Uttar Pradesh

StateCommission

A/964/2015

M.G.S. Ford Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Sudip dixit - Opp.Party(s)

Rajesh Pandey

22 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/964/2015
(Arisen out of Order Dated 23/04/2015 in Case No. C/261/2014 of District Lucknow-II)
 
1. M.G.S. Ford Pvt Ltd
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Sudip dixit
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 22 Nov 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-964/2015

                                              (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 261/2014 में पारित आदेश दिनांक 23.04.2015 के विरूद्ध)

MGS Ford (MGS Sales Private Limited Opposite BBD Engineering college Faizabad Road Lucknow a Division of M.G.S. Sales Private Limited 11 Mahatma               Gandhi Marg Hazratganj Lucknow through its Manager               Sri Gulshan Gupta.          ...................अपीलार्थी/विपक्षी सं01

बनाम

1. Sudeep Dixit son of Sri Ashok Kumar Dixit resident  of   

   house no.182/104 Mashakganj Aminabad Lucknow.

2. Reliance General Insurance company Limited first floor           

   Rohit  House  Shahnajaf  Road  Hazratganj  Lucknow             

   through Branch Manager/Competent officer.                                     

                    .................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं02

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश पाण्‍डेय,                  

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री अम्‍बरीश कौशल के सहयोगी                            

                              श्री एच0के0 श्रीवास्‍तव,

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री महेन्‍द्र कुमार मिश्रा,

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 22-11-2017         

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-261/2014 सुदीप दीक्षित बनाम एम0जी0एस0 फोर्ड व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश  दिनांक  23.04.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता  संरक्षण  अधिनियम  1986  के

 

 

-2-

अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 1 को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से छ: सप्‍ताह के अंदर परिवादी को रू0 10,000/- व रू0 99000/- मय ब्‍याज दौरान वाद व आइंदा बशरह 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर के साथ अदा करें। इसके अतिरिक्‍त विपक्षी सं0 1 परिवादी को मानसिक क्‍लेश हेतु रू010,000/- तथा रू05000/- वाद व्‍यय अदा करेगें, यदि विपक्षी उक्‍त निर्धारित अवधि के अंदर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं करते है तो विपक्षी को, समस्‍त धनराशि पर उक्‍त तिथि से ता अदायेगी तक 12 (बारह) प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर के साथ अदा करना पड़ेगा।''

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी एम0जी0एस0 फोर्ड ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश पाण्‍डेय, प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अम्‍बरीश कौशल के सहयोगी श्री एच0के0 श्रीवास्‍तव और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री महेन्‍द्र कुमार मिश्रा उपस्थित आए हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से पारित किया है। अपीलार्थी जिला फोरम के समक्ष अपना कथन व साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं कर सका है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण है और सत्‍यता से परे है।

 

 

-3-

प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍तागण का तर्क है कि अपीलार्थी जिला फोरम के समक्ष नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से कार्यवाही कर कोई त्रुटि नहीं की है।

प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍तागण का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश उचित और साक्ष्‍य के अनुकूल है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश से यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं01 नोटिस तामीला के बाद भी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी सं01 के विरूद्ध जिला फोरम ने परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है। अपीलार्थी/विपक्षी सं01 ने जिला फोरम के समक्ष अपना लिखित कथन और साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है, जिससे जिला फोरम ने उसके कथन पर विचार नहीं किया है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं01 को जिला फोरम के समक्ष अपना कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर दिया जाए, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी सं01 के जिला फोरम के समक्ष उपस्थित न होने के कारण जो परिवाद के निस्‍तारण में विलम्‍ब हो रहा है उसकी क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी सं01 से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 3000/-रू0 हर्जा दिलाया जाना न्‍यायहित में आवश्‍यक है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी सं01 द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 3000/-रू0 हर्जा अदा करने पर अपास्‍त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि वह अपीलार्थी/विपक्षी सं01 को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्‍दर लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करें और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य

 

 

-4-

और सुनवाई का अवसर देकर पुन: निर्णय विधि के अनुसार यथाशीघ्र तीन माह के अन्‍दर पारित करें।

अपीलार्थी/विपक्षी सं01 को  लिखित  कथन  प्रस्‍तुत  करने  हेतु उपरोक्‍त समय के अलावा और कोई समय प्रदान नहीं किया जाएगा।

उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 28.12.2017 को उपस्थित हों।

अपीलार्थी द्वारा धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि व उस पर अर्जित ब्‍याज से 3000/-रू0 हर्जे की उपरोक्‍त धनराशि का भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी को किया जाएगा और उसके बाद शेष धनराशि अपीलार्थी को वापस कर दी जाएगी।

 

 

     

                    (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                         अध्‍यक्ष            

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1     

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.