Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/1668

Sahara India Pariwar - Complainant(s)

Versus

Sundar Singh - Opp.Party(s)

Neel Padamdhar

29 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/1668
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sahara India Pariwar
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sundar Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 29 Nov 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-1668/2009

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, उन्‍नाव द्वारा परिवाद संख्‍या-25/2007 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.08.2009 के विरूद्ध)

 

1. सहारा इण्डिया परिवार, ब्रांच आफिस-बीघापुर, सेक्‍टर-उन्‍नाव, नागेश्‍वर रोड, कस्‍बा-बीघापुर, पोस्‍ट एण्‍ड तहसील-बीघापुर, जिला उन्‍नाव द्वारा ब्रांच मैनेजर।

2. कर्तव्‍य काउंसिल, सहारा इण्डिया परिवार, 2-कपूरथला काम्‍प्‍लेक्‍स, लखनऊ द्वारा असिस्‍टेण्‍ट डायरेक्‍टर द्वारा अथराइज्‍ड सिग्‍नेचरी।

                                      अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम्     

श्री सुन्‍दर सिंह वर्मा पुत्र श्री रामदीन, निवासी छमियानी, पोस्‍ट छमियानी, तहसील पुरवा, जिला उन्‍नाव।

                               प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से  : श्री आलोक कुमार श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से      : श्री अशोक कुमार वर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक 23.02.2018

 

मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

अपीलार्थीगण द्वारा यह अपील, परिवाद संख्‍या-25/2007, सुन्‍दर सिंह बनाम सहारा इण्डिया परिवार व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, उन्‍नाव द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.08.2009 से क्षुब्‍ध होकर योजित की गयी है। प्रश्‍नगत आदेश जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् पारित किया गया है :-

'' परिवाद एतद्द्वारा स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को बाण्‍ड धारक स्‍वर्गीय सावित्री देवी के बाण्‍ड कीमत 8,000/- रूपये पर मिलने वाली अतिरिक्‍त पांच प्रतिशत लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स की धनराशि 24,000/- रूपये अदा करें तथा क्षतिपूर्ति हेतु मु0 रूपये 15,000/- की राशि अदा करें। इस दोनों राशियों पर परिवादी परिवाद योजित करने की तिथि 20-01-2007 से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत सालाना साधारण ब्‍याज पाने का अधिकारी होगा। परिवाद व्‍यय के रूप में परिवादी विपक्षीगण से 1500/- रूपये की राशि पाने का अधिकारी होगा। ''

प्रस्‍तुत प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी की पत्‍नी श्रीमती सावित्री देवी ने अपने जीवनकाल में सहारा इण्डिया परिवार की डी स्‍कीम के अन्‍तर्गत दिनांक 31.10.2000 को विपक्षी संख्‍या-1 की शाखा बीघापुर से एक बाण्‍ड रू0 8000/- का क्रय किया, जिसकी परिपक्‍वता तिथि दिनांक 31.10.2006 थी। बाण्‍ड की यह भी शर्त थी कि यदि बाण्‍ड जारी होने की तिथि के 12 माह बाद बाण्‍डधारक की मृत्‍यु हो जाती है तो बाण्‍ड की कीमत रू0 8000/- पर पांच प्रतिशत अतिरिक्‍त लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स के रूप में भी धनराशि बाण्‍डधारक को देय होगी। दिनांक 03.02.2002 को बाण्‍डधारक सावित्री देवी स्‍टोव से खाना बनाते समय जल गई और इलाज के दौरान दिनांक 09.02.2002 को मेमोरियल एण्‍ड एसोसियेटेड हॉस्पिटल लखनऊ में उसकी मृत्‍यु हो गयी, जिसकी सूचना पुलिस को भी दी गयी। परिवादी ने बाण्‍डधारक की मृत्‍यु के उपरांत बाण्‍ड राशि के भुगतान के लिए विपक्षीगण के समक्ष आवेदन किया तो विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा रू0 8000/- का दूसरा बाण्‍ड परिवादी की पुत्री कु0 आरती के नाम जारी कर दिया, किन्‍तु ब्‍याज देने से इंकार कर दिया, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रश्‍नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।

विपक्षीगण की ओर से परिवाद पत्र का विरोध करने हेतु कोई लिखित अभिकथन दाखिल नहीं किया गया। अत: उनके विरूद्ध एकपक्षीय परिवाद की सुनवाई की गयी। जिला फोरम द्वारा उपरोक्‍त आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.08.2009 पारित किया गया।

उक्‍त आक्षेपित आदेश दिनांक 24.08.2009 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत हुई। अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार श्रीवास्‍तव एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक कुमार वर्मा उपस्थित हुए। उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तार से सुना गया एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने मुख्‍य रूप से यह तर्क प्रस्‍तुत किया कि प्रस्‍तुत प्रकरण में इण्डिया कामर्शियल कारपोरेशन लि0 आवश्‍यक पक्षकार हैं, किन्‍तु उन्‍हें परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है। अपीलार्थी ने जिला फोरम के समक्ष अपना जवाबदावा दाखिल किया था, किन्‍तु जिला फोरम ने उस पर बिना विचार किये एकपक्षीय निर्णय एवं आदेश पारित कर दिया। जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण के अधिवक्‍ता की लापरवाही के कारण विपक्षीगण का लिखित जवाबदावा समय से दाखिल नहीं हो सका, जिसके लिए अपीलार्थीगण का कोई दोष नहीं है। दिनांक 28.05.2009 को अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से स्‍थगन प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिस पर परिवादी/प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता द्वारा विरोध करने पर जिला फोरम ने स्‍थगन प्रार्थना पत्र को निरस्‍त कर दिया था। परिवादी का दावा सिद्ध नहीं होने के बावजूद जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार किया है। परिवादी बाण्‍डधारक की सामान्‍य मृत्‍यु सिद्ध नहीं कर सका। परिवादी ने पूर्ण एवं अन्तिम भुगतान प्राप्‍त कर लिया है, इसके बावजूद परिवाद दाखिल किया है। जिला फोरम ने पालिसी की शर्तों का परीक्षण किये बगैर ही निर्णय दिया है। योजना की शर्तों के क्‍लाज 12 के अनुसार किसी विवाद का निपटारा विवाद विवाचन (आरबिट्रेशन) द्वारा किया जायेगा एवं क्‍लाज 9 के अनुसार मृत्‍यु उपरांत सहायता की रकम पर भी विचार नहीं किया। क्‍लाज 8, मृत्‍यु सहायता की शर्तों पर भी विचार नहीं किया। परिवादी ने एफआईआर, पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट, पुलिस इन्‍वेस्टिगेशन रिपोर्ट एवं आदेश की प्रति दाखिल नहीं की है। यह मामला ऋण भुगतान से सम्‍बन्धित है। ऋण संस्‍था की संतुष्टि पर स्‍वीकार किया जाता है। विवेकाधीन किसी कोर्ट या फोरम द्वारा नहीं जारी किया जा सकता है। जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश सही एवं उचित नहीं है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि बीमाधारक की मृत्‍यु स्‍टोव से खाना बनाते समय आग लगने के कारण हुई है, जिसकी पुलिस अधीक्षक द्वारा जांच की गयी है। पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट से यह साबित है। पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट में घर में खाना बनाते समय आग लगना अंकित है। जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश सही एवं उचित है।

आधार अपील एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह तथ्‍य विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी की पत्‍नी स्‍व0 सावित्री देवी ने अपने जीवनकाल में अपीलार्थी/विपक्षी सहारा परिवार की डी स्‍कीम योजना में दिनांक 31.10.2000 को एक बाण्‍ड रू0 8000/- का क्रय किया था, जिसकी परिपक्‍वता तिथि दिनांक 31.10.2006 थी। बाण्‍ड में एक शर्त यह भी थी कि बाण्‍ड जारी होने के 12 माह के अन्‍दर यदि बाण्‍डधारक की मृत्‍यु हो जाती है तो बाण्‍ड की धनराशि 8000/- रू0 पर 5 प्रतिशत अतिरिक्‍त लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स के रूप में धनराशि बाण्‍डधारक को देय होगी तथा 8000/- रू0 की राशि मय ब्‍याज भुगतान होगी। दिनांक 31.10.2006 को बाण्‍डधारक के जीवित रहने की स्थिति में बाण्‍ड की परिपक्‍वता धनराशि रू0 16,000/- बाण्‍डधारक को मिलने थे, किन्‍तु बाण्‍डधारक की दिनाक 03.02.2002 को स्‍टोव पर खाना बनाते समय आग लगने के कारण मृत्‍यु हो गयी। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी ने इण्डियन कामर्शियल कारपोरेशन लि0 को पक्षकार नहीं बनाया है। यह तर्क स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि बीमा पालिसी सहारा इण्डिया परिवार की शाखा बीघापुर से ली गयी थी, जो परिवाद में पक्षकार बनाये गये हैं। इण्डियन कामर्शियल कारपोरेशन लि0 से कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है। अपीलार्थी का यह तर्क है कि परिवादी अपीलार्थीगण का उपभोक्‍ता नहीं है, स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि परिवादी की पत्‍नी ने अपीलार्थी से बीमा पालिसी क्रय की है, जिसके आधार पर उपभोक्‍ता एवं सेवादाता का सम्‍बन्‍ध स्‍थापित होता है। अपीलार्थी का यह तर्क है कि अधिवक्‍ता की लापरवाही के कारण वह जिला फोरम में प्रतिवाद पत्र समय से दाखिल नहीं कर सका, भी स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि प्रतिवाद पत्र दाखिल करना विपक्षी का स्‍वंय का दायित्‍व है। अपीलार्थीगण का यह तर्क भी स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है कि तिथि स्‍थगन प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिसे जिला फोरम ने अस्‍वीकार कर मुकदमें में एक पक्षीय सुनवाई करते हुए निर्णय पारित किया है, क्‍योंकि अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षीगण ने अपना लिखित अभिकथन प्रस्‍तुत नहीं किया। अपीलार्थीगण का यह तर्क कि योजना के क्‍लाज 8 व 9 पर जिला फोरम ने विचार नहीं किया है। सुलभ सन्‍दर्भ हेतु क्‍लाज 8 व 9 को निम्‍नानुसार उद्धरण किया जा रहा है :-

क्‍लाज 8 मृत्‍योपरांत सहायता (डेथहेल्‍प) -

मृतक बाण्‍डधारक का मनोनीत उत्‍तराधिकारी निम्‍नांकित शर्तों के आधार पर सहायता पाने का हकदार होगा।

  1. मृत्‍यु के समय बॉन्‍डधारक की आयु 15 से 65 वर्षके मय रही हो।
  2. बॉन्‍डधारक की मृत्‍यु बॉन्‍ड क्रय करने के 12 माह (365 दिन) बाद एवं बॉन्‍ड की अवधि पूरी होने से पहले हुई हो।
  3. बॉन्‍डधारक की मृत्‍यु आत्‍महत्‍या अथवा न्‍यायालय द्वारा निर्धारित मृत्‍युदण्‍ड के कारण न हुई हो।
  4. बॉन्‍डधारक की मृत्‍यु साम्‍प्रदायिक दंगों अथवा युद्ध के कारण न हुई हो।
  5. बॉन्‍डधारक बॉन्‍ड के लिये आवेदन करने के दिन के पूर्व तीन साल के अन्‍दर किसी घातक/असाध्‍य बीमारी से पीडि़त न रहा हो, मृत्‍योपरान्‍त सहायता प्राप्‍त करने के लिए मनोनीत उत्‍तराधिकारी इस सम्‍बन्‍ध में प्रामाणिक और विश्‍वसनीय दस्‍तावेज प्रस्‍तुत करेंगे जिसके साथ बॉन्‍डधारक का जम्‍न प्रमाण पत्रतथा मृत्‍यु से सम्‍बन्धित प्रमाण भी कम्‍पनी को संतुष्टि अनुरूप प्रस्‍तुत करना होगा।

क्‍लाज 9 मृत्‍योपरांत सहायता (डेथहेल्‍प) की रकम

बॉन्‍डधारक की मृत्‍यु होने पर, मृतक बॉन्‍डधारक द्वारा लिये गये बॉन्‍ड के अंकित मूल्‍य को उसे स्‍टेज के ब्‍याज दर से गणना कर मृतक बॉन्‍डधारक द्वारा सिक्‍योर्ड लोन के अन्‍तर्गत ली गयी राशि एवं ब्‍याज राशि के समायोजन के लिए (यदि कोई है, तो) कटौती करके शेष रकम मनोनीत उत्‍तराधिकारी को कम्‍पनी द्वारा प्रदान की जायेगी।

इसके अतिरिक्‍त बॉन्‍डधारक के मनोनीत उत्‍तराधिकारी को बॉन्‍ड के अंकित मूल्‍य की 5 प्रतिशत राशि प्रतिमाह 60 माह तक मृत्‍योपरांत सहायता के रूप में देय होगी।

घोषित उत्‍तराधिकारी केवल अपनी व्‍यक्तिगत जमानत देकर मृत्‍योपरांत सहायता की सुविधा प्राप्‍त कर सकते हैं। मृत्‍योपरांत सहायता के रूप में प्राप्‍त की गयी रकम के भुगतान के लिए 16 वर्ष का समय दिया जाएबा। इस रकम पर कोई ब्‍याज नहीं लिया जाएगा और इसकी वापसी की शुरूआत मृत्‍योपरांत सहायता प्राप्‍त करने के पांच वर्ष के अवधि तक करना अनिवार्य होगा।

उपरोक्‍त क्‍लाज 8 में मृत्‍युपरान्‍त सहायता दिये जाने सम्‍बन्‍धी शर्तों का उल्‍लेख है। क्‍लाज 9 में मृत्‍युपरान्‍त सहायता के रूप में दी जाने वाली रकम तथा उसके प्रकार का उल्‍लेख है। अर्थात् उक्‍त सहायता किस प्रकार दी जानी है। उक्‍त सहायता एक ऋण के रूप में दिये जाने का उल्‍लेख है, जिस पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा। यह सहायता राशि लाभार्थी को 16 वर्ष की अवधि में वापिस करनी होगी। डेथ हेल्‍प सुविधा बाण्‍ड पर अंकित राशि का 300 प्रतिशत तक दी जा सकती है।

उपरोक्‍त के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि बाण्‍ड पर अंकित धनराशि रू0 8000/- है। इस  प्रकार रू0 24,000/- तक मृत्‍युपरान्‍त धनराशि ऋण के रूप में सहायता दी जा सकती थी। बाण्‍ड में लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स का कोई उल्‍लेख नहीं है। विद्वान जिला फोरम ने इस राशि को लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स की राशि मानकर त्रुटि की है।

ऋण के रूप में सहायता देने का अपीलार्थीगण का अपना विवेक है। यदि वह ऋण के रूप में सहायता नहीं देना चाहता है तो ऋण ग्रहीता उसे जबरन ऋण देने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। जहां तक बाण्‍ड की राशि रू0 8000/- तथा उस पर ब्‍याज का प्रश्‍न है, वह अपीलार्थीगण भुगतान करने के लिए बाध्‍य हैं।

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि परिवादी बाण्‍ड की धनराशि रू0 8000/- अध्‍यावधिक ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने का अधिकारी है। जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश संशोधित होने योग्‍य है। अत: अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने जाने योग्‍य है।

आदेश

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत आदेश उपरोक्‍त विवेचना के आलोक में संशोधित किया जाता है। अपीलार्थीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बाण्‍ड की राशि रू0 8000/- तथा उस पर 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद दायर करने की तिथिसे वा‍स्‍तविक भुगतान करने की तिथि तक ब्‍याज का भुगतान करें तथा मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5000/- तथा परिवाद व्‍यय के रूप में रू0 3000/- का भुगतान भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को किया जाये। उपरोक्‍त उल्लिखित धनराशि का भुगतान इस आदेश के पारित होने की तिथि के 30 दिन की अवधि में किया जाये अन्‍यथा 30 दिन की अवधि के बाद उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि पर 6 प्रतिशत अतिरिक्‍त ब्‍याज देय होगा।

 

 

        (संजय कुमार)                        (महेश चन्‍द)

            पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-4    

 
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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