Uttar Pradesh

Shahjahanpur

CC/82/2017

RAMKUMAR S/O MIDAILAL - Complainant(s)

Versus

SUKHPAL SINGH S/O MAHENDRA SINGH GURUNANAK INT BHATTA - Opp.Party(s)

V K SINGH

24 Aug 2018

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/82/2017
( Date of Filing : 03 Apr 2017 )
 
1. RAMKUMAR S/O MIDAILAL
VILL PATIJIYA POST SINDHAURA KHARAGPUR BILSANDA BISALPUR
PILIBHIT
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. SUKHPAL SINGH S/O MAHENDRA SINGH GURUNANAK INT BHATTA
GANPATPUR POWAYAN
SHAHJAHANPUR
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR BHARDWAJ PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 24 Aug 2018
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, शाहजहांपुर।

 

उपभोक्ता परिवाद सं0- 82/2017

राम कुमार         बनाम       सुखपाल सिहं

 

 

दिनांक 24/08/2018                   आदेश

विधिक विवाद बिन्दु पोषणीयता/परिसीमा का निस्तारण-

 

      उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता को सविस्तारपूर्वक सुना गया एवं पत्रावली का भली-भांति का परिशीलन किया गया।                                        

      परिवादी द्वारा परिवाद इस आशय से प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षी द्वारा दि0 12/03/2012 को दस हजार अब्वल ईंट अच्छी किस्म की शीघ्र ही दिये जाने के आश्वासन पर 40,000/- रू0 नकद रूप से प्राप्त कर रसीद दी थी। विपक्षी द्वारा ईंट न देने तथा रूपया वापस न करने पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है।

      विपक्षी की ओर से लिखित उत्तर प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी सुखपाल सिहं द्वारा रूपया प्राप्त करने से तथा रसीद जारी करने से इन्कार किया गया है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया परिवाद कालवाधित है। प्रश्नगत रसीद दि0 12/03/2012 को जारी की गयी है, परिवाद दि0 03/04/2017 को उपभोक्ता फोरम  पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया है जबकि परिवाद 02 वर्ष की समय-सीमा में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि लगातार अनुरोध करते रहे परन्तु विपक्षी द्वारा ईंट की आपूर्ति नहीं की और नहीं जमा पैसा वापस किया गया। दि0 03/02/2017 को नोटिस दिया था जिसके जबाव में विपक्षी द्वारा इन्कारी किये जाने पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है।

      परिवादी द्वारा परिवाद में दाखिल की गयी प्रश्नगत रसीद का0 सं0 4/2 दि0 12/03/2012 को श्री गुरूनानक ईंट भट्टा उद्योग पुवांया, शाहजहांपुर की ओर से जारी की गयी है, उक्त रसीद के आधार पर यदि परिवादी को वाद हेतु उत्पन्न होता है तो वह श्री गुरूनानक ईंट भट्टा उद्योग के विरूद्ध होता है परन्तु परिवादी द्वारा श्री गुरूनानक ईंट भट्टा उद्योग को विपक्षी पक्ष नहीं बनाया गया है जो कि उपभोक्ता परिवाद में उचित एवं आवश्यक पक्ष है। प्रश्नगत रसीद का0 सं0 4/2 परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये परिवाद का मुख्य आधार है। परिवादी द्वारा ऐसी कोई रसीद दाखिल नहीं की गयी है जिसके आधार पर यह माना जा सके की परिवादी द्वारा दस हजार अब्वल ईंट हेतु 40,000/- रू0 श्री गुरूनानक ईंट भट्टा उद्योग पर जमा किया हो। प्रश्नगत रसीद का0 सं0 4/2 के आधार पर परिवादी को परिवाद हेतुक विरूद्ध  श्री गुरूनानक ईंट भट्टा उद्योग दि0 12/03/2012 को उत्पन्न होता है। उक्त तिथि से 02 वर्ष की समय-सीमा में परिवादी द्वारा परिवाद श्री गुरूनानक ईंट भट्टा उद्योग के विरूद्ध प्रस्तुत किया जा सकता था परन्तु ऐसा परिवादी द्वारा नहीं किया गया है।

      उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (क) - परिसीमा अवधि - में उल्लेख किया गया है कि (1) जिला फोरम, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग, कोई परिवाद तब तक ग्रहण नहीं करेगा जब तक कि वह वाद का कारण उत्पन्न होने के दिनांक से दो वर्ष की अवधि में प्रस्तुत नहीं किया जाता है।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के वर्णित होते हुए भी उपधारा (1) में वर्णित अवधि से परे भी परिवाद ग्रहण किया जा सकता है यदि परिवादी जिला फोरम, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग जैसी कि स्थिति हो, को संतुष्ट कर देता है कि उसके पास उस अवधि के अन्तर्गत परिवाद प्रस्तुत न करने का समुचित कारण थाः

 परन्तु ऐसा कोई परिवाद तब तक ग्रहण नहीं किया जायेगा जब तक कि यथास्थिति राष्ट्रीय आयोग, राज्य आयोग या जिला फोरम ऐसे विलंब क्षमा किए जाने के कारणों को अभिलिखित न करे।

      परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत करते समय विलंब क्षमा किये जाने हेतु प्रा0 पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है और न ही उक्त के संबंध में किसी भी प्रकार का कोई आदेश पारित किया गया है। परिवादी द्वारा वाद हेतुक उत्पन्न होने की तिथि दि0 12/03/2012 से 02 वर्ष की अवधि में परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है, परिवादी द्वारा परिवाद दि0 03/04/2017 को प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया परिवाद कालवाधित है तथा परिवाद में उचित एवं आवश्यक पक्ष श्री गुरूनानक ईंट भट्टा उद्योग को पक्ष न बनाये जाने का दोष है। सभी तथ्य एवं परिस्थितियों पर विचारोपरान्त पीठ का मत है कि परिवादी का परिवाद कालवाधित एवं अपोषणीय होने के आधार पर निरस्त किये जाने योग्य है।

                           

आदेश

परिवादी का परिवाद कालवाधित एवं अपोषणीय होने के आधार पर निरस्त किया जाता है।

तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुये पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

नियमानुसार आदेश की प्रमाणित प्रति अविलंब निःशुल्क पक्षकार को प्रदान की जाये।

      पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

       (प्रमोद कुमार)                                                     (अशोक कुमार भारद्वाज)

              सदस्य                                                      अध्यक्ष

  

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR BHARDWAJ]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR]
MEMBER

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