जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति कनकलता जैन धर्मपत्नि स्व. श्री विनोद कुमार जैन,आर्यसमाज रोड़, केसरगंज, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. ब्रान्च मैनेजर, स्टार हैल्थ एण्ड ऐलाईड इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, एफ-5, थर्ड फलोर, अमर प्लाजा काम्पलेक्स, बजरंगढ़ सर्किल के पास, अजमेर-305001
2. ब्रान्च मैनेजर, स्टार हैल्थ एण्ड ऐलाईड इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस, 1 न्यू टेक स्ट्रीट, बेजूारकाटम हाई रेाड़, नूनगमबक, चैन्नई -600034
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 96/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री अषोक कुमार जैन, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री संजय मंत्री, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 15.02.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थिया के पति द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से हैल्थ इंष्यारेंस बीमा पाॅलिसी दिनंाक 31.3.2013 से 30.3.2014 तक की प्राप्त किए जाने के उपरान्त दिनंाक 13.11.2012 को उन्हें निमोनिया एवं हृदय पीड़ा के कारण सन्त फ्रांसिस अस्पताल,अजमेर में भर्ती कराए जाने पर तबियत में सुधार नहीं होने के कारण डाक्टरों की सलाहनुसार फोर्टिज अस्पताल, जयपुर के आईसीयू में उसी दिन भर्ती करवाया गया, जहां उनकी दिनंाक 14.1.1.2013 को मृत्यु हो गई । प्रार्थिया के पति को प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय यह आष्वासन दिया गया था कि बीमित अवधि में इलाज में खर्च हुई राषि के अतिरिक्त यदि बीमित की मृत्यु हो जाती है तो बीमा क्लेम रू. 2 लाख का भुगतान किया जावेगा। इसी आष्वासन के आधार पर उसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष बीमा क्लेम पेष किया । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बावजूद नोटिस के क्लेम राषि अदा नहीं कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थिया ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रतिउत्तर की प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि मृतक के सबंध में प्रस्तुत क्लेम में यह प्रकट हुआ है कि उक्त मृतक ैम्च्ज्प्ब् ैभ्व्ब्ज्ञए च्छम्न्डव्छप्।ए टम्छज्त्प्ब्न्स्।त् ज्।ब्भ्ल्ब्।त्क्प्। बीमारियों से पीड़ित था तथा सन्त फ्रांसिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था । उक्त अस्पताल के 8.1.2014 के पत्र से यह भी प्रकट हुआ कि मृतक ठंतपंजतपब ैनतहमतल का पुराना मरीज था । उसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए अपूर्ण था । उत्तरदाता द्वारा दिनंाक 30.12.2013 को प्रार्थिया को पत्र लिख कर उक्त प्रलेखों की मांग की गई थी । दिनांक 16.1.2014 को प्रार्थिया केे कुछ दस्तावेज की कमी पाई गई, जिसका उल्लेख पैरा संख्या 2 में करते हुए दिनंाक 20.1.2014 के पत्र द्वारा इन्हें मांगा गया था । चूंकि प्रार्थिया द्वारा उक्म दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाए गए । अतः उसके क्लेम पर निर्णय नहीं लिया जा सकता । अतः क्लेम अनिर्णित रहा है । पैैरावाईज उत्तर में पाॅलिसी का जारी किया जाना स्वीकार करते हुए यह अस्वीकार किया है कि उक्त मृतक को सन्त फ्रान्सिस अस्पताल, अजमेर में मात्र निमोनिया तथा हृदय की तकलीफ के कारण भर्ती कराया गया था । वास्तविक तथ्यों के अनुसार यह ैम्च्ज्प्ब् ैभ्व्ब्ज्ञ से पीड़ित होने के कारण भर्ती करवाया गया था । इस बात को गलत बताया कि रू 2 लाख दिए जाने का आष्वासन दिया गया हो । चूंकि वांछित प्रलेख अब तक उपलब्ध नहीं कराए गए हंै तथा प्रस्तुत परिवाद प्री मैच्योर होने के कारण प्रारम्भ में ही खारिज होने योग्य है । प्रार्थिया को किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं मानते हुए ऐसे परिवाद को कानूनन खारिज होने योग्य बताया है ।
3. प्रार्थिया पक्ष का तर्क रहा है कि प्रार्थिया के स्वर्गीय पति द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक हैल्थ इन्ष्योरेंस बीमा करवाया गया था तथा बीमित अवधि के दौरान दिनंाक 13.11.2012 को सन्त फ्रान्सिस अस्पताल, अजमेर में निमोरिया एवं हृदय पीड़ा के कारण उन्हें भर्ती कराना पड़ा था व तबियत बिगड़नेे पर फोर्टिज अस्पताल,जयपुर में उसी दिन भर्ती करवाया गया था । अगले दिन उनका निधन हो गया था । अप्रार्थीगण द्वारा उसे पाॅलिसी लेते समय आष्वासन दिया गया था कि उन्हें किसी प्रकार की बीमारी होगी तो समस्त इलाज का खर्च व अन्य खर्च तथा बीमित अवधि में मृत्यु हो जाने पर रू. 2 लाख ब्याज सहित प्रार्थिया को अदा किए जावेगें । उसके द्वारा समस्त इलाज के बिल सहित क्लेम प्रस्तुत किया गया था । किन्तु बार बार निवेदन किए जाने के बाद भी क्लेम सेटल नहीं किया गया है । वांछित अनुतोष प्रदान किया जाए । प्रार्थिया ने न्यायिक दृष्टान्त प्;2015द्धब्च्श्र 473;छब्द्ध ठपतसं ैनद स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ज्ञपतंद च्तंनिसस ठींकनतम ए 1;2015द्धब्च्श्र ;।च्द्ध ठंरं ।ससपं्र स्पमि प्देनतंदबम प्देनतंदबम ब्व स्जक ंदक ।दत टे स्ंनंयं त्ंउप - व्तेए प्प्;2010द्धब्च्श्र 265 स्ंाीूपदकमत ैपदउही - ।दत टे न्दपजमके प्दकपम प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जक ंदक व्तेए प्ट;2014द्धब्च्श्र 124;च्नदरंइद्ध ।अपअं स्पमि प्देनतंदबम टे ैींतंदरपज ज्ञंनतए प्ट;2014द्धब्च्श्र 580 ;छब्द्ध प्ब्प्ब्प् च्तनकमदजपंस स्पमि प्देनतंदबम ब्वण् स्जक टे टममदं ैींतंउं - ।दतए प्प्;2011द्धब्च्श्र 316 ;त्ंरंेजींदद्ध भ्क्थ्ब् ैजंउबंतक स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक टे स्ंपसंेी ब्ींदबतं ।हंतूंसए प्प्प्;2014द्धब्च्श्र 552;छब्द्ध ैठप् स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक टे श्रंतपदकमत ज्ञंनत - ।दतण् प्प्प्;2014द्ध ब्च्श्र 221;छब्द्ध ठंरंर ।ससपंद्र स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक - व्ते टे त्ंर ज्ञनउंत पर अवलम्ब लिया है ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया गया है कि मृतक द्वारा ली गई पाॅलिसी हैल्थ प्लान के तहत ली गई थी । जिसमें मृत्यु बाबत् रिस्क कवर नहीं होती है । प्राथिया को इलाज से संबंधित अभिलेख उपलब्ध कराए जाने हेतु कई बार लिखा गया, किन्तु उसकी ओर से उक्त औपचारिकताओं को पूरा नहीं किए जाने के कारण कार्यवाही नहीं हो सकी है । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि मृतक ठंतपंजतपब ैनतहमतल का पुराना मरीज था । उसके द्वारा अधूरे दस्तावेजात प्रस्तुत किए गए थे । उसे किसी भी प्रकार की कोई राषि मृत्यु की स्थिति में भुगतान किए जाने का आष्वासन नहीं दिया गया था ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए है एवं उपलब्ध रिकार्ड को देखा है एवं प्रस्तुत नजीरों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. हम यहां प्रारम्भ में ही स्पष्ट करना चाहते हंै कि जो नजीरंे प्रस्तुत की गई है वे तथ्यों की भिन्नता में प्रार्थिया के लिए कोई सहायक नहीं है ।
7. स्वीकृत रूप से प्रार्थिया की ओर से प्रष्नगत पाॅलिसी फैमिली हैल्थ ओपन पाॅलिसी प्राप्त की गई थी । प्रार्थिया पक्ष ने इस पाॅलिसी के अन्तर्गत अपने मृतक पति की मृत्यु के उपरान्त समस्त सम एष्योर्ड राषि हेतु क्ल्ेम प्रस्तुत किया है । हस्तगत ली गई हैल्थ फैमिली ओपन इन्ष्योरेंस पाॅलिसी है जिसके अन्तर्गत मात्र उक्त पाॅलिसी में सम्मिलित व्यक्तियों के स्वास्थ्य के संबंध में निर्धारित सीमाओं के अन्तर्गत किए गए खर्चो को पुनर्भरण योग्य मानते हुए इसकी सीमा निर्धारित की गई है । इस पाॅलिसी के अन्तर्गत किसी भी ऐसे बीमित सदस्य की मृत्यु हो जाने पर सम एन्ष्योर्ड का भुगतान नहीं किया जाता है । इस हेतु यदि प्रार्थिया ने लाईफ से संबंधित कोई पाॅलिसी ली गई होती तो वह समएष्योर्ड तक क्लेम प्राप्त करने के लिए अधिकृत थी जबकि ऐसा नहीं किया गया है । अतः वह समस्त इलाज में खर्च की गई नियमानुसार निर्धारित राषि का क्लेम ही प्राप्त करने की अधिकारिणी है ।
8. अब प्रष्न यह उत्पन्न होता है कि इलाज में कुल कितना खर्च हुआ तथा किस राषि को प्राप्त करने की वह अधिकारिणी है ?
9. इस मंच द्वारा अंतिम बहस सुने जाने से पूर्व पक्षकारों को यह निर्देष दिए गए थे कि प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी को वे सभी अभिलेख उपलब्ध करवाएगी जिसके आधार पर उसने क्लेम प्रस्तुत किया है तथा जिनकी मांग अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा की गई है । इसकी पूर्ति किए जाने के बाद एक माह के अन्दर अन्दर अप्रार्थी बीमा कम्पनी क्लेम के संबंध में अंतिम निर्णय लेकर प्रार्थिया को सूचित करेगी । इस आदेष के पारित किए जाने के बाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी का तर्क रहा था कि प्रार्थिया पक्ष ने उन्हें अब तक वे प्रलेख उपलब्ध नहीं करवाए हंै जिनकी उनके द्वारा मांग की गई है । जबकि प्रार्थिया का तर्क रहा है कि उनके द्वारा ऐसे समस्त दस्तावेजात अप्रार्थी बीमा कम्पनी को उपलब्ध करवाए जा चुके है एवं अब उनके पास किसी प्रकार के अन्य कोई अभिलेख इत्यादि उपलब्ध नहीं हैं । परस्पर आई स्थिति के संदर्भ में इस मंच के पास अब उपलब्ध अभिलेख के आधार पर निर्णय करने के अलावा अन्य कोई विकल्प उपलब्ध नहंी हैं तथा इसी आधार पर अब यह निर्णय पारित किया जा रहा है ।
10. अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जिन अभिलेखों की मांग प्रार्थिया से की है उनमें अस्पताल में भर्ती इन्डोर केस षीट, मृत्यु बाबत् अस्पताल से प्राप्त मूल समरी, चिकित्सा कर रहे डाक्टर की राय व इलाज करवाने वाले व्यक्ति की बीमारी के संबंध में सक्षिप्त उल्लेख, समस्त अनुसंधान की गई रिपोर्ट्स, म्युनिसिपेलिटी से प्राप्त मृत्यु प्रमाण पत्र, विधिक वारिसान से संबंधित प्रमाण पत्र, अनापत्ति प्रमाण पत्र , पूर्व में किए गए समस्त ष्षरीर के विभिन्न अंगों की जांचों से सबंधित रिपोटर््स व इलाज करने वाले डाक्टर का पत्र जिसमें ऐसे मरीज की समस्त परिस्थितियों का उल्लेख हो, इत्यादि इत्यादि ।
11. पत्रावली में मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र, उसका क्लेम प्रपत्र, बीमा पाॅलिसी, सन्त फ्रान्सिस अस्पताल, अजमेर की समरी, फ्रोर्टिज अस्पताल,जयपुर का मृतक की मृत्यु बाबत् फार्म व इलाज करने वाले डाक्टर द्वारा दिया गया मेडिकल प्रमाण पत्र, मृतक के पुत्र का ष्षपथपत्र जिसमें उसने क्लेम की राषि अपनी माता को अदा करने के संबंध में किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं किए जाने का उल्लेख किया है, सन्त फ्रान्सिस अस्पताल, अजमेर व फोर्टिज अस्पताल, जयपुर में हुए इलाज के दौरान खर्च के बिलों की प्रति प्रस्तुत की गई है । इन अभिलेखों के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि जिन वांछित अभिलेखों की प्रत्याषा अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा की गई है तथा प्रार्थी पक्ष से मांग की गई है, वे कमोबेष हस्तगत पत्रावली में उपलब्ध हंै तथा उपधारणा यह की जाती है कि इस बाबत् अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सम्पूर्ण जानकारी थी अथवा रही होगी अथवा इनकी प्रतियां भी उनके द्वारा प्राप्त की गई होगी । इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस मंच की राय में अब पक्षकारों को अभिलेख उपलब्ध करवाना अथवा इस पर निर्णय लिए जाने के निर्देषों को दिए जाने के बजाव मृतक द्वारा जो सन्त फ्रान्सिस अस्पताल, अजमेर व फोर्टिज अस्पताल,जयपुर में हुए खर्चे के बिल प्रस्तुत किए गए हंै, में यह राषि रू. 2740/- व फोर्टिज अस्पताल,जयपुर में इलाज में हुए खर्च की राषि का बिल रू. 77,597/- बताए गए है । ये दोनों राषि जोड़ी जाकर ही इस सीमा तक प्रार्थिया को पुनर्भरण योग्य पाते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी को निर्देष दिया जाना न्यायोचित है । परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
12. (1) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मृतक बीमित में ईलाज में खर्च हुई राषि रू. 2740 ़ 77597त्र 80387ध्. क्लेम प्रस्तुत करने की दिनंाक से ताअदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(2) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं मानसिक संताप पेटे रू. 10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावंे ।
आदेष दिनांक 15.02.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
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