राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1102 /1997 मौखिक
(जिला उपभोक्ता फोरम गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-1014/1995 में पारित आदेश दिनांक-10-06-1997 के विरूद्ध)
गाजियाबाद डेव्लपमेंट अथारिटी, द्वारा वाइस चेयरमैन।
..अपीलकर्ता/विपक्षी
बनाम
सुदामा सिंह निवासी- साहिबाबाद ड्राइंग एण्ड प्रिंटिंग मिल्स, 182, टी.टी. रोड़, साहिबाबाद, गाजियाबाद।
.प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1- माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :श्री अरविन्द कुमार के सहयोगी श्री उमेश
कुमार श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 29-01-2015
माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-1014/1995 में पारित आदेश दिनांक-10-06-1997 के विरूद्ध
प्रस्तुत की गयी है। जिला उपभोक्ता फोरम अपने आदेश में परिवादी की शिकायत को स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय के पश्चात तीन माह के भीतर आरक्षित भवन को विकसित करके आवश्यक नागरिक सुविधाओं सहित परिवादी को कब्जा दें साथ ही उसकी जमा राशि पर 01-01-1993 से कब्जा मिलने तक की अवधि के लिए 18 प्रतिशत ब्याज की दर से ब्याज अदा करें। साथ ही परिवादी के मानसिक उत्पीड़न और वाद के हर्जे-खर्चे के लिए 2,000-00 रूपये मुआवजे के अदा करें।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी की इन्द्रापुरम अल्प आय वर्ग ई0 डब्लू0एस0 योजना में दिनांक 01-10-1990
(2)
को 5220-00 रूपये जमा करके एक भूतल भवन के लिए आवेदन किया उसके उपरान्त दिनांक 20-12-1990 के पत्र द्वारा विपक्षी ने परिवादी के पक्ष में एक भवन आरक्षित किया और पेमेंट शेड्यूल जारी किया, जिसके अनुसार वर्ष 1992 में उसे कब्जा मिल जाना चाहिए था। परिवादी ने जो मूल्य बताया गया था वह 52,000-00 रूपये जमा कर दिया, परन्तु परिवादी को भवन का कब्जा नहीं दिया गया। अत: परिवादी ने अनुरोध किया कि उसे भवन का कब्जा दिलाया जाय और जमा धनराशि पर 18 प्रतिशत ब्याज दिलाया जाय और 1,000-00 रूपये जो वह किराया दे रहा है, उसे दिलाया जाय।
विपक्षी के तरफ से प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, जिसमें भवन हेतु आवेदन करना एवं 52,000-00 रूपये जमा किया जाना स्वीकार किया गया है और यह कहा गया है कि भवन की मूल्य एवं अवधि अनुमानित थी। भवन सभी आवश्यक सुविधाओं सहित उपलब्ध है। परिवादी आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण करके कब्जा प्राप्त कर सकता है।
इस सम्बन्ध में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अरविन्द कुमार के सहयोगी श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, जबकि प्रत्यर्थी नोटिस दिनांक-19-11-2011 एवं 20-03-2012 को भेजे जाने के बावजूद भी उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क में कहा कि जहॉ तक परिवादी को भवन का कब्जा दिये जाने का प्रश्न है, कब्जा दिया जा चुका है और उनका कहना है कि जमा राशि पर दिनांक 01-01-92 से कब्जा मिलने तक 18 प्रतिशत ब्याज लगाया गया है, उसे समाप्त किया जाय और
(3)
मानसिक उत्पीड़न व वाद खर्च के लिए 2,000-00 रूपये जो लगाया गया है, उसे भी समाप्त किया जाय।
केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम यह पाते है कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा अपने निर्णय/आदेश में जो 18 प्रतिशत ब्याज दिलाया गया है, उसको संशोधित करते हुए 09 प्रतिशत दिलाया जाना न्यायोचित है एवं जो 2,000-00 रूपये मानसिक उत्पीड़न व वाद खर्च का दिलाया गया है, उसे समाप्त किये जाने योग्य है। अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा जमा धनराशि पर जो 18 प्रतिशत का ब्याज दिलाया गया है, उसके स्थान पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिलाया जाता है तथा 2,000-00 रूपये जो मानसिक उत्पीड़न एवं वाद खर्च के लिए दिलाया गया है, उसे समाप्त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
(आर0सी0 चौधरी) ( संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर.सी.वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-5