Uttar Pradesh

StateCommission

A/1266/2017

Bhawna Bharat gas Agency - Complainant(s)

Versus

Subhash Chandra Bhardwaj - Opp.Party(s)

Vikas Agrwal

31 Jan 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1266/2017
(Arisen out of Order Dated 03/12/2016 in Case No. C/103/2015 of District Muradabad-II)
 
1. Bhawna Bharat gas Agency
Near Chungi Muradabad Kasipur Rad Thakurdwara Distt. Muradabad Thrugh Smt. Ram Sakhi Devi W/O Late Sri veer Singh Prop.
...........Appellant(s)
Versus
1. Subhash Chandra Bhardwaj
S/O Sri Teekaram R/O Mohalla Holika Mandir Jamawala Ward No. 8 Thakurdwara Distt. Muradabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 31 Jan 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 1266/2017

                                   (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय, मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0- 103/2015 में पारित आदेश दि0 03.12.2016 के विरूद्ध)

  1. Bhawna bharat gas agency, Near Kasipur chungi, Muradabad- Kasipur road, Thakurdwara, Distt.- Moradabad. Through Smt. Ram sakhi devi, W/o Late Veer singh, Proprietor.
  2. Sanjeev kumar singh, S/o Late Veer singh, R/o Mohalla- Jatvaan, ward no.- 1, Thakurdwara, Distt.- Moradabad.                                                                                 

                                     ………Appellants

                                                  Versus

Subash Chandra bharatdwaj, S/o Sri Teekaram, R/o Mohalla- Holika mandir, Jamnawala, ward no.- 08, Thakurdwara, Distt.- Moradabad.

                                                                         ………. Respondent.

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल,

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय,

                             विद्वान अधिवक्‍ता।             

दिनांक:-  31.01.2018

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

  परिवाद सं0- 103/2015 सुभाष चन्‍द्र भारद्वाज बनाम भावना भारत गैस एजेंसी में जिला फोरम द्वितीय, मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 03.12.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

  आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

  ‘’विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह आज की तिथि से 30 दिवस के भीतर परिवादी की गैस सब्सिडी किसी अन्‍य खाते में क्रेडिट होने में हुई गलती को ठीक कराए और अंकन 1606/-रू0 90 पैसा की जो सब्सिडी किसी अन्‍य के खाते में जमा हो गई है, उसे वापिस परिवादी के खाते में डलवाये। परिवादी विपक्षी से क्षतिपूर्ति की मद में 5000/-रू0 (पांच हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो हजार पांच सौ रूपया) अतिरिक्‍त पाने का भी अधिकारी होगा। 30 दिवस के भीतर ऐसा न कर पाने की दशा में विपक्षी परिवादी को गलत क्रेडिट हुई सब्सिडी अंकन 1606/-रू0 90 पैसा की नकद प्रति पूर्ति परिवादी को करेंगे।‘’  

  जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।     

  अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय उपस्थित आये हैं।

  मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

  अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद विपक्षी के विरुद्ध जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह विपक्षी के घरेलू गैस कनेक्‍शन का उपभोक्‍ता है उसका गैस कनेक्‍शन नं0- 1784 है। गैस की सब्सिडी बैंक खाते में जमा कराने हेतु उसने आवश्‍यक फार्म भरकर गैस कनेक्‍शन की पासबुक, आधार कार्ड और अपने बैंक खाते की पासबुक आदि की नकलें संलग्‍न कर दि0 09.12.2014 को विपक्षी के कार्यालय में जमा कर दिया, परन्‍तु समस्‍त औपचारिकतायें पूरी करने के बाद भी परिवादी को गैस कनेक्‍शन की सब्सिडी नहीं मिली। दि0 01.05.2015 तक उसकी सब्सिडी की धनराशि 1606/-रू0 90/-पैसा बनी जो उसके खाते में जमा न होकर विपक्षी द्वारा किसी अन्‍य के खाते में जमा कर दी गई। परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में जाकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी, परन्‍तु कोई सुनवाई नहीं हुई तब दि0 27.06.2015 को एस0डी0एम0 ठाकुरद्वारा को आवेदन पत्र दिया और दि0 07.07.2015 को तहसील दिवस में अपनी आपत्ति दर्ज करायी, फिर भी उसकी गैस सब्सिडी उसके खाते में स्‍थानांतरित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। अत: उसने विपक्षी को कानूनी नोटिस भेजा जो उसने वापस कर दिया तब उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

  अपीलार्थी/विपक्षी ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर यह स्‍वीकार किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का गैस कनेक्‍शन है। उसने लिखित कथन में कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने गैस सब्सिडी अपने खाते में क्रेडिट कराने हेतु आवश्‍यक कागजात विपक्षी को प्रेषित किया है और उक्‍त कागजात विपक्षी ने सम्‍बन्धित बैंक को भेज दिये हैं। लिखित कथन में विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उसे परेशान करने हेतु गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

  जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह निष्‍कर्ष अंकित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को देय सब्सिडी की धनराशि उसके खाते में न जमा कर किसी अन्‍य व्‍यक्ति के खाते में जमा की गई है, जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में जमा कराने का दायित्‍व अपीलार्थी/विपक्षी पर है, परन्‍तु उसने अपने दायित्‍व के निर्वहन में उपेक्षा की है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

  अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी ने अपनी सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में सब्सिडी की धनराशि भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि0 द्वारा जमा की जानी थी जिसे दूसरे व्‍यक्ति के खाते में जमा कर दिया गया है। इसके लिए अपीलार्थी उत्‍तरदायी नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी को जब इस बात की जानकारी हुई कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की सब्सिडी की धनराशि दूसरे के खाते में जमा की गई है तो अपीलार्थी/विपक्षी ने धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में अंतरित करने हेतु आवश्‍यक कार्यवाही की है और बैंक को भी लिखा है, परन्‍तु जिला फोरम ने इस पर विचार नहीं किया है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण है और अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

  प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के अनुकूल है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को सब्सिडी की धनराशि अपने खाते में अंतरित करने हेतु सूचित किया है और उससे इस संदर्भ में निवेदन किया है, परन्‍तु उसने कोई सुनवाई नहीं की है तब उसने दि0 27.06.2015 को एस0डी0एम0 से शिकायत की है और दि0 07.07.2015 को तहसील दिवस में अपनी शिकायत दर्ज करायी है, फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की सब्सिडी उसके खाते में अंतरित कराने का प्रयास नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की सब्सिडी उसके खाते में अंतरित कराने हेतु जो कथित कार्यवाही किया जाना बताया है वह सब परिवाद प्रस्‍तुत किये जाने के बाद की है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में जो त्रुटि माना है वह उचित है। जिला फोरम के निर्णय और आदेश में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।    

  मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

  निर्विवाद रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पास अपीलार्थी/विपक्षी का गैस कनेक्‍शन है और अपीलार्थी/विपक्षी की एजेंसी से जो गैस कनेक्‍शन प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने लिया है उसकी सब्सिडी की धनराशि 1606/-रू0 90/-पैसा प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा आवश्‍यक औपचारिकतायें पूरी करने के बाद भी उसके खाते में जमा नहीं की गई है और यह धनराशि एक-दूसरे व्‍यक्ति के खाते में जमा कर दी गई है। परिवाद पत्र के कथन से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से इस संदर्भ में शिकायत की और सब्सिडी की धनराशि अपने खाते में जमा कराने का अनुरोध किया, परन्‍तु उसने कोई सुनवाई नहीं की तब उसने एस0डी0एम0 से शिकायत की और तहसील दिवस में शिकायत की, फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी ने कोई कार्यवाही सब्सिडी प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में अंतरित कराने हेतु नहीं की। अपीलार्थी/विपक्षी ने सब्सिडी प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में स्‍थानांतरित कराने हेतु जो भी लिखा-पढ़ी व पत्राचार किया है वह सब परिवाद प्रस्‍तुत किये जाने के बाद का है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी को जो सेवा में कमी का दोषी माना है वह उचित है और जिला फोरम के इस निष्‍कर्ष में किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

  जिला फोरम ने जो सब्सिडी की धनराशि 1606/-रू0 90/-पैसा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में जमा कराने हेतु अथवा उसका नकद भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी को करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है वह उचित है।

  सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए जिला फोरम ने जो 2500/-रू0 वाद व्‍यय दिलाया है वह भी उचित है। सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की शिकायत पर त्‍वरित कार्यवाही नहीं की है और सेवा में कमी की है, जिससे उसे दर-दर भटकना पड़ा है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति दिलायी है वह कुछ अधिक प्रतीत होती है उसे कम कर क्षतिपूर्ति की धनराशि 3,000/-रू0 किया जाना उचित है। अत: जिला फोरम का निर्णय और आदेश तदनुसार संशोधित किये जाने योग्‍य है।

  उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम ने जो 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान की है उसे कम कर 3,000/-रू0 किया जाता है। जिला फोरम के निर्णय और आदेश का शेष अंश यथावत कायम रहेगा।

  अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

  धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारित करने हेतु प्रेषित की जाए।  

         

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                          

                                      अध्‍यक्ष                         

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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