Rajasthan

Jaipur-IV

CC/1055/2012

Kanchan Ram - Complainant(s)

Versus

Star Auto Lounge P, ltd - Opp.Party(s)

Kamlesh Avasthi

18 Feb 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                         पीठासीन अधिकारी
                                    डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                     श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-1055/2012 (पुराना परिवाद संख्या 872/2009)

श्री कंचन राम पुत्र श्री मंगलराम, आयु 34 वर्ष, निवासी- प्लाॅट संख्या 3, श्रीमाल काॅलोनी, हीदा की मोरी, सूरजपोल बाजार, जयपुर । 

परिवादी
बनाम
01. स्टार आॅटो लान्ज प्राईवेट लिमिटेड, गोयल हाऊस के सामने, अजमेर रोड, जयपुर जरिये  प्रबन्धक/मैनेजर ।
02. एयू फाईनेन्सर्स (इण्डिया) प्राईवेट लिमिटेड, ज्वाईन्ट चैनल पार्टनर एच.डी.एफ.सी. बैंक, कार्यालय-19-ए, धूलेश्वर गार्डन, अजमेर रोड, सी-स्कीम, जयपुर जरिये अधिकृत अधिकारी/प्रबन्धक ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री कमलेश अवस्थी,  एडवोकेट
विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री विकास आनन्द, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 2 की ओर से श्री अजय टांटिया/श्री मुकेश शर्मा, एडवोकेट

 निर्णय
दिनांकः- 18.02.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 29.06.2009 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
विपक्षी संख्या 1 महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा कम्पनी का डीलर हैं और विपक्षी संख्या 2 एच.डी.एफ.सी. बैंक से जुड़ी एक फाईनेन्स कम्पनी हैं । परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 द्वारा निर्मित एक वाहन दिनंाक 24.04.2008 को विपक्षी संख्या 1 को 34,000/-रूपये डाउन्ट पेमेन्ट अदा करके क्रय किया था और शेष राशि 1,20,000/-रूपये का फाईनेन्स विपक्षी संख्या 2 से करवाया था । इस ऋण की अदायगी परिवादी को 4,700/-रूपये की 36 मासिक किश्तों में करनी थी । यह राशि परिवादी द्वारा दिनांक 21.06.2008 से मार्च,2009 तक विपक्षी संख्या 2 को अदा की जाती रही । फिर परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से उक्त वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र, फिटनेस व टैक्स के कागजात मांगे तो विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी को उक्त कागजात उपलब्ध नहीं कराये तथा उसके वाहन का रजिस्ट्रेशन नम्बर आर.जे.14-पीबी-0131 बता दिया ।
इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी को उसके वाहन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, फिटनेस व टैक्स आदि के कागजात उपलब्ध नहीं करवाकर सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 16 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी की टैक्स की राशि विभाग में जमा करवा दी थी तथा उसकी रसीद परिवादी को विपक्षी संख्या 1 द्वारा अदा कर दी गई थी । रजिस्ट्रेशन की राशि भी परिवहन विभाग में जमा करवा दी गई थी । परन्तु परिवादी एक पुराना परमिट, जो उर्मिला देवी के नाम से था एवं जिसका पंजीयन नम्बर आर.जे.14-पी-2086 था, उसके आधार पर परमिट प्राप्त करना चाहता था तो जिला परिवहन कार्यालय ने उसे      श्रीमती उर्मिला देवी, जो पुराने परमिट की होल्डर थी, को विपक्षी के कार्यालय में उपस्थित होने के आदेश दिये । जिसकी पालना परिवादी द्वारा नहीं की गई । इस कारण परिवादी का रजिस्ट्रेशन और परमिट आदि उसे उपलब्ध नहीं हो सके । इसमें विपक्षी संख्या 1 का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी खारिज किया   जावें  ।
 विपक्षी संख्या 2 ने अपने जवाब में कथन किया है कि परिवादी ने नियमित और मासिक किश्तों की अदायगी नहीं की हैं । इसलिए प्रश्नगत वाहन के संबंध में उसके सभी अधिकार समाप्त हो जाते हैं । परिवादी को अंततः विपक्षी संख्या 2 को वाहन लौटाना होगा । विपक्षी संख्या 2 का प्रस्तुत प्रकरण में कोई सेवादोष नहीं हैं अतः उसके संदर्भ में परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में श्री कंचनराम एवं श्री बबलू के शपथ पत्र एवं कुल 09 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री राजकुमार सेतिया एवं विपक्षी संख्या 2 की ओर से श्री सुनील शर्मा का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया । 
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
विपक्षी संख्या 1 एवं 2 दोनों की ओर से लिखित तर्क प्रस्तुत किये गये ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने वाहन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, फिटनेस एवं टैक्स की रसीद प्राप्त करनी चाही हैं । परिवादी के नाम वाहन नम्बर आर.जे.14-पी-5063 का रजिस्ट्रेशन जारी हो चुका हैं । यह तथ्य परिवाद के साथ संलग्न रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र से प्रमाणित हैं । यह वाहन विपक्षी संख्या 2 के पास हाईपोथीकेटेड हैं, यह पृष्ठाकंन उक्त रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र पर उपलब्ध हैं । रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र दिनांक 18.08.2010 को जारी हुआ था । जबकि परिवादी द्वारा यह परिवाद दिनांक 29.06.2009 को प्रस्तुत किया गया हैं । लेकिन रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र जारी कराने का उत्तरदायित्व विपक्षी संख्या 1 या विपक्षी संख्या 2 में से किसी का हो, यह तथ्य  परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये किसी दस्तावेजात से किसी भी प्रकार से प्रमाणित नहीं होता हैं । और इन परिस्थितियों में यह परिवादी का ही दायित्व माना जायेगा कि वह परिवहन विभाग से अपनी वाहन के पंजीयन प्रमाण पत्र के साथ अन्य पत्रादि जारी करवाये । प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने परिवहन विभाग को पक्षकार भी नहीं बनाया हैं इसलिए उनकी उचित जवाबदेही के अभाव में वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र विलम्ब से क्यों जारी हुआ, यह तथ्य भी प्रमाणित नहीं होता हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होता हैं । इसलिए परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं ठहरता हैं और परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
 आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं । 

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                             सदस्या                                                अध्यक्ष

निर्णय आज दिनांक 18.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                                 सदस्या                                     अध्यक्ष

 

 

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