राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
अपील संख्या 2555/1994
(जिला मंच पीलीभीत द्वारा परिवाद सं0 101/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 16/08/1994 के विरूद्ध)
1- यूनियन आफ इंडिया, रेल मंत्रालय केन्द्रीय सचिवालय द्वारा सचिव भारत सरकार, नई दिल्ली।
2- महाप्रबंधक, पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर।
3- स्टेशन अधीक्षक, पूर्वोत्तर रेलवे, पीलीभीत।
…अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
अब्दुल सलीम खां पुत्र अब्दुल जलील खां, निवासी 106 आरिफ खां नगर, जनपद पीलीभीत।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
अपील संख्या 2565/1994
अब्दुल सलीम खां पुत्र अब्दुल जलील खां, निवासी 106 आरिफ खां नगर, जनपद पीलीभीत।
.........अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1- स्टेशन अधीक्षक, पूर्वोत्तर रेलवे, प्रशासनिक, पीलीभीत।
2- महाप्रबंधक, पूर्वोत्तर रेलवे, प्रशासनिक, गोरखपुर उत्तर प्रदेश द्वारा एजेन्ट प्रतयर्थी सं0 1।
3- यूनियन आफ इंडिया, रेल मंत्रालय केन्द्रीय सचिवालय द्वारा सचिव भारत सरकार, नई दिल्ली।
…प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:
1. मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्यायिक सदस्य।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान।
दिनांक 30-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्यायिक सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
अपील सं0 2555/94
2
अपीलकर्ता ने प्रस्तुत अपील विद्वान जिला मंच पीलीभीत द्वारा परिवाद सं0 101/101/93 अब्दुल सलीम खां बनाम स्टेशन अधीक्षक पीलीभीत व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16/08/94 के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है जिसमें कि विद्वान जिला मंच द्वारा निम्नलिखित निर्णय/आदेश पारित किया है:-
‘’ इन परिस्थितियों में यह आदेश किया जाता है कि विपक्षी शिकायतकर्ता को 898/रूपये जो शिकायतकर्ता द्वारा विपक्षी की भूल के कारण व्यय किया गया तथा 06/07/92 से भुगतान की तिथि तक 15 प्रतिशत ब्याज और मु0 2,000/ रूपये क्षतिपूर्ति के अदा करे। अनुपालन एक माह के अंदर किया जाय।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी दिनांक 06/07/92 को दो शयिकाओं के लिए नैनीताल एक्सप्रेस से पीलीभीत से लखनऊ जाने के लिए आरक्षण करवाया था। जब वह 10 बजे के करीब स्टेशन पर आये तो बोगी नं0 –एस0-10 जिसमें उनको आरक्षण दिया गया था कि बर्थ नं0 44 और 47 पर कोई अन्य लोग बैठे हुए मिले। शिकायतकर्ता ने टी0टी0 को खोजा जो नहीं मिले उन्होंने स्टेशन पर उपस्थित किसी सक्षम अधिकारी को अपनी शिकायत की और उस अधिकारी ने एक सर्टीफिकेट शिकायतकर्ता को दिया कि आरक्षण चार्ट में बर्थ नं0 44 और 47 पर किन्हीं और व्यक्तियों के नाम लिखे थे। प्रतिवादी रेलवे विभाग ने आरक्षण चार्ट दाखिल किया है और यह कहा है कि टी0टी0 जो उस बोगी के इन्चार्ज थे। सम्भवत: 11:00 बजे पर बोगी में उपस्थित हो गये थे तथा शिकायतकर्ता को जो भी शिकायत करना था उनसे करते।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी का परिवाद रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट की धारा 13 एवं 15 के प्राविधान के अंतर्गत बाधित है। प्रत्यर्थी का परिवाद उपभोक्ता न्यायालय में पोषणीय नहीं है एवं निरस्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
परिवादी/प्रत्यर्थी के द्वारा मु0 148/ रूपये की धनराशि तथा 450/ रूपये लखनऊ से रायबरेली तक यात्रा करने के अतिरिक्त वाद व्यय एवं मु0 300/ रूपये रेलवे विभाग की लापरवाही के कारण वाहन करने हेतु खर्च किये गये, अपीलार्थी से दिलाये जाने का अनुतोष मांगा है तथा मु0 50,000/ रूपये अभद्र व्यवहार के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाये जाने का आग्रह किया है
3
एवं मु0 20,000/ रूपये की धनराशि मानसिक क्लेश तथा वाद व्यय तथा छेड़छाड़ के रूप में मु0 10,000/ रूपये का अनुतोष मांगा है।
विद्वान जिला मंच ने मु0 898/ रूपये अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी को दिलाये जाने का आदेश दिया है जिसमें कि उसके द्वारा यात्रा करने में हुए खर्च भी सम्मिलित है तथा ऐसी परिस्थितियों में यदि उसके द्वारा टिकट के रूप में लखनऊ से रायबरेली तक की यात्रा करनी पड़ी तथा उसकी वापसी हेतु उसे रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1-बी0) के अंतर्गत अपना परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए था क्योंकि किसी अन्य न्यायालय को उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। अत: ऐसी परिस्थिति में अपील स्वीकार करने योग्य है एवं प्रश्नगत निर्णय निरस्त किये जाने योग्य है।
अपील सं0 2565/94
अपीलकर्ता/परिवादी ने प्रश्नगत निर्णय के विरूद्ध अपील इस आशय की प्रस्तुत की है कि उसे जो क्षतिपूर्ति विद्वान जिला मंच द्वारा दिलाई गयी है उसको बढ़ाकर 30,000/ रूपये मय ब्याज के कर दिया जाय। चूंकि अपील सं0 2555/94 में यह निर्धारित किया गया है कि अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) (बी) के अंतर्गत प्रस्तुत किया जाना चाहिए था क्योंकि उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्य न्यायालय में उसे श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। अत: ऐसी परिस्थितियों में प्रश्नगत निर्णय/आदेश क्षेत्राधिकार न होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है, तदनुसार अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील सं0 2555/1994 स्वीकार की जाती है। जिला मंच पीलीभीत द्वारा परिवाद सं0 101/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 16/08/1994 निरस्त किया जाता है। परिवादी अपने परिवाद/प्रत्यावेदन को रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1-बी) के अंतर्गत प्रस्तुत कर सकता है, जो कि वर्णित परिस्थितियों में काल बाधित नहीं माना जायेगा।
अपील सं0 2565/1994 निरस्त की जाती है।
इस निर्णय की एक छायाप्रति अपील सं0 2565/1994 में रखी जाय।
उभय पक्ष अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
4
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध कराई जाय।
(अशोक कुमार चौधरी)
पीठा0 सदस्य
(संजय कुमार)
सुभाष चन्द्र आशु0 सदस्य
कोर्ट नं0 3