राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या :1310/2011
(जिला उपभोक्ता फोरम, फैजाबाद द्धारा परिवाद सं0-03/2009 में पारित निर्णय/ आदेश दिनांक 21.6.2011 के विरूद्ध)
Bank of Baroda, Branch Kumarganj, Faizabad through its Branch Manager, Kumarganj Branch, Faizabad.
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
Subash Chandra Tiwari, S/o Late Keshvram Tiwari, R/o Village & Post-Viraulijham, Pargana & Tehsil-Milkipur, District-Faizabad.
……..…. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री सूर्यमणि पाण्डेय
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री सुभाष चन्द्र
दिनांक : 28/7/2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-03/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 21.6.2011 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम, फैजाबाद द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को रू0 10,000.00 बतौर क्षतिपूर्ति एवं रू0 1,000.00 बतौर वाद व्यय निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर अदा करें। परिवाद अंतिम रूप से निस्तारित किया जाता है।"
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी सुभाष चन्द्र तिवारी ने प्रतिवादी बैंक आफ बड़ौदा तथा जितेन्द्र कुमार सिंह ऋण अधिकारी बैंक आफ बड़ौदा शाखा कुमारगंज जिला फैजाबाद किसान क्रेडिट कार्ड नं0-514 के खाताधारक हैं। उक्त क्रेडिट कार्ड की सीमा रू0 25,000.00 है जो परिवसादी आवश्यकतानुसार निकाला जमा करता रहा। परिवादी ने दिनांक 13.6.2011 को प्रतिवादी सं0-1 से अपने क्रेडिट कार्ड नं0-614 से रू0 20,000.00 निकासी
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का आवेदन किया जो परिवादी को सिंचाई हेतु नलकूप लगवाने हेतु आवश्यकता थी। प्रतिवादी ने परिवादी से कहा कि वह परिवादी को रू0 10,000.00 से अधिक निकालने की अनुमति नहीं देंगे। परिवादी ने प्रतिवादीगण से कहा कि यदि उसे रू0 20,000.00 नहीं मिले तो सिंचाई के अभाव में उसकी खेती नष्ट हो जायेगी और उसकी अपूर्णनीय क्षति होगी। प्रतिवादी सं0-2 ने परिवादी के इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जबकि परिवादी ने प्रतिवादी से यह भी कहा कि प्रतिवादी द्वारा विभिन्न बी.के.सी.सी. धारकों को निर्धारित सीमा के अन्तर्गत एक मुश्त रकम का भुगतान प्रतिवादी द्वारा किया गया है जबकि परिवादी भी बी.के.सी.सी. के रू0 25,000.00 सीमा के अन्दर ही धनराशि दिये जाने के लिए प्रार्थना कर रहा है, परन्तु प्रतिवादीगण ने परिवादी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसके फलस्वरूप परिवादी द्वारा प्रतिवादीगण से रू0 1,91,000.00 की क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद संस्थित किया गया है।
प्रतिवादीगण की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कथन किया गया है कि प्रतिवादी द्वारा खाताधारकों को अनुमन्य धनराशि की सीमा का आधा ही दिया जाता है, क्योंकि प्रतिवादी द्वारा खाताधारकों को दो अलग-अलग फसलों रवी और खरीफ के लिए आधा-आधा धन दिया जाता है। इस प्रकार प्रतिवादी द्वारा परिवादी को रू0 10,000.00 दिया जाना तर्क संगत और उचित था और प्रतिवादी द्वारा किसी भी प्रकार की सेवा में कमी नहीं की गयी है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 21.6.2011 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सूर्यमणि पाण्डेय तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुभाष चन्द्र, जो कि स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी है, की बहस सुनी गई तथा उभय पक्ष की ओर से दाखिल लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है।
परिवाद पत्र में विस्तृत रूप से यह कहा गया है कि परिवादी ने जब ऋण अधिकारी प्रतिवादी सं0-2 से सम्पर्क किया, तो उन्होंने कहा कि रू0
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25,000.00 की क्रेडिट सीमा पर वह केवल रू0 10,000.00 से अधिक नहीं निकालने देंगे। परिवादी ने श्री जितेन्द्र कुमार सिंह, ऋण अधिकारी से अपनी आवश्यकता रू0 10,000.00 में पूरी न होने की बात बतायी और यह भी कथन किया कि यदि रू0 20,000.00 नहीं मिलते है तो परिवादी की पिपरमेंट, गन्ने की खेती बरबाद हो जायेगी एवं धान की भी रोपाई व सिंचाई नहीं हो पायेगी और प्रतिवादी सं0-2 ऋण अधिकारी ने उसकी पास बुक पर रवी की फसल पर रू0 10,000.00 तथा खरीफ पर रू0 10,000.00 व रू0 5,000.00 अन्य अंकित कर दिया तथा कहा कि अधिक बातें मत करें। वह उपरोक्त मानक से अधिक रूपया नहीं दे सकते, जबकि अन्य खाताधारकों को इसी योजना के अन्तर्गत एक मुश्त रूपया निकाला जा सकता है। बैंक द्वारा जारी पास बुक की फोटो प्रति संलग्नक सं0-1 के रूप में संलग्न है। परिवाद पत्र में यह भी कहा गया है कि ऋण अधिकारी श्री जितेन्द्र कुमार सिंह ने बहुत से लोगों को क्रेडिट कार्ड में अंकित अधिकतम सीमा के बराबर भुगतान किया है, जिसमें से कुछ कार्ड धारक परिवादी के ही गॉव के है और जिनको परिवादी जानता है, जिसमें 1- बलदेव तिवारी पुत्र स्वं0 सत्य नरायन तिवारी, खाता संख्या-वी.के.सी.सी. 90/120 क्रेडिट कार्ड की निर्धारित सीमा रू0 10,000.00 एवं एकमुश्त भुगतान की गई धनराशि- 9,000.00 रू0 है।
2- जगत नरायन पुत्र स्वं0 भोला, खाता संख्या-वी.के.सी.सी. 16(90/184) क्रेडिट कार्ड की निर्धारित सीमा रू0 30,000.00 एवं एकमुश्त भुगतान की गई धनराशि- 20,000.00 रू0 है।
3- रामभवन मिश्रा पुत्र स्वं0 रामतेज मिश्रा, क्रेडिट कार्ड की निर्धारित सीमा रू0 10,000.00 एवं एकमुश्त भुगतान की गई धनराशि- 9,000.00 रू0 है।
4- रामउजागिर तिवारी पुत्र स्वं0 केशवराम तिवारी, खाता संख्या-वी.के.सी.सी. 472(97/225) क्रेडिट कार्ड की निर्धारित सीमा रू0 25,000.00 एवं एकमुश्त भुगतान की गई धनराशि- 20,000.00 रू0 है।
परिवाद पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रतिवादी सं0-1 व 2 से अपने प्रार्थना पत्र दिनांकित 25.6.08 जन सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा-6 के अन्तर्गत यह जानकारी चाही कि बैंक के किस सर्कुलर के आधार पर परिवादी को एकमुश्त रू0 20,000.00 के भुगतान से वंचित किया गया
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और उस सर्कुलर की फोटो कापी की मॉग की गई थी, लेकिन बैंक द्वारा परिवादी को उपलब्ध नहीं कराया गया। परिवाद पत्र के पैरा-14 में यह कहा गया है कि जो सर्कुलर दिनांक 07.10.2008 को बैंक द्वारा उपलब्ध कराया गया है, उसमें ऐसा कोई भी निर्देश नहीं दिया गया है कि उपभोक्ता को एक मुश्त भुगतान न किया जाये। इस प्रकार प्रतिवादीगण द्वारा परिवादी को उसके क्रेडिट कार्ड से 20,000.00 भुगतान करने से मना करना उसकी त्रुटि पूर्ण व दोषपूर्ण एवं स्वेच्छा चारिता का परिचायक है।
पत्रावली में सुभाष चन्द्र तिवारी की पास बुक की फोटो कापी दाखिल की गई है, इसके अलावा परिवादी की ओर से जगत नरायन के पास बुक की फोटो कापी एवं रामउजागिर तिवारी के पास बुक की फोटा कापी दाखिल की गई हैं, जिससे स्पष्ट है कि रामउजागिर तिवारी के खाते से रू0 20,000.00 निकाले है और जगत नरायन ने अपने खाते से रू0 20,000.00 निकाले है और इन्हीं तथ्यों को परिवादी ने अपने परिवाद में भी भ्कहा था और परिवाद पत्र के पैरा-10 में एक सूची दी गई है तथा बहुत से लोगों को क्रेडिट कार्ड में अंकित अधिकत्म सीमा के बराबर भुगतान किया गया है, जिसमें से कुछ कार्डधारक परिवादी के ही गॉव के ही है और जिसका मिलान पास बुक से किया गया है।
उपरोक्त सारे तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा जो यह निष्कर्ष निकाला गया है कि प्रतिवादीगण के द्वारा सेवा में कमी की गई है, वह केस के तथ्य एवं परिस्थितियों पर आधारित है तथा जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश विधि सम्मत है और उसमें किसी हस्ताक्षेप की गुनजाइश नहीं है। तद्नुसार अपीलार्थी की अपील खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-4