राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-54/2019
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, फतेहपुर द्वारा परिवाद संख्या-132/1996 में पारित आदेश दिनांक 07.03.1998 के विरूद्ध)
1. District Basic Education Officer, Fatehpur, U.P.
2. Accountant, District Basic Education Officer Fatehpur U.P.
...................पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण
बनाम
Sukhlal S/O Late Brajnath, R/o Village & post Murawn District Fatehpur U.P.
...................विपक्षी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 16-01-2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-132/1996 सुखलाल बनाम सरकार उत्तर प्रदेश द्वारा सचिव शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ व दो अन्य में जिला फोरम, फतेहपुर द्वारा पारित निर्णय व आदेश दिनांक 07.03.1998 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण याचिका धारा-17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपरोक्त परिवाद के विपक्षीगण की ओर से राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई के समय पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा उपस्थित आये हैं। विपक्षी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद पत्र में कथित विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है। परिवाद पत्र में कथित विवाद सेवा सम्बन्धी विवाद है, जिसके सम्बन्ध में परिवाद ग्रहण करने व आदेश पारित करने का अधिकार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता फोरम को नहीं है। जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश पूर्णतया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के विरूद्ध है और अधिकार रहित है। जिला फोरम ने यह आक्षेपित आदेश पारित कर अपने क्षेत्राधिकार के प्रयोग में गम्भीर त्रुटि की है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आदेश अपास्त किये जाने योग्य है।
मैंने पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
पुनरीक्षण याचिका के निस्तारण हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि विपक्षी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष पुनरीक्षणकर्तागण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि
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वह पुनरीक्षणकर्तागण के विभाग में अध्यापक रहा है और उसे अपराधिक मामले में फर्जी फंसाया गया था। वह माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्दोष सिद्ध हो चुका है।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी/परिवादी का कथन है कि अपराधिक वाद के लम्बन की अवधि में उसे विभाग द्वारा निलम्बित कर दिया गया था। बाद में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से दोषमुक्त होने पर विभाग ने उसे सेवा में दिनांक 12.08.1991 को बहाल किया है। वह जुलाई, 1982 से दिनांक 12.08.1991 तक निलम्बित रहा है। वह जुलाई, 1982 से सितम्बर, 1991 तक की अवधि का वेतन व अन्य भत्ता कुल 1,62,370/-रू0 पाने का अधिकारी है। अत: उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर कुल 1,62,370/-रू0 का भुगतान कराये जाने का निवेदन किया है।
परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि विपक्षी/परिवादी को उसके विरूद्ध अपराधिक वाद लम्बित होने के कारण सेवा से निलम्बित किया गया है और निलम्बन अवधि का वेतन नहीं दिया गया है, जिसके भुगतान हेतु उसने यह परिवाद प्रस्तुत किया है। निलम्बन अवधि में वेतन के भुगतान का आदेश सेवा नियमावली और शासन के संगत शासनादेश के अनुसार किया जायेगा। निलम्बन अवधि में वेतन भुगतान का विवाद कदापि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता विवाद नहीं है और ऐसे विवाद के सम्बन्ध में प्रस्तुत परिवाद का संज्ञान जिला
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उपभोक्ता फोरम द्वारा लेकर आदेश पारित किया जाना पूर्णतया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के विरूद्ध है और अधिकार रहित है। ऐसा विधि विरूद्ध पारित आदेश कानून की दृष्टि से शून्य है। अत: आक्षेपित आदेश अपास्त किया जाना आवश्यक है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर पुनरीक्षण याचिका स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अपास्त करते हुए जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत परिवाद परिवादी सुखलाल, जो पुनरीक्षण याचिका में विपक्षी है, को इस छूट के साथ निरस्त किया जाता है कि वह अपनी सेवाकाल में निलम्बन अवधि के वेतन व अन्य देयों के भुगतान हेतु विधि के अनुसार अपने विभागीय अधिकारियों के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत करने अथवा विधि के अनुसार सक्षम न्यायालय में विधिक कार्यवाही करने हेतु स्वतंत्र है।
पुनरीक्षण याचिका में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1