(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
अपील संख्या 2345/2012
(जिला मंच प्रथम बरेली द्वारा परिवाद सं0 129/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 05/09/2012 के विरूद्ध)
सैय्यद रेहान हैदर पुत्र सैय्यद फिरासत हुसैन निवासी- 665- रोहली टोला ओल्ड सिटी, जिला बरेली।
…अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1- मेसर्स सुदर्शन इलेक्ट्रानिक, सामने हिन्द सिनेमा, सिविल लाईन्स, बरेली द्वारा प्रोपराइटर/पार्टनर/मैनेजिंग डायरेक्टर।
2- वीडियोकॉन इण्डस्ट्रीज लि0, पंजीकृत कार्यालय 14 किलोमीटर स्टोन औरंगाबाद, पैथान रोड, चिटगॉव जिला औरंगाबाद- 431105 द्वारा प्रबंधक/मैनेजिंग डायरेक्टर/पार्टनर/इंचार्ज।
3- वीडियोकॉन इण्डस्ट्रीज लि0, कारपोरेट ऑफिस प्लाट नं0 248 उद्योग बिहार, फेस नं0 4 गुडगॉव- 122015 द्वारा सक्षम अधिकारी/डायरेक्टर/इंचार्ज।
.........प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:
1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य ।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री मोहम्मद दानिश।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन।
दिनांक:- 31-03-2017
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठा0 सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला मंच प्रथम बरेली द्वारा परिवाद सं0 129/2012 में पारित निर्णय दिनांकित 05/09/2012 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने वीडियोकॉन इण्डस्ट्रीज लि0 के प्राधिकृत वितरक मै0 सुदर्शन इलेक्ट्रानिक्स से एक स्पिलिट एअर कंडीशनर 1.5 टन का मु0 20,900/- रू0 तथा स्टेबलाईजर मु0 3000/- रू0 में खरीदा जिसकी 05 वर्ष की गारण्टी थी। परिवादी द्वारा क्रय किया गया उपरोक्त एअर कंडीशनर प्रारम्भ से ही प्रयोग करने पर पानी फेंक रहा था तथा उसमें कूलिंग क्षमता कम हो रही थी।
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परिवादी ने उक्त के संबंध में शिकायत प्रत्यर्थीगण के सर्विस सेन्टर पर क्रमश: 19/08/2010, 15/10/2010, तथा 30/10/2010 को दर्ज कराई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिवादी ने मई 2011 में प्रत्यर्थी सं0 1 की फर्म पर एअर कंडीशनर के संबंध में पुन: शिकायत दर्ज कराई जिस पर उनका मैकेनिक एअर कंडीशनर को देखने आया और उसने अपनी फीस 1500/- रूपये मांगी। परिवादी द्वारा यह कहे जाने पर की एअर कंडीशनर गारण्टी अवधि में है तो वह बिना जांच किये वापस चला गया। परिवादी द्वारा दिनांक 02/04/2012 को प्रत्यर्थीगण को कानूनी नोटिस भेजा गया इसके बावजूद प्रत्यर्थीगण ने न तो परिवादी का उक्त एअर कंडीशनर ठीक किया और न ही बदला। इस प्रकार प्रत्यर्थीगण द्वारा सेवा में त्रुटि करना अभिकथित करते हुए परिवाद जिला मंच के समक्ष एअर कंडीशनर की कीमत तथा क्षतिपूर्ति हेतु योजित किया गया।
प्रत्यर्थीगण की ओर से जिला मंच के समक्ष कोई उपस्थितनहीं हुआ और न ही प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया। विद्वान जिला मंच ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रश्नगत एअर कंडीशनर में कथित तकनीकी त्रुटि के संबंध में कोई तकनीकी विशेषज्ञ की आख्या प्रस्तुत नहीं न किये जाने के कारण प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद निरस्त कर दिया। इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री मो0 दानिश तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है।
प्रत्यर्थी नोटिस के तामिला के बावजूद जिला मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। अपीलकर्ता द्वारा प्रस्तुत किये गये साक्ष्य के विरूद्ध कोई साक्ष्य प्रत्यर्थीगण की ओर प्रस्तुत नहीं की गई। ऐसी परिस्थितियों में अपीलकर्ता के अभिकथनों को स्वीकार न कियेजाने का कोई औचित्य नहीं था। अपीलकर्ता की ओर से यह भी तर्क था कि विद्वान जिला मंच ने परिवाद इस आधार पर निरस्त कर दिया कि तकनीकी विशेषज्ञ की आख्या अपीलकर्ता द्वारा दाखिल नहीं की गई। अधिनियम की धारा 13 (1) (1) के अंतर्गत निर्माण संबंधी किसी तकनीकी त्रुटि के संदर्भ में यदि तकनीकी विशेषज्ञ की आख्या जिला मंच द्वारा अपेक्षित थी तो जिला मंच
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स्वयं इस संदर्भ में विशेषज्ञ की आख्या प्राप्त कर सकता था किन्तु जिला मंच द्वारा तकनीकी विशेषज्ञ की आख्या प्राप्त न करके परिवाद निरस्त कर दिया।
प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि निर्माण संबंधी किसी त्रुटि को साबित करने हेतु विशेषज्ञ आख्या आवश्यक होगी। विशेषज्ञ आख्या के अभाव में एअर कंडीशनर की निर्माण संबंधी त्रुटि स्वत: प्रमाणित नहीं मानी जा सकती। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत मामले में गैस के लिकेज की शिकायत परिवादी द्वारा बताया गया था जो वारण्टी की शर्तों के अंतर्गत नहीं आती।
पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवाद के अभिकथन में अपीलकर्ता/परिवादी ने प्रश्नगत एअर कंडीशनर दिनांक 18/07/2010 को क्रय किया जाना बताया है तथा अपीलकर्ता का यह कथन है कि एअर कंडीशनर क्रय किये जाने की तिथि से ही पानी फेंक रहा था तथा कूलिंग क्षमता की कमी हो रही थी। अपीलकर्ता ने इस संदर्भ में दिनांक 19/08/2010 को एक शिकायत प्रत्यर्थी के सर्विस सेन्टर में दर्ज कराई जिसका नंबर 1908100688 था। पुन: 15/10/2010 को शिकायत दर्ज कराई गई जिसका शिकायत नंबर- जी0एच0ए0 1510100028 था। दिनांक 30/10/2010 को तीसरी शिकायत दर्ज कराई गई जिसका नंबर जी0एच0ए0 301010702 था किन्तु अपीलकर्ता/परिवादी का एअर कंडीशनर ठीक नहीं किया गया और न ही बदलने की कोशिश की गई। मई 2011 में पुन: परिवादी ने प्रत्यर्थी सं0 1 की फर्म पर अपने उक्त एअर कंडीशनर के संबंध में उपरोक्त कमी दर्ज कराई तब परिवादी के काफी अनुनय-विनय के उपरान्त प्रत्यर्थी सं0 1 के कर्मकार मो0 फाजिल आया और उन्होनें अपनी फीस 1500/- रू0 मांगे तब परिवादी ने कंपनी/फर्म के कर्मकार से कहा कि एअर कंडीशनर की गारण्टी 05 वर्ष की है। अत: वह उसे पैसा क्यों दें उस पर वह कर्मकार बिना एअर कंडीशनर की जांच किये वापस चला गया। प्रत्यर्थी जिला मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। परिवादी के उपरोक्त अभिकथनों को इन्कार करते हुए कोई प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। अपीलीय स्तर पर भी परिवादी के उपरोक्त अभिकथनों को इन्कार करते हुए प्रत्यर्थी द्वारा कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं की गई। ऐसी स्थिति में परिवादी का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य है कि उसने एअर कंडीशनर में पानी फेंकने तथा कूलिंग क्षमता की कमी हो रही थी। यह तथ्य निर्विवाद है कि विशेषज्ञ आख्या जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई है। विशेषज्ञ आख्या के अभाव में एअर कंडीशनर से संबंधित
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कम्प्रेशर की खराबी स्वत: प्रमाणित नहीं मानी जा सकती। प्रश्नगत एअर कंडीशनर क्रय किये जाने के संबंध में प्रत्यर्थी द्वारा दी गई वारण्टी कागज सं0 16 के अवलोकन से विदित होता है कि एक वर्ष के लिए एअर कंडीशनर के सभी पार्टों ( फ्रन्ट गिल, प्लास्टिक पार्ट के अतिरिक्त) की वारण्टी एअर कंडीशनर निर्माता द्वारा दी गई है। परिवाद के अभिकथनों में स्वयं परिवादी यह स्वीकार कर रहा है कि परिवादी द्वारा की गई शिकायत पर प्रत्यर्थी सं0 1 का कर्मकार आया था और उसने 1500/- रू0 मरम्मत के मांगे थे किनतु परिवादी द्वारा यह धनराशि इस आधार पर नहीं दी गई कि एअर कंडीशनर में यह खराबी वारण्टी अवधि के दौरान उत्पन्न हुई थी। क्योंकि वारण्टी अवधि के मध्य एअर कंडीशनर में यह खराबी पाई गई। अत: स्वाभाविक रूप से इस धनराशि की अदायगी अपीलकर्ता/परिवादी से अपेक्षित नहीं थी। प्रत्यर्थीगण ने अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा एअर कंडीशनर में इंगित त्रुटियों का निराकरण नहीं किया गया। अत: निश्चित रूप से प्रत्यर्थीगण द्वारा सेवा में त्रुटि की गई। प्रत्यर्थीगण द्वारा एअर कंडीशनर की त्रुटियों का निवारण न किये जाने पर स्वाभाविक रूप से अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा इस त्रुटि का निवारण अपने खर्चें पर कराया गया होगा। अत: इस संदर्भ में आर्थिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति अपीलकर्ता/परिवादी को दिलाया जाना न्यायोचित होगा। मामले की परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से अपीलकर्ता/परिवादी को मु0 5000/- रू0 आर्थिक एवं मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में एवं मु0 5000/- रू0 वाद व्यय के रूप में दिलाया जाना न्यायोचित होगा। विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित है। अत: जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय अपास्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय अपास्त किया जाता है। परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। प्रत्यर्थीगण को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर अपीलकर्ता/परिवादी को मु0 5000/- रू0 आर्थिक एवं मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति एवं मु0 5000/- रू0 वाद व्यय के रूप में अदा करें। इस धनराशि पर पर परिवाद योजित किये जाने की तिथि से संपूर्ण धनराशि की अदायगी तक 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज अपीलकर्ता/परिवादी प्रत्यर्थीगण से पाने का
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अधिकारी होगा।
निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार प्राप्त कराई जाय।
(उदय शंकर अवस्थी) (संजय कुमार)
पीठा0 सदस्य सदस्य
सुभाष आशु0 कोर्ट नं0 2