Uttar Pradesh

StateCommission

A/618/2021

Adhishashi Abhiyanta Vidyut Vitran Khand I - Complainant(s)

Versus

State Bank Of India - Opp.Party(s)

Paras Nath Tiwari

05 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/618/2021
( Date of Filing : 29 Nov 2021 )
(Arisen out of Order Dated 21/10/2021 in Case No. Complaint Case No. C/2010/47 of District Azamgarh)
 
1. Adhishashi Abhiyanta Vidyut Vitran Khand I
Azamgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. State Bank Of India
Branch Azamgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Jan 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-618/2021

अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्‍ड-प्रथम आजमगढ़।

                                              ........... अपीलार्थी/परिवादी

बनाम          

1-    मुख्‍य प्रबन्‍धक भारतीय स्‍टेट बैंक शाखा आजमगढ़।

2-    जिला अधिकारी आजमगढ़।

3-    उपजिला मजिस्‍ट्रेट सदर आजमगढ़।

4-    तहसीलदार सदर आजमगढ़।

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष            

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री पारस नाथ तिवारी

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री अंशुमाली सूद

दिनांक :- 05.01.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-47/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.10.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी विद्युत वितरण खण्‍ड प्रथम सिधारी आजमगढ़ में अधिशासी अभियंता के पद पर कार्यरत है एवं उसका प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक में खाता है, जिसका खाता नं0-10954886442 है तथा उक्‍त खाते का संचालन बहैसियत अधिशासी अभियंता/परिवादी द्वारा किया जाता रहा है। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार उसके विरूद्ध उपभोक्‍ता फोरम, आजमगढ़ द्वारा मु0नं0-233/2002 माधुरी राय बनाम अधिशासी अभियंता में दिनांक

-2-

06.8.2007 को माधुरी के पक्ष में मु0 3,00,000.00 रू0 अदा करने का आदेश पारित हुआ, जिसके विरूद्ध अपीलार्थी/परिवादी द्वारा राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग में अपील सं0-2789/2007 दाखिल की गई, जिसमें राज्‍य आयोग द्वारा यह आदेश पारित किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी तीन लाख रूपये यदि जिला उपभोक्‍ता मंच के यहॉ जमा कर देता है तो दिनांक 06.8.2007 के आदेश का क्रियान्‍वयन अपील के निस्‍तारण तक स्‍थगित रहेगा। राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग के आदेश के पश्‍चात अपीलार्थी/परिवादी द्वारा तीन लाख रूपया अदा करने हेतु अपने उच्‍च अधिकारियों को पत्र लिखा गया एवं पैसा अवमुक्‍त न हो पाने के पहले ही उनका इस जनपद से स्‍थानांतरण हो गया। तत्‍पश्‍चात उक्‍त पद पर परिवादी के अंतरित होकर आया और अपीलार्थी/परिवादी को जब उक्‍त मुकदमें के सम्‍बन्‍ध में जानकारी हुई तो अपीलार्थी/परिवादी ने धन अवमुक्‍त कराने हेतु उच्‍च अधिकारियों को पत्र लिखा एवं उनसे सम्‍पर्क किया। माधुरी राय ने उक्‍त तीन लाख रूपये की वसूली हेतु जिला उपभोक्‍ता फोरम आजमगढ़ में इजरा वाद सं0-11/2007 दाखिल किया जिसमें न्‍यायालय द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के विरूद्ध आर0सी0 जारी कर दी गई। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 15.12.2008 को प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र पर न्‍यायालय द्वारा सम्‍बन्धित अधिकारी/कर्मचारीगण से आर0सी0 वापस करने का निर्देश दिया गया। उक्‍त बात की जानकारी होने के पश्‍चात कि सम्‍बन्धित आर0सी0 का पैसा न्‍यायालय में जमा हो गया है, मुख्‍य प्रबन्‍धक भारतीय स्‍टेट बैंक आजमगढ़ ने प्रशासनिक अधिकारियों से साजिश कर बिना अपीलार्थी/परिवादी के पूर्वानुमति के एवं न्‍यायालय से आदेश प्राप्‍त किए बिना अपीलार्थी/परिवादी के खाते से 30,000.00 रू0 का चेक तहसीलदार सदर के नाम से दिनांक 09.01.2009 को जारी कर दिया गया। इस प्रकार मुख्‍य प्रबन्‍धक स्‍टेट बैंक आजमगढ़ द्वारा एवं अपीलार्थी/परिवादी के मध्‍य उक्‍त खाते के संचालन के सम्‍बन्‍ध में जो सेवा शर्ते तय थी उसका घोर उल्‍लंघन किया गया। जिससे

-3-

अपीलार्थी/परिवादी को काफी नुकसान पहुंचा, अत्एव तीन लाख रूपये मय ब्‍याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक की ओर से परिवाद पत्र के अभिकथनों से इंकार किया गया तथा परिवाद को निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया।

प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इजराय वाद सं0-11/2007 माधुरी राय आदि बनाम उ0प्र0 पावर कारपोरेशन आदि में पारित आदेश दिनांक 10.02.2009 का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया और यह पाया गया कि उपरोक्‍त इजराय वाद पूर्ण संतुष्टि में खारिज कर दिया गया है एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह भी पाया गया कि चूंकि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कोई प्रमाण पत्र भी प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, अत्एव तद्नुसार परिवाद खारिज किया गया।

अपीलार्थी द्वारा वर्तमान प्र‍करण में ऐसा कोई अभिलेख प्रस्‍तुत नहीं किया गया है कि जिससे उसके कथन की प्रमाणिकता पर विश्‍वास किया जा सके। मेरे विचार से विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार

-4-

के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता अपील स्‍तर पर प्रतीत नहीं हो रही है, अत्एव प्रस्‍तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                                       (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   

                                         अध्‍यक्ष                                                                                                                     

हरीश सिंह,

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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