Rajasthan

Sawai Madhopur

07/2014

Khalyiram meena - Complainant(s)

Versus

State Insurance - Opp.Party(s)

26 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 07/2014
 
1. Khalyiram meena
sawai madhopur
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:-    श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
    श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
         
परिवाद सं0:-.07/2014    परिवाद प्रस्तुति दिनांक:- 09.01.2014
ख्यालीराम मीणा पुत्र नन्द कोरया मीणा, उम्र-53 वर्ष, पेशा-पुलिस कांस्टेबल, हाल कार्यालय पुलिस अधीक्षक सवाई माधोपुर, हाल निवासी- पुलिस लाईन सवाई माधोपुर निवासी-नारोली डांग तहत तहसील सपोटरा जिला करौली।
                                                              परिवादी
विरुद्ध
1.    उप निदेशक राज्य बीमा एव प्रावधायी निधि विभाग, सवाई माधोपुर,
2.    संयुक्त निदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, जयपुर,
3.    राज्य सरकार की ओर से जिला कलेक्टर सवाई माधोपुर।
                                                     विपक्षीगण
उपस्थिति:-
1.    श्री शिवचरण सोनी अधिवक्ता परिवादी
2.    श्री हिम्मत सिंह लोक अभियोजक विपक्षीगण
द्वारा सौभाग्यमल जैन (सदस्य)               दिनांक:- 26 फरवरी, 2015     
            नि  र्ण  य
    परिवादी ने यह परिवाद इन कथनों के साथ प्रस्तुत किया  है कि वह पुलिस विभाग सवाई माधोपुर में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत है। परिवादी का समूह व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा की राशि हर वर्ष विपक्षी संख्या 1 के यहंा परिवादी के वेतन में से कटोति होती है। परिवादी ने अपने परिवाद में कथन किया है कि दिनांक 25.9.12 को परिवादी के साथ दुर्घटना हो गई थी जिसमें परिवादी के बायें हाथ की कलाई तथा बायां पैर में गम्भीर चोट आने से बाया हाथ एवं बाया पैर क्षतिग्रस्त हो गये थे। जिसका विकलांग प्रमाण पत्र दिनांक 24.7़.13 को मेडिकल बोर्ड द्वारा बनाया गया जिसमें 29.53 प्रतिशत स्थाई विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया गया है। परिवादी ने अपने कार्यालय पुलिस अधीक्षक सवाई माधोपुर के यहंा अपने सभी कागजात  मय फार्म भरकर  दे दिये थे जो पुलिस अधीक्षकर कार्यालय द्वारा विपक्षी संख्या 1 के यहंा फार्म मय दस्तावेज सहित भिजवा दिये थे। जिसमें विपक्षी संख्या 1 द्वारा क्रं.नं.2208/10.9.2013 के द्वारा श्री मान पुलिस अधीक्षक को दिये गये पत्र में प्रार्थी का ’’समूह व्यक्तिगत दुर्घटना क्लेम प्राप्त हुआ है लेकिन बर्दीधारी बीमा पाॅलिसी नियमों के अनुसार क्लेम अंग भंग होने पर ही बीमा पाॅलिसी पर देय बनता है।’’ जिसकी प्रति प्रार्थी को दी गई जिसमें नियमों के विरूद्व लिखा गया है। परिवादी का समुह दुर्घटना बीमा नियमों के अनुसार प्रार्थी के बाये हाथ एवं बायें पैर क्षतिग्रस्त होने की सूरत में 2 लाख रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी ने परिवाद को स्वीकार कर अनुतोष दिलाये जाने का निवेदन किया है।
    विपक्षीगण ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर निवेदन किया कि परिवादी का पुलिस विभाग का कर्मचारी होने व कटोति होना स्वीकार है। विकलांगता प्रमाण पत्र में 29.53 प्रतिशत विकलांगता होने की हद तक स्वीकार है। क्लेम प्रपत्र प्राप्त होने  व उसका जवाब दिए जाने की हद तक स्वीकार है। परिवादी का बीमा क्लेम प्रपत्र प्राप्त हुआ जिसके जवाब में विपक्षीगण ने पुलिस अधीक्षक सवाई माधोपुर के कार्यालय को जरिये पत्रांक 2208 दिनांक 10.9.13 के द्वारा अवगत करा दिया गया था कि नियमानुसार अंग भंग होने पर ही बीमा पाॅलिसी के अनुसार क्लेम देय होता है। उक्त मामले में परिवादी द्वारा उसके हाथ व पैर में 29.53 प्रतिशत क्षति होने का तथ्य अंकित किया है जबकि योजनानुसार नियमानुसार 100 प्रतिशत क्षति होने (अंग अलग होने पर) ही दुर्घटना दावा देय है। अन्य परिस्थितियों में दावे की राशि देय नहीं होने से उक्त दावे में नियमानुसार कोई राशि देय नहीं है। योजनानुसार परिवादी किसी  प्रकार का कोई क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।  अतः परिवाद पत्र मय हर्जा खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया गया।
    परिवादी ने साक्ष्य में स्वयं का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में स्वयं की वेतन पर्ची की फोटो प्रति एवं बीमा विभाग का पत्रांक2208 की फोटो प्रति, एफआईआर प्रति, एफआर प्रति एवं डिस्चार्ज टिकिट एवं विकलांगता प्रमाण पत्र की फोटो प्रतियां पेश की है। जबकि विपक्षीगण ने बलराम स्वर्णकार का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में पाॅलिसी संख्या जीआईएफ/81/जीपीए/12-13/02 की फोटो प्रति पेश की है।
    उभय पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
    प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने अपने परिवाद के साथ दुर्घटनाग्रस्त होने पर एसएमएस अस्पताल जयपुर में अपना उपचार कराया है। जिसमें उपचार कराये जाने के दस्तावेज साक्ष्य के रूप में उसने समस्त उपचार की चिकित्सालय से जारी पर्चीयां जिला मंच के समक्ष पेश की है। जो परिवाद के साथ संलग्न है। उनके अवलोकन से हमने यह पाया है कि परिवादी के दुर्घटना होने पर उसका बांया हाथ व बांया पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है। चिकित्सा के दौरान उसका गहन चिकित्सा कर उसके दोनो अंगों की शल्य चिकित्सा (आॅपरेशन किया गया है)। बांये हाथ व बाये पैर दोनो के अंग भंग होने के दौरान उनको जोडने के लिए शल्य चिकित्सा की गई। क्योंकि परिवादी के बांये हाथ  व पैर की हडिडया अंग भंग हो गई थी। उन्हे चिकित्सों द्वारा उन्हे पुनः जोडने एवं ठीक करने का प्रयास किया है। किन्तू दोनो अंगों का गहन उपचार करने के उपरान्त भी परिवादी के शरीर के आधे हिस्से से भी अधिक कार्य करने में पूर्ण रूप से अक्षम  हो गया है। परिवादी के अंगों का आॅपरेशन करके बांये हाथ व पैर में स्टील की राॅड लगाकर उसके अंगों को जोडा गया है। इसके उपरान्त भी परिवादी का बंाया पैर व हाथ में पूर्णतया ठीक नहीं हुआ है। जिसके मेडीकल बोर्ड ने भी 29.53 प्रतिशत विकलांगता का प्रमाण पत्र जारी किया है। उक्त सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों से हम यह पाते है कि परिवादी दौराने दुर्घटना असक्षम हुआ है।  हमारे समक्ष विपक्षी संख्या 1 व 2 की ओर से पाॅलिसी संख्या जीआईएफ/81/जीपीए/12-13/02 की प्रति पेश हुई है जिसके पेज संख्या 2 पर काॅलम ई के सब काॅलम (इ) में Loss of toes of any leg का उल्लेख है तथा काॅलम बी में loss of thumb and finger of hand का उल्लेख है। परिवादी के बांये हाथ व बांये पैर में पूरी क्षमता से काम करने में कमी आयी है और उसे लगभग 29.53 प्रतिशत स्थायी अपंगता हो गयी है। अतः सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए हम परिवादी को विपक्षी संख्या 1 व 2 के कुल बीमा पाॅलिसी मूल्य 2 लाख रूपये की 30 प्रतिशत राशि अर्थात 60,000/- रूपये एवं मानसिक संताप की राशि 10,000/- एवं परिवाद व्यय की राशि 5000/- रूपये दिलवाना उचित समझते है।
आदेश
    अतः परिवाद परिवादी विरूद्व विपक्षी संख्या 1 व 2 के विरूद्व स्वीकार किया जाकर विपक्षी संख्या 1 व 2 को आदेश दिया जाता है कि वे कुल बीमा पाॅलिसी मूल्य दो लाख रूपये की 30 प्रतिशत राशि अर्थात 60,000 रूपये एवं मानसिक संताप की राशि 10,000 एवं परिवाद व्यय की राशि 5000 रूपये परिवादी को निर्णय की दिनांक से दो माह की अवधि में अदा करें। दो माह की अवधि में भुगतान नहीं करने पर निर्णय की दिनांक से आयन्दा अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज देय होगा। विपक्षी संख्या 1 व 2 उक्त कुल राशि को जरिये डी डी या  एकाउन्ट पेयी चैक के परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित करें। विपक्षी संख्या 3 के विरूद्व परिवाद खारिज किया जाता है। 
सौभाग्यमल जैन
सदस्य        कैलाश चन्द्र शर्मा
अध्यक्ष
    निर्णय आज दिनांक 26.02.2015 को खुले मंच में सुनाया गया।

सौभाग्यमल जैन
सदस्य     
    कैलाश चन्द्र शर्मा
अध्यक्ष

 

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