Bihar

Darbhanga

CC/18/23

VIJAY KUMAR CHOUDHARY - Complainant(s)

Versus

STATE BANK OF INDIA - Opp.Party(s)

SRI BIJAY KUMAR

10 Oct 2019

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/18/23
( Date of Filing : 30 Nov 2018 )
 
1. VIJAY KUMAR CHOUDHARY
AT- GANDHINAGAR, PO- LAXMIPUR, DIST- DARBHANGA
DARBHANGA
BIHAR
...........Complainant(s)
Versus
1. STATE BANK OF INDIA
KADIRABAD
DARBHAHNGA
BIHAR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SRI SARVJEET PRESIDENT
 HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar MEMBER
 HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha MEMBER
 
For the Complainant:SRI BIJAY KUMAR, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 10 Oct 2019
Final Order / Judgement

एकपक्षीय आदेश

1.            शिकायतकर्ता विजय कुमार चौधरी ने इस आशय का परिवाद पत्र इस फोरम के समक्ष दाखिल किया कि विपक्षी बैंक द्वारा उसे 400000 रु० का कर्ज कार खरीदने के लिए स्वीकृत किया गया था परिवादी ने उक्त कर्ज से कार ख़रीदा जिसका इंजन नंबर 4751DT14KZYP84186 तथा चेचिस नंबर MAT608523AP47570 था। परिवादी विपक्षी द्वारा लिए गए कर्ज की धनराशि को वापस नहीं कर सका विपक्षी द्वारा रिकवरी एजेंट भेज कर मेरे उक्त वाहन को अपने कब्जे में ले लिया परिवादी ने उक्त वाहन को बिना किसी प्रतिरोध के रिकवरी एजेंट को दे दिया क्यूंकि वह जानता था कि विपक्षी बैंक से लिए गए कर्जा को वापस करने की स्थिति में नहीं है। परिवादी ने विपक्षी बैंक से अनुरोध किया कि वह तुरंत सम्बंधित गाड़ी का नीलामी करा दें जिससे की गाड़ी पर कर्जा के अधिकांश हिस्से को समायोजित किया जा सके, शिकायतकर्ता ने उक्त वाहन को दि० 03.09.2013 को रिकवरी एजेंट को हस्तगत किया लेकिन विपक्षी द्वारा उक्त वाहन की  नीलामी तीन साल बाद कराई गयी। शिकायतकर्ता को उक्त वाहन के जब्त करते समय उसके अधतन स्थिति के सन्दर्भ में विपक्षी द्वारा कोई रिपोर्ट नहीं दिया गया जबकि गाड़ी अच्छी दशा में थी। गाड़ी का रख-रखाव बैंक स्टाफ तथा रिकवरी एजेंट द्वारा उसका दुरूपयोग किया गया तथा तीन साल बाद उसकी नीलामी कराया गया इस कारण उक्त वाहन की नीलामी में जब्ती के समय उसका जो मूल्य था उतना धनरशि नहीं प्राप्त हुआ जब्ती के समय उक्त वाहन की कीमत लगभग 300000 रु० रही होगी। विपक्षी बैंक द्वारा समय से नीलामी नहीं कराने, उसकी स्वयं की गलती की वजह से परिवादी को काफी क्षति हुआ। परिवादी को काफी मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा। विपक्षी द्वारा सेवा शर्तों का उल्लंघन किया गया।

                   अतः अनुरोध है कि विपक्षी बैंक को यह आदेश देने की कृपा करे कि उक्त वाहन के कर्ज की धनराशि एवं सूद को विपक्षी बैंक समायोजित कर ले तथा परिवादी के NSC मूल्य 55000 रु० को परिवादी को वापस कर दे तथा परिवादी को पहुंची मानसिक पीड़ा के लिए फोरम जो उचित समझे धनराशि दिलाने का कष्ट करे।

2.            विपक्षी बैंक की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ जबकि विपक्षी बैंक को निबंधित डाक से दि० 20.12.2018 को नोटिस निर्गत किया गया था। उक्त निबंधित डाक न तो वापस आया और न ही विपक्षी उपस्थित हुआ ऐसी स्थिति में दि० 27.04.2019 को विपक्षी बैंक के विरुद्ध एक पक्षीय कार्यवाही प्रारंभ किया गया।

3.            परिवादी अपने कथन के समर्थन में मौखिक साक्षी के रूप में स्वयं का शपथ पर परीक्षण कराया दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, एक बैंक में नीलामी का निकाले गए इस्तेहार की छायाप्रति, अधिवक्ता नोटिस की छायाप्रति दाखिल किय गया। एनेक्सचर-4 जो कि गाड़ी एजेंट के पक्ष में दिया गया 410000 रु० का ड्राफ्ट विजय कुमार चौधरी परिवादी को विस्टा एजेंसी के पक्ष में हस्तगत करने की छायाप्रति,  टैक्स इनवॉइस की छायाप्रति दाखिल किया चुकि मामले में एकपक्षीय सुनवाई चल रहा है इस कारण विपक्षी बैंक की तरफ से ना तो अपना जबाब दिया गया और ना ही साक्ष्य दिया गया।

4.            परिवादी ने जो भी अभिलेख पर दस्तावेजी साक्ष्य लाया है उससे मात्र इस बात की पुष्टि होती है कि विपक्षी बैंक  द्वारा परिवादी को यस राज मोटर प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में 410000 रु० का डिमांड ड्राफ्ट दिया गया। इसके आलावा अभिलेख पर कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित होता कि परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक से लिए गए कर्जा से कोई वाहन ख़रीदा अभिलेख पर ना तो उक्त गाड़ी का निबंधन पत्र है ना तो उसका बीमा पॉलिसी है और ना ही उक्त गाड़ी से सम्बंधित कोई दस्तावेज परिवादी द्वारा उपलब्ध कराया गया जिससे यह साबित होता कि परिवादी ऐसे किसी गाड़ी का मालिक था। रिकवरी एजेंट द्वारा उक्त गाड़ी को कब्जे में ले लिया गया इसका भी कोई प्रमाण अभिलेख पर नहीं है। परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक से कर्जा लेते समय 55000 रु० का राष्ट्रीय बचत पत्र सम्बंधित बैंक को जमा किया गया इस सन्दर्भ में भी परिवादी द्वारा कोई प्रमाण दाखिल नहीं किया गया। अभिलेख पर कोई ऐसा दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि रिकवरी एजेंट ने वाहन को कब जब्त किया था। उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विपक्षी बैंक द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं किया गया। परिवादी इस फोरम द्वारा कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है ऐसी स्थिति में परिवादी का परिवाद पत्र ख़ारिज किया जाता है।

 
 
[HON'BLE MR. SRI SARVJEET]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha]
MEMBER
 

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