Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/426/2017

UPICA KATIYAR - Complainant(s)

Versus

STATE BANK OF INDIA - Opp.Party(s)

K.B. SINGH

20 Apr 2023

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/426/2017
( Date of Filing : 30 Nov 2017 )
 
1. UPICA KATIYAR
.
...........Complainant(s)
Versus
1. STATE BANK OF INDIA
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Apr 2023
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   426/2017                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

          श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।             

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-30.11.2017

परिवाद के निर्णय की तारीख:-20.04.2023

यूपिका कटियार पुत्री श्री जे0पी0 कटियार, निवासिनी मकान नं0-551क/265, ऋषिनगर, आलमबाग, जनपद-लखनऊ।                    ............परिवादिनी।                                                   

                        बनाम

  1. शाखा प्रबन्‍धक भारतीय स्‍टेट बैंक शाखा-चन्‍दरनगर, आलमबाग, जनपद लखनऊ।
  2. मुख्‍य प्रबन्‍धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया क्षेत्रीय कार्यालय यूनियन बैंक भवन, निकट मंत्री आवास, विभूतिखण्‍ड, गोमती नगर, जनपद लखनऊ।

                                             ............विपक्षीगण।

परिवादिनी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री के0बी0सिंह।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री पंकज कुमार सिन्‍हा।                                                           

आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

                               निर्णय

1.   परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत विपक्षीगण से परिवादिनी के खाते से गलत ढंग से काटी गयी धनराशि 10,000.00 रूपये पर दिनॉंक 31.03.2016 से अदायगी तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज, नुकसानी व मानसिक उत्‍पीड़न के लिये 15,000.00 रूपये, आर्थिक उत्‍पीड़न हेतु 15,000.00 रूपये प्रतिकर के रूप में, एवं वाद व्‍यय 10,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.   संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी का बचत खाता संख्‍या-10187711868 विपक्षी संख्‍या 01 के यहॉं खुला हुआ है जिस पर ए0टी0एम0 कार्ड जारी है। दिनॉंक 31.03.2016 को शाम समय करीब 5.20 बजे परिवादिनी ने विपक्षी संख्‍या 02 द्वारा स्‍थापित व संचालित ए0टी0एम0 बूथ जो नटखेड़ा रोड, आलमबाग, लखनऊ में स्थित है से 10,000.00 रूपये निकालने हेतु ए0टी0एम0 कार्ड लगाया और गोपनीय पिन नम्‍बर अंकित कर धनराशि निकालने हेतु विवरण मशीन में दर्ज किया, जिस पर ए0टी0एम0 मशीन पर ट्रांजेक्‍शन फेल्‍ड लिखकर आया और कोई रसीद नहीं निकली न ही कोई पैसा निकला। परिवादिनी ने मशीन पर दर्ज विवरण को निरस्‍त किया और ए0टी0एम0 बूथ से बाहर चली आयी। लगभग 10 मिनट बाद परिवादिनी के मोबाइल पर मैसेज आया कि खाते से 10,000.00 रूपये की निकासी हो गयी है।

3.   परिवादिनी ने मोबाइल पर आये इस मैसेज को पढ़कर परेशान हो गयी और तुरन्‍त भारतीय स्‍टेट बैंक शाखा चन्‍दरनगर, आलमबाग गयी तथा 31 मार्च की तिथि होने एवं बैंक की वार्षिक क्‍लोजिंग का दिन होने के कारण वहॉं विपक्षी संख्‍या 1 परिवादिनी को मिला और परिवादिनी ने विपक्षी संख्‍या 01 को अपनी समस्‍या बताते हुए शिकायत दर्ज करायी। परिवादिनी को आश्‍वासन दिया गया कि 03 कार्य दिवस के अन्‍दर पैसा खाते में वापस आ जायेगा।

4.   परिवादिनी के खाते में जब दिनॉंक 04.04.2016 तक कोई धनराशि वापस नहीं आयी तो परिवादिनी उसी दिन पुन: विपक्षी संख्‍या 01 की शाखा में गयी और पैसा वापस न आने की बात बतायी तथा खाता चेक करवाया, परन्‍तु कोई पैसा वापस नहीं आया था। विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा बताया गया कि बैंक क्‍लोजिंग व कई अवकाश होने के कारण पैसा वापस नहीं आ सका है, इसलिये कुछ दिन और इन्‍तजार करना होगा। लिखा पढ़ी कर दी गयी है शीघ्र ही पैसा खाते में वापस आ जायेगा।

5.   दिनॉंक 07.04.2017 तक जब पैसा वापस नहीं आया तो परिवादिनी ने इसकी शिकायत कस्‍टमर केयर पर की जिस पर शिकायत संख्‍या ए0टी0 429223764950 पर दर्ज की गयी। दिनॉंक 10.05.2016 को एक प्रार्थना पत्र विपक्षी संख्‍या 01 को दिया जिस पर शीघ्र कार्यवाही का आश्‍वासन दिया गया। दिनॉंक 29.12.2016 को ऑनलाइन शिकायत बैकिंग लोकपाल को दर्ज करवायी।

परन्‍तु कोई कार्यवाही न होने पर परिवादिनी ने दिनॉंक 16.01.2017 को पुन: बैकिंग लोकपाल को रजिस्‍टर्ड डाक से एक प्रार्थना पत्र प्रेषित किया और विपक्षी संख्‍या 01 से पैसा वापस दिलाये जाने का अनुरोध किया गया। परन्‍तु बैकिंग लोकपाल द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी।

6.   दिनॉंक 23.03.2017 को अधिवक्‍ता के माध्‍यम से बैंकिग लोकपाल से जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत 16.01.2017 को दिये गये पत्र के संबंध में की गयी कार्यवाही के बावत सूचना उपलब्‍ध कराने का अनुरोध किया जिस पर दिनॉंक 24.04.2017 को बैकिंग लोकपाल कार्यालय कानपुर, उ0प्र0 से एक पत्र जनसूचना पत्र का जवाब परिवादिनी के पिता के पास भेजा गया और यह अवगत कराया गया कि परिवादिनी की शिकायत दिनॉंक 29.12.2016 को पहले से पंजीकृत है, इसलिये दिनॉंक 16.01.2017 को दिये गये प्रार्थना पत्र को पुन: पंजीकृत न करके उसी शिकायत के साथ संलग्‍न कर दिया गया है, और बैक से आख्‍या  मॉंगी गयी है, आख्‍या प्राप्‍त होने पर शिकायत पर हुई कार्यवाही व निर्णय से आपको शीघ्र सूचित किया जायेगा।

7.   दिनॉंक 20.03.2017 को परिवादिनी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षी संख्‍या 01 को एक विधिक नोटिस प्रेषित किया जिस पर दिनॉंक 21.04.2017 को विपक्षी संख्‍या 01 ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से उक्‍त नोटिस का जवाब परिवादिनी के अधिवक्‍ता के पास प्रेषित करवाया, जिसमें विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा समस्‍त जिम्‍मेदारी विपक्षी संख्‍या 02 पर डालते हुए अपना पल्‍ला झाड़ने व अपनी जिम्‍मेदारी से बचने का प्रयास किया। दिनॉंक 06.05.2017 को परिवादिनी ने विपक्षी संख्‍या 02 को समस्‍त स्थिति से अवगत कराते हुए पत्र लिखा और गलत ढंग से काटा गया 10,000.00 रूपये वापस दिलाये जाने का अनुरोध किया गया। विपक्षी संख्‍या 02 को प्रेषित किये गये पत्र दिनॉंकित 06.05.2017 के संबंध में दिनॉंक 23.05.2017 को विपक्षी संख्‍या 02 द्वारा एक पत्र परिवादिनी के पिता के पास प्रेषित करते हुए अवगत कराया कि परिवादिनी द्वारा स्‍टेट बैंक ऑफ इण्डिया के खाते का प्रयोग नगदी के आहरण हेतु किया गया था इसलिये ग्राहक को अपने वेस बैंक में शिकायत दर्ज करानी होती है और उक्‍त शिकायत को ग्राहक के बैंक द्वारा दूसरे बैंक में मामले को प्रस्‍तुत करना होता है, तत्‍पश्‍चात ए0टी0एम0 शिकायत का उचित निपटान किया जाता है। इस प्रकार विपक्षी संख्‍या 02 द्वारा भी अपनी समस्‍त जिम्‍मेदारी विपक्षी संख्‍या 01 पर डालते हुए उक्‍त मामले से बचने का प्रयास किया।

8.      परिवादिनी विपक्षीगण के कार्यालय के चक्‍कर लगाकर थक चुकी है, इसके बावजूद भी परिवादिनी के खाते से गलत ढंग से काटी गयी धनराशि 10,000.00 रूपये की वापसी के संबंध में कोई कार्यवाही विपक्षीगण द्वारा नहीं की गयी। सिर्फ एक दूसरे पर जिम्‍मेदारी डालते हुए स्‍वयं कार्यवाही से बचने का प्रयास किया जा रहा है। लगभग डेढ़ वर्ष का समय व्‍यतीत हो चुका है और परिवादिनी द्वारा काफी पत्राचार व प्रयास विपक्षीगणों के यहॉं किया गया कि वे परिवादिनी के खाते से गलत ढंग से काटे गये 10,000.00 रूपये की वाव खाते में करवा दें, परन्‍तु आज तक विपक्षीगणों द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इसलिए परिवादिनी को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हुआ।

9.   विपक्षी संख्‍या 02 ने अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों को इनकार करते हुए अतिरिक्‍त कथन किया कि परिवादिनी की शिकायत पर जॉंचोपरान्‍त यह पाया गया कि परिवादिनी द्वारा नटखेड़ा स्थित ए0टी0एम0 से दिनॉंक 31.03.2016 को शाम 5.21 बजे 10,000.00 रूपये निकाले गये थे। उक्‍त आहरण उत्‍तरदाता के ए0टी0एम0 केजे0पी0रोल में “ Transaction Decliend ” दिखा रहा है, जिसके अनुसार विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा परिवादिनी के खाते से 10,000.00 रूपये डेबिट कर लेना गलत है। परिवादिनी द्वारा शिकायत करने पर परिवादिनी के खाते में पैसा वापस न डालना भी विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा गलत है।

10.  परिवादिनी को विपक्षी संख्‍या 02 के विरूद्ध कोई वाद का कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है। विश्‍वस्‍त सूत्रो से यह ज्ञात हुआ है कि उक्‍त परिवाद दाखिल होने के पश्‍चात् विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा परिवादिनी के खाते में 10,000.00 रूपये वापस डाल दिये गये हैं, जिसके विषय में परिवादिनी व विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा श्रीमान् जी के समक्ष आज तक कोई लिखित कथन नहीं किया गया है। परिवादिनी ने विपक्षी संख्‍या 02 को पक्षकार बनाकर नुकसान पहुँचाया है, जिसके लिये विपक्षी संख्‍या 02 परिवादिनी से विशेष हर्जा पाने का अधिकारी है।

11.  परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप शपथ पत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्‍या 01 को दिये गये प्रार्थना पत्र, बैंकिंग लोकपाल के यहॉं दर्ज करायी गयी शिकायत की रसीद, प्रार्थना पत्र दिनॉंकित 16.01.2017, नोटिस, विपक्षी संख्‍या 02 को प्रेषित पत्र आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है। विपक्षी की ओर से शपथ पत्र, आदि दाखिल किया है।

12.  मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना, तथा पत्रावली का परिशीलन किया।

13.  विदित है कि परिवादिनी का 10,000.00 रूपये ए0टी0एम0 से कट जाने व प्राप्‍त न होने की शिकायत की गयी थी। इस संबंध में विपक्षी संख्‍या 01 व 02 का लिखित कथन तथा परिवादिनी द्वारा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया गया है। परिवादिनी की मुबलिग 10,000.00 रूपये कटौती के संबंध में विपक्षी संख्‍या 02 ने अपने लिखित कथन के साक्ष्‍य के प्रस्‍तुतर 05 में यह उल्‍लेख किया है कि विपक्षी संख्‍या 01 ने दिनॉंक 12.02.2018 को परिवादिनी के खाते में 10,000.00 रूपये की धनराशि क्रेडिट कर होल्‍ड कर दी थी, जिसे बाद में क्लियर कर भुगतान खाते में कर दिया गया। इसकी पुष्टि परिवादिनी के द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य दिनॉंक 23.06.2018 के प्रस्‍तर 16 में लिखित कथन से भी की जाती है। उक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि परिवादिनी को रूपये 10,000.00 का भुगतान विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा अपनी त्रुटि में सुधार करते हुए किया जा चुका है। अत: परिवाद का कारण समाप्‍त हो जाने से वाद भी निस्‍तारित होने योग्‍य माना जा सकता है। परंतु मार्च 2016 से फरवरी 2018, दो वर्षों तक परिवादिनी को मानसिक, आर्थिक व शारीरिक कष्‍ट भी झेलना पड़ा। अत: उपरोक्‍त तथ्‍यों के आधार पर परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या 01 को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) उसके खाते से कटने की दिनॉंक से उसके खाते में आने की अवधि तक 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करें। इसके अतिरिक्‍त परिवादिनी को दो वर्षों तक मानसिक, शारीरिक कष्‍ट के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 5,000.00 (पॉंच हजार रूपया मात्र) भी निर्णय की दिनॉंक से 45 दिन के अन्‍दर अदा करेंगें। निर्धारित अवधि के अन्‍दर यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्‍याज भुगतेय होगा।

     पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रार्थना पत्र निस्‍तारित किये जाते हैं।

     निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

 

  (कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)      (सोनिया सिंह)                 (नीलकंठ सहाय)

          सदस्‍य                  सदस्‍य                     अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                लखनऊ।       

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)      (सोनिया सिंह)                 (नीलकंठ सहाय)

          सदस्‍य               सदस्‍य                      अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                              लखनऊ।

दिनॉंक:-20.04.2022

 

 

 

 

 

 

      

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 

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