Uttar Pradesh

Faizabad

CC/146/2006

Yatendra Kumar - Complainant(s)

Versus

Sun Enterptises - Opp.Party(s)

03 Jun 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/146/2006
 
1. Yatendra Kumar
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Sun Enterptises
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-146/2006

               
यतेन्द्र कुमार अग्रहरि आयु लगभग 23 साल पुत्र श्री गौरी प्रसाद अग्रहरि निवासी गुडि़या रोड साहबगंज षहर व जिला फैजाबाद                            .............. षिकायतकर्ता
बनाम
1.    प्रबन्धक सन इन्टर प्राइजेज युनियन बैंक अहाता मोतीबाग बजाजा फैजाबाद।
2.    कैलाष इन्टर प्राइजेज रिलायन्स इण्डिया मोबाइल गंाधीनगर नाका फैजाबाद। 
3.    प्रीपेड एरिया मैनेजर रिलायन्स इण्डिया मोबाइल देवकाली रोड फैजाबाद।  
                                                            ..........  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 03.06.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 के प्रतिश्ठान से एक मोबाइल सेट एल जी एच एस 10110971273 माडल नम्बर 5340 रुपये 3,300/- का खरीदा जिसमें रुपये 660/- का कूपन वाउचर भी भरवाया और मोबाइल नम्बर 9336251494 को विपक्षी संख्या 1 ने एक्टीवेट कर दिया तथा बताया और लिखित दिया कि परिवादी के मोबाइल पर एक वर्श तक इनकमिंग काल की सुविधा रहेगी। परिवादी के मोबाइल पर दिनांक 19.05.2006 को सूचना दी गयी कि परिवादी ने पेपर्स जमा नहीं किये हैं इसलिये परिवादी का सेट बन्द किया जाता है। परिवादी ने सभी औपचारिकतायें पूरी कर के मोबाइल सेट खरीदा था और जंाच के बाद ही विपक्षीगण ने परिवादी का सेट एक्टीवेट किया था। विपक्षी संख्या 2 से षिकायत करने पर परिवादी का मोबाइल दिनांक 22 मई 2006 से 2 जून 2006 तक कार्य करता रहा। दिनांक 3 जून 2006 को परिवादी का मोबाइल विपक्षीगण ने बिना किसी सूचना के बन्द कर दिया। जब कि परिवादी के मोबाइल में बैलेंस भी था। परिवादी एकाउन्टैंसी का काम करता है जिससे उसका कार्य भी प्रभावित हुआ तथा विपक्षीगणों के कई चक्कर लगाये फिर भी परिवादी का मोबाइल चालू नहीं हुआ। इस प्रकार विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कमी की है। विपक्षीगण से परिवादी का मोबाइल एक्टीवेट कराया जाय, क्षतिपूर्ति रुपये 65,000/- तथा परिवाद व्यय रुपये 5,000/- दिलाया जाय। 
    विपक्षी संख्या 3 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा कथित किया है कि उपभोक्ता के आवेदन प्रार्थना पत्र की धारा 9(1) के अनुसार परिवादी अपना परिवाद मुम्बई मंे ही दाखिल कर सकता है। उत्तरदाता ने किसी प्रकार के अनुबन्ध की अवहेलना नहीं की है। परिवादी अन्यत्र भी अनुतोश पाने की प्रार्थना कर सकता है। परिवादी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत नहीं आता है। परिवादी कामर्षियल उद्देष्य की पूर्ति के लिये अपने मोबाइल का उपयोग कर रहा था। इसलिये परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी ने क्षतिपूर्ति मांगने का कोई आधार नहीं बताया है जो कि बहुत ज्यादा है। विपक्षी ने परिवादी को मोबाइल दिया जाना स्वीकार किया है तथा कहा है कि परिवादी ने अपना आईडंेन्टिटी पू्रफ नहीं दिया था इसलिये परिवादी का मोबाइल बन्द कर दिया गया। परिवादी की षिकायत पर और आष्वासन पर कि निर्धारित समय में परिवादी विपक्षी को अपना आईडैंटिटी प्रूफ दे देगा तब परिवादी का मोबाइल चालू कर दिया गया था किन्तु परिवादी ने पुनः निर्धारित समय में अपनी आइडैंटिटी प्रूफ नहीं दिया था इसलिये परिवादी का मोबाइल डिस्कनेक्ट कर दिया गया। उत्तरदातागण के रिकार्ड के अनुसार परिवादी ने अभी भी अपना आईडैंटिटी प्रूफ विपक्षीगण को नहीं दिया है। इसलिये परिवादी का मोबाइल बन्द कर दिया गया है। परिवादी जैसे ही अपना आईडैंटिटी पू्रफ देगा परिवादी का मोबाइल चालू कर दिया जायेगा। उत्तरदाता को नियमों को मानना आवष्यक है नहीं तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जायेगा। परिवादी ने अपना परिवाद मनगढ़ंत आधारों पर दाखिल किया है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
    बहस के समय परिवादी एवं विपक्षी दोनांे अनुपस्थित हैं। पत्रावली काफी पुरानी है और काफी समय से बहस में नियत है। अतः परिवाद का निर्णय गुण दोश के आधार पर पत्रावली का भली भंाति परिषीलन करने के बाद किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में मोबाइल खरीदे जाने की रसीद की छाया प्रति, मोबाइल को रिचार्ज कियेे जाने के वाउचर की छाया प्रति, विपक्षी द्वारा लिखित दिये जाने की रसीद कि जिस दिन मोबाइल एक्टीवेट किया जायेगा उस दिन से एक वर्श तक मोबाइल पर इनकमिंग काल की सुविधा रहेगी के प्रपत्र की छाया प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षीगण को लिखे गये षिकायती पत्र दिनांक 2 जून 2006 की छाया प्रति, परिवादी ने अपना षपथ पत्र तथा साक्ष्य में अपना षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी संख्या 3 ने अपना लिखित कथन तथा दुर्गा प्रसाद विपक्षीगण के लीगल हेड का षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि विपक्षीगण ने परिवादी को मोबाइल सेट की सेवा एक वर्श के इनकमिंग काल के लिये दी थी। परिवादी ने अपने कथन में कहा है कि उसने सभी औपचारिकतायें पूरी की थी तभी उसका मोबाइल एक्टीवेट किया गया था। परिवादी ने विपक्षीगण को 2 जून 2006 को एक पत्र लिखा था जिसमें उसने सभी कागजात विपक्षीगण को भेजे थे। विपक्षीगण ने परिवादी पर आरोप लगाया है कि उसने सभी कागजात नहीं जमा किये थे। इसलिये परिवादी का मोबाइल बन्द कर दिया गया था। विपक्षी ने इस बात का कोई प्रमाण नहीं दिया है कि परिवादी की षिकायत पर और आष्वासन पर कि निर्धारित समय में परिवादी विपक्षी को अपना आईडैंटिटी प्रूफ दे देगा। विपक्षी का यह कहना गलत है कि परिवादी ने सभी कागजात नहीं दिये थे। विपक्षीगण का यह कहना भी गलत है कि परिवादी का परिवाद मुम्बई में ही दाखिल किया जा सकता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार विपक्षी जहां पर भी अपने लाभ के लिये कार्य करता है और उसका षाखा कार्यालय यदि कही पर भी है तो वहां पर भी परिवादी अपना परिवाद दाखिल कर सकता है। इसलिये विपक्षीगण की यह बात स्वीकार योग्य नहीं है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत मंच को परिवादी का परिवाद सुनने का अधिकार है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी अनुतोश पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार एवं आंषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।  
आदेश
    परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मोबाइल के वाउचर रुपये 660/- का भुगतान आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षीगण परिवादी को परिवाद दाखिल करने की दिनांक से रुपये 660/- पर 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज भी तारोज वसूली की दिनांक तक का भुगतान करें। विपक्षीगण परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 1,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 1,000/- का भी भुगतान करें। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 03.06.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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