राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१४९२/२००८
(जिला मंच, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-५०८/२००७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २६-०६-२००८ के विरूद्ध)
१. ब्रान्च मैनेजर, नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0, २५, एम0जी0 मार्ग, इलाहाबाद।
२. डिवीजनल मैनेजर, नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0, आफिस-प्रथम, १६/९६, दी माल, कानपुर।
..................... अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम्
मै0 सुल्तानपुर बल्क कैरियर्स, २५४/१३८, रसूलाबाद, इलाहाबाद ब्रान्च आफिस, ७९/३३, बॉंस मण्डी, कानपुर द्वारा प्रौपराइटर श्री मजहर लतीफ पुत्र स्व0 अब्दुल लतीफ निवासी ७९/३३, बॉंस मण्डी, कानपुर।
.................... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री एस0पी0 सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : १०-०१-२०१७.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-५०८/२००७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २६-०६-२००८ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार वह टैंकरों द्वारा एल0पी0जी0 गैस ढोने का कार्य करता है। उसके टैंकर इण्डियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड से सम्बद्ध हैं। परिवादी के टैंकर अपीलार्थी बीमा कम्पनी से बीमित हैं। परिवादी का टैंकर अशोक लीलेण्ड रजिस्ट्रेशन नं० – एच0आर0 ३८/डी-३५९७ जो अपीलार्थी बीमा कम्पनी से दिनांक ०६-०५-२००४ से दिनांक ०५-०५-२००५ तक की अवधि के लिए बीमित था, दिनांक ०७-०७-२००४ को जयपुर से सुल्तानपुर को जा रहा था तब रात्रि में हाईवे
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नम्बर ११ग्राम तिलछवी थाना हलैना जिला भरतपुर, राजस्थान के पास एक गाय को बचाने के प्रयास में उक्त टैंक साइड के एक खड्डे में गिरकर पलट गया जिससे उक्त टैंकर क्षतिग्रस्त हो गया और टैंकर को काफी नुकसान पहुँचा। दुर्घटना के उपरान्त ड्राइवर सन्तराम ने थाना हलैना जिला भरतपुर, राजस्थान में रिपोर्ट दर्ज करायी तथा परिवादी को फोन पर दुर्घटना की सूचना दी। उसी समय परिवादी ने अपीलार्थी सं0-१ को उक्त दुर्घटना की जानकारी देकर बीमा से सम्बन्धित अग्रिम कार्यवाही हेतु पूछा तो अपीलार्थी सं0-१ ने परिवादी से कहा कि उक्त दुर्घटनाग्रस्त टैंकर का स्पाट सर्वे अपीलार्थी कम्पनी के भरतपुर कार्यालय से सम्बन्धित सर्वेयर द्वारा किया जायेगा तब परिवादी ने भरतपुर कार्यालय द्वारा नियुक्त सर्वेयर श्री महेश शर्मा से अपने उक्त टैंकरका स्पाट सर्वे दिनांक ०७-०७-२००४ को करवाया तथा सर्वेयर श्री महेश शर्मा को १२००/- रू० फीस अदा की। स्पाट सर्वे के बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी से सम्पर्क किया तथा अग्रिम कार्यवाही की जानकारी चाही कि क्षतिग्रस्त टैंकर की मरम्मत कहॉं करायी जाय तो अपीलार्थी सं0-१ द्वारा क्षतिग्रस्त टैंकर कानपुर में किसी ट्रक/टैंकर गैरिज के मिस्त्री द्वारा उस पर आने वाले खर्च का एस्टीमेट बनवाकर अग्रिम कार्यवाही हेतु अपीलार्थी बीमा कम्पनी के कानपुर कार्यालय अर्थात् अपीलार्थी सं0-२ से सम्पर्क करने के लिए कहा। तदोपरान्त प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक ०८-०७-२००४ को परवीन ट्रान्सपोर्ट कम्पनी, माल गोदाम रोड, भरतपुर से भाड़े की क्रेन मंगवाकर अपने उक्त क्षतिग्रस्त टैंकर को सीधा करवाया व रोड पर उठवाया तथा क्रेन चार्ज १२,५००/- रू० परिवादी ने उक्त ट्रान्सपोर्ट कम्पनी को अदा किये व उनसे उसका बिल प्राप्त किया। तदोपरान्त अपीलार्थी सं0-१ के निर्देशानुसार परिवादी अपना उक्त क्षतिग्रस्त टैंकर कानपुर लेकर आ गया व उसे मुन्ना बॉडी मेकर के कानपुर ट्रक बॉडी रिपेयर्स,१२२/२३७ चेन फैक्ट्री, फजलगंज, कानपुर नगर के गैरिज में खड़ा कर दिया व उसका एस्टीमेट बनवाकर अपीलार्थी सं0-२ से अग्रिम कार्यवाही हेतु सम्पर्क किया। अपीलार्थी सं0-२ ने अपने सर्वेयर श्री देवेन्द्र कुमार सूरी को उक्त क्षतिग्रस्त टैंकर के सर्वे हेतु नियुक्त किया, जिन्होंने दिनांक १४-०७-२००४ को उक्त टैंकर का निरीक्षण/सर्वे किया व गैरिज मालिक/मिस्त्री से मरम्मत के एस्टीमेट के खर्च के
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विषय में बातचीत की जो उन्होंने लगभग ७७,२००/- रू० बताया। बाद में कुछ काम और निकल आने पर ८,८५०/- रू० का एक एस्टीमेट और दिया गया। तदोपरान्त अपीलार्थी सं0-२ ने परिवादी से उक्त टैंकर की मरम्मत का कार्य शुरू करने को कहा तो परिवादी ने मरम्मत का कार्य शुरू करवा दिया। सर्वेयर श्री देवेन्द्र कुमार सूरी ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु अनुचित धनराशि की मांग की। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा इन्कार किया गया तथा इसकी शिकायत अपीलार्थी सं0-२ के कार्यालय में जाकर की, किन्तु कोई ध्यान नहीं दिया गया। जब टैंकर मरम्मत होकर तैयार हो गया तो प्रत्यर्थी/परिवादी ने इसकी सूचना अपीलार्थी सं0-२ को दी तथा मरम्मत के खर्च का भुगतान करने को कहा। उनके द्वारा कहा गया कि अभी आप स्वयं मरम्मत के बिल भुगतान कर दें तथा इसका बिल ले लीजिए। सर्वेयर की रिपोर्ट आने पर बिलों के भुगतान की अग्रिम कार्यवाही के लिए बताऐंगे। प्रत्यर्थी/परिवादी का टैंकर मरम्मत के बाद बनकर तैयार हो गया। गैरिज में खड़ा रहने से खराब होने की सम्भावना थी। साथ ही प्रत्यर्थी/परिवादी के व्यापार का नुकसान भी टैंकर न चलने के कारण प्रतिदिन हो रहा है। इस प्रकार अपीलार्थी सं0-२ के कहने पर परिवादी ने स्वयं अपने पास से उक्त टैंकर की मरम्मत के खर्च का भुगतान कर दिया और टैंकर अपने कब्जे में ले लिया। इसके उपरान्त परिवादी ने अपनी रकम के भुगतान हेतु अपीलार्थी सं0-२ के कार्यालय के कई चक्कर लगाए परन्तु वहॉं हर बार टाल-मटोल बहाने वाजी की जाती रही और यही कहा गया कि अभी सर्वेयर की रिपोर्ट नहीं आयी है। जब परिवादी द्वारा अधिक दवाब बनाया गया तो अपीलार्थी सं0-२ ने कहा कि आपके सारे पेपर व रिपोर्ट आदि इलाहाबाद कार्यालय भेज दी गयी है, इसलिए अब आप इलाहाबाद कार्यालय अर्थात् अपीलार्थी सं0-१ से सम्पर्क स्थापित कीजिए आपका भुगतान वहीं से होगा। इसके बाद परिवादी अपीलार्थी सं0-१ के कार्यालय गया वहॉं उसे बताया गया कि कानपुर कार्यालय से सर्वेयर रिपोर्ट व सम्बन्धित अभिलेख आदि अभी यहॉं नहीं पहुँचे हैं। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थीगण के कार्यालय इलाहाबाद व कानपुर के चक्कर लगाता रहा। काफी परेशान होने के प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी सं0-१ को एक पत्र दिनांक १०-०४-२००५ को लिखा, जिसका जवाब अपीलार्थी बीमा कम्पनी के
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लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा दिनांक २६-०४-२००५ को दिया गया, जिसमें लिखा गया कि अपीलार्थी कम्पनी ने परिवादी का उक्त मामला डी0ओ0 प्रथम, कानपुर अर्थात् अपीलार्थी सं0-२ के सुपुर्द कर दिया है तथा यह निर्देशित किया कि अब वह अपीलार्थी सं0-२ से सम्पर्क करे। उक्त पत्र के निर्देशानुसार प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी सं0-२ के कार्यालय गया तथा उक्त पत्र दिखाकर अपनी रकम के भुगतान की कार्यवाही की मांग की तो अपीलार्थी सं0-२ द्वारा पुन: कहा गया कि अपीलार्थी सं0-१ से सम्पर्क करें। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी सं0-१ के कार्यालय में भी कई चक्कर लगाऐ किन्तु बीमा की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। अत: टैंकर की मरम्मत के लिए किए गये भुगतान ८९,५००/- रू० की बसूली हेतु परिवाद अपीलार्थीगण के विरूद्ध जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी सं0-२ द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रारम्भिक आपत्ति इस आशय की प्रस्तुत की गयी कि प्रश्नगत बीमा पालिसी अपीलार्थी सं0-१ अर्थात् बीमा कम्पनी की इलाहाबाद शाखा द्वारा जारी की गयी है इसमें प्रत्यर्थी/परिवादी का पता इलाहाबाद का ही दर्ज है। प्रश्नगत टैंकर भरतपुर, राजस्थान में क्षतिग्रस्त हुआ है, अत: परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम, कानपुर को प्राप्त नहीं है।
विद्वान जिला मंच ने अपीलार्थी सं0-२ द्वारा प्रस्तुत आपत्ति का निस्तारण करते हुए परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच कानपुर नगर का माना तथा अपीलार्थी द्वारा बीमा दावा की धनराशि का भुगतान न किए जाने को सेवा में त्रुटि मानते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार किया तथा अपीलार्थीगण को निर्देशित किया कि वे संयुक्त एवं पृथक रूप से निर्णय के दिनांक से ३० दिन के अन्दर परिवादी को बीमित टैंकर की मरम्मत में किया गया व्यय ८९,५००/- रू० बीमा कम्पनी में क्लेम प्रस्तुत होने के दिनांक से १२ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा करे। अपीलार्थीगण २००/- रू० बतौर परिवाद व्यय भी अदा करें।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी।
हमने अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 सिंह के तर्क सुने
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तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। नोटिस की तामीला के बाबजूद प्रत्यर्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत प्रकरण में कोई वाद कारण जिला मंच कानपुर के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत उत्पन्न नहीं हुआ। प्रश्नगत बीमा पालिसी अपीलार्थी बीमा कम्पनी की इलाहाबाद शाखा से प्राप्त की गयी तथा कथित दुर्घटना जिला भरतपुर, राजस्थान में घटित होना बतायी गयी है। मात्र इस आधार पर कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी का शाखा कार्यालय जनपद कानपुर नगर में भी स्िथत है, परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच कानपुर नगर का नहीं माना जा सकता। बीमाधारक की सुविधा के लिए घटना स्थल पर निरीक्षण शाखा कार्यालय भरतपुर, राजस्थान द्वारा किया गया, क्योंकि दुर्घटना जिला भरतपुर राजस्थान में घटित हुई तथा अन्तिम सर्वेक्षण शाखा कार्यालय कानपुर नगर द्वारा कराया गया, क्योंकि प्रत्यर्थी/परिवादी अपने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत कानपुर में कराना चाहता था। प्रत्यर्थी/परिवादी को उपलब्ध करायी गयी इस सुविधा के आधार पर वाद कारण जिला मंच कानपुर नगर के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत उत्पन्न होना नहीं माना जा सकता।
अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत बीमा दावा के सन्दर्भ में सर्वेयर आख्या प्राप्त न होने के कारण बीमा दावा का निस्तारण नहीं किया जा सका। बीमा दावा के निस्तारण से पूर्व ही परिवाद योजित कर दिया गया। इस प्रकार परिवाद अपरिपक्व था। विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है।
यह सत्य है कि मात्र शाखा कार्यालय के किसी जनपद में होने के आधार पर वाद कारण उस जनपद में उत्पन्न होना नहीं माना जा सकता। क्षेत्राधिकार के निर्धारण के सन्दर्भ में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-११ की उपधारा धारा-१ एवं २(ग) के अनुसार :-
११. जिला फोरम की अधिकारिता - (१) इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, जिला पीठ को ऐसे परिवादों को ग्रहण करने की अधिकारिता होगी जहॉं
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माल या सेवा का मूल्य और दावा प्रतिकर, यदि कोई हो बीस लाख रूपये से अधिक नहीं होता है।
(२) परिवाद किसी ऐसे जिला पीठ में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर -
(ग) वाद-हेतुक पूर्णत: या भागत: पैदा होता है।
इस प्रकार यदि किसी जिला मंच के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत वाद हेतुक भागत: उत्पन्न होना भी पाया जाता है तब परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार उस जिला मंच का भी होगा।
प्रस्तुत मामले में यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रश्नगत बीमा पालिसी अपीलार्थी बीमा कम्पनी की इलाहाबाद शाखा द्वारा निर्गत की गयी तथा बीमाधारक का पता भी जनपद इलाहाबाद का दर्शित है, किन्तु यह तथ्य भी निर्विवाद है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी की सहमति से क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत का कार्य अपीलार्थी बीमा कम्पनी की कानपुर शाखा (अपीलार्थी सं0-२) की सीमा के अन्तर्गत स्थित गैरिज में किया गया तथा अपीलार्थी सं0-२ (अपीलार्थी बीमा कम्पनी की कानपुर शाखा) द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा अनुमानित क्षति का आंकलन भी किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने अपने बीमा दावा के भुगतान हेतु अपीलार्थीगण से बार-बार प्रयास किया, किन्तु उसके बीमा दावा का भुगतान अपीलार्थीगण द्वारा नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक १०-०४-२००५ को एक पत्र अपीलार्थी सं0-१ को लिखा, जिसका उत्तर अपीलार्थी बीमा कम्पनी के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा दिनांक २६-०४-२००५ को दिया गया जिसमें लिखा गया कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी का उक्त मामला डी0ओ0 प्रथम, कानपुर अर्थात् अपीलार्थी सं0-२ के सुपुर्द कर दिया है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी को निर्देशित किया गया कि वह इस सन्दर्भ में अपीलार्थी सं0-२ से सम्पर्क करे। प्रत्यर्थी/परिवादी के इस कथन का प्रतिकार अपीलार्थीगण द्वारा नहीं किया गया है। उपरोक्त परिस्थिति में हमारे विचार से प्रश्नगत प्रकरण के सन्दर्भ में वाद कारण आंशिक रूप से जनपद कानपुर में उत्पन्न होना भी माना जायेगा। तद्नुसार अपीलार्थीगण का यह कथन स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि परिवाद की सुनवाई का
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क्षेत्राधिकार जिला मंच कानपुर नगर को प्राप्त नहीं था।
जहॉं तक अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क का प्रश्न है कि प्रश्नगत प्रकरण के सन्दर्भ में सर्वेयर की आख्या प्रेषित नहीं की गयी। अपीलार्थीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के बीमा दावा का निस्तारण होने से पूर्व ही प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद योजित कर दिया गया। इस प्रकार परिवाद अपरिपक्व था। उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत प्रकरण में बीमित वाहन को दिनांक ०७-०७-२००४ को क्षतिग्रस्त होना बताया गया है। सर्वेयर द्वारा निरीक्षण परिवाद के अभिकथनों के अनुसार दिनांक १४-०७-२००४ को किया गया। इसके उपरान्त प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार वह लगातार पत्राचार अपीलार्थीगण से बीमा दावा के निस्तारण हेतु करता रहा, किन्तु उसके बीमा दावा का निस्तारण नहीं किया गया। अन्त: दिनांक २१-०६-२००७ को परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया। उल्लेखनीय है कि जिला मंच के समक्ष सुनवाई के मध्य भी सर्वेयर की आख्या प्रेषित नहीं की गयी और न ही प्रस्तुत अपील की सुनवाई के मध्य सर्वेयर आख्या प्रेषित की गयी।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिवाद का निस्तारण ०३ माह के अन्दर किया जाना अपेक्षित है। सर्वेयर आख्या प्रस्तुत करने हेतु असीमित समय प्रदान किए जाने का कोई औचित्य नहीं है और न ही बीमाधारक के बीमा दावे के निस्तारण हेतु असीमित समय प्रदान किया जाना न्यायोचित होगा। ऐसी परिस्थिति में मात्र इस आधार पर कि सर्वेयर द्वारा आख्या प्रेषित नहीं की गयी, परिवाद को अपरिपक्व नहीं माना जा सकता।
प्रस्तुत प्रकरण के सन्दर्भ में अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने जिला मंच के समक्ष मात्र प्रारम्भिक आपत्ति क्षेत्राधिकार के सन्दर्भ में प्रेषित की थी। परिवाद के सम्पूर्ण अभिकथनों के सन्दर्भ में विस्तृत प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-१३ के अन्तर्गत परिवाद का जवाब विपक्षी द्वारा प्राप्त किया जाना अपेक्षित है। प्रारम्भिक आपत्ति प्रस्तुत करने का कोई प्रावधान अधिनियम में वर्णित नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने क्षतिग्रस्त वाहन में हुई क्षति के सन्दर्भ में किए गये
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अभिकथन के सम्बन्ध में अभिलेख जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किए थे, जिन पर विचारण के उपरान्त जिला मंच द्वारा प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया। अपीलार्थीगण की ओर से इस सन्दर्भ में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी साक्ष्य के विरूद्ध कोई आपत्ति अपीलीय स्तर पर भी प्रस्तुत नहीं की गयी।
मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है। तद्नुसार अपील में बल नहीं है। अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला मंच, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-५०८/२००७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २६-०६-२००८ की पुष्टि की जाती है।
अपीलय व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-३.