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JAYNARAYAN SINGH THAKUR filed a consumer case on 26 Aug 2013 against STATE BANK OF INDIA in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/64/2013 and the judgment uploaded on 30 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक- 64-2013 प्रस्तुति दिनांक-27.06.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
जयनारायण सिंह ठाकुर, उम्र लगभग
40 वर्श, आत्मज-निहालसिंह ठाकुर,
जाति-राजपूत, पेषा-आरक्षक (पुलिस
थाना सिवनी) निवासी-ग्राम अलोनिया,
थाना बण्डोल, तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।..................................................................आवेदक परिवादी।
:-विरूद्ध-:
(1) षाखा प्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक, षाखा बारापत्थर
सिवनी, तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।
(2) षाखा प्रबंधक,
सेन्ट्रल बैंक आफ इणिडया, षाखा
डुंगरिया (छपारा), तहसील व जिला
सिवनी (म0प्र0)।....................................अनावेदकगण विपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक-26/08/2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक क्रमांक-1 की बैंक षाखा में सिथत परिवादी के बचत खाता क्रमांक-10764619030 में ए.टी.एम. कार्ड के जरिये दिनांक-14.01.2013 को 6,000-रूपये और दिनांक-17.03.2013 को 5,000-रूपये इस तरह कुल-11,000-रूपये की राषि परिवादी की सहमति व जानकारी के बिना निकाल लिये जाने बाबद, अनावेदकगण की सेवा में कमी होना कहते हुये, उक्त राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि-अनावेदक क्रमांक-1 की बैंक षाखा में परिवादी का उक्त बचत खाता स्थापित है, जो कि-परिवादी पुलिस थाना-कोतवाली में आरक्षक के पद पर पदस्थ है और उक्त खाते के संचालन बाबद परिवादी ने ए.टी.एम. कार्ड जारी करा रखा है, जिसके जरिये वह बैंक षाखा से राषि का आहरण करता है। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि-उक्त खाते से ए.टी.एम. कार्ड के जरिये दिनांक-14.01.2013 को 6,000-रूपये और दिनांक-17.03.2013 को 5,000-रूपये का आहरण परिवादी के खाते में दर्षाया गया है। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि- अनावेदक क्रमांक-1 की बैंक षाखा के लिपिक ने पूछतांछ पर, परिवादी को यह जानकारी दिया था कि-उक्त दोनों आहरण का समव्यवहार अनावेदक क्रमांक-2 के ए.टी.एम. बूथ से हुये हैं।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि-परिवादी ने जब दिनांक-02.04.2013 को अपनी पासबुक में एंट्री कराया, तब दिनांक-14.01.2013 और 17.03.2013 को उसके खाते से उक्त दिनांकों को 11,000-रूपये की राषि आहरित हो जाना पता चला, जो कि-परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-1 के अधिनस्थ कर्मचारी से यह बताया था कि-वह अनावेदक क्रमांक-2 के बैंक के ए.टी.एम. बूथ का प्रयोग नहीं करता है, न ही परिवादी ने उक्त राषियां निकाली हैं, इसलिए वीडियो फोटेज की मांग, यह पता करने के लिए कि-राषियां किसने निकाली हैं किया था, तो अनावेदक क्रमांक-1 के षाखा के उइके बाबू ने कहा कि-उक्त दिनांक से हमारा वीडियो खराब है, इसलिये हम फोटेज नहीं दे सकते, इस पर दिनांक-02.04.2013 को अनावेदक क्रमांक-1 के समक्ष लिखित षिकायत पेष कर पावती लिया था और अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, उक्त आवेदन पर जांच कर, कोर्इ राषि वापस नहीं दिलार्इ गर्इ, तो उसके विरूद्ध दिनांक-15.05.2013 को एक लिखित षिकायत पुलिस थाना-कोतवाली में किया था, जिसकी जांच चल रही है, जो कि-अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा परिवादी के खाते से सही जांच के बाद ही भुगतान किया जाना था और अनावेदकों द्वारा, उक्त कत्र्तव्य की अव्हेलना कर, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी की गर्इ है, जो कि-उक्त राषि वापस दिलाने अनावेदक क्रमांक-1 और 2 को रजिस्टर्ड-डाक से नोटिस भेजे जाने पर भी राषि परिवादी के खाते में वापस नहीं दिलार्इ गर्इ।
(4) अनावेदक क्रमांक-2 मामले में उपसिथत नहीं हुआ, उसकी ओर से कोर्इ जवाब भी पेष नहीं।
(5) अनावेदक क्रमांक-1 के जवाब का सार यह है कि-परिवादी ने अपने उक्त बैंक खाता में ए.टी.एम. की सुविधा ली है, जिसका नंबर- 4591500035984208 है, जिसके माध्यम से परिवादी राषि आहरण करता है। और उक्त ए.टी.एम. कार्ड का इस्तेमाल करते हुये ही सेन्ट्रल बैंक आफ इणिडया, षाखा डुंगरिया, छपारा के ए.टी.एम. बूथ से दिनांक-14.01.2013 को 6,000-रूपये व दिनांक-17.03.2013 को 5,000-रूपये की राषि का आहरण किया गया है और उक्त आहरण में परिवादी के ही ए.टी.एम. कार्ड का ही उपयोग किया गया है, जो परिवादी के खाते की नकल व ए.टी.एम. कार्ड कर विवरणी से स्पश्ट है। और ए.टी.एम. कार्ड जारी करते समय ही यह हिदायद परिवादी को दे-दी गर्इ थी कि-कार्ड को सुरक्षित रखने और उसे उपयोग में लाने हेतु जो कोड नंबर है उसे गोपनीय रखने की जवाबदारी परिवादी की स्वंय की है, ऐसे में परिवादी द्वारा अपने ए.टी.एम. कार्ड का इस्तेमाल स्वयं के द्वारा या अपने हित परिचितों द्वारा, जिन्हें उक्त ए.टी.एम. कार्ड के कोड नंबर की जानकारी है, उन्होंने ही किया है और ऐसे में अनावेदक द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ लापरवाही या सेवा में कमी नहीं की गर्इ है।
(6) परिवादी की लिखित षिकायत प्राप्त होने पर, अनावेदक क्रमांक-1 ने, अनावेदक क्रमांक-2 को दिनांक-27.04.2013 को सी.सी.टी.वी.फुटेज प्रदान करने के लिए पत्र लिखा था और दिनांक-21.05.2013 को एक रिमांडर भी भेजा था, जिनका अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा कोर्इ जवाब नहीं दिया गया, तो परिवादी-पक्ष द्वारा ही, उक्त राषियों का आहरण किया गया है और बैंक से जबरन धोखा देकर राषि हड़पने की नीयत से उक्त परिवाद पेष किया गया है।
(7) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हंै कि:-
(अ) क्या अनावेदकगण ने, परिवादी को कथित दिनांकों
के आहरण की राषि का वापस भुगतान न कर,
परिवादी के प्रति-सेवा में कमी किया है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(8) स्वयं परिवादी द्वारा पेष प्रदर्ष सी-1 के बैंक खाता पासबुक की प्रविशिटयों से स्पश्ट है कि-उसे जारी ए.टी.एम. कार्ड का उपयोग कर, ग्राम-डुंगरिया, छपारा की ए.टी.एम. बूथ से उक्त दोनों दिनांकों को राषि का आहरण किया गया और प्रदर्ष सी-3 के परिवादी के अनावेदक क्रमांक- 1 की बैंक षाखा में दिये षिकायती-पत्र में भी डुंगरिया, छपारा के ए.टी.एम. बूथ से परिवादी के ए.टी.एम. कार्ड के द्वारा निकाली गर्इ राषि वापस दिलाने का ही उल्लेख किया गया था और प्रदर्ष सी-5 के रजिस्टर्ड-डाक से भेजे नोटिस में भी परिवादी-पक्ष की यही मांग रही है और पुलिस थाना-कोतवाली में परिवादी द्वारा प्रदर्ष सी-4 की लिखित षिकायत में भी उक्त का उल्लेख करते हुये सी.सी.टी.वी. फोटेज निकालकर व जांच करके निकाली गर्इ राषि वापस दिलवाने की मांग रही है।
(9) दिनांक-17.03.2013 के उक्त ए.टी.एम. बूथ से हुये समव्यवहार की विवरणी रिपोर्ट प्रदर्ष आर-6 और दिनांक-14.01.2013 को उक्त बूथ से हुये समव्यवहार की विवरणी प्रदर्ष आर-7 अनावेदक-पक्ष द्वारा पेष की गर्इ है, जिससे भी यह स्पश्ट है कि-परिवादी के ही ए.टी.एम. कार्ड का उपयोग कर, उक्त दिनांकों के आहरण किये गये हैं और गोपनीय कोड नंबर (पिन कोड) का सही प्रयोग किया गया है, तो यह स्पश्ट है कि- परिवादी के गोपनीय कोड नंबर और परिवादी के ही ए.टी.एम. कार्ड का उपयोग कर, उक्त राषियों का आहरण किया गया है, तो गोपनीय कोड नंबर की जानकारी और ए.टी.एम. कार्ड की सुरक्षा का दायित्व स्वयं परिवादी का रहा है, इस संबंध में अनावेदकगण द्वारा, परिवादी के प्रति- कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है।
(10) प्रदर्ष आर-1 से आर-5 तक के पत्रों से यह भी स्पश्ट है कि-परिवादी द्वारा अपने पत्रों में बैंक से कोर्इ सी.सी.टी.वी. फोटेज की मांग नहीं की गर्इ थी, उक्त ए.टी.एम. बूथ अनावेदक क्रमांक-1 की बैंक षाखा का भी नहीं रहा है और अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, अनावेदक क्रमांक-2 को लिखे पत्र में अवष्य सी.सी.टी.वी. फोटेज उपलब्ध कराने की मांग की गर्इ थी, तब अनावेदकों द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(11) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर प्रस्तुत परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किया जाता है। पक्षकार अपना- अपना कार्यवाही-व्यय स्वयं वहन करेंगे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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