाराणसी से 44/-रू0 देकर खरीदा, जिसमें 16/-रू0 बोतल की वापसी पर उसे मिलना था। वह बोतल लेकर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय आया। तभी सूचना पाकर आवश्यक कार्यवश वह अपने घर नई बाजार कमालपुर जिला चन्दौली गया और अपने साथ मिरिण्डा की उपरोक्त बोतलें ले गया। रात में अपने परिवार के सदस्यों के साथ खाना-पीना करके मिरिण्डा की तीन बोतलों को खोलकर उसका उपभोग किया, जिससे उसके परिवार के चार सदस्य प्रात:काल होते-होते उल्टी और दस्त से परेशान हो गए और उनकी दो-तीन दिन दवा करनी पड़ी, जिससे परिवादी की परीक्षा भी प्रभावित हुई।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि चौथी बोतल जब देखा गया तो उसके अन्दर एक तुलसी पाउच जर्दा का पैकेट तैरता हुआ दिखायी दिया। तब उसकी समझ में आया कि मिरिण्डा के पेय सभी दूषित थे। इसी कारण उनकी तबियत खराब हो गयी थी। तब उसने उपभोक्ता कल्याण सोसायटी लंका वाराणसी को अपनी समस्या बताते हुए बोतल को सौंप दिया और उसे विधि के अनुसार मुकदमा करने हेतु निर्देशित किया। तदोपरान्त प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपभोक्ता कल्याण सोसायटी लंका वाराणसी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण संख्या-1 और 2 ने अपना अलग-अलग लिखित कथन प्रस्तुत किया है।
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विपक्षी संख्या-1 ने अपने लिखित कथन में कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी उसका उपभोक्ता नहीं है। दावा गलत तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। वह प्रश्नगत बोतल का निर्माता नहीं है। उसके द्वारा अच्छे तरीके से मैनूफैक्चरिंग प्रोसेस की जाती है।
विपक्षी संख्या-2 ने अपने लिखित कथन में कहा है कि उसने कोई भी पेय प्रत्यर्थी/परिवादी को नहीं बेचा है। उसने अपने लिखित कथन में यह भी कहा है कि न तो वह प्रत्यर्थी/परिवादी का विक्रेता है और न ही विपक्षी संख्या-1 का एजेंट है। उसके विरूद्ध परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया गया है।
जिला फोरम के समक्ष रामजनम राय वरिष्ठ अभियन्ता (परामर्श) जगतगंज वाराणसी की सत्यापन आख्या प्रस्तुत की गयी है, जिसमें यह सत्यापित किया गया है कि बोतल सीलबंद है और उसमें भरी द्रव का रंग नारंगी पीला है। बोतल को क्षैतिज दिशा में रखकर देखा गया तो उसमें तुलसी जर्दा पाउच स्पष्ट रूप से तैरता हुआ पाया गया। जिला फोरम के समक्ष चार बोतल मिरिण्डा की खरीद रसीद दिनांक 02.05.2001 प्रस्तुत की गयी है, जो चम्पक स्वीट मार्ट द्वारा जारी की गयी है।
समस्त साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त एवं मिरिण्डा की बोतल का निरीक्षण करने के उपरान्त जिला फोरम ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 उक्त बोतल मिरिण्डा का निर्माता है और प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या—2 ने उसे प्रत्यर्थी/परिवादी को
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बेचा है तथा सील्ड बोतल में तुलसी जर्दा पाउच तैरता हुआ पाया गया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि पत्रावली पर इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि प्रश्नगत मिरिण्डा की बोतल का निर्माण अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की कम्पनी द्वारा ही किया गया है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2, अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 का वितरक नहीं है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध जो आदेश पारित किया है, वह अनुचित और अवैधानिक है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने प्रश्नगत मिरिण्डा की बोतल का धारा-13 (1) (सी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत रासायनिक विश्लेषण नहीं कराया है। अत: रासायनिक विश्लेषण आख्या के अभाव में यह नहीं कहा जा सकता है कि प्रश्नगत मिरिण्डा दूषित है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है और मिरिण्डा की सील्ड बोतल में तुलसी जर्दा पाउच पाया गया है जैसा कि रामजनम राय वरिष्ठ अभियन्ता (परामर्श) जगतगंज वाराणसी की रिपोर्ट से स्पष्ट है और जैसा कि आक्षेपित
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निर्णय और आदेश में स्वयं जिला फोरम द्वारा अंकित किया गया है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 मेसर्स चम्पक स्वीट मार्ट से चार बोतल मिरिण्डा 44/-रू0 में खरीदने की रसीद प्रस्तुत की है, जो दिनांक 02.05.2001 की है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने यह रसीद प्रमाणित किया है। अत: यह मानने हेतु उचित और युक्तसंगत आधार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 मेसर्स चम्पक स्वीट मार्ट से मिरिण्डा की बोतल खरीदी है। जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से यह स्पष्ट है कि मिरिण्डा की यह बोतल सील्ड दशा में जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत की गयी है और इसमें LAHER MERNDA अंकित है तथा अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की फैक्ट्री का पता अंकित है। इस बात का समर्थन रामजनम राय वरिष्ठ अभियन्ता (परामर्श) जगतगंज वाराणसी की सत्यापन आख्या से भी होता है। चूँकि प्रश्नगत बोतल अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के उत्पाद LAHER MERNDA के समान है और निर्माता के रूप में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 का पता अंकित है, ऐसी स्थिति में यह भार अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 पर है कि वह साबित करे कि यह उत्पाद उसकी फैक्ट्री का नहीं है, परन्तु वह ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिखा सका है, जिससे यह प्रमाणित हो कि यह उत्पाद उसकी फैक्ट्री का नहीं है।
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अत: सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि प्रश्नगत मिरिण्डा बोतल का निर्माता अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 को मानने हेतु उचित और युक्तसंगत आधार है। परिवाद पत्र एवं परिवादी के शपथ पत्र तथा रामजनम राय वरिष्ठ अभियन्ता (परामर्श) जगतगंज वाराणसी की सत्यापन आख्या और न्यायालय द्वारा बोतल के निरीक्षण के बाद निर्णय में किए गए उल्लेख से यह स्पष्ट है कि मिरिण्डा की सील्ड बोतल में तुलसी जर्दा पाउच तैरता हुआ पाया गया है। अत: यह मानने योग्य उचित और युक्तसंगत आधार है कि प्रश्नगत मिरिण्डा के निर्माण और पैकिेंग में लापरवाही बरती गयी है, जो सेवा में कमी है।
उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 एवं प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 को प्रश्नगत मिरिण्डा के निर्माण पैकिंग बिक्री की त्रुटि के सम्बन्ध में जो दोषी माना है और उनके विरूद्ध जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है, वह उचित और विधिसम्मत है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
जिला फोरम द्वारा आरोपित क्षतिपूर्ति की धनराशि एवं ब्याज की दर उचित और युक्तसंगत है। इसे अधिक और आधार रहित नहीं कहा जा सकता है।
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सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर हम इस मत के हैं कि अपील बल रहित है और सव्यय निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील 5000/-रू0 (पांच हजार रूपया मात्र) वाद व्यय सहित निरस्त की जाती है। वाद व्यय की यह धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1, प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करेगा।
अपीलार्थी की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि ब्याज सहित जिला फोरम को विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1