(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-576/2010
Punjab National Bank & other
Versus
Sukhvinder Singh S/O of Jogender Singh
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री एस0एम0 वाजपेयी, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :27.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-06/2008, सुखविन्दर सिंह बनाम शाखा प्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक व अन्य में विद्वान जिला आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 04.03.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी का बचत खाता सं0 19322 विपक्षी सं0 1 की शाखा में स्थित है। परिवादी ने उक्त बचत खाते में आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक चंडीगढ़ से प्राप्त चेक सं0 175226 अंकन 40,000/-रू0 की दिनांक 03.05.2007 को जमा किया, परंतु विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी के बचत खाते में चेक की धनराशि को जमा नहीं किया गया और न ही चेक को वापस लौटाया गया, इसके पश्चात दिनांक 19.11.2007 को नोटिस दिया गया, जिसका कोई उत्तर नहीं दिया गया।
3. विपक्षी बैंक का कथन है कि परिवादी का चेक कलेक्शन हेतु आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक चंडीगढ़ भेज दिया गया था, जिसको वापस लौटाने का दायित्व आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक का है, जिन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया है। बैंक द्वारा सेवा में कोई त्रुटि या लापरवाही नहीं की गयी है।
4. जिला उपभोक्ता आयोग ने यह निष्कर्ष दिया है कि विपक्षी सं0 1 द्वारा ऐसा कोई सबूत नहीं दिया गया है कि चेक कलेक्शन हेतु आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक भेज दिया गया था, तदनुसार अंकन 40,000/-रू0 परिवादी के खाते में जमा करने का आदेश पारित किया गया।
5. बैंक द्वारा प्रस्तुत की गयी अपील के ज्ञापन मे वर्णित तथ्यों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि बैंक द्वारा जो चेक जारी किया गया है, उसकी राशि अभी भी चेक जारीकर्ता व्यक्ति के पास है, इस राशि की कभी निकासी नहीं हुई, इसलिए सम्पूर्ण राशि को अदा करने का आदेश विधिसम्मत नहीं है।
6. सम्पूर्ण निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि इस निर्णय में कहीं पर भी यह निष्कर्ष नहीं दिया है कि बैंक द्वारा आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक से अंकन 40,000/-रू0 की राशि आहरित कर ली गयी यदि अपीलार्थी बैंक द्वारा परिवादी का चेक आई0सी0आई0सी0आई0 चंडीगढ़ बैंक को प्रेषित नहीं किया गया है तब भी यह केवल लापरवाही का मामला बनता है न कि सम्पूर्ण चेक राशि को जमा करने का मामला बनता है क्योंकि चेक में जिस राशि का उल्लेख है वह राशि अभी भी चेक जारी करने वाले व्यक्ति के पास मौजूद है, इसलिए चेक की सम्पूर्ण राशि को परिवादी के खाते में जमा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता, यद्यपि चूंकि यह तथ्य स्थापित नहीं है कि बैंक द्वारा आई0सी0आई0सी0आई0 चंडीगढ़ बैंक में कलेक्शन के लिए चेक भेजा गया, इसलिए बैंक की लापरवाही का तथ्य स्थापित है, इस लापरवाही के लिए बैंक पर अंकन 15,000/-रू0 का दण्ड अधिरोपित करना उचित है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी बैंक द्वारा परिवादी को इस आशय का एक प्रमाण पत्र 1 माह के अंदर जारी किया जायेगा कि जो चेक उनके द्वारा जारी किया गया था, उस चेक की राशि का कलेक्शन नहीं हुआ है, इसके पश्चात परिवादी चेक प्रदाता व्यक्ति से दूसरा चेक प्राप्त कर सकते हैं।
अपीलार्थी बैंक द्वारा परिवादी को अंकन 15,000/-रू0 परिवादी के प्रति लापरवाही बरतने के कारण बतौर क्षतिपूर्ति अदा किया जाए, इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी देय होगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2