Chhattisgarh

Janjgir-Champa

CC/15/11

BENIRAM DEVANGAN - Complainant(s)

Versus

STATE BANK OF INDIA - Opp.Party(s)

SHRI T.R. KARSH

28 Nov 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Janjgir-Champa
Judgement
 
Complaint Case No. CC/15/11
 
1. BENIRAM DEVANGAN
VILLAGE-DEVANGAN MOHLLA VARD NO 6 BALODA
JANJGIR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. STATE BANK OF INDIA
OFFICE BALODA
JANJGIR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY PRESIDENT
 HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI T.R. KARSH
 
For the Opp. Party:
SHRI M.P. KESHARVANI
 
ORDER

                                                  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
 

 

                                                                                                             प्रकरण क्रमांक:- CC/11/2015
                                                                                                               प्रस्तुति दिनांक:- 13/02/2015

 

बेनीराम देवांगन, पिता गणेषराम
निवासी देवांगन मोहल्ला वार्ड नं. 6 बलौदा,
थाना व तहसील बलौदा,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.               ..................आवेदक/परिवादी
    
                       ( विरूद्ध )    
                 
1. शाखा प्रबंधक, 
भारतीय स्टेट बैंक बलौदा, 
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.      .........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
 
                                                                            ///आदेश///
                                                        ( आज दिनांक  28/11/2015 को पारित)

    1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक बैंक के विरूद्ध ट्रेक्टर वापस दिलाए जाने एवं क्षतिपूर्ति के रूप में 5,00,000/-रू.  दिलाए जाने हेतु दिनांक 13.02.2015 को प्रस्तुत किया है। 
2. पक्षकारों के मध्य यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी द्वारा दिनांक 10.02.2004 में आईसर ट्रेक्टर वाहन क्रमांक सी.जी.-11 ए- 3268 को क्रय करने हेतु  अनावेदक बैंक से 2,91,000/-रू. का फायनेंस कराया था ।
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार   है कि आवेदक ने वर्श 2004 में अनावेदक से दो पिस्टन आईसर ट्रेक्टर वाहन क्रमांक सी.जी.-11 ए- 3268 के लिए 2,91,000/-रू. फायनेंस कराया तथा जांजगीर एजेंसी से उक्त ट्रेक्टर प्राप्त किया गया, जिसे आवेदक ने तीन वर्श चलाया । आवेदक द्वारा ट्राली को 1,00,000/-रू. में नगद खरीदा गया, जिसके लिए अनावेदक से कोई फायनेंस नहीं कराया गया था । वर्श 2007 में अनावेदक द्वारा आवेदक की अनुपस्थिति में उसके नाबालिग पुत्र उमेंष देवांगन से हस्ताक्षर लेते हुए उक्त वाहन अनावेदक द्वारा जप्त कर लिया गया। जिसे अनावेदक द्वारा अप्रेल 2010 में यह कहते हुए वापस किया गया कि उसका कोई षेश बकाया नहीं है, परंतु पुनः 19.09.2014 को अनावेदक द्वारा कथित ट्रेक्टर को ले गए हैं । आवेदक द्वारा वर्श 2005 में 50,000/-रू. अनावेदक को प्रदान किया गया। वर्श 2007 में अनावेदक द्वारा अनावेदक द्वारा वाहन को ले जाने के बाद भी कुल 1,36,000/-रू. जमा किया जा चुका है । वर्श 2007 में षासन के आदेषानुसार 31 मार्च 1997 से 31 मार्च 2007 तक लिए गए ऋण में ऋण राहन योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान किया गया, जिसका लाभ जानबुझकर अनावेदक द्वारा आवेदक को प्रदान नहीं किया गया, जबकि आवेदक भी षासन के योजनानुसार लाभ प्राप्त करने का विधिक अधिकारी रहा है, किंतु अनावेदक द्वारा आवेदक के नाम से बकाया राषि अदायगी हेतु दिनांक 30.07.2014 को नोटिस प्रेशित की गई । आवेदक द्वारा अनावेदक से संपर्क किए जाने पर दिनांक 29.01.2015 को कहा गया कि कथित ट्रेक्टर कोर्ट के आदेष द्वारा ही वापस किया जावेगा। इस प्रकार अनावेदक  बैंक द्वारा सेवा में कमी किये जाने से परिवादी को आर्थिक, मानसिक एवं षारीरिक परेषानी का सामना करना पडा। अतः परिवादी ने अनावेदक बैंक के विरूद्ध ट्रेक्टर वापस दिलाए जाने एवं क्षतिपूर्ति के रूप में 5,00,000/-रू.  दिलाए जाने का निवेदन किया है।
4. अनावेदक ने जवाब प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ षेश कथनों से इंकार करते हुए विषेश कथन किया है कि दिनांक 10.02.2004 को ऋण स्वीकृत होने के बाद आवेदक द्वारा अनावेदक से ट्रेक्टर व ट्राली हेतु 2,91,000/-रू. का टर्म लोन लिया गया है, जिसकी अदायगी उसे माह जनवरी सन् 2005 से 16,165/-रू. की अर्द्धवार्शिक किष्तों में मय ब्याज के नियमित रूप से करना था । ऋण की अदायगी सन् 2013 में पूरा हो जाना था । उक्त ऋण की सुरक्षा के एवज में आवेदक द्वारा अपनी कृशि भूमि अनावेदक के पक्ष में बंधक रखा गया है । उसने ऋण राषि से खरीदी जाने वाली वाहन को भी दृश्टि बंधक रखने की षर्तों को स्वीकार किया है और ट्रेक्टर व ट्राली को दृश्टि बंधक (भ्लचवजीमबंजमक) रखा है     तथा रामेष्वर प्रसाद द्वारा जमानत लिया गया था । किष्तों की अदायगी नहीं किए जाने पर अनावेदक द्वारा आवेदक के जमानतदार रामेष्वर को कई बार मौखिक व लिखित सूचना दी गई है । वर्श 2013 में ऋण अदायगी की अवधि समाप्त होने पर दिनांक 15.11.2013 को अनावेदक द्वारा आवेदक को रिकव्हरी एजेंट के माध्यम से ट्रेक्टर जप्त कर लेने के संबंध में सूचना आवेदक को दी गई थी तथा अंतिम सूचना दिनांक 26.02.2014 को दी गई थी, जिसकी प्राप्ति के बाद भी ऋण अदायगी नहीं किए जाने पर दिनांक 19.09.2014 को उसे एजेंट के माध्यम से अनावेदक द्वारा ट्रेक्टर जप्त किया गया है तथा ट्रेक्टर विक्रय हेतु निविदा आमंत्रित किया गया है । निविदा आमंत्रण सूचना का प्रकाषन दैनिक समाचार पत्र नवभारत एवं नई दुनिया में दिनांक 18.01.2015 को कराया गया है । आवेदक द्वारा लिए गए ऋण की पूर्ण अदायगी नहीं किया गया है, उसका ऋण खाता बंद नहीं हुआ है । उससे अनावेदक को 3,56,700/-रू. पाना षेश है। कथित ट्रेक्टर की बिक्री से ऋण की वसूली नहीं होने पर बंधक रखी गई भूमि की विक्रय करने की कार्यवाही की जावेगी । विक्रय हेतु निविदा का दिनांक 18.01.2015 को प्रकाषन होने के बाद दिनांक 13.02.2015 को आवेदक ने झूठा व मनगढ़ंत कथन कर अनावेदक के विरूद्ध यह परिवाद प्रस्तुत किया है। इसके लिए अनावेदक, आवेदक से वाद व्यय पर्याप्त हर्जाना पाने का अधिकारी है । अतः परिवाद सव्यय खारिज किए जाने का निवेदन किया गया है । 
5. परिवाद पर उभय पक्ष को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार ने परिवादी/आवेदक के प्रति सेवा में कमी करते हुए कदाचरण किया है ?  
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न का सकारण निष्कर्ष:-

7. परिवाद अनुसार परिवादी ने अनावेदक से 2,91,000/-रू. का फायनेंस ट्रेक्टर क्रय करने के लिए कराया था । वर्श 2004 से 3 वर्श तक    ट्रेक्टर को चलाया । वर्श 2007 में अनावेदक द्वारा आवेदक की अनुपस्थिति में उसके नाबालिग पुत्र उमेंष देवांगन से हस्ताक्षर लेते हुए उक्त वाहन अनावेदक द्वारा जप्त कर लिया गया। जिसे अनावेदक द्वारा अप्रेल 2010 में यह कहते हुए वापस किया गया कि उसका कोई षेश बकाया नहीं है, परंतु दिनांक 19.09.2014 को अनावेदक द्वारा कथित ट्रेक्टर को ले गए। कुल 1,36,000/-रू. जमा किया जा चुका है । वर्श 2007 में षासन के आदेषानुसार 31 मार्च 1997 से 31 मार्च 2007 तक लिए गए ऋण में ऋण राहत योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान किया गया, जिसका लाभ जानबुझकर अनावेदक द्वारा आवेदक को प्रदान नहीं किया गया, जबकि आवेदक भी षासन के योजनानुसार लाभ प्राप्त करने का विधिक अधिकारी रहा है, किंतु प्रदान नहीं किया गया जिससे परिवादी को 5,00,000/-रू. की आर्थिक क्षति हुई । अनावेदक द्वारा जानबूझकर लापरवाही पूर्वक आवेदक को कथित योजना का लाभ न देकर आवेदक के ट्रेक्टर को वापस लेकर आर्थिक क्षति पहुंचाते हुए ग्राहक एवं स्वामी के बीच स्थापित व्यवहार के प्रति कदाचरण किया गया है, से ट्रेक्टर वापस दिलाए जाने एवं क्षतिपूर्ति के रूप में 5,00,000/-रू.  दिलाए जाने की प्रार्थना  किया है। उसके समर्थन में परिवादी  ने अपना षपथ-पत्र तथा दस्तावेज खाता क्रमांक 11523196735 का विवरण दस्तावेज क्रमांक-1, प्राथमिक प्रमाण पत्र परीक्षा 2003 दस्तावेज क्रमांक-2, कृशि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008 दस्तावेज क्रमांक-3, नई दुनिया समाचार पत्र में प्रकाषित खबर रविवार दिनांक 28 दिसम्बर 2014 के पृश्ठ क्रमांक 5 की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक-4 प्रस्तुत किया है । 
8. अनावेदक बैंक ने अंबिका प्रसना नायक, षाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक षाखा बलौदा के षपथ पत्र से समर्थित जवाब में परिवादी द्वारा दिनांक 10.02.2004 को ऋण स्वीकृत होने के बाद ट्रेक्टर एवं ट्राली क्रय करने हेतु अनावेदक से ऋण 2,91,000/-रू. का टर्म लोन लेना बताया है, जिसकी अदायगी उसे माह जनवरी सन् 2005 से 16,165/-रू. की अर्द्धवार्शिक किष्तों में मय ब्याज के नियमित रूप से करना था, सन् 2013 में पूरा हो जाना था । उक्त हेतु परिवादी अपनी कृशि भूमि को अनावेदक के पक्ष में बंधक रखा था तथा उक्त राषि से खरीदी जाने वाली वाहन को भी दृश्टि बंधक रखा तथा रामेष्वर प्रसाद द्वारा जमानत लिया गया था । किष्तों की अदायगी नहीं किए जाने पर ऋण अदायगी की अवधि समाप्त होने पर दिनांक 15.11.2013 को अनावेदक द्वारा आवेदक को रिकव्हरी एजेंट के माध्यम से ट्रेक्टर जप्त कर लेने के संबंध में सूचना आवेदक को दी गई थी तथा अंतिम सूचना दिनांक 26.02.2014 को दी गई थी, जिसकी प्राप्ति के बाद भी ऋण अदायगी नहीं किए जाने पर दिनांक 19.09.2014 को उसे एजेंट के माध्यम से अनावेदक द्वारा ट्रेक्टर जप्त किया गया है तथा ट्रेक्टर विक्रय हेतु निविदा आमंत्रित किया गया है । निविदा आमंत्रण सूचना का प्रकाषन दैनिक समाचार पत्र नवभारत एवं नई दुनिया में दिनांक 18.01.2015 को कराया गया है । आवेदक द्वारा लिए गए ऋण की पूर्ण अदायगी नहीं किया गया है, उसका ऋण खाता बंद नहीं हुआ है। उससे अनावेदक को 3,56,700/-रू. पाना षेश है। विक्रय हेतु निविदा का दिनांक 18.01.2015 को प्रकाषन होने के बाद दिनांक 13.02.2015 को आवेदक ने झूठा व मनगढ़ंत कथन कर अनावेदक के विरूद्ध यह परिवाद प्रस्तुत किया है। अनावेदक ने जवाब के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज कृशि ऋण हेतु नियम व षर्ते दिनांक 10.02.2004 दस्तावेज क्रमांक-1, सूचना पत्र दिनांक 21.11.2006 दस्तावेज क्रमांक-2, प्राप्ति स्वीकृति दिनांक 23.11.2006 दस्तावेज क्रमांक-3, प्राप्ति स्वीकृति दिनांक 24.11.2006 दस्तावेज क्रमांक-4, परिवादी द्वारा किष्त पटाने के लिए सहमति देने का  आवेदन दिनांक 05.12.2006 दस्तावेज क्रमांक-5, अनावेदक द्वारा आवेदक को दिया गया आवेदन दिनांक 15.11.2013 दस्तावेज क्रमांक-6, अंतिम वसूली सूचना दिनांक 26.02.2014 दस्तावेज क्रमांक-7, ट्रेक्टर विक्रय हेतु निविदा नवभारत दिनांक 18.01.2015 दस्तावेज क्रमांक-8,  ट्रेक्टर विक्रय हेतु निविदा नई दुनिया दिनांक 18.01.2015 दस्तावेज क्रमांक-9 प्रस्तुत किया है । 
9. उभय पक्ष के अभिवचन व प्रस्तुत प्रमाणों से स्पश्ट है कि परिवादी ने अनावेदक बैंक से ट्रेक्टर व ट्राली क्रय करने के लिए 2,91,000/-रू. का टर्म लोन लिया था, जिससे अनावेदक बैंक में उसका ऋण खाता क्रमांक 11523196735 खोला गया था । अनावेदक के दस्तावेज क्रमांक 9 अनुसार 3,56,700/-रू. बचत बताया है, जो अनावेदक बैंक को भुगतान करना षेश है । 
10. परिवादी ने परिवाद में मुख्य आधार लिया है तथा तर्क किया है  कि परिवादी द्वारा दी ली गई ऋण में ऋण राहत योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान किया जाना था । अनावेदक ने जानबूझकर आवेदक को लाभ प्रदान नहीं किया है । उक्त संदर्भ में परिवादी ने उसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज कृशि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008 दस्तावेज क्रमांक-3 की ओर ध्यान आकर्शित किया तथा तर्क किया है कि परिवादी की कृशि भूमि 4.90 एकड़ है, पांच एकड़ से कम है, छोटा किसान है । संपूर्ण पात्र  राषि माफ करने द्वारा राहत पाने का अधिकारी है । अनावेदक द्वारा लाभ प्रदान नहीं किया गया । 
11. अनावेदक बैंक की ओर से परिवादी के उक्त दस्तावेज क्रमांक 3 के उल्लेखित तथ्यों की ओर ध्यान आकर्शित कराया है कि परिवादी ’’अन्य किसान’’ की श्रेणी में आता है तथा ऋण राहत में केवल छोटे एवं सीमांत किसान के मामले में संपूर्ण ऋण माफ किया जाना उल्लेखित है, अन्य किसान के मामले में पात्र राषि का 75 प्रतिषत का भुगतान करने पर उसे मात्र 25 प्रतिषत की छूट अथवा 20,000/-रू. जो भी अधिक हो पर राहत दिए जाने का उपबंध है । परिवादी ने उक्त राहत योजना अंतर्गत लाभ लेने के लिए अनावेदक बैंक में न तो कोई उपस्थित हुआ और न तो कोई आवेदन प्रस्तुत किया  है ।   
12. परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज कृशि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008 दस्तावेज क्रमांक-3 में सरल क्रमांक 3 परिभाशा क्रमांक 3.6 में ’’छोटा किसान’’ का अर्थ है 1 हेक्टेयर से अधिक और 2 हेक्टेयर (5 एकड़) तक की कृशि भूमि में फसल उगाने वाला (स्वामी अथवा काष्तकार अथवा बंटाईदार के रूप में) किसान । तथा 3.7 में ’’अन्य किसान’’ का अर्थ है 2 हेक्टेयर से अधिक (5 एकड से अधिक़) कृशि भूमि में फसल उगाने वाला (स्वामी अथवा काष्तकार अथवा बंटाईदार के रूप में) किसान  उल्लेखित है, जिसमें स्पश्टीकरण क्रमांक 3 में जिसमें मूल ऋण राषि 50,000/-रू. से अधिक नहीं है, उस मामले में उस किसान को ’’छोटा और सीमांत किसान’’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और जिसमें मूल राषि 50,000/-रू. से अधिक है, उसे ’’अन्य किसान’’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा उल्लेखित है । इसी प्रकार क्रमांक 6 ऋण राहत में 6.1 अन्य किसान के मामले में, एकबारगी निपटान (ओटीएस) योजना होगी जिसके अंतर्गत इस षर्त के अधीन की किसान ’’पात्र राषि’’ (ऋण राषि) के 75 प्रतिषत के षेश का भुगतान कर देता है तो उसे ’’पात्र राषि’’ के 25 प्रतिषत की छूट दी जाएगी उल्लेखित है । 
13. अनावेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज कृशि बैंकिंग कृशि ऋण हेतु नियम एवं षर्तें दस्तावेज क्रमांक-1 में 3,05,700/-रू. का मध्य/अल्पकालीन ऋण स्वीकृत किया गया है तथा उसमें अल्पकालीन ऋण 14,700/-रू. ट्रेक्टर एवं ट्राली हेतु 2,91,000/-रू. स्वीकृत हुआ है। प्रतिभूति स्वरूप अपनी कृशि भूमि 4.90 एकड़ का उल्लेख है । परिवादी की लोन राषि स्वीकृत ऋण 50,000/-रू. से अधिक है, जिसके अनुसार परिवादी ’’अन्य किसान’’ की श्रेणी में आता है तथा ली गई ऋण राषि का 75 प्रतिषत जमा करने पर 25 प्रतिषत की राहत उक्त योजना के अंतर्गत प्राप्त होता  । 
14. परिवादी ने परिवाद की कंडिका 3 में लिए गए ऋण राषि में कुल 1,36,000/-रू. जमा किया जा चुका है बतलाया है, मामले में ऋण खाता का स्टेटमेंट दस्तावेज क्रमांक-1 प्रस्तुत किया है, जिसमें भी 1,36,392/-रू. जमा होना उल्लेखित है । 
15. अनावेदक के दस्तावेज क्रमांक-1 अनुसार परिवादी को कुल 3,05,700/-रू. का ऋण स्वीकृत किया गया था, जिसका 75 प्रतिषत 2,30,625/-रू. होता है, इस प्रकार परिवादी द्वारा लिए गए ऋण की जमा की गई राषि 1,36,392/-रू. लिए गए ऋण की  75 प्रतिषत राषि नहीं है । 75 प्रतिषत राषि जमा करने पर 25 प्रतिषत की राहत प्राप्त होती । इस प्रकार परिवादी दस्तावेज क्रमांक 3 अनुसार ऋण राहत योजना का लाभ पाने के लिए ऋण की अदायगी (75 प्रतिषत) नहीं किए जाने से पात्रता नहीं रखता था स्पश्ट हो रहा है । 
16. परिवादी ने परिवाद अंतर्गत ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे दस्तावेज क्रमांक 3 अनुसार उसने अनावेदक बैंक में ऋण राहत योजना 2008 का लाभ लेने के लिए कोई प्रार्थना किया तथा अनावेदक बैंक द्वारा उसकी प्रार्थना को इंकार किया गया । यद्यपि परिवादी द्वारा बताए ऋण राहत योजना का लाभ लेने आवष्यक राषि जमा नहीं किया था । 
17. अनावेदक बैंक द्वारा सूची अनुसार दस्तावजों से ली गई ऋण राषि की नियमित अदायगी नहीं किए जाने से अंतिम वसूली सूचना दिनांक 26.02.2014 दस्तावेज क्रमांक-7 परिवादी को दिए जाने पष्चात वाहन की जप्ति की गई तथा ट्रेक्टर विक्रय हेतु निविदा आमंत्रण सूचना समाचारपत्र में दिनांक 18.01.2015 को प्रकाषन कराया गया है, उसके पष्चात परिवादी ने यह परिवाद दिनांक 13.02.2015 को प्रस्तुत किया है, जिससे परिवादी के विरूद्ध अनावेदक ने ग्राहक एवं स्वामी के बीच स्थापित सेवा भावना में कमी करते हुए कदाचरण किया गया है अथवा सेवा में कमी किए जाने का तथ्य स्थापित, प्रमाणित नहीं हुआ है । 
18. उपरोक्त संपूर्ण तथ्यतः परिस्थितियों से अनावेदक द्वारा परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किया जाना या व्यवसायिक कदाचरण किए जाने का कोई मामला प्रमाणित नहीं होना पाते हुए निश्कर्श प्रमाणित नहीं में हम देते हैं ।                             
19. उपरोक्त अनुसार अनावेदक के विरूद्ध परिवादी द्वारा किया गया यह परिवाद स्वीकार करने योग्य होना हम नहीं पाते हैं, फलस्वरूप निरस्त करने योग्य पाते हुए निरस्त करते हैं । 
20. उभय पक्ष अपना-अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे । 


( श्रीमती शशि राठौर)                           (मणिशंकर गौरहा)                                (बी.पी. पाण्डेय)     
      सदस्य                                                   सदस्य                                               अध्यक्ष   


                         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE]
MEMBER

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