Uttar Pradesh

StateCommission

A/11/2022

Devendra kumar - Complainant(s)

Versus

Sriram Transport Finance Co. Ltd. - Opp.Party(s)

O.P. Duvel

07 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/11/2022
( Date of Filing : 07 Jan 2022 )
(Arisen out of Order Dated 23/11/2021 in Case No. C/2018/17 of District Firozabad)
 
1. Devendra kumar
S/o Sri Asharfi Lal R/o Vill. Nagla Gadariya Post Kotla Dist. Firozabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Sriram Transport Finance Co. Ltd.
Gramin Bank Of Aryavert Ki Building Vibhav Nagar Ke Paas Jalesar Road Firozabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Mar 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या :11/2022

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-17/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-11-2021 के विरूद्ध)

 

देवेन्‍द्र कुमार पुत्रश्री अशर्फीलाल निवासी गॉंव नगला, गुडरिया, पोस्‍ट कोटला, जिला फिरोजाबाद।

अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

 

  1. शाखा प्रबन्‍धक श्री राम ट्रान्‍सपोर्ट फाइनेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त की बिल्डि़ग विभव नगर के पास जलेसर रोड, फिरोजाबाद।
  2. महाप्रबन्‍धक श्री राम ट्रान्‍सपोर्ट फाइनेंस कम्‍पनी लि0-101-105, प्रथम तल बी विंग शिव चैम्‍बर सेकटर नम्‍बर-1 सी0बी0डी0 बेलापुर नवी मुम्‍बई-4006141

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

     समक्ष  :-

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,  अध्‍यक्ष।
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना,          सदस्‍य।

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-        श्री ओ0पी0 दुवेल।

     प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित-            कोई नहीं।

 

दिनांक : 07-03-2022

 

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य  द्वारा उदघोषित निर्णय

 

       परिवाद संख्‍या-17/2018 देवेन्‍द्र कुमार बनाम शाखा प्रबन्‍धक, श्रीराम ट्रान्‍सपोर्ट फाइनेंस कम्‍पनी लि0 व एक अन्‍य में

 

-2-

जिला उपभोक्‍ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 23-11-2021 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

  ‘’आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

  विद्धान जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी देवेन्‍द्र कुमार की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी को दिनांक 05-12-2012 को एक ट्रैक्‍टर एक्‍कॉर्ट 439 पी0टी0 मॉडल 2012 जिसका रजिस्‍ट्रेशन संख्‍या-यू0पी0-83 एक्‍स 7152 है जिस पर 2,75,000/-रू0 ऋण स्‍वीकृत  कराया गया था। परिवादी से एग्रीमेंट के अनुसार ऋण की 31 किश्‍तों में अदायगी का करार हुआ था जिस पर परिवादी द्वारा समय-समय पर किश्‍तों की अदायगी बैंक के अधिकृत कर्मचारी को अपने निवास पर किया जाता रहा।

परिवादी के साथ विपक्षी व उसकी शाखा के कर्मचारियों द्वारा जाल-फरेब करके फर्जी तरीके से परिवादी की बिना अनुमति व जानकारी के मन-मुताबिक 2,78,000/-रू0 वर्किंग कैपीटल ऋण जिसका चेक संख्‍या-2877298 दिनांक 23-03-2016 को स्‍वीकृत कर अपने खाते में जमा कर दी तथा समय-समय पर डब्‍लू.सी.एल. वर्किक कैपीटल लोन भी करते रहे जो कि लगभग 26,275/- रू0 का है।

परिवादी ने दिनांक 01-06-2017 को अपने खाते में शाखा प्रबन्‍धक सुमित तिवारी व कर्मचारियों के समक्ष नगद एक लाख रूपया जमा करने के लिए दिये जिसे परिवादी के खाता विवरण दिनांक 01-06-2017 के अनुसार मात्र 10/-रू0 जमा दर्शाया गया है इससे जाहिर होता है कि विपक्षी की शाखा के कर्मचारियों व विपक्षी द्वारा परिवादी के साथ धोखा धड़ी की गयी है तथा मनमाफिक ऋण स्‍वीकृत कर अपने खाते में जमा किया गया है और परिवादी द्वारा जमा एक लाख रूपये की कोई भी रसीद तक नहीं दी गयी है। परिवादी की विपक्षी व उसके कर्मचारियों द्वारा कई बार जानबूझकर

 

 

 

-3-

बेइज्‍जती की गयी तथा सेवा में जानबूझकर कमी की गयी और एग्रीमेन्‍ट के नियमों का उल्‍लंघन किया गया।

परिवादी द्वारा विपक्षी व विपक्षी के अधिकृत व्‍यक्तियों को मु0 395191/-रू0 जमा किये जा चुके हैं लेकिन विपक्षी द्वारा केवल परिवादी के खाते में आज तक 295201/-रू0 जमा कर शेष 4,30151/-रू0 दर्शाये जा रहे है जबकि परिवादी पर किसी भी प्रकार की कोई भी धनराशि अवशेष नहीं है। परिवादी को विपक्षी शाखा प्रबन्‍धक द्वारा दिनांक 25-12-2017 को सूचना देकर बुलाया गया और कहा गया कि आप हमें एक लाख रूपया दें तब हम आपको नो ड्यूज सर्टिफिकेट भेज देंगे। परिवादी ने धनराशि देने से मना कर दिया तो विपक्षी ने कहा कि पैसे नहीं दिये तो मैं आपके विरूद्ध 4,30,151/-रू0 की रिकवरी जारी कर दूँगा। परिवादी द्वारा निरंतर ऋण खाते के लेने-देन के विवरण की मांग की जाती रही लेकिन उसे कोई भी संतोषजनक उत्‍तर नहीं दिया गया, साथ ही परिवादी का लगातार मानसिक, शारीरिक व आर्थिक शोषण किया जा रहा हैं। परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित किया जिसका विपक्षी द्वारा कोई उत्‍तर नहीं दिया गया। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।

विपक्षी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कम्‍पनी लि0 की ओर से विदोत्‍तर प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया गया कि परिवादी को ट्रैक्‍टर हेतु रू0 2,75,000/- ऋण स्‍वीकार किया गया था तथा पक्षकारों के मध्‍य अनुबंध सम्‍पादित हुआ जिसमें सहऋणधारक श्री इन्‍द्रपाल पुत्र श्रीलाखन सिंह थे। दिनांक 05-12-2012 को ऋणधारक व सह ऋणधारक के साथ हस्‍ताक्षरित किया गया था जो दोनों के द्वारा टर्म एण्‍ड कण्‍डीशन्‍स पढ़ने के बाद हस्‍ताक्षरित किया गया। यह भी कहा गया कि ऋणधारक व सह ऋणधारक को 31 मासिक किश्‍तों में 12713/-रू0 के हिसाब से अदा करना था किन्‍तु परिवादी ने मासिक किश्‍तें समय से अदा नहीं की। दिनांक 01-06-2017 को 10/-रू0 मात्र लोन एकाउण्‍ट में जमा किये। रू0 1,00,000/- परिवादी द्वारा जमा करने की बात गलत कहीं गयी है। उनकी तरफ से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी पर 4,36,947/-रू0 दिनांक 08-01-2018 तक बकाया अवशेष थी जिसे जमा करने के लिए परिवादी उत्‍तरदायी है। जिला आयोग को इस परिवाद को निस्‍तारित करने का कोई अधिकार नहीं है क्‍योंकि परिवादी उपभोक्‍ता की

 

 

-4-

 

परिधि में नहीं आता है क्‍योंकि यदि दोनों पक्षों के बीच में अनुबंध हस्‍ताक्षरित हुआ है तो आर्बीट्रेशन क्‍लॉज 15 के तहत निर्णीत होना चाहिए।

विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष के तर्कों को विस्‍तारपूर्वक सुनने के पश्‍चात अपने निष्‍कर्ष में यह मत अंकित किया है कि उभयपक्ष के मध्‍य हुए ऋण अनुबंध दिनांक 05-12-2012 के द्वारा 2,75,000/-रू0 का ऋण परिवादी को स्‍वीकृत किया गया एवं उभयपक्ष में मध्‍य हुए ऋण अनुबंध संख्‍या-एजीआरएएनओ-603220057 दिनांक 23-03-2016 को मु0 2,78,000/-रू0 पर्सनल लोन भी स्‍वीकृत किया गया। परिवादी का कथन है कि दिनांक 01-06-2017 को उसके द्वारा विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक को 1,00,000/-रू0 जमा करने के लिए दिये गये जबकि परिवादी के खाता विवरण दिनांक 01-06-2017 में मात्र 10/-रू0 जमा करना दर्शाया गया है यह साबित करने का भार परिवादी पर था कि उसके द्वारा 10/-रू0 के स्‍थान पर 1,00,000/-रू0 जमा किया गया है जिसे साबित करने में परिवादी असफल रहा है और न ही 1,00,000/-रू0 जमा करने की कोई रसीद परिवादी द्वारा दाखिल की गयी है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री ओ0 पी0 दुवेल उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया।

समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि विद्धान जिला आयोग द्वारा जो निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है वह समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन करने के पश्‍चात पारित किया गया है जो विधि एवं न्‍याय की दृष्टि से सही है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

 अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

-5-

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   ( विकास सक्‍सेना )

       अध्‍यक्ष                                 सदस्‍य

 

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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