(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 927/2017
1. Sun Eye Hospital & Lasik Surgery center 57-B Singar nagar, Almabagh Lucknow.
2. Dr. Sudhir srivastava aged about 47 years S/o Sri P.k. verma R/o 57-B Singar nagar, Almabagh Lucknow.
……….. Appellants
Versus
Amit kumar ruhela S/o Shyam sunder ruhela R/o H. No.- 551/Chha/32 New Sardari khera Almabagh Lucknow
……… Respondent
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सनंदन कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल,
विद्वान अधिवक्ता।
एवं
अपील सं0- 935/2017
Amit kumar ruhela S/o Sri Shyam sundar ruhela R/o 551 Chha/32 Naya Sardari khera Alambagh Lucknow
……….. Appellant
Versus
1. Sun Eye Hospital & Lasik Laser Center, 57-B Singar nagar, Alambagh Lucknow.
2. Dr. Sudhir srivastava, Sun Eye Hospital & Lasik Laser Center, 57-B Singar nagar, Alambagh Lucknow.
……Respondents
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री सनंदन कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 25.11.2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 175/2013 अमित कुमार रूहेला बनाम Sun Eye Hospital & Lasik Laser Center व एक अन्य में जिला फोरम द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 21.04.2017 के विरुद्ध उपरोक्त अपील सं0- 927/2017 Sun Eye Hospital & Lasik Laser Center व अन्य बनाम अमित कुमार रूहेला परिवाद के विपक्षीगण ने और उपरोक्त अपील सं0- 935/2017 अमित कुमार रूहेला बनाम Sun Eye Hospital & Lasik Laser Center व अन्य परिवाद के परिवादी ने धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है।
आक्षेपित निर्णय व आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्त एवं एकल रूप से आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्ताह के अंदर परिवादी को रू0 77000/- (सत्हत्तर हजार) जो कि उसका इलाज के दौरान व्यय हुआ है मय 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ दावा दाखिल करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण संयुक्त एवं एकल रूप में परिवादी को मानसिक क्लेश हेतु रू020,000/- (बीस हजार) उसकी आंख डेमेज होने की क्षति रू0 10,00,000/- (दस लाख) तथा रू0 5000/- (पांच हजार) वाद व्यय अदा करें, यदि विपक्षीगण उक्त निर्धारित अवधि के अंदर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं करते हैं तो विपक्षीगण को समस्त धनराशि पर उक्त तिथि से ता अदायेगी तक 12 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करना पड़ेगा।‘’
जिला फोरम के निर्णय व आदेश से उभय पक्ष संतुष्ट नहीं हैं। अत: परिवादी ने उपरोक्त अपील प्रस्तुत कर परिवाद पत्र में याचित सम्पूर्ण अनुतोष प्रदान करने का अनुरोध किया है, जब कि परिवाद के विपक्षीगण ने उपरोक्त अपील प्रस्तुत कर जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त करने का निवेदन किया है।
अपील की सुनवाई के समय दोनों अपील में परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सनंदन कुमार मिश्रा उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
दोनों अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी अमित कुमार रूहेला ने विपक्षीगण Sun Eye Hospital & Lasik Laser Center एवं डॉ0 सुधीर श्रीवास्तव के विरुद्ध परिवाद इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपनी आंख विपक्षी सं0- 2 डॉ0 सुधीर श्रीवास्तव को दिखाया तो उन्होंने बताया कि आंख का पावर अधिक है। इस कारण आंख का लेजर ऑपरेशन करना होगा जिससे आंख पूरी तरह से ठीक हो जायेगी। इस कार्य हेतु उसका 25,000/-रु0 लगेगा। अत: उनकी बात पर विश्वास कर परिवादी ने 25,000/-रु0 उनके अस्पताल में जमा किया तब दि0 19.06.2010 को डॉ0 सुधीर श्रीवास्तव ने उसकी दोनों आंख का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के समय बांयी आंख में खून आ गया और परिवादी के पूछने पर विपक्षी सं0- 2 ने बताया कि यह सामान्य बात है। आंख में परेशानी नहीं होगी, परन्तु तीन दिन बाद भी उसकी आंख ठीक नहीं हुई तब वह पुन: जांच के लिए विपक्षी सं0- 2 के पास गया तो उसने बताया कि दूर की रोशनी अभी कम है। उसके कुछ दिन बाद आंख में रोशनी की तीव्रता की जांच परिवादी ने विपक्षी सं0- 2 के अस्पताल में करायी तो बांयी आंख में 9.5 व दांयी आंख में 5.5 पावर था। उसके बाद परिवादी विपक्षी सं0- 2 से पुन: मिला तो उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे सामान्य हो जायेगा, परन्तु उसकी बांयी आंख से धुंधलापन दिखायी देने लगा। वह पुन: विपक्षी सं0- 2 से सम्पर्क किया तो जांच के उपरांत उन्होंने बताया कि आंख का पर्दा हट गया है जिसका फिर से ऑपरेशन करना पड़ेगा और इसमें 33,000/-रु0 व्यय होगा तब परिवादी ने पुन: 33,000/-रु0 उनके अस्पताल में जमा किया और दि0 14.11.2011 को परिवादी का ऑपरेशन गैस विधि से किया गया तथा दूसरे दिन डिस्चार्ज किया गया, फिर भी उसकी आंख की समस्या का समाधान नहीं हुआ। वह पुन: विपक्षी सं0- 2 से मिला तब उन्होंने बताया कि गैस का ऑपरेशन सफल नहीं हुआ है अब उसकी आंख का ऑपरेशन सिलीकान आयल द्वारा किया जायेगा और इस कार्य हेतु उन्होंने उससे 8,000/-रु0 और जमा कराया, फिर भी उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ और विपक्षी सं0- 2 के कहने पर विवश होकर वह मुम्बई स्थित बडाला शहर के आदित्य अस्पताल गया जहां पर डॉ0 एस0 नटराजन ने बताया कि कई बार ऑपरेशन होने से उसकी आंख खराब हो गई है तब परिवादी वापस आया और विपक्षी सं0- 2 से मिला तो उन्होंने उसके साथ दुर्व्यवहार किया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसकी आंख की प्राकृतिक स्थिति बिल्कुल बदल गई है। आंख छोटी हो गई है, अंदर की तरफ धंस गई है। उसे आंख से कुछ दिखायी नहीं देता है। आंख में दर्द बना रहता है, जिससे उसका पूरा भविष्य अंधकारमय हो गया है। अत: विपक्षी सं0- 2 व उसके अस्पताल की सेवा से क्षुब्ध होकर परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी सं0- 2 ने लिखित कथन प्रस्तुत कर स्वीकार किया कि उनके यहां परिवादी की आंख का ऑपरेशन हुआ है। लिखित कथन के अनुसार दूसरी बार आंख का ऑपरेशन डॉ0 मोहित खेम चन्दानी ने किया है।
लिखित कथन में विपक्षी सं0- 2 ने कहा है कि दि0 17.06.2010 को परिवादी दोनों आंख में जलन और बहुत नजदीक व दूर की नजर की कमी की शिकायत के साथ उनके पास आया था। परिवादी की आंख को जब विपक्षी द्वारा चेक किया गया तो उसकी दांयी आंख की रोशनी -13 पायी गई तथा बांयी आंख की रोशनी -18 पायी गई जो High Mayopia के नाम से जाना जाता है। अत: परिवादी को बताया गया कि लैसिक सर्जरी से -10 डायोप्टर का सुधार हो सकता है। उसके बाद उसकी आंख का ऑपरेशन दि0 19.06.2010 को किया गया जिसमें उसकी आंख की रोशनी बिना चश्में के दाहिनी आंख -13 से -2.75 और बांयी आंख -18 से -5.50 हो गई। लिखित कथन के अनुसार ऑपरेशन के बाद परिवादी को सलाह दी गई कि नजदीक की रोशनी के लिए उसे चश्में का प्रयोग करना है और बराबर रूटीन में आंखों की जांच समस्या होने पर कराना है। उसके बाद दि0 26.07.2014 को परिवादी, विपक्षी के अस्पताल में आया तो उसकी दोनों आंखों में कोई परेशानी व शिकायत नहीं थी। उसने आंखों से खून आने की बात कभी नहीं की थी और यह एक सामान्य प्रक्रिया है न की लापरवाही है।
लिखित कथन में विपक्षी सं0- 2 ने कहा है कि उसने परिवादी को बताया था कि लैसिक सर्जरी के बाद उसे कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग नहीं करना था, लेकिन बिना चिकित्सीय राय के उसने कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग करना प्रारम्भ कर दिया वह High Mayopia का मरीज था और ऑपरेशन के बाद कॉन्टेक्ट लेंसेस के प्रयोग के कारण रेटिना पर दबाव पड़ा जिससे रेटिना डिटेच हो गई।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि विपक्षी सं0- 2 परिवादी के आंख के इलाज व ऑपरेशन में लापरवाही की है और सेवा में कमी की है, जिससे उसकी एक आंख पूर्णत: डेमेज हो गई है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया जो जो ऊपर अंकित है।
परिवादी के विद्वान अधिवकता का तर्क है कि विपक्षी सं0- 2 ने उसकी आंख के इलाज और ऑपरेशन में लापरवाही एवं चिकित्सीय चूक की है जिससे उसकी बांयी आंख खराब हो गई है। अत: जिला फोरम ने विपक्षीगण की सेवा में जो कमी माना है वह उचित है, परन्तु जिला फोरम ने जो अनुतोष प्रदान किया है वह कम है। परिवादी को परिवाद पत्र में याचित सम्पूर्ण अनुतोष दिलाया जाए।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विपक्षी सं0- 2 ने परिवादी की आंख के ऑपरेशन व इलाज में कोई कमी नहीं की है। उसकी आंख में जो खराबी आयी है वह उसकी असावधानी के कारण आयी है। जिला फोरम का निर्णय और आदेश आधार रहित और विधि विरुद्ध है। विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत अपील स्वीकार कर जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाना आवश्यक है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवादी की ओर से प्रथम अपील सं0- 170/2013 Ms. Prasanna Lakshmi Versus Maxivision Laser Center Pvt. Ltd. में राज्य आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 05 अप्रैल 2019 संदर्भित किया गया है जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग ने Medical literature एवं Medical Prescription के आधार पर माना है कि लैसिक सर्जरी के बाद Decentred ablation Lasic Treatment आंख की पुतली पर उचित ढंग से केन्द्रित न करने के कारण होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय का संगत अंश नीचे उद्धृत है:-
The medical literature and the Prescription of L.V. Prasad Eye Institute depicts “decentred ablation post Lasik.” The Medical literature shows that “Decentred Ablation is an Infrequent Complication of Lasik Surgery which occurs when the Lasik treatment is not properly centred over the pupil. The Post Lasik complications which occurred were neither explained to the Patient nor were the requisite steps taken to educate the Patient about the prognosis, to enable her to exercise her choice of opting for any line of treatment which perhaps would rectify the situation. The Treating Doctor not only kept her in the dark about the treatment for microstriae and the prognosis thereof, but also did not take reasonable care to avoid decentred ablation.
उभय पक्ष के अभिकथन से स्पष्ट है कि यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी की दोनों आंखों का लैसिक ऑपरेशन विपक्षी सं0- 1 अस्पताल में विपक्षी सं0- 2 ने दि0 19.06.2010 को किया और उसके बाद परिवादी की बांयी आंख की रेटिना डिटेच हुई है जिसका ऑपरेशन दि0 14.11.2010 को विपक्षी सं0- 1 के अस्पताल में हुआ है। परिवाद के विपक्षी सं0- 2 डॉक्टर सुधीर श्रीवास्तव ने जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत लिखित कथन में कहा है कि लैसिक ऑपरेशन के बाद परिवादी द्वारा कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग करने से बांयी आंख की रेटिना डिटेच हुई है।
विपक्षी सं0- 1 के अस्पताल की डिस्चार्ज समरी जो परिवादी के लैसिक ऑपरेशन दि0 19.06.2010 की है विपक्षी सं0- 2 द्वारा हस्ताक्षरित है। इसमें Post Operation Management में एक मात्र Precaution on अंकित है ’’Avoid water in the operative eye for one week” कॉन्टेक्ट लेंस न प्रयोग करने की सलाह अंकित नहीं है। अत: यदि विपक्षीगण का यह कथन स्वीकार किया जाये कि लैसिक ऑपरेशन के बाद कॉन्टेक्ट लेंस प्रयोग नहीं करना था, परन्तु परिवादी ने कॉन्टेक्ट लेंस प्रयोग किया जिससे रेटिना डिटेच हुआ है तब भी विपक्षी सं0- 2 की चिकित्सीय चूक स्पष्ट है, क्योंकि डिस्चार्ज समरी में कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग न करने की कोई सलाह अंकित नहीं है।
परिवादी के ऑपरेशन दि0 14.11.2011 के ऑपरेशन की डिस्चार्ज समरी भी विपक्षी सं0- 2 द्वारा हस्ताक्षरित है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है कि यह ऑपरेशन उसने नहीं किया है। दूसरे डॉक्टर ने किया है।
विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी ने लैसिक ऑपरेशन के बाद कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग किया जिससे बांयी आंख का रेटिना डिटेच हुआ, परन्तु यह मानने हेतु कोई साक्ष्य या आधार नहीं है जब कि माननीय राष्ट्रीय आयोग के उपरोक्त निर्णय में उल्लिखित Medical literature से स्पष्ट है कि रेटिना Detachment लैसिक सर्जरी के दोष के कारण सम्भावित है।
परिवादी का विपक्षी सं0- 1 के अस्पताल में एक बार लैसिक ऑपरेशन, एक बार गैस द्वारा ऑपरेशन और एक बार सिलीकान आयल द्वारा ऑपरेशन किया गया है फिर भी आंख की रोशनी ठीक नहीं हुई है और बांयी आंख खराब हो गई है।
उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत मैं इस मत का हूँ कि यह मानने हेतु उचित आधार है कि परिवाद के विपक्षी सं0- 1 अस्पताल के डॉक्टर विपक्षी सं0- 2 ने परिवादी की आंख की लैसिक सर्जरी में चिकित्सीय चूक व लापरवाही की है जिससे उसकी बांयी आंख खराब हुई है। जिला फोरम ने परिवादी की आंख के इलाज में विपक्षीगण की जो चिकित्सीय चूक माना है वह आधारयुक्त है। जिला फोरम के निष्कर्ष में हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
परिवाद पत्र में परिवादी ने निम्न अनुतोष चाहा है:-
1. यह कि परिवादी को 66,000/-रु0 व 10,000/-रु0 की दवा कुल 77,000/-रु0 मय 18 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाया जाए।
2. यह कि विपक्षी द्वारा आंख में बरती गई लापरवाही, सेवा की कमी, भाग-दौड़, मानसिक कष्ट के मद में 17,00,000/-रु0 (सत्रह लाख रूपया) दिलाया जाए।
3- यह कि परिवादी को 25,000/-रू0 वाद व्यय व अन्य अनुतोष जो फोरम उचित समझे भी दिलाया जाए।
परिवाद पत्र में याचित अनुतोष और सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए जिला फोरम द्वारा प्रदान की गई अनुतोष उचित है। इसमें कोई कमी या बढ़ोत्तरी नहीं है।
माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा अपील सं0- 170/2013 Ms. Prasanna Lakshmi Versus Maxivision Laser Center Pvt. Ltd. के उपरोक्त निर्णय में क्षतिपूर्ति 50,00,000/-रु0 दिया है, परन्तु वर्तमान प्रकरण में परिवादी ने कुल क्षतिपूर्ति 17,00,000/-रु0 मांगा है। अत: जिला फोरम द्वारा प्रदान की गई क्षतिपूर्ति की धनराशि रू0 10,00,000/- उचित है।
उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत दोनों अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
उपरोक्त अपील सं0- 927 वर्ष 2017 Sun Eye Hospital Lasik Surgery center व एक अन्य बनाम अमित कुमार रूहेला एवं अपील सं0- 935 वर्ष 2017 अमित कुमार रूहेला बनाम Sun Eye Hospital & Lasik Surgery center व एक अन्य दोनों निरस्त की जाती हैं।
दोनों अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उपरोक्त अपील सं0- 927 वर्ष 2017 में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0- 927/2017 में रखी जाए एवं इसकी प्रमाणित प्रति अपील सं0- 935/2017 में रखी जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1