Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/351

Ansal Housing - Complainant(s)

Versus

Sumati Nath Jain - Opp.Party(s)

V S Bisaria

28 Sep 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/351
( Date of Filing : 18 Feb 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ansal Housing
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sumati Nath Jain
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 28 Sep 2018
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-351/2008

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-244/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13.12.2007 के विरूद्ध)

 

1. मैनजिंग डायरेक्‍टर, अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लि0, 15 यूजीएफ, इन्‍द्र प्रस्‍थ, 21 बाराखम्‍भा रोड, नई दिल्‍ली-1 ।

2. मेगा आर्केड, अंसल हाउसिंग गोल्‍फ लिंक-II, सूरजपुर दादरी रोड, ग्रेटर नोयडा।

3. मैनजिंग मार्केटिंग, अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लि0, 15 यूजीएफ, इन्‍द्र प्रस्‍थ, 21 बाराखम्‍भा रोड, नई दिल्‍ली-1 ।

4. असिस्‍टेण्‍ट जनरल मैनेजर, अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लि0, 15 यूजीएफ, इन्‍द्र प्रस्‍थ, 21 बाराखम्‍भा रोड, नई दिल्‍ली-1 ।

                             अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम्     

सुमति नाथ जैन, एफ-4, सेक्‍टर-40, नोयडा।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से  : श्री वी0एस0 बिसारिया, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से       : श्री सुनील कुमार सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 28.11.2018

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-244/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13.12.2007 के विरूद्ध योजित की गयी है। जिला मंच ने निम्‍न् आदेश पारित किया है :-

'' परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि आदेश की प्रति प्राप्‍त होने के 45, दिन के अन्‍तर्गत परिवादी द्वारा जमा धन 137200/- रूपये जमा की तिथि से अन्तिम भुगतान करने त‍क 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित परिवादी को अदा करे। पुन: विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि उक्‍त अवधि के अन्‍तर्गत विपक्षी 7000/-रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में एवं 2000/-रूपये वाद व्‍यय के रूप में परिवादी को अदा करेगा। ''

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी की अंसल मेगा आर्केड योजना, ग्रेटर नोयडा में एक दुकान आवंटन के लिये आवेदन किया था और अपने आवेदन के साथ रू0 70,000/- विपक्षी के पास जमा किये थे। विपक्षी ने उसे 01 जी एफ 175 गोल्‍फ लिंक-II मेगा आर्केड ग्रेटर नोयडा में दुकान आवंटित की। विपक्षी ने एक पत्र दिनांक 14.02.1997 को रू0 67,200/- जमा करने के लिए भेजा। परिवादी ने दिनांक 24.02.1997 को रू0 67,200/- का चेक भेजा। परिवादी ने विपक्षी को कई पत्र लिखे कि उन्‍हें आवंटन पत्र निर्गत किया जाये, परन्‍तु धनराशि जमा करने के बाद भी उनके द्वारा आवंटन पत्र दिनांकित 26.09.1998 काफी देर से दिनांक 29.10.1998 को भेजा गया। यह आवंटन पत्र शर्तों सहित था। आवंटन पत्र के साथ भेजी गयी शर्तों में कई शर्तें अनुचित थीं और परिवादी उक्‍त शर्तों पर दुकान लेने के लिये इच्‍छुक नहीं था। अत: उसने विपक्षी को जमा धन को वापस करने का निवेदन किया, परन्‍तु विपक्षी ने परिवादी द्वारा जमा धन वापस न कर कई पत्रों द्वारा परिवादी को दुकान का मूल्‍य जमा करने हेतु निर्देशित किया और दिनांक 02.05.2005 को परिवादी का आवंटन निरस्‍त कर दिया एवं परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि भी जब्‍त कर ली। परिवादी के कथनानुसार विपक्षी का यह कृत्‍य अनुचित व्‍यापार व्‍यवहार एवं सेवा में कमी के अन्‍तर्गत आता है।

जिला मंच के समक्ष विपक्षी ने परिवाद पत्र का प्रतिवाद किया और दुकान का आवंटन किया एवं परिवादी का धन जमा किया जाना स्‍वीकार किया। विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह अभिकथन किया कि परिवादी को दुकान आवंटन की शर्तों से आवेदन के समय ही अवगत करा दिया गया था। परिवादी ने दुकान का मूल्‍य जमा नहीं किया, जिसके फलस्‍वरूप उसके पक्ष में किये गये आवंटन को निरस्‍त कर दिया गया। परिवादी आवंटन पत्र की शर्तों के अनुसार जमा धन वापस प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है।

पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया।

अपीलार्थी ने अपनी अपील के आधार में यह अभिकथन किया है कि परिवादी ने मार्च 1997 को केवल एक किस्‍त जमा की और उसके पश्‍चात कोई किस्‍त जमा नहीं की। विपक्षी ने कोई सेवा में कमी नहीं की है। दुकान की बुकिंग के समय परिवादी को सभी शर्तों से अवगत करा दिया गया था और उन शर्तों को देखने के पश्‍चात ही परिवादी ने दुकान को बुक करवाया था। आवंटन पत्र को बाद में भेजा जाना केवल एक औपचारिकता थी और बुकिंग के समय परिवादी ने सभी शर्तों पर अपनी रजामंदी दी थी। अपीलार्थी ने काफी समय इंतजार करने के बाद दिनांक 02.05.2005 को दुकान का आवंटन निरस्‍त किया और दुकान की कीमत की 20 प्रतिशत धनराशि जब्‍त कर ली। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा बहस के दौरान यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी आवंटन पत्र में दी हुई शर्तों से बंधा हुआ है। परिवादी ने आवंटन पत्र के अनुसार देय धनराशि का भुगतान नहीं किया है। अत: आवंटन की शर्तों के अनुसार उसका आवंटन निरस्‍त किया गया और आवंटन की शर्तों के अनुसार ही उसकी जमा धनराशि जब्‍त की गयी।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा बहस के दौरान तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षीगण/अपीलार्थीगण ने जब आवंटन पत्र दिनांक 26.09.1998 दिनांक 29.10.1998 को उपलब्‍ध कराया गया, उस समय तक उसे शर्तों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। परिवादी आवंटन पत्र के साथ संलग्‍न शर्तों पर दुकान लेने के लिये तैयार नहीं था, क्‍योंकि वे शर्तें एकतरफा और परिवादी के हित की नहीं थीं, तभी उसके द्वारा जमा धनराशि को वापस करने के लिए अपीलार्थीगण को पत्र लिखा गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आवंटन पत्र के साथ सलंग्‍न शर्तों पर अपनी सहमति कभी व्‍यक्‍त नहीं की और न ही उन्‍हें कभी हस्‍ताक्षरित किया। अत: वह जमा धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी है। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने कथन के समर्थन में Rajbeer Singh Vs The Manager and M/s. Emaar MGF Land  Ltd IV (2013) CPJ (NC), Kuldeep Gandotra Vs Union of India (UOI) and Ors. (2006) II LLJ 51, Uniclel Ltd and Anr. Vs The State Trading Corporation ILR 1978 Delhi 203, Zodiac Electricals Pvt Ltd Vs Union Of India AIR 1986 SC 1918, D.S. Constructions Limited Vs Rites Limited and Anr. AIR 2006 Delhi 98, National Insurance Co.Ltd Vs Arun Kumar-Goyal Delhi State Consumer Forum First Appeal No-704/2006 पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है।

य‍ह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ग्रेटर नोयडा की एक योजना में एक दुकान आवंटन के लिये आवेदन पत्र जो दिनांक 18.10.1996 को हस्‍ताक्षरित किया गया था विपक्षीगण/अपीलार्थीगण को प्रेषित किया गया। इस आवेदन पत्र दिये जाने के बाद अपीला‍र्थीगण/विपक्षीगण ने अपने पत्र दिनांक 26.09.1998 को आवंटन पत्र जारी किया, जो परिवादी के अनुसार उसे दिनांक 29.10.1998 को प्राप्‍त हुआ, जिसमें परिवादी को जी एफ 175 ग्रेटर नोयडा आवंटन किया गया था। इस प्रकार आवंटन पत्र दिनांक 26.09.1998 / 29.10.1998 से निर्गत होने के पूर्व परिवादी को यह जानकारी नही थी कि उसके आवेदन पत्र पर उसे कोई आवंटन किया गया है या नहीं। आवंटन पत्र के साथ संलग्‍न नियम एवं शर्तों की कोई जानकारी परिवादी को आवेदन पत्र देने के समय नहीं थी। अपीलार्थीगण ऐसा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं कर सके हैं कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने कोई 'बायर्स एग्रीमेंट' किया हो या जो आवंटन पत्र के साथ नियम व शर्तें संलग्‍न की गयी थीं, उन पर परिवादी ने अपनी सहमति व्‍यक्‍त करते हुए हस्‍ताक्षर किये गये हों। अत: यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने आवंटन की शर्तों को स्‍वीकार नहीं किया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने जब विपक्षीगण/अपीलार्थीगण द्वारा दी गयी शर्तों को नहीं माना तो उसके द्वारा आवंटन पत्र के साथ जमा धनराशि को जब्‍त करने का कोई अधिकार विपक्षीगण/अपीलार्थीगण को प्राप्‍त नहीं था। जिला मंच ने साक्ष्‍यों की विस्‍तृत विवेचना करते हुए अपना निर्णय/आदेश दिया है।

पीठ जिला मंच के निर्णय/आदेश से सहमत है। जिला मंच का निर्णय/आदेश पुष्‍ट किये जाने एवं अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

 

अपील निरस्‍त की जाती है।

उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय-भार स्‍वंय वहन करेंगे।

इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभयपक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

 

 

(राज कमल गुप्‍ता)                          (महेश चन्‍द)

पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-3

 

 
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.