Uttar Pradesh

Hamirpur

CC/26/2015

SEVAK SINGH - Complainant(s)

Versus

STATE BANK OF INDIA AND OTHER - Opp.Party(s)

09 Sep 2016

ORDER

FINAL ORDER
DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
HAMIRPUR
UP
COURT 1
 
Complaint Case No. CC/26/2015
 
1. SEVAK SINGH
VILL-SURAULI BUJURG, SUMERPUR
HAMIRPUR
UTTER PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. STATE BANK OF INDIA AND OTHER
HAMIRPUR BRANCH
HAMIRPUR
UTTER PRADESH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SHRI RAM KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MRS. HUMERA FATMA MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 09 Sep 2016
Final Order / Judgement

           

                                            दायरा तिथि- 26-03-2015

                                                   निर्णय तिथि- 09-09-2016

  समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)

   उपस्थिति-  श्री रामकुमार                     अध्यक्ष,

              श्रीमती हुमैरा फात्मा              सदस्या,

                                     

  परिवाद सं0- 26/2015 अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986  

सेवक सिंह पुत्र श्री बलीराम सिंह निवासी सुरौली बुजुर्ग परगना सुमेरपुर तहसील व जिला हमीरपुर।                                                   

                                                               .....परिवादी।

                        बनाम

1- भारतीय स्टेट बैंक हमीरपुर द्वारा मुख्य शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक, हमीरपुर ।

2- प्रबंधक आई0सी0आई0सी0आई0 लोमबार्ड जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 एल्डिको कार्पोरेट चौथा खण्ड चेम्बर 1 विभूति खण्ड गौमती नगर लखनऊ।

                                                           ........विपक्षीगण।

                        निर्णय

द्वारा- श्री, रामकुमार,पीठासीन अध्यक्ष,

       परिवादी ने यह परिवाद  उत्तरदायी विपक्षीगण से अपनी बीमित फसल की क्षति मु0 135000/- रू0 दिलाये जाने तथा वाद व्यय का मु0 5000/- रू0 दिलाये जाने हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।

       परिवाद पत्र में परिवादी का संक्षेप मिं कथन यह है कि उसने अपनी कृषि भूमि गाटा सं0 3859/5 रकबा 2.792 है0, गाटा सं0 3940/2 रकबा 0.512 है0 व गाटा सं0 3911 रकबा 1.214 है0 हेतु विपक्षी सं0 1 से किसान क्रेडिट कार्ड न0 33577557539 दि0 28-01-14 को बनवाया था। दि0 05-05-14 को विपक्षी सं0 1 ने विपक्षी सं0 2 के माध्यम से उसकी रबी की फसल का बीमा कराया था तथा मु0 3912.30 पैसे प्रीमियम भी काटा गया। परिवादी की उक्त रबी की फसल भीषण बारिस व ओलावृष्टि से पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गई। फसल पूर्णतया नष्ट हो जाने के कारण परिवादी को कुल मु0 135000/- रू0 की क्षति हुई जिसकी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी विपक्षीगण की है। फरवरी, मार्च 14 में भीषण बारिस व ओलावृष्टि से फसल की क्षति का उ0प्र0 सरकार ने सर्वे भी कराया था जिसमें रबी की फसल पूर्णतया नष्ट होने की पुष्टि हुई। जिसका परिवादी को राहत बतौर 4500/- रू0 का चेक भी प्रदान की गई। परिवादी ने कई बार विपक्षी सं0 1 से बीमित फसल के बीमा ऱाशि के भुगतान का निवेदन किया तो वह आश्वासन देते रहै तथा मार्च 15 में बीमाधन देने से इंकार कर दिया। विपक्षी सं0 1 द्वारा प्रीमियम काटने के बाद भी फसल बीमा का भुगतान न करके सेवा में कमी की है। इस कारण परिवादी को मजबूर होकर फोरम में परिवाद दायर करना पड़ा।

        विपक्षी सं0 1 ने परिवाद पत्र के विरूद्ध अपना जवाबदावा पेश करके परिवादी की कृषि भूमि गाटा सं0 3859/5 रकबा 2.792 है0, गाटा सं0 3940/2 रकबा 0.512 है0 व गाटा सं0 3911 रकबा 1.214 है0 हेतु किसान क्रेडिट  कार्ड न0 33577557539  दि0 28-01-14 को बनाना तथा दि0 05-05-14  को विपक्षी सं0 2 के माध्यम से परिवादी की

                                    (2)

रबी फसल का बीमा वर्ष 2014 के लिए कराना व मु0 3912.30 पैसे प्रीमियम काटना स्वीकार किया है। लेकिन विपक्षी सं0 2 ने दिसम्बर 13 तक का ही प्रीमियम स्वीकार किया था। शासनादेश सं0 1516/12-2-2014-60(5) 2012 दि0 31 मई 2014 के अनुसार वर्ष 2014-15, 2015-16 व 2016-17 के खरीफ एवं रबी की फसल हेतु राष्ट्रीय फसल बीमा योजना उ0प्र0 के जनपदों में लागू की गई। जिसका प्रीमियम 3912.30/- रू0 विपक्षी सं0 2 को भेजा गया जिसे उसने स्वीकार नहीं किया तथा विपक्षी सं0 2 को भेजा गया प्रीमियम का ड्राफ्ट भी विपक्षी सं0 2 द्वारा वापस नहीं किया गया। विपक्षी सं0 2 को भेजी गई ड्राफ्ट को निरस्त करके विपक्षी बैंक ने प्रीमियम की धनराशि मु0 3912.30/- रू0 और उसका ब्याज 148.34/- रू0 परिवादी के के0सी0सी0 खाता में जमा कर दी थी जिसकी सूचना भी परिवादी को दे दी गई थी। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है तथा परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

        विपक्षी सं0 2 ने परिवाद पत्र के विरूद्ध अपना जवाबदावा इस कथन के साथ  पेश किया है कि परिवादी के किसान क्रेडिट कार्ड न0 33577557539  से सम्बन्धित किसी कृषि भूमि की रबी की फसल मार्च 14  का  कोई बीमा विपक्षी द्वारा नहीं किया गया था। इसलिए परिवादी कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं हैं। परिवादी ने बिना किसी प्रमाण व साक्ष्य के विपक्षी को पक्षकार बनाया है। इसलिए परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

      परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची न0 03 से 05 अभिलेख, सूची कागज सं0 20 से 1 अभिलेख, बैंक पासबुक की छायाप्रति कागज सं0 29,30 व 31 तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 19 दाखिल किया है।

      विपक्षी सं0 1 ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची न0 24 से 3 अभिलेख, सूची न0 33 से 2 अभिलेख, सूची न0 38 से 2 अभिलेख, सूची न0 42 से 1 अभिलेख तथा विजय कुमार गुप्ता मुख्य शाखा प्रबंधक का शपथपत्र कागज सं- 23 तथा दाखिल किया है।

विपक्षी सं0 2 ने अभिलेखीय साक्ष्य में मनीष श्रीवास्तव लीगल मैनेजर का शपथपत्र कागज सं0 17  दाखिल किया है।

      परिवादी तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।

      उपरोक्त के विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी सं0 1 भारतीय स्टेट बैंक हमीरपुर से अपनी कृषि भूमि गाटा सं0 3859/5 रकबा 2.792 है0, गाटा सं0 3940/2 रकबा 0.512 है0 व गाटा सं0 3911 रकबा 1.214 है0 हेतु विपक्षी सं0 1 से किसान क्रेडिट कार्ड न0 33577557539 दि0 28-01-14 को बनवाया था। परिवादी ने उपरोक्त भूखण्डों पर रबी की फसल बोने के लिए र0 58000/- का ऋण दि0 04-02-14 को विपक्षी सं0 1 बैंक से प्राप्त किया था। राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के अन्तर्गत रबी फसल बीमा 2014 जो जनवरी 2014 से मार्च 2014 तक के लिए थी। उक्त योजना में अपनी फसल का बीमा कराने हेतु परिवादी के क्रेडिट कार्ड से रू0 3912.30/- की प्रीमियम काटकर विपक्षी सं0 2 से फसल बीमा कराने हेतु उक्त धनराशि जरिये बैंक ड्राफ्ट दि0 05-05-14 को भेजा गया। नियमानुसार उक्त किश्त की धनराशि का 15 दिन के अंदर बीमा कम्पनी को भेजना अनिवार्य था। इसलिए बीमा कम्पनी ने  परिवादी  की फसल का

                                    (3)

बीमा नहीं  किया। परिवादी ने अपने  उक्त भूखण्डों में चना मसूर की फसल तैयार किया था।  उक्त फसल अतिवृष्टि तथा ओलावृष्टि के कारण नष्ट हो गई। राज्य सरकार ने सर्वे कराने के पश्चात जिले के अन्य किसानों के साथ परिवादी को भी फसल की क्षतिपूर्ति के मद में 4500/- रू0 का अनुदान दिया है।

      विपक्षी सं0 1 बैंक द्वारा प्रीमियम की धनराशि 31 मार्च 2014 तक विपक्षी सं0 2 को फसल बीमा कराने के लिए भेजना चाहिए था लेकिन प्रीमियम की धनराशि का बैंक ड्राफ्ट दि0 05-05-14 को जरिए रजिस्ट्री दि0 06-05-14 बीमा कम्पनी को भेजा गया। इस तरह से विपक्षी सं0 1 ने सेवा में कमी किया है। विपक्षी सं0 1 की लापरवाही के कारण ही विपक्षी सं0 2  ने परिवादी की फसल का बीमा नहीं किया। तदनुसार विपक्षी सं0 2 को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।

      परिवादी ने जब वांछित अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद दि0 17-03-15 को फोरम में पेश किया तो विपक्षी स0 1 ने बचाव में परिवादी के क्रेडिट खाता सं0 33577557539 से काटी गई बीमा प्रीमियम की धनराशि 3912.30/- व उस पर देय ब्याज 148.34/- उसके उपरोक्त खाता में दि0 17-04-15 को जमा कर दिया। जबकि वास्तविकता यह है कि परिवादी तथा अन्य लाभार्थियों की रबी फसल का बीमा कराने हेतु वर्ष 2013-14 के बाबत काटी गई प्रीमियम का समेकित डिमांड ड्राफ्ट सं0 389576613 दि0 05-05-14 रू0 164146.50/- आज तक बीमा कम्पनी विपक्षी सं0 2 ने बैंक को वापस नहीं किया। परन्तु बैंक ने अपने दायित्वों से बचने के लिए डिमांड ड्राफ्ट की धनराशि वापस प्राप्त किये बिना परिवादी के खाते में प्रीमियम की धनराशि व उस पर देय ब्याज की धनराशि को जमा  कर दिया।  परन्तु इसका कोई लाभ विपक्षी सं0 1 को दिये जाने का पर्याप्त आधार नहीं है। इस तथ्य का कोई साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है कि परिवादी ने वर्ष 2014 की रबी फसल का बीमा कराने के बजाय वर्ष 2013 की रबी फसल का बीमा कराया था। इसमें किश्त जमा करने की समय सीमा 31 दिसम्बर 2013 तक ही थी। इसीलिए बीमा कम्पनी न फसल का बीमा नहीं किया। यदि विपक्षी सं0 1 की यह बात सही भी है तो उसके द्वारा परिवादी से रबी फसल 2013-14 की बीमा प्रीमियम फरवरी 2014 में प्रीमियम काटने का कोई औचित्य नहीं साबित होता। इससे विपक्षी अधिवक्ता के इस तर्क में बल प्रतीत नहीं होता कि 31 दिसम्बर 2013 तक जमा किश्तों का पैसा ही बीमा कम्पनी स्वीकार कर रही थी।

      परिवादी को उसकी कृषि भूमि के मानक के अनुसार 68998/- रू0 का किसान क्रेडिट कार्ड विपक्षी बैंक द्वारा दि0 28-01-14 को जारी किया गया था तथा उसे दि0 04-02-14 को रू0 58000/- का ऋण स्वीकृत किया गया था तभी रबी फसल बीमा 2013-14 की किश्त उसके खाते से काट ली गई थी। नियमानुसार धनराशि काटने के 15 दिन के अन्दर उक्त धनराशि बीमा कम्पनी को भेजा जाना अनिवार्य था। परन्तु विपक्षी बैंक ने निर्धारित समय सीमा 31-03-14 तक भी प्रीमियम की धनराशि बीमा कम्पनी को न भेजकर दि0 06-05-14 को उक्त ड्राफ्ट जिरिए रजिस्ट्री भेजा। इस तरह से विपक्षी बैंक ने अपने कर्तव्यों का पालन करने में उदासीनता व लापरवाही बरती है।

     

 

                                    (4)

परिवादी ने अपने उपरोक्त भूखण्डों की रबी की फसल में हुई क्षति के रूप में 135000/- व वाद व्यय के लिए 5000/- रू0 दिलाए जाने की याचना किया है। इस सम्बन्ध में पत्रावली के अवलोकन से विदित है कि परिवादी ने ऐसा कोई  साक्ष्य पत्रावली

पर दाखिल नहीं किया है कि उसने अपने उपरोक्त भूखण्डों में कितने रूपये के चना व मसूर के बीज बोये थे और कितने रकबे की फसल पककर तैयार हो गई थी। खसरा खतौनी का इन्द्राज इस तथ्य का निश्चायक सबूत नही है कि परिवादी को 135000/- रू0 की क्षति हुई। चूंकि वर्ष 2013-14 मे अतिवृष्ट व ओलावृष्टि से हमीरपुर जिले के किसानों को उनकी फसल में हुई क्षति के अनुपात  में राज्य सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति के लिए अनुदान दिया गया। परिवादी को भी फसल क्षतिपूर्ति के लिए 4500/- रू0 का चेक प्राप्त हुआ है। उक्त चेक शामिल पत्रावली है। इसलिए परिवादी को फसल बीमा की धनराशि की क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्याय संगत प्रतीत होता है। विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क में बल प्रतीत नहीं होता है कि वह राज्य सरकार द्वारा पहले ही अनुदान के रूप में क्षतिपूर्ति की धनराशि प्राप्त कर चुका है।इसलिए दुबारा क्षतिपूर्ति की धनराशि दिलाये जाने का कोई औचित्य नहीं है। चूंकि विपक्षी बैंक द्वारा रबी फसल बीमा वर्ष 2013-14 में परिवादी के क्रेडिट कार्ड से काटी गई प्रीमियम की धनराशि बीमा कम्पनी को  समय से नहीं भेजी गई। इसलिए परिवादी फसल बीमा  की धलराशि प्राप्त करने से वंचित रह गया। इसलिए विपक्षी बैंक से क्षतिपूर्ति की धनराशि परिवादी को दिलाया जाना न्याय संगत प्रतीत होता है। तदनुसार दावा आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

                                 -आदेश-

      परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 1 को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को रबी फसल वर्ष 2013-14 में हुई क्षति के मद में 50000/- रू0 तथा उस पर दावा दायर करने की दि0 17-03-15 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अदा करे। वे परिवादी को वाद व्यय के मद में 5000/- रू0 तथा मानसिक क्लेश के मद में 5000/- रू0 भी अदा करेंगे। आदेश का अनुपालन अंदर 30 दिवस हो अन्यथा परिवादी को यह अधिकार हासिल है कि वह उपरोक्त धनराशि की वसूली विधि अनुसार विपक्षी सं0 1 से कर लें। विपक्षी सं0 2 के विरूद्ध दावा खारिज किया जाता है। विपक्षी सं0 1 उक्त देय धनराशि की वसूली दोषी कर्मचारी से करने के लिए स्वतन्त्र है।

 

          (हुमैरा फात्मा)                               (रामकुमार)                         

            सदस्या                                    अध्यक्ष 

       यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।

 

         (हुमैरा फात्मा)                                (रामकुमार)                         

            सदस्या                                    अध्यक्ष  

                             

 
 
[HON'BLE MR. SHRI RAM KUMAR]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. HUMERA FATMA]
MEMBER

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