राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0—१३९/२००५
(जिला मंच (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-५०/२००३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-१२-२००४ के विरूद्ध)
इण्डियन ओवरसीज बैंक, ४७, सिविल लाइन्स बरेली, द्वारा ब्रान्च मैनेजर।
.............. अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम्
सुधीर कुमार त्रिपाठी पुत्र स्व0 भैरव दत्त निवासी मकान नं0-११०/२३६-ए, मोहल्ला चौधरी, बरेली।
............... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री तरूण प्रकाश श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : ११-१-१६.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला मंच (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-५०/२००३ सुधीर कुमार त्रिपाठी बनाम प्रबन्धक, इण्डियन ओवरसीज बैंक में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-१२-२००४ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अन्तर्गत जिला उद्योग केन्द्र बरेली द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को जनरल मर्चेण्ट की दुकान हेतु ८७,५००/- रू० का ऋण स्वीकृत करके अपीलार्थी बैंक को भेजा गया था, किन्तु अपीलार्थी बैंक ने उपरोक्त ऋण में से मात्र २०,०००/- रू० प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा किया तथा शेष धनराशि अदा नहीं की। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला मंच (द्वितीय), बरेली के समक्ष शेष ऋण की अदायगी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद योजित किया।
प्रश्नगत निर्णय द्वारा विद्वान जिला मंच ने प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया कि मु0 ६७,५००/- रू० शेष ऋण की धनराशि
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परिवादी के नाम निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर वान्छित औपचारिकताऐं पूर्ण कराके अवमुक्त की जाय। इसके अतिरिक्त अपीलार्थी बैंक प्रत्यर्थी/परिवादी को २,०००/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय के रूप में अदा करे। इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री तरूण प्रकाश श्रीवास्तव के तर्क विस्तार से सुने तथा पत्रावली का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी/परिवादी को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, उसके बाबजूद प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत परिवाद में दिनांक १५-१०-२००४ को जिला मंच द्वारा यह आदेश पारित किया गया कि विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया, अत: पत्रावली एक पक्षीय सुनवाई हेतु दिनांक २२-११-२००४ को प्रस्तुत हो। दिनांक २२-११-२००४ को अपीलार्थी के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए एक पक्षीय सुनवाई का आदेश निरस्त किया गया तथा अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र पत्रावली में सम्मिलित किया गया। पक्षकारों के साक्ष्य हेतु दिनांक ०१-१२-२००४ नियत की गयी। दिनांक ०१-१२-२००४ को पुन: सुनवाई हेतु तिथि नियत की गयी। दिनांक २४-१२-२००४ को निर्णय पारित कर दिया गया। उपरोक्त आदेशों की सत्यप्रति अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत की गयीं।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत परिवाद के सन्दर्भ में परिवादी द्वारा अपने अभिकथनों के समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, इसके बाबजूद प्रश्नगत निर्णय द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार कर लिया गया। अपीलार्थी/विपक्षी ने परिवाद के सन्दर्भ में अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया था, किन्तु विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय में प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों पर कोई चर्चा नहीं की।
अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत अपने प्रतिवाद पत्र में यह स्पष्ट रूप से अभिकथित किया था कि प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अन्तर्गत जिला उद्योग केन्द्र बरेली ने परिवादी के जनरल मर्चेण्ट के व्यवसाय हेतु ५०,०००/- रू० ऋण दिए जाने की संस्तुति की थी। अपीलार्थी बैंक
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के अधिकारियों द्वारा सम्बन्धित परिसर का सर्वेक्षण करने के उपरान्त यह पाया गया कि बरेली के मोहल्ला चौधरी की गली में स्थित अपने पैतृक मकान में परिवादी का जनरल मर्चेण्ट का व्यवसाय है। सर्वेक्षण के उपरान्त अपीलार्थी बैंक अधिकारियों ने २०,०००/- रू० ऋण दिया जाना स्वीकृत किया तथा यह धनराशि बतौर ऋण प्रत्यर्थी/परिवादी को प्राप्त करायी गयी। जिला उद्योग केन्द्र बरेली द्वारा किसी अभ्यर्थी को ऋण स्वीकृत नहीं किया जाता, बल्कि ऋण की संस्तुति की जाती है। सम्बन्धित बैंक द्वारा ऋण स्वीकृति, सम्बन्धित प्रोजेक्ट के अवलोकन एवं सर्वेक्षण के उपरान्त की जाती है। जिला उद्योग केन्द्र द्वारा की गयी संस्तुति बैंक पर बाध्यकारी नहीं है।
जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र की फोटोप्रति संलग्नक-२ के रूप में अपीलार्थी द्वारा दाखिल की गयी है। अपीलार्थी ने जिला उद्योग केन्द्र बरेली में प्रत्यर्थी द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अन्तर्गत ऋणप्रदान किये जाने हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्र की फोटोप्रति भी दाखिल की है, जिसमें जिला उद्योग केन्द्र बरेली ने प्रत्यर्थी/परिवादी के जनरल मर्चेण्ट के व्यवसाय हेतु ५०,०००/- रू० ऋण की संस्तुति की।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि पक्षकारों द्वारा दाखिल किसी साक्ष्य की चर्चा इस निर्णय में नहीं की गयी, बल्कि यह तथ्य उल्लिखित किया गया कि – ‘’ उत्तर पत्र प्रस्तुत करने के बाद विपक्षी बैंक की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। परिवाद की सुनवायी एक एक पक्षीय पूर्ण की गई। विपक्षी बैंक की ओर से कोई प्रतिशपथ-पत्र भी दाखिल नहीं किया गया। ‘’
विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष प्रत्यक्षत: त्रुटिपूर्ण है। प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन है कि परिवाद इस अभिकथन के साथ प्रस्तुत किया था कि ८७,५००/- रू० का ऋण उसे स्वीकृत किया गया, अत: प्रत्यर्थी/परिवादी का यह दायित्व था कि वह अपने इस कथन के समर्थन में साक्ष्य विद्वान जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत करता, किन्तु ऐसी कोई साक्ष्य प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विद्वान जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गयी। विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय में अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों की चर्चा करना भी आवश्यक नहीं समझा। मात्र इस आधार पर कि अपीलार्थी बैंक द्वारा ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गयी है, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परिवादी को
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८७,५००/- रू० का ऋण स्वीकृत नहीं किया गया, यह निष्कर्ष निकाल लिया कि प्रत्यर्थी/परिवादी को ८७,५००/- रू० का ऋण स्वीकृत किया गया था। ऐसी स्थिति में विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष त्रूटिपूर्ण है। परिणामस्वरूप, प्रश्नगत निर्णय अपास्त किये जाने तथा अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-५०/२००३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-१२-२००४ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
अपीलीय व्यय-भार के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(महेश चन्द)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-५.