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SHUBHANKAR filed a consumer case on 09 Jul 2019 against ST. XAVIER'S SCHOOL in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/26/2019 and the judgment uploaded on 31 Aug 2019.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 26 सन् 2019
प्रस्तुति दिनांक 08.02.2019
निर्णय दिनांक 09.07.2019
शुभांकर पाण्डेय आयु लगभग 19 साल पुत्र जी.एस. पाण्डेय निवासी मुहल्ला एलवल मकान नम्बर 302, तहसील व पोस्ट- सदर, जिला- आजमगढ़।..............................................................................परिवादी।
बनाम
सेण्ट जैवियर्स स्कूल द्वारा प्रधानाचार्य पता मुहल्ला- एलवल, पोस्ट एवं तहसील- सदर, शहर व जिला- आजमगढ़।
उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-
परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि कक्षा 10वीं पास करने के बाद वाणिज्यिक सेवा में अपने कैरियर व विषय के पसन्द के कारण विपक्षी के संस्था में कक्षा 11वी में विषय कॉमर्श की पढ़ाई हेतु प्रवेश लेने गया तो विपक्षी संस्थान के अध्यापक व प्रधानाचार्य ने कहा कि बायो ग्रुप का स्कोप अच्छा है इससे भविष्य उज्ज्वल होगा। प्रधानाचार्य एवं प्राध्यापक के कथन पर विश्वास करके मैं स्कूल द्वारा बतायी गयी फीस मुo 15,550/- रुपया दिनांक 06.07.2017 को अपने पिता के खाते के चेक से भुगतान करके प्रवेश लेने की औपचारिकताओं को पूर्ण किया। फीस की रकम प्राप्त कर विपक्षी ने मेरा एडमिशन दिनांक 06.07.2017 को पूर्ण किए। परिवादी ने कहा कि तीन दिन बायो की क्लास करने पर उसे लगा कि गलत विषय में प्रवेश ले लिया है। परिवादी दिनांक 11.07.2017 को ही प्रधानाचार्य विपक्षी से निवेदन किया कि मेरा प्रवेश जमा फीस पर कॉमर्श विषय में कर दें, क्योंकि बायो विषय नहीं पढ़ पाउंगा तो प्रधानाचार्य ने कहा कि मेरे विद्यालय में कॉमर्स विषय नहीं है। आपको दूसरी शाखा सेण्ट जैवियर्स स्कूल जयराम पुर में प्रवेश लेना होगा और मेरे यहां जमा फीस वापस हो जावेगा। सेण्ट जैवियर्स स्कूल जयरामपुर मेरे घर से दूर था और मैं वहां पढ़ाई नहीं कर सकता। इस P.T.O.
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कारण मैं केन्द्रीय विद्यालय आजमगढ़ में कक्षा 11वीं में कॉमर्श विषय में माह जुलाई 2017 में प्रवेश लेकर पढ़ाई शुरू कर दिया। परिवादी ने विपक्षी प्रधानाचार्य से जमा फीस रु 15,550/- की मौखिक एवं लिखित मांग किया तो उन्होंने बताया कि प्रशासनिक समिति मे अनुमोदन व प्रबन्धक से अनुमति के बाद जमा फीस वापस होगी। परिवादी बार-बार समिति व प्रबन्धक से अनुमति लेने गया लेकिन अनुमति नहीं मिली जिससे करीब 17 माह का समय बीत गया। जिससे परेशान होकर दिसम्बर 2018 में 15,550/- वापस न करने पर प्रथम लिखित नोटिस दिया। जिसके सन्दर्भ में विपक्षी ने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि 30 जनवरी 2019 को विपक्षी प्रधानाचार्य ने मुझे बुलाकर कहा कि जमा धनराशि फीस को वापस करने से बिना कोई कारण बताए इन्कार कर दिया। जिससे परिवादी काफी हैरान व परेशान हुआ। अतः परिवादी को जमा फीस रु. 15,550/-, बार-बार दौड़ाने व इन्कार करने से हुई शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु 2,00,00/- रुपया तथा वाद व्यय के मद में 15,000/- रुपया दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 6 जमा फीस रसीद प्रस्तुत किया गया है।
पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली दिनांक 07.06.2019 को एकपक्षीय अग्रसारित है। अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र के कथन एवं इसके समर्थन में प्रस्तुत शपथ पत्र कागज संख्या 9ग तथा प्रलेखीय साक्ष्य कागज संख्या 6ग अखण्डित हैं।
उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 15,550/- रुपये (पन्द्रह हजार रुपये) अन्दर तीस दिन अदा करें। परिवादी इस धनराशि पर प्रार्थी के जमा फीस रसीद के दिन से 09% वार्षिक ब्याज की दर से पाने का हकदार होगा। विपक्षी को P.T.O.
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यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट हेतु 10,000/- रुपये (दस हजार रुपये) तथा वाद व्यय के रूप में 2,000/- रुपये (दो हजार रुपये) भी अदा करें। अन्दर मियाद न जमा करने पर सम्पूर्ण धनराशि पर 12% ब्याज देय होगा।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 09.07.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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