जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति आषा देवी पत्नी श्री ओम प्रकाष गर्ग,आयु-63 वर्ष, जाति-अग्रवाल, निवासी- राघव निवास, मदनगंज-किषनगढ़, जिला-अजमेंर ।
- प्रार्थिया
बनाम
1. उप पंजीयक, पंजीयन एवं मुद्रांक,किषनगढ, अजमेर ।
2. उप महानिरीक्षक, पंजीयन एवं मुद्रांक, घूघरा घाटी, अजमेर ।
3. महानिरीक्षक, पंजीयन एवं मुद्रांक, कर-भवन, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 132/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी , अधिवक्ता, प्रार्थी
2. अप्रार्थीगण की ओर से उनके प्रतिनिधि
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-11.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थिया द्वारा दिनंाक 1.2.2013 को अप्रार्थी संख्या 1 के यहां 53 पट्टों का पंजीयन करवाए जाने के निवेदन करने पर उससे राजकीय नियमों की अनदेखी कर मुद्रांक ष्षुल्क व सरचार्ज पेटे राषि रू. 1,76,374/- अधिक वसूली गई राषि उसके द्वारा दिनंाक 8.4.2013 को षिकायत किए जाने पर क्रमष: दिनंाक 19.11.2013 को रू. 1,60,340/- व दिनंाक 30.3.2014 को रू. 16,034/- विलम्ब से लौटा कर व राजकीय नियमों की अनदेखी कर अधिक राषि वसूल करना अप्रार्थीगण की सेवा में कमी का परिचायक है । प्रार्थिया ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थिया से स्टाम्प एवं सरचार्ज की अधिक वसूल की गई राषि का भुगतान वर्ष 2013 कर दिए जाने के कारण वर्ष 2014-15 में प्रार्थिया का परिवाद मियाद बाहर होने से खारिज होने योग्य है । परिवाद में अंकित अधिकतर तथ्यों के संबंध में रिकार्ड पर आधारित होने के कारण जवाब अपेक्षित नहीं होने का कथन करते हुए परिवाद को निरस्त किए जाने योग्य बताया ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 ने अपने जवाब में अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा दिए गए जवाब में अंकित तथ्यों को ही दोहराया है ।
4. यहां यह उल्लेखनीय है कि हस्तगत प्रकरण में प्रार्थिया द्वारा अप्रार्थीगण के रूप में राज्य सरकार के राजस्व से संबंधित अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया है । उन्हें नोटिस तामील हो जाने के बाद उनकी ओर से मात्र कर्मचारीगण ने उपस्थिति दी है । जबकि उनके लिए यह अपेक्षित था कि वे अपने प्रतिनिधित्व के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किन्ही विधि अधिकारी अथवा राजकीय अधिवक्ता के माध्यम से अपनी उपस्थिति देते । किन्तु खेद का विषय है कि ऐसा नहीं किया गया है । यहां तक की उक्त कर्मचारियों की ओर से मात्र जवाब प्रस्तुत करते हुए आगामी सुनवाई की तिथि पर अप्रार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है व दिनांक 4.5.2016 को उनके विरूद्व एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई है। न्याय हित में मामले में गुणावगुण के आधार पर निर्णय पारित किया जा रहा है ।
5. प्रार्थिया की ओर से अपने तर्को में बताया गया है कि उसके द्वारा दिनंाक 1.2.2013 को 53 पट्टांे के दस्तावेजात को रजिस्टर्ड कराने के लिए आवेदन किया गया था । अप्रार्थी संख्या 1 ने राजकीय नियमों की अनदेखी करते हुए जानबूझकर प्रार्थिया से मुद्रांक ष्षुल्क व सरचार्ज राषि के रू. 1,76,374/- अधिक वसूल कर लिए हंै। षिकायत करने पर उससे सरचार्ज की अधिक ली गई राषि लौटाने की स्वीकृति जारी करते हुए हालांकि दिनांक 19.11.2013 को रू. 1,60,340/- तथा 30.3.2014 को रू. 16,034/- का भुगतान कर दिया गया । किन्तु रिफण्ड आदेष से स्पष्ट है कि अप्रार्थी संख्या 1 ने प्रार्थिया से राजकीय नियमों की अनदेखी कर रू. 1,76,374/- अधिक वसूले है एवं उसके द्वारा पत्राचार व व्यक्तिगत सम्पर्क करने के बाद उक्त राषि वापस लौटाई गई है । ऐसा करते हुए उन्होनें सेवा में कमी का परिचय दिया है । प्रार्थिया को गहन मानसिक एवं आर्थिक आघात लगा है जिसके बतौर वह वसूली राषि पर जमा कराने की दिनंाक से अदायगी की दिनंाक तक 12 प्रतिषत वार्षिक ब्याज सहित राषि मय परिवाद व्यय प्राप्त करने की अधिकारिणी है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
6. हमने विचार किया एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया ।
7. यह स्वीकृत स्थिति है कि प्रार्थिया द्वारा दिनांक 1.2.2013 को पट्टो को रजिस्टर्ड करवाने के लिए आवेदन किए जाने पर विभाग द्वारा वांछित पंजीयन षुल्क लिया जाकर उक्त अभिलेख पंजीकृत किए गए। किन्तु कालान्तर में अभ्यावेदन प्रस्तुत किए जाने पर उक्त ज्यादा ली गई राषि लौटाए जाने की स्वीकृति जारी हुई व दिनंाक 30.3.2014 तक उक्त राषि का भुगतान प्रार्थिया को कर दिया गया है । अप्रार्थी संख्या 3 के कार्यालय आदेष दिनांक 18.9.2013 जो पत्रावली में संलग्न है, के अवलोकन से प्रकट होता है कि प्रार्थिया द्वारा उक्त अभिलेखों के पंजीयन हेतु आवेदन किए जाने पर समुूचित साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण देय मुद्रांक कर प्रति प्रकरण राषि रू. 500/- के स्थान पर कन्वेन्स की दर से पंजीयन ष्षुल्क लिया गया था । इसी आदेष के अन्तर्गत प्रार्थिया द्वारा पंजीयन के उपरान्त अप्रार्थी संख्या 2 को दिनंाक 18.4.2013 को प्रार्थना पत्र के साथ उसकी भूमि से संबंधित आवष्यक दस्तावेज संलग्न कर राज्य सरकार की अधिसूचना दिनंाक 18.10.2012 में पंजीयन ष्षुल्क में दी गई छूट हेतु निवेदन करने पर कलेक्टर, मुद्रांक , अजमेर द्वारा मुद्रांक कर प्रतिदायी की अनुषंसा किए जाने पर संबंधित नियमों के अनुसार प्रार्थिया को उसके द्वारा अधिक जमा कराई गई मुद्रांक कर राषि को वापस किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है । तदनुसार उक्त अधिक वसूल की गई राषि लौटाई गई है । इस प्रकार यह स्पष्ट है कि प्रार्थिया ने सर्वप्रथम प्रष्नगत अभिलेखों को पंजीयन कराने हेतु आवेदन किए जाने में समुचित साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की थी । तत्पष्चात् प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में पंजीयन ष्षुल्क में दी गई छूट हेतु निवेदन करने बाबत् आवष्यक दस्तावेजात प्रस्तुत किए जाने पर संबंधित विभाग द्वारा प्रकरण में पुनः जांच की जाकर उक्त छूट का लाभ देते हुए उसे वापस ली गई राषि लौटाई गई है । इस प्रकार अप्रार्थीगण की ओर से किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी अथवा अनुचित व्यापार व्यवहार का परिचय नहीं दिया गया ।
8. हाॅं, यह अवष्य है कि अभिलेखेां का पंजीयन करते समय विभाग द्वारा तत्समय प्रभावी छूट के समस्त प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए ही ऐसे अभिलेखों का पंजीकरना करना था । चूंकि ऐसा नहीं किया है , अतः संबंधित प्रावधानों की अनदेखी अवष्य की गई है । मंच की राय में इन हालात को ध्यान में रखते हुए अप्रार्थीगण को सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता । प्रार्थिया का परिवाद अस्वीकार होकर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
9. प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 11.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
इस आदेष की एक प्रति सम्भागीय आयुक्त, अजमेर को भी सूचनार्थ भेजी जाए ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्या अध्यक्ष